स्वयमेव मृगेंद्रता : भारत को सर्वाेच्च शक्तिशाली बनना ही होगा - अरविन्द सिसौदिया

 भारत को सर्वाेच्च शक्तिशाली बनना ही होगा  - अरविन्द सिसौदिया
India must be the most powerful - Arvind Sisodia 9414180151

 इस समय जो स्थिती विश्व की बनीं है। उसमें हिंसावादी ताकतें सिर उठायेंगीं क्यों कि इस रोकनें की क्षमता वाले अमेरिका और उसके मित्र राष्ट्रों का नेतृत्व कमजोर हाथों में है। कुछ काम शक्ति होते हुये भी इच्छा शक्ति से होते हैं। अमेरिका का तालिवानों के आगे आत्म समर्पण जैसी स्थिती के बाद अचानक ही चीन एवं रूस की आंतरिक इच्छाायें फिर से जाग्रत हो गईं है। अभी ये एक हो कर अपने अपने भौगोलिक हित साधनें में लगे है। आगे चल कर रूस और चीन में भी संघर्ष होगा । एक म्यान में दो तलवार रह ही नहीं सकतीं है। इसलिये वेट एडं वाच वाली बात ही महत्वपूर्ण है।

चीन से शत्रुता रहनी ही है, इसलिये रूस से मित्रता तो रखनी ही होगी। मित्रता न रहे तब भी शत्रुता नहीं करनी चाहिये। वहीं अमेरिका अभी भले ही कमजोर हाथों में हो मगर अगले चुनाव में वहां मजबूत राष्ट्रपति आनें की ही संभावना है। इसलिये अमेरिका हमेशा कमजोर रहेगा यह भी नहीं है। इसलिये अमेरिका से भी सम्बंध अच्छे रहनें ही चाहिये।

अभी स्थिती यह है कि एक तरफ कुआ तो दूसरी तरफ खाई है। इसलिये एक एक कदम  फूंक फूंक कर रखना होगा । संभवतः यह युद्ध भी समाप्त हो जायेगा......।

भविष्य में भारत , यही महत्वपूर्ण विषय है। इसका एक ही रास्ता है कि भारत को परमाणु हथियारों में वृद्धि और उनकी मारक क्षमता में बढोत्ररी करनी ही होगी। कम्प्यूटर प्रणाली को पंगु कर देनें वाली प्रणाली पर शोध और अधिपत्य बनाना होगा । 

हमारे शास्त्र तो लाखों वर्षपूर्व से ही कह रहे है। कि शक्ति ही सर्वाेपरी है। इसलिये भारत को स्वयं की इच्छा शक्ति से सर्वाेच्च शक्तिशाली देश बनना ही होगा । वर्तमान प्रधनमंत्री नरेन्द्र मोदी जी में यह इच्छाशक्ति है। वे विज्ञान के भी ज्ञाता हैं। उनकी प्रेरणा से भारत ने कोविड की वैक्सीन खोजी, उत्पादन किया एवं देश के नागरिकों की रक्षा भी की है।

वैज्ञानिक युग है विज्ञान के रास्त ही विश्व शक्ति बननें का रास्ता जाता है। भारत को वैज्ञानिकों के माध्यम से स्वयमेव मृगेंद्रता की स्थिती को प्राप्त करना होगा।

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नाभिषेको न संस्कार: सिंहस्य क्रियते मृगैः |
विक्रमार्जितराज्यस्य स्वयमेव मृगेंद्रता ||

हिंदी अनुवाद:
जंगल में पशु  शेर का संस्कार करके या उसपर पवित्र जल का छिडकाव करके उसे राजा घोषित नहीं करते बल्कि शेर अपनी क्षमताओं और योग्यता के बल पर खुद ही राजत्व स्वीकार करता है ।

English Translation:
Animals do not coronate a lion through sprinkling holy water on him and conducting certain rituals. He assumes kingship (effortlessly) through his own prowess. This shloka explains us that titles doesn't matter for people with great abilities and qualities. Great people do their work  and find their true places in life without any titles and appreciations.


 
☀☀सुभाषितम् ☀☀

 
न अभिषेकों न संस्कारः सिंघस्य कियते वने । विक्रमाजिर्तस्त्वस्य स्वयमेव मृगेंद्रता ।।

अर्थ - सिंह(शेर) को जंगल का राजा बनने के लिए राज्याभिषेक समारोह की आवश्यकता नही होती वह अपने कार्यों तथा साहस से स्वयं राजा बनता है ।



न अभिषेकों न संस्कारः सिंघस्य कियते वने ।
विक्रमाजिर्तस्त्वस्य स्वयमेव मृगेंद्रता ।।
अर्थ - सिंह(शेर) को जंगल का राजा बनने के लिए राज्याभिषेक समारोह की आवश्यकता नही होती वह अपने कार्यों तथा साहस से स्वयं राजा बनता है ।

विपत्सु वज्रधैर्याणां संग्रामे वज्रदेहिनाम्।
संघो राष्ट्रविपत्काले सद्वज्रकवचायते।।
अर्थ - विपत्ति के समय पराकाष्ठा का धैर्य रखनेवाले को संग्राम के अवसर पर वज्र के सदृश दृढ देह वाले और राष्ट्र पर जब आपत्ति आती है, तब राष्ट्र को संगठित शक्ति ही उत्तम वज्र की तरह कवच बनकर बचाती है।

अमंत्रमक्षरं नास्ति, नास्ति मूलमनौषधम्।
अयोग्यः पुरूषो नास्ति, योजकस्तत्र दुर्लभः।।


अर्थ: कोई भी अक्षर ऐसा नही होता है, जिससे मंत्र नही बन सकता। ऐसी कोई वनस्पती ऐसी नही जिससे औषधी नही बन सकती है। कोई भी व्यक्ति का निरुपयोगी नही होता । केवल योजक(उपयोग जानने वाला) की आवश्यकता होती है।



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