रूस में गीता पर पाबंदी : चौतरफा विरोध





- अरविन्द सिसोदिया 
रूस की कुंठित मानसिकता सामने आई.....
किसी दुसरे पंथ या धर्म के विचारों तक को नहीं सुनना और उन पर प्रतिबंध लगाना संकुचित मानसिकता का परिचायक हे | यूँ तो साम्यवाद पूरी तरह से गिर चूका हे , चीन और रूस में नाम मात्र का साम्यवाद हे जो सिर्फ सत्ता तक ही सीमित हे... अन्यथा अब चीन में तेजी से मस्जिदें और रूस में तेजी से गिरजा घरों का विस्तार हुआ हे ....यह खुला पन इस लिए भी जरुरी हो गया की इससे जनता एनी कार्यों में व्यस्त रहे और विद्रोह न हो पाए...कुल मिला कर मानसिक आपूर्ति के रूपमें आस्था की आवश्यकता को स्वीकारोक्ति स्वीकार हो रही हे..इस तरह की स्थिति में गीता को बदनें से रोकनें के लिए यह कदम उठाया जा रहा हे.... 


पहले अमरीका में रजनीश ( ओशो) को परेशान कर जानें पर मजबूर किया था...,
अब रूस में कृष्ण भक्ती के लिये प्रसिद्ध इस्कान मंदिरों पर कुठाराघात करने हेतु
श्रीमद भगवद गीता पर प्रतिबंध की बात सामने आ रही है। वहां भगवद गीता को उग्रवादी साहित्य बता कर प्रतिबंध की योजना है। यह हिन्दुओं के धार्मिक अधिकार को बाधित करने का कुप्रयत्न निंदनीय है और विश्व बंधुत्व विरोधी है।


नई दिल्ली: रूस में गीता पर पाबंदी को लेकर भारत में चौतरफा विरोध और रूस के दुख जताने के बीच लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने इसे राष्ट्रीय पुस्तक घोषित करने की मांग की है.
सुषमा का तर्क है कि अगर गीता को राष्ट्रीय पुस्तक घोषित कर दिया गया तो इससे इस पुस्तक का कोई अपमान नहीं कर सकेगा.
हालांकि, इससे पहले विदेश मंत्री एस एम कृष्णा ने मंगलवार को संसद को आश्वासन दिया था कि गीता पर पाबंदी को लेकर भारत ने रूसी सरकार के सामने अपना विरोध जता दिया है.एसएम कृष्णा के बयान का स्वागत करते हुए नेता प्रति पक्ष सुषमा स्वराज ने कहा कि केवल रूसी अधिकारियों के सामने रोष जताना काफी नहीं है.
उन्होंने कहा, "सरकार को गीता पर पाबंदी हटाने के लिए ज़रूरी कदम उठाने चाहिए और इसके साथ ही भगवत गीता को राष्ट्रीय पुस्तक घोषित किया जाना चाहिए." इससे पहले विदेश मंत्री एसएम कृष्णा ने कहा था, "हमारे दूतावास ने इस मामले में हस्तक्षेप किया है. इस मुकदमे से जुड़े वकील मॉस्को स्थित भारतीय दूतावास के अधिकारियों के लगातार संपर्क में हैं.मंत्री ने कहा कि इस मामले को रूस के उच्च अधिकारियों के सामने भी उठाया गया है.कृष्णा का कहना था, "हम इस्कॉन के वकीलों के साथ लगातार संपर्क में हैं. ऐसा लगता है कि रूस की स्थानीय अदालत में गीता के खिलाफ शिकायत किसी अज्ञानी या निहित स्वार्थी व्यक्ति ने की है." विदेश मंत्री का कहना था कि कई रूसी विशेषज्ञों सहित भारत में रूस के राजदूत अलेक्जेंडर एम कडादीन भगवद गीता को अच्छी तरह से समझते हैं और जानते हैं कि इस धार्मिक पुस्तक को अपार सम्मान के साथ लिखा गया है.


विवाद


रूस में भगवदगीता पर पाबंदी को लेकर एक अदालत में यह मामला छह महीने पहले दायर हुआ था, फिलहाल इस मामले की सुनवाई 28 दिसंबर तक टाल दी गई है. साइबेरिया के तोम्स्क की एक अदालत में इस्कॉन के संस्थापक एसी भक्ति वेदांत स्वामी प्रभुपाद की लिखी 'भगवद्गीता ऐज इट इज' के रूसी भाषा के संस्करण पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई है. इसे उग्रवादी साहित्य कहकर साइबेरिया के तोमस्क की एक अदालत में चुनौती दी गई है.

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