कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव के बाद भी शून्य शक्ति की स्थिती में ही रहेेगा - अरविन्द सिसौदिया
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कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव
Congress President will remain in the position of zero power even after the election - Arvind Sisodia
कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव के बाद भी शून्य शक्ति की स्थिती में ही रहेेगा - अरविन्द सिसौदिया
हलांकी अब कांग्रेस में राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिये चुनाव की नौटंकी शिरू हो गई है। क्यों कि लम्बे समय तक, इस तरह की चुनावी प्रक्रिया के बिना ही सोनिया गांधी एवं राहुल गांधी कांग्रेस के अखिल भारतीय अध्यक्ष रहे हैं। सोनिया गांधी कांग्रेस के सवा सौ साल से भी अधिक के इतिहास में सबसे लम्बे समय तक अध्यक्ष रह चुकी हैं तथा अभी भी उनके पास ही यह पद है। जब सब दूर कांग्रेस को विदेशी सोच वाली पार्टी मान कर ठुकराया जानें लगा, वह एक एक सीट का तरसनें लगी, तब कही जाकर देश को दिखानें के लिये, गैर नेहरू परिवार से कटपुतली अध्यक्ष नियुक्त किया जा रहा है। ताकि लोग उसे परम्परागत भारतीय मान कर वोट दें। कांग्रेस फिर से सरकार में आये। इस तरह का प्रयोग सोनिया गांधी प्रधानमंत्री पद पर भी कर चुकी है।
कांग्रेस की मूल समस्या उसकी नीतियां ही हैं। वहीं कांग्रेस राजकुमार सहित कई कांग्रेसी अपने ही किसी न किसी वाक्ये से कांग्रेस को कटघरे में खडा कर देते हैं। जिससे कांग्रेस को नुकसान होता है। अन्यथा सोनिया गांधी ने कांग्रेस को सरकार तक दो बार पहुचाया ही था। सोनिया गांधी भारत का प्रधानमंत्री राहुल गांधी को बनाना चाहती है। हर मां बाप का सपना अपनी औलाद को तरक्की देनें का होता है। इसमें कोई गलत काम है भी नहीं। राहुल के सामनें भी पूरा पूरा समय है, इस पद तक पहुचनें का । उनकी आयु अभी बहुत कम है, लगातार प्रयास करते रहें, पीएम बनना संभव भी है और नहीं भी है। क्यों कि वे कल क्या करेंगे यह उन्हे ही पता होता है।
कांग्रेस मूलतः दसकों से नेहरू परिवार की पार्टी बन चुकी, इसलिये होगा वही जो वे चाहेगें। कांग्रेस अध्यक्ष से बडी कांग्रेस वर्किंग कमेटी भी होती है। जिसे सी डब्ल्यू सी कहा जाता है। यह नेहरू परिवार के प्रति वफादार लोगों की ही होती है। जब चाहो तब कांग्रेस अध्यक्ष को सीताराम केसरी की तरह टांगा टोली कर दफतर से बाहर फेंका जा सकता है।
अभी नामांकन की प्रक्रिया 24 सितंबर 2022 से शुरू हो गई है जो 30 सितंबर तक चलेगी। अब नया कांग्रेस अध्यक्ष पार्टी डेलीगेट्स के वोटिंग से तय होगा। वोटिंग 17 अक्टूबर को होगी, जबकि चुनाव के नतीजे 19 अक्टूबर को घोषित होगे।
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, सोनिया गांधी एवं राहुल गांधी से लगातार मुलाकात कर मुख्यमंत्री पद पर बने रहना चाहते हैं किन्तु राहुल व सोनिया का स्पष्ट इशारा है कि एक व्यक्ति एक ही पद पर रहेगा। गहलोत दुखी हैं कि उन्हे मुख्यमंत्री पद छोडना पड रहा है। क्यों कि नेहरू परिवार गहलोत को अध्यक्ष बनाना चाहता है और असन्तुष्ट कांग्रेसी सांसद शशि थरूर ने भी चुनाव लडनें की बात की है, अर्थात वे बागी प्रत्याशी होंगे, एक और असन्तुष्ट कांग्रेसी मनीष तिवारी भी अध्यक्ष पद के लिए नामांकन भर सकते हैं। अभी तक तो नामांकन भरना, उसका जांच प्रक्रिया में बने रहना और वोटिंग होना तो तय है। लेकिन आगे देखना होगा कि क्या क्या होगा और कब कब होगा।
लेकिन एक बात तय है कि लगातार कई वर्षों से राहुल गांधी की गुड बुक से बाहर मानें जानें वाले अशोक गहलोत , राहुल गांधी को सन्तुष्ट कैसे रख पायेंगे । सोनिया गांधी वरिष्ठ कांग्रेस जन को साथ लेकर चलती हैं , वहीं राहुल गांधी की पशंद में कन्हैया कुमार जैसे लोग आते हैं। सवाल वहीं खडा है कि गैर नेहरू परिवार का अध्यक्ष तो बन जायेगा मगर उनके और नेहरू परिवार के बीच सास-बहू वाला भेद तो बना ही रहना है। क्या अशोक गहलोत पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की तरह मौन रह कर अपने आपको बचा पायेगें। यह तो समय ही बतायेगा। मगर इतना आज से ही तय है कि नया अध्यक्ष जो भी आयेगा उसकी स्थिती शून्य जैसी ही होगी। उसके हर निर्णय की समीक्षा नेहरू परिवार की डायनिंग टेबल पर हुआ करेगी।
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