पवित्र गंगा यूँ ही नहीं ....




पवित्र गंगा यूँ ही नहीं ....
इस की सबसे बड़ी विशेसता यह हे की इसके जल  को किसी भी बर्तन में भर कर कई कई वरस तक रखा जा सकता हे वह सड़ता नहीं हे उसमें विषाणु नहीं पनपते वह स्वास्थ्य के लिए लगातार हितकर बना रहता हे...यह विशेसता और  किसी नदी जल में नहीं हे ........न ही किसी एनी प्राकृतिक स्त्रोत में ...इसी लिए यह पवित्र मणि जाती हे....!!!!!!!

         विश्व प्रसिद्ध , भारत की सबसे महत्त्वपूर्ण नदी गंगा, जो भारत और बांग्लादेश में मिलाकर २,५१० किमी की दूरी तय करती हुई , उत्तरांचल में हिमालय से लेकर बंगाल की खाड़ी के सुंदरवन तक के विशाल भू भाग को सींचती है, देश की प्राकृतिक संपदा ही नहीं, जन जन की पवित्र भावनात्मक आस्था का आधार भी है। 
         २,०७१ कि.मी तक भारत तथा उसके बाद बांग्लादेश में अपनी लंबी यात्रा करते हुए यह सहायक नदियों के साथ दस लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल के अति विशाल उपजाऊ मैदान की रचना करती है। सामाजिक, साहित्यिक, सांस्कृतिक और आर्थिक दृष्टि से अत्यंत महत्त्वपूर्ण गंगा का यह मैदान अपनी घनी जनसंख्या के कारण भी जाना जाता है। 
        १०० फीट (३१ मी) की अधिकतम गहराई वाली यह नदी भारत में पवित्र एवं देवीय अवतार मानी जाती है तथा इसकी उपासना ईश्वरीय  माँ और देवी के रूप में की जाती है। इसे मिक्ष दायनी भी मन जाता है।
        भारतीय पुराण और साहित्य में अपने सौंदर्य और महत्व के कारण बार-बार आदर के साथ वंदित गंगा नदी के प्रति विदेशी साहित्य में भी प्रशंसा और भावुकतापूर्ण वर्णन किए गए हैं।
       इस नदी में मछलियों तथा सर्पों की अनेक प्रजातियाँ तो पाई ही जाती हैं मीठे पानी वाले दुर्लभ डालफिन भी पाए जाते हैं। यह कृषि, पर्यटन, साहसिक खेलों तथा उद्योगों के विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान देती है तथा अपने तट पर बसे शहरों की जलापूर्ति भी करती है। इसके तट पर विकसित धार्मिक स्थल और तीर्थ भारतीय सामाजिक व्यवस्था के विशेष अंग हैं। 
         इसके ऊपर बने पुल, बाँध और नदी परियोजनाएँ भारत की बिजली, पानी और कृषि से संबंधित ज़रूरतों को पूरा करती हैं। वैज्ञानिक मानते हैं कि इस नदी के जल में बैक्टीरियोफेज नामक विषाणु होते हैं, जो जीवाणुओंव अन्य हानिकारक सूक्ष्मजीवों को जीवित नहीं रहने देते हैं। गंगा की इस असीमित शुद्धीकरण क्षमता और सामाजिक श्रद्धा के बावजूद इसका प्रदूषण रोका नहीं जा सका है। फिर भी इसके प्रयत्न जारी हैं और सफ़ाई की अनेक परियोजनाओं के क्रम में नवंबर,२००८ में भारत सरकार द्वारा इसे भारत की राष्ट्रीय नदी तथा इलाहाबाद और हल्दिया के बीच (१६०० किलोमीटर) गंगा नदी जलमार्ग- को राष्ट्रीय जलमार्ग घोषित किया है।
अधिक जानकारी के लिए...
गंगा नदी विश्व भर में अपनी शुद्धीकरण क्षमता के कारण जानी जाती है। लंबे समय से प्रचलित इसकी शुद्धीकरण की मान्यता का वैज्ञानिक आधार भी है। वैज्ञानिक मानते हैं कि इस नदी के जल में बैक्टीरियोफेज नामक विषाणु होते हैं, जो जीवाणुओं व अन्य हानिकारक सूक्ष्मजीवों को जीवित नहीं रहने देते हैं। नदी के जल में प्राणवायु (ऑक्सीजन) की मात्रा को बनाए रखने की असाधारण क्षमता है। किंतु इसका कारण अभी तक अज्ञात है। 
          एक राष्ट्रीय सार्वजनिक रेडियो कार्यक्रम के अनुसार इस कारण हैजा और पेचिश जैसी बीमारियाँ होने का खतरा बहुत ही कम हो जाता है, जिससे महामारियाँ होने की संभावना बड़े स्तर पर टल जाती है। लेकिन गंगा के तट पर घने बसे औद्योगिक नगरों के नालों की गंदगी सीधे गंगा नदी में मिलने से गंगा का प्रदूषण पिछले कई सालों से भारत सरकार और जनता की चिंता का विषय बना हुआ है। औद्योगिक कचरे के साथ-साथ प्लास्टिक कचरे की बहुतायत ने गंगा जल को भी बेहद प्रदूषित किया है।

टिप्पणियाँ

इन्हे भी पढे़....

तेरा वैभव अमर रहे माँ, हम दिन चार रहें न रहे।

सेंगर राजपूतों का इतिहास एवं विकास

छत्रपति शिवाजी : सिसोदिया राजपूत वंश

चित्तौड़ का पहला जौहर, महारानी पद्मिनी : 26 अगस्त,1303

कण कण सूं गूंजे, जय जय राजस्थान

गणपति गजानंद भगवान ganpti gjanand bhagvan

God exists and He is everything - Arvind Sisodia

खींची राजवंश : गागरोण दुर्ग

भारत अखंड और हिंदू राष्ट्र है - परमपूज्य डॉ. मोहन भागवत जी

हमारा देश “भारतवर्ष” : जम्बू दीपे भरत खण्डे