मरीज का अधिकार कानून बनायें....




मरीज का अधिकार कानून बनायें....
गैर सरकारी अस्पतालों के मरीजों की सुविधा और जनसुरक्षा के लिये मरीज अधिकार  कानून / पत्र बनाया जाये। ताकि एक मरीज अस्पताल प्रबंधन से अपने अधिकारों की मांग कर सके, वर्तमान में निजि चिकित्सालय सिर्फ और सिर्फ कारोबार में बदल गये हैं तथा मरीज का शोषण एक धंधा बन गया है।
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कोलकाता।। कोलकाता के एएमआरआई अस्पताल में शुक्रवार की भयंकर आग के सिलसिले में गिरफ्तार 7 निदेशकों में से 6 को शनिवार को एक अदालत ने 10 दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया। इस आग में 91 लोगों की मौत हो गई। इस मामले में सीएम ममता बनर्जी ने न्यायिक जांच के आदेश दे दिए हैं। 
अलीपुर के चीफ जुडिशल मैजिस्ट्रेट एस.एम.शाहनवाज की अदालत ने आर.एस.गोयनका, एस.के.तोडी, प्रशांत गोयनका, मनीष गोयनका, रवि तोडी और दयानंद अग्रवाल को 20 दिसंबर तक के लिए पुलिस हिरासत में भेज दिया। जज ने शुक्रवार को गिरफ्तारी के बाद बी.एम. बिड़ला अस्पताल में भर्ती हुए एएमआरआई निदेशक आर.एस. अग्रवाल को जल्द ही अदालत में पेश करने का आदेश दिया। इन सभी पर गैर इरादतन हत्या एवं लापरवाही का आरोप लगाया गया है।
विशेष सरकारी वकील और तृणमूल कांग्रेस के सांसद कल्याण बनर्जी ने अस्पताल प्रबंधन पर सभी सुरक्षा मानकों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया और कहा कि आग तीन बजकर 20 मिनट पर लगी और पुलिस को 4 बजकर 10 मिनट पर सूचना दी गई। आरोपियों के वकील अमिताभ बनर्जी ने अदालत के बाहर कहा कि उन्हें जमानत की अर्जी पेश करने नहीं दी गई। उन्होंने कहा, 'यह एकतरफा सुनवाई थी।' गौरतलब है कि AMRI हॉस्पिटल में लगी आग में अब तक 91 लोगों की मौत हो चुकी है।
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दम घुटने से अब तक 90 लोगों की मौत
कोलकाता: दक्षिण कोलकाता के सात मंजिला एडवांस मेडिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट अस्पताल (एएमआरआई) में शुक्रवार तड़के लगी आग में कम से कम  90 लोगों की मौत हो गई.मरने वालों में कम से कम 70 मरीज़ हैं, जबकि बाकी अस्पताल के स्टाफ बताए जाते हैं. अस्पताल के मुताबिक अस्पलात के बेसमेंट में 160 मरीज़ मौजूद थे जिनमें से 70 की मौत हो चुकी है. करीब 10 से ज्यादा जख्मी लोगों को शहर के विभिन्न अस्पतालों में भरती कराया गया है.अब तक 80 से शवों की शिनाख्त हो गई है. अधिकतर शवों का पोस्मार्टम भी किया जा चुका है. ज्यादातर मौतें दम घुंटने से हुई हैं.
दूसरी ओर अस्पताल के प्रमुख सावन कुमार तोडी समेत तीन पदाधिकारियों ने पुलिस के सामने समर्पण कर दिया है.उधर, मौके पर पहुंची पश्चिम बंगाल की मुख्‍यमंत्री ममता बनर्जी ने हादसे पर दुख जताते हुए अस्‍पताल प्रशासन के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया.
आरोप :-
अस्पताल पर लापरवाही के दो गंभीर आरोप लगाए जा रहे हैं.
पहला यह कि एएमआरआई अस्पताल के अनके स्टाफ मरीज़ों को अकेला छोड़ कर भाग निकले, दूसरा यह कि बेसमेंट के बारे में आम ख्याल यह रहता था कि वह पार्किंग के तौर पर इस्तेमाल हो रहा होगा, लेकिन इसे स्टोर के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा था जिससे मुमकिन है आग को तीव्र होने में मदद मिली हो.
दमकल की 20 गाड़‍ियां आग बुझाने के काम में जुटी रही जिसके बाद करीब 10 घंटे बाद आग पर काबू पाया जा सका.ऊपरी मंजिल पर फंसे लोगों को आग और धुएं से बचाने के लिए फायर ब्रिगेड की टीम ने अस्‍पताल की खिड़कियों के कांच तोड़ दिए.
वहीं, अस्‍पताल में फंसे 40 मरीजों को हाइड्रोलिक क्रेन के जरिए बाहर निकाला गया.
दमकल विभाग ने आईसीयू, आईसीसीयू और आईटीयू के अंदर कई फंसे मरीज, नर्स और डॉक्‍टर को निकाल लिया है.
अस्‍पताल के वरिष्‍ठ उपाध्‍यक्ष एसएच उपाध्‍याय के मुताबिक, ‘अस्‍पताल प्रशासन की ओर मृतकों के परिजनों को पांच-पांच लाख रुपये का मुआवजा दिया जाएगा. इसके साथ ही घायलों का मुफ्त में इलाज किया जाएगा.’ दमकल कर्मचारी अस्‍पताल की इमारत में लगे ऑक्‍सीजन सिलेंडर को बड़ी मुश्किल से बाहर निकालने में कामयाब हुए, क्‍योंकि आग के चलते इस सिलेंडर के फटने का डर रहता है.
अभी आग लगने के कारणों का ठीक से पता नहीं चल पाया है, लेकिन कहा जा रहा है कि शॉर्ट सर्किट के चलते यह हादसा हुआ.गौरतलब है कि यह शहर का नामी-गिरामी निजी अस्‍पताल है. पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्‍यमंत्री स्‍वर्गीय ज्‍योति बसु का इलाज भी इसी अस्‍पताल में हुआ था.

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