केजरीवाल जी, मफलर तो उतर गया - अरविन्द सिसोदिया


 केजरीवाल जी, मफलर तो उतर गया - अरविन्द सिसोदिया
Mr. Kejriwal, the muffler has come off - Arvind Sisodia

भारत की राजनीति को जिस व्यक्ति नें तमाम आरोपों से प्रश्न चिन्हित किया था और तमाम सादगीओं की दुहाई दी थी। आज वह स्वयं उससे सरोवोर है, नहाया हुआ है, तो इसे क्या कहा जाये । दिल्ली में अन्ना हजारें का मंच और उससे बरसती सादगी और नैतिकता की तमाम बर्षात स्वयं बह गई ? उन  महान और बडी बडी बातों से आज , अरविन्द केजरीवाल के रूप में अपना मफलर उतर गया है। अब लोकपाल जैसी संस्था स्वयं औचित्यहीन हो गई है।
The person who questioned India's politics with all the allegations and called for all the simplicity. Today he himself is a lake with him, he is bathed, so what can it be called. Anna Hazare's stage in Delhi and all the rain of simplicity and morality that rained from it washed away by itself? Today, Arvind Kejriwal has taken off his muffler from those great and big things. Now the institution like Lokpal itself has become irrelevant.

सवाल यह है ही नहीं कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल के बंगले पर कितना खर्च हुआ । सवाल तो यह है कि क्या यह अरविन्द केजरीवाल के लिये उचित था.....! क्या यह आप पार्टी के लिये उचित था.....।।

The question is not that how much was spent on Delhi Chief Minister Arvind Kejriwal's bungalow. The question is whether it was appropriate for Arvind Kejriwal.....! Was it fair for the AAP party?

सवाल केजरीवाल से....
दिल्ली के मुख्यमंत्री और अन्ना हजारे के शिष्य रहे , विदेशी पैसे से एनजीओ चलानें वाले अरविन्द केजरीवाल के सरकारी निवास के सौंदर्यकरण , नवीनीकरण के नाम पर बनें नये बंगले के खर्च पर प्रश्न उठ रहे है । यह सारा मसला कोई राजनैतिक दल नहीं , बल्कि एक अखवार सामनें लेकर आया है। जिसनें अरविन्द केजरीवाल को नेतिकता के मोर्चे पर पूरी तरह से बेनकाब कर दिया है।


Question to Kejriwal....
Questions are being raised on the cost of the new bungalow built in the name of beautification and renovation of the official residence of Arvind Kejriwal, the Chief Minister of Delhi and disciple of Anna Hazare, who runs an NGO with foreign money. This whole issue is not brought to the fore by any political party, but by a newspaper. Who has completely exposed Arvind Kejriwal on the front of ethics.

सवाल यह तो है ही नहीं कि एक्स क्या करता है या वाई क्या करता है। सवाल यह है कि भारतीय राजनीति में तमाम अवगुण देखनें और बतानें वाला स्वयं उसका उपयोग क्यों कर रहा है।

The question is not what X does or what Y does. The question is why the one who has seen and pointed out all the demerits in Indian politics is using it himself.

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भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं सांसद डॉ. सुधांशु त्रिवेदी की प्रेसवार्ता के मुख्यबिन्दु

भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं सांसद डॉ. सुन्धंशु त्रिवेदी ने आज केन्द्रीय कार्यालय में आयोजित प्रेसवार्त में आम आदमी पार्टी के संयोजक एवं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सरकारी आवास के रिनोवेशन पर निशाना साधते हुए कहा कि यह केजरीवाल के “राजयोग” का “राजरोग” है, जिसमें सीधे तौर पर “भ्रष्टाचार का मामला” बनता है.

डॉ त्रिवेदी ने अरविन्द केजरीवाल और उनकी आम आदमी पार्टी पर तंज कसते हुए कहा कि आजकल चर्चा का केन्द्र बिन्दु बने, राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा प्राप्त किए, भारत की सबसे नई नवेली, अजब-अलबेली और अब एक पहेली बनी एक पार्टी की राजकीय करामात सबके सामने है। यह वह पार्टी है जो दावा किया करती थी कि उनकी पार्टी ने सत्ता में आने का रास्ता अन्य राजनीतिक पार्टियों की तुलना में कहीं जल्द तय किया। अपनी पार्टी की स्थापना के चंद महिनों अथवा चंद हफ्तों में ही केजरीवाल जी को सत्ता भोग का मौका मिला, परन्तु एक कहावत है, ‘राजयोग’ जब आता है, तो अक्सर उसके साथ ‘राजरोग’ भी आता है।

आम आदमी पार्टी के संदर्भ में, यह ‘राजरोग’ इतनी जल्दी और इतनी संक्रामक हो जाएगी, यह दिल्ली और देश की जनता की समझ से बाहर है। आज वह राजरोग उनकी सरकार, सरकार के विभागों, पार्टी और संगठन से होता हुआ उनके राजकीय घर के अंदर तक पहुंच चुका है।

‘नई राजनीति’ के स्वघोषित अग्रदूत केजरीवाल जी आज भारतीय राजनीति के सबसे बड़े सवाल बने हुए हैं। वे एक मामले में बधाई के पात्र भी हैं कि इतने कम कालखंड में उन्होंने वो स्तर प्राप्त कर लिया है, जो उत्तर से लेकर दक्षिण तक भ्रष्टाचार के आरोपी, भिन्न भिन्न  पार्टियों के नेताओं के बड़े बड़े घरों के बारे में सुनते थे। केजरीवाल जी राजनीति में आने से पहले जिन नेताओं के बारे में कसमें खाते थे, आज ऐसा लगता है कि अब वो ‘रफ्ता रफ्ता उनकी हस्ती के साया हो गए। उन राजनीतिक दलों के नेता अब यही कहते होंगे कि हां, भाई! अब आप भी हमारी लीग में शामिल हो गए हैं।

 पर गंभीर बात यह है कि आज पूरी दिल्ली स्तब्ध है क्योंकि यह वही पार्टी है, जो कॉमनवेल्थ घोटाले के समय कहा करती थी कि 200 रुपये में चेयर मिलती थी, जो 8,000 रुपये में खरीदी गयी। यानी 40 गुना ज्यादा में एक कुर्सी खरीदी गयी। आज उन्हीं केजरीवाल जी के आवास के लिए 2,000 रुपये में मिलने वाली कालीन 20 लाख रुपये में खरीदी गयी, यानी1,000 गुना ज्यादा कीमत में।

दूसरी टेक्नीकल बात यह है कि दिल्ली जनरल फाइनेंशियल रुल, 2019 के तहत किसी मद में, 10 करोड़ रुपये या उससे अधिक के खर्च होने पर वह फाइल एलजी के पास जाएगी और 10 करोड़ रुपये से कम खर्च करने का अधिकार विभाग प्रमुख के पास रहेगा।

इक बंगला बने न्यारा के लिए 9-9 करोड़ रुपये से ऊपर के कई एक्सपेंडिचर हुए हैं, जो अलग अलग मदों में किए गए। 1 सितंबर 2020 को  8 करोड़ रुपये, 22 जनवरी 2021 को 9.09 करोड़ रुपये, 29 जून 2022 को 9.34 करोड़ रुपये का परिव्यय किया गया। यहां तक की कारीगरी समझ में तो आती है, लेकिन इसमें एक एक्सपेंडिचर 9.99 करोड़ रूप्ए का है, जो फॉर द चीफ मिनिस्टर ऑफिस एज रेजिडेंस के नाम से दिखाया गया है।

भारतीय जनता पार्टी अरविंद केजरीवाल से सवाल पूछना चाहती है कि 9 करोड़ 99 लाख रुपये का इतना सटीक कैलकुलेशन करने की क्षमता कहां से हासिल हुई कि आप सीधे उस बार्डर लाइन पर रहे, जहां पर शायद टेंडर की जरूरत न पड़े और अपने मन मुताबिक काम कर सके।

मजेदार बात यह है कि अरविंद केजरीवाल के सरकारी आवास के रिनोवेशन के लिए एक कन्सल्टेंट भी नियुक्त किया गया, जिसे एक करोड़ रुपये दिए गए। अरविंद केजरीवाल को बताना चाहिए कि वह कन्सल्टेंट कौन हैं? क्या वह आम आदमी पार्टी का ही कोई अपना व्यक्ति तो नहीं है? खास बात यह है कि उस कन्सल्टेंट ने बड़ी दक्षता का प्रमाण देते हुए 9 करोड़ 99 लाख रुपये का बजट दिया है। यह साफ तौर से आम आदमी पार्टी के भ्रष्टाचार के मुखौटे को बेनकाब करता है।

यह वही पार्टी है जो 20 हजार रुपये की चाय पिलाया करती थी। 20 हजार रुपये की ही क्यों चाय पिलाया करती थी। इसका कारण था कि उस समय नियम था कि कोई व्यक्ति या संगठन किसी पार्टी को 20 हजार रुपये तक का नगद चंदा देती है, तो उसे अपना नाम और पता बताने की जरुरत नहीं है। इसलिए आम आदमी पार्टी 20 हजार रुपये की चाय तो पिलाते थे, लेकिन खाना नहीं खिलाते थे क्योंकि खाने का ब्यौरा देना कठिन होता। आम आदमी पार्टी का यह चरित्र तब भी था, आज भी है।

ज्ञात हो कि माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में राजनीति में पारदर्शिता लाने के लिए इस नियम के तहत 20 हजार रुपये की सीमा को घटाकर दो हजार रुपये कर दिया गया।

तीसरी महत्वपूर्ण बात है कि केजरीवाल जी की पार्टी ने अपनी सफाई में कहा कि यह रिनोवेशन पीडब्ल्यूडी ने किया है। लेकिन पीडब्ल्यूडी की गाइड लाइन के तहत वूडेन फ्लोरिंग या भारत में उपलब्ध मार्बल से ही फ्लोरिंग होती है। भारतीय जनता पार्टी ने अरविंद केजरीवाल से सवाल पूछना चाहती है कि दिल्ली सरकार के पीडब्ल्यूडी के उस गाईड लाइन को रेखांकित करके बताया जाए कि इम्पोर्टेड सुपर मार्बल लगाने का अधिकार किस नियम के तहत आता है और यह भी कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से बगैर अनुमति लिए विदेश से मार्बल मंगाकर लगाए गए?

उपरोक्त तीनों बिन्दुओं के संबंध में अरविंद केजरीवाल को जवाब देना होगा।

किस्सों में कहा जाता है कि नवाब साहेब का महल बनेगा, तो छोटे-मोटे काम करने वाले लोग भी लखपति हो जाएंगे। आज तो लगता है कि एक करोड़ का पर्दा है, करोड़ों की टाईल्स हैं, लाखों के पंखें लगे, तो टाईल्स और पर्दे लगाने वाले भी करोड़पति हो गए और पंखें लगाने वाले लखपति हो गए। मान्यवर! आपको कौन सी हवा लगी कि आपको लाखों रुपये वाली पंखें की हवा चाहिए थी? और एक करोड़ रुपये वाला वह कौन सा पर्दा है जिसके जरिये केजरीवाल जी कुछ छुपाना चाहते हैं? ये सारी जानकारी आज जनता को मिलनी चाहिए।

दिल्ली की जनता ने केजरीवाल द्वारा किए गए दावों को लेकर एक विश्वास किया। आज दिल्ली की जनता अपने आपको छला और ठगा हुआ महसूस कर रही है। इतने कम कालखंड में, किसी पार्टी ने, जिस प्रदेश से चुनकर आए हों, उस जनता के विश्वास पर इतना बड़ा अघात कभी नहीं किया होगा। अब केजरीवाल जी का कमिटेमेंट, टोपी और मफलर सब उतर गया है और उसके साथ साथ उनका मुखौटा भी उतर गया है।


केजरीवाल जी के घर को लेकर जिस तरह से उनकी हकीकत उजागर हुई है, उस पर एक ही पंक्ति याद आती है:
अब जो चेहरे जाहिर है छुपाएं कैसे
‘’आप’’ की मर्जी के मुताबिक नजर आएं कैसे
घर सजाने का तसव्वुर हुआ अब बाद की बात
अब तो मुश्किल है घर की हकीकत को छुपाएं कैसे।

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पीडब्लूडी के दस्तावेज़ों में इस रिनोवेशन से जुड़ा जो ब्योरा दिया गया है उसके अनुसार, सिविल के अलावा आवास पर बिजली, पल्मिंग के काम, अलग-अलग स्मार्ट लाइट के लिए वोल्टेज फ़िक्सर, एनर्जी सफ़िशिएंट 80 पंखे, एक डंबवेटर लिफ्ट (खाना पहुंचाने वाली लिफ़्ट), 23 परदे शामिल हैं.

“यह नवीनीकरण नहीं था और पुराने ढांचे के स्थान पर एक नया ढांचा आया है। उनका कैंप कार्यालय भी है। खर्च लगभग 44 करोड़ रुपये है लेकिन ध्यान देने वाली बात यह है कि पुराने ढांचे को नए के साथ बदल दिया गया है।“ पीडब्ल्यूडी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा।

सूत्रों द्वारा उपलब्ध कराए गए दस्तावेजों से पता चलता है कि 43.70 करोड़ रुपये की स्वीकृत राशि के मुकाबले कुल 44.78 करोड़ रुपये सिविल लाइंस में 6, फ्लैगस्टाफ रोड पर उनके सरकारी आवास के “जोड़ने/बदलने“ पर खर्च किए गए थे।
दस्तावेजों में दिखाया गया है कि यह राशि 9 सितंबर, 2020 से जून, 2022 के बीच छह खाइयों में खर्च की गई थी।

दस्तावेजों के मुताबिक, कुल खर्च में 11.30 करोड़ रुपये इंटीरियर डेकोरेशन, 6.02 करोड़ रुपये स्टोन और मार्बल फ्लोरिंग, एक करोड़ रुपये इंटीरियर कंसल्टेंसी, 2.58 करोड़ रुपये इलेक्ट्रिकल फिटिंग और अप्लायंसेज, 2.85 करोड़ रुपये फायर फाइटिंग सिस्टम, 2.85 करोड़ रुपये शामिल हैं। वार्डरोब और एसेसरीज फिटिंग पर 1.41 करोड़ और किचन अप्लायंसेज पर 1.1 करोड़ रुपये।

इसमें दिखाया गया है कि 9.99 करोड़ रुपये की स्वीकृत राशि में से 8.11 करोड़ रुपये अलग से मुख्यमंत्री के आवास स्थित कैंप कार्यालय पर खर्च किए गए।

दिल्ली भाजपा के अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने एक बयान में कहा कि 45 करोड़ रुपये की राशि केजरीवाल के बंगले के “सौंदर्यीकरण“ पर ऐसे समय में खर्च की गई जब दिल्ली कोविड -19 से जूझ रही थी।

केजरीवाल को अपने नैतिक अधिकार के बारे में दिल्ली के लोगों को जवाब देना चाहिए, जिसके साथ उन्होंने अपने बंगले के सौंदर्यीकरण पर लगभग 45 करोड़ रुपये खर्च किए, जबकि इस दौरान अधिकांश सार्वजनिक विकास कार्य ठप थे। कोविद चरण, “सचदेवा ने कहा।

दिल्ली भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि यह स्थापित हो गया है कि केजरीवाल एक घर में नहीं बल्कि एक “शीश महल“ (ऐश्वर्य में) में रहते हैं और मुख्यमंत्री से “नैतिक“ आधार पर इस्तीफा देने के लिए कहा।

उन्होंने कहा कि सितंबर, 2020 से दिसंबर, 2021 तक 16 महीने की अवधि चरम पर थी जब औद्योगिक गतिविधियां रुकी हुई थीं और दिल्ली सरकार का राजस्व आधे से भी कम हो गया था, और इसने धन की कमी का हवाला देते हुए विकास परियोजनाओं को रोक दिया था,

आम आदमी पार्टी का कहना है इस खर्चे को बाकी सरकारी प्रोजेक्ट पर होने वाले खर्चे के साथ तुलना करके देखना चाहिए.

पार्टी ने कहा, “प्रधानमंत्री के नए घर पर 467 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं, जबकि सेंट्रल विस्टा की वास्तविक लागत 20,000 करोड़ रुपये आंकी गई है. 7 आरसीआर को भी रिनोवेट कराने में 89 करोड़ रुपये लगाए गए थे. एलजी ने बीते कुछ महीनों में अपने घर के रिनोवेशन में 15 करोड़ रुपये खर्च किए हैं. बीजेपी इस मुद्दे को इसलिए उठा रही है क्योंकि वह असली मुद्दों से जनता का ध्यान भटकाना चाहती है.“
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