अब कांग्रेस क्या हुआ....? लोकपाल बिल .???




- अरविन्द सिसोदिया 
अब कांग्रेस क्या हुआ....?
राज्य सभा में वोटिंग से पीछे क्यों हटे ..?
भाजपा ने लाकसभा में भी कहा था,
यह बिल असंवैधानिक है और
राज्यों के अधिकार क्षैत्र मे हस्तक्षेप करता है।

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संशोधन पर सरकार ने मांगा वक्त, बीजेपी बोली-डर गई सरकार
Dec 30, 2011 
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नई दिल्ली। करीब 12 घंटे तक गर्मागर्म बहस के बाद भी लोकपाल बिल राज्यसभा में पास नहीं हो पाया। देर रात करीब 12 बजे संसदीय कार्यमंत्री पवन बंसल ने खडा़ होकर सदन से और वक्त मांगा। उन्होंने तर्क दिया कि सरकार को कुल 187 संसोधन प्रस्ताव मिले हैं। जिसे गहन करने में वक्त लगेगा। जबकि राज्यसभा में विपक्ष के नेता अरुण जेटली ने कहा कि वो पूरी रात बहस के लिए तैयार हैं लेकिन सरकार तैयार नहीं हुई।
विधेयक पर जारी चर्चा और उसके बाद मत विभाजन के बारे में सरकार की तरफ से कोई संतोषजनक जवाब न मिलने पर सदन में हंगामा होने लगा। जिसके बाद सभापति उप-राष्ट्रपति हामिद अंसारी ने सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी। जेटली ने कहा कि सरकार अल्पमत है इसलिए लोकपाल बिल को टालना चाहती है। जेटली ने कहा कि लोकपाल बिल को राज्यसभा में लटकाने के लिए सरकार ने पहले ही साजिश रच ली थी। इसलिए 28 तारीख को लोकपाल बिल को सदन के पटल पर नहीं रखा गया। सरकार ने जो कुछ भी राज्यसभा में किया वो उसकी रणनीति थी। जेटली ने कहा कि सरकार बिल पास कराना नहीं चाहती है। सरकार की ये राजनीतिक और नैतिक हार है। सरकार को अब बने रहने का हक नहीं है। उन्होंने कहा कि ये सरकार वोट से भागने वाली सरकार है।
वहीं सीताराम येचुरी ने कहा कि सरकार को अगर और वक्त चाहिए तो सरकार साफ बताए कितना वक्त और चाहिए। सरकार की तरफ से पवन बंसल ने कहा कि वो कोई डेडलाइट नहीं दे सकते। जिसके बाद राज्यसभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई।
जिसके बाद बीजेपी प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन ने कहा कि सरकार ने संसदीय परंपरा की हत्या की। सरकार ने जानबूझकर को लोकपाल बिल को लटकाया है। उन्होंने कहा कि सरकार के पास बहुमत नहीं है इसलिए तुरंत सरकार को इस्तीफा दे देना चाहिए। विपक्षी सांसदों ने राज्यसभा के बाहर जोरदार नारेबाजी की।


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राज्यसभा में आंकड़ों में उलझी सरकार वोटिंग से हटी पीछे!
 Dec 30, 2011 
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नई दिल्ली। लोकपाल बिल लटक गया है। आंकड़ों में बुरी तरह उलझी सरकार ने बिल पर रात 12 बजे के बाद बहस कराने से इनकार कर दिया। विपक्ष की मांग पर वोटिंग भी नहीं कराई गई। इसके बाद बिल पर बिना कोई फैसला हुए राज्यसभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई।
इससे पहले बिल पर सदन के सवालों का जवाब देने खड़े हुए पीएमओ के राज्यमंत्री नारायण सामी अपना भाषण तक पूरा नहीं कर पाए। आरजेडी नेता राजनीति प्रसाद ने आगे बढ़ कर उनके हाथ से बिल छीना और फाड़ दिया। हंगामें के बीच सदन को 15 मिनट तक के लिए स्थगित करना पड़ा। सदन जब दोबारा शुरु हुआ तो संसदीय कार्यमंत्री पवन बंसल ने ढेर सारे संशोधनों का हवाला देते हुए कहा कि, अभी सरकार को इन संशोधनों के अध्ययन की जरूरत है।
बंसल ने ये भी साफ नहीं किया कि आगे इस बिल पर सदन कब चर्चा करेगा। इसके लिए उन्होने राष्ट्रपति की इजाजत का हवाला दिया। हालांकि बीजेपी नेता अरुण जेटली ने कहा कि सरकार चाहे तो वो पूरी रात सदन में बैठने को तैयार है। सरकार जानबूझ कर बिल को टाल रही है।
सदन स्थगित होने का ऐलान होते ही एनडीए के सांसद नारे लगाते हुए बाहर आ गए। विपक्ष ने इस पूरे घटना क्रम को लोकतंत्र की हत्या करार दिया। बीजेपी का आरोप है कि सरकार ने ये सारा ड्रामा खुद रचा था। पार्टी के नेताओं ने आरोप लगाया कि आखिरी क्षणों में सरकार के लोग सदन में इधर-उधर घूम रहे थे। साजिशें चल रही थीं और सरकार हार के डर से पीछे हट गई। पार्टी ने फिर दोहराया कि सरकार नैतिक अधिकार खो चुकी है और उसे इस्तीफा देना चाहिए। विपक्ष का आरोप है कि सरकार के पास बहुमत नहीं था, इसलिए वो मैदान छोड़कर भाग गई।
गौरतलब है कि गुरुवार की सुबह 11 बजे सरकार ने राज्यसभा में बिल पर बहस शुरू करवाई और रात 11 बजे वही सरकार अपने ही लोकपाल बिल की फजीहत होते देखती रही।

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