हनुमान जी का दिन मंगलवार

 

 मंगलवार हनुमान जी का बार

हनुमान जी

चारों जुग परताप तुम्हारा, है परसिद्ध जगत उजियारा॥
संकट कटै मिटै सब पीरा, जो सुमिरै हनुमत बलबीरा॥
अंतकाल रघुवरपुर जाई, जहां जन्म हरिभक्त कहाई॥
और देवता चित्त ना धरई, हनुमत सेई सर्व सुख करई॥

 जन्म

हनुमानजी की माता का नाम अंजना है, जो अपने पूर्व जन्म में एक अप्सरा थीं। हनुमानजी के पिता का नाम केसरी है, जो वानर जाति के बडे राजा थे। माता-पिता के कारण हनुमानजी को आंजनेय और केसरीनंदन कहा जाता है। केसरीजी को कपिराज कहा जाता था, क्योंकि वे वानरों की कपि नाम की जाति से थे। केसरीजी कपि क्षेत्र के राजा थे।

आखिर कहां जन्म लिया? : हनुमानजी के जन्म स्थल को लेकर अनेकों क्षेत्रों में लोक धारणायें है। किन्तु जो पुरातन ज्ञान है उसके आधार पर उनका जन्म दक्षिण भारत में हुआ ।  ’पंपासरोवर’ अथवा ’पंपासर’ होस्पेट तालुका, मैसूर का एक पौराणिक स्थान है। हंपी के निकट बसे हुए ग्राम अनेगुंदी को रामायणकालीन किष्किंधा माना जाता है। तुंगभद्रा नदी को पार करने पर अनेगुंदी जाते समय मुख्य मार्ग से कुछ हटकर बाईं ओर पश्चिम दिशा में, पंपासरोवर स्थित है। यहां स्थित एक पर्वत में एक गुफा भी है जिसे रामभक्तनी शबरी के नाम पर ’शबरी गुफा’ कहते हैं। इसी के निकट शबरी के गुरु मतंग ऋषि के नाम पर प्रसिद्ध ’मतंगवन’ था। हंपी में ऋष्यमूक के राम मंदिर के पास स्थित पहाड़ी आज भी मतंग पर्वत के नाम से जानी जाती है। कहते हैं कि मतंग ऋषि के आश्रम में ही हनुमानजी का जन्म हआ था। मतंग नाम की आदिवासी जाति से हनुमानजी का गहरा संबंध रहा है ।
    आज भी जीवित हैं हनुमानजी  : हनुमानजी इस कलयुग के अंत तक अपने शरीर में ही रहेंगे। वे आज भी धरती पर विचरण करते हैं। हनुमानजी को धर्म की रक्षा के लिए अमरता का वरदान मिला था। इस वरदान के कारण आज भी हनुमानजी जीवित हैं और वे भगवान के भक्तों तथा धर्म की रक्षा में लगे हुए हैं। जब कल्कि रूप में भगवान विष्णु अवतार लेंगे तब हनुमान, परशुराम, अश्वत्थामा, कृपाचार्य, विश्वामित्र, विभीषण और राजा बलि सार्वजनिक रूप से प्रकट हो जाएंगे।

क्यों आज भी जीवित हैं हनुमानजी  कलयुग में श्रीराम का नाम लेने वाले और हनुमानजी की भक्ति करने वाले ही सुरक्षित रह सकते हैं। हनुमानजी अपार बलशाली और वीर हैं और उनका कोई सानी नहीं है। धर्म की स्थापना और रक्षा का कार्य 4 प्रमुख देवों  के हाथों में है - आदि शक्ति देवी दुर्गा, भैरव, हनुमान जी और भगवान श्री कृष्ण।

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पौराणिक मान्यताओं और विशेष कर स्कंद पुराण के अनुसार, मंगलवार के दिन हनुमान जी का जन्म हुआ था, इस कारण से यह दिन उनकी पूजा के लिए समर्पित कर दिया गया. इस दिन विधि विधान के साथ बजरंगबली की पूजा करने से वे जल्द प्रसन्न होते हैं, श्रद्धालुओं की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं और संकटों को भी दूर करते हैं.
 वैसे तो आप किसी भी भगवान की देवी - देवता की पूजा किसी भी दिन कर सकते हैं लेकिन हफ्ते के सातों दिन किसी न किसी देव को , भगवान को समर्पित हैं और उस दिन उनकी विशेष पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है, इस तरह की मान्यता है। ठीक इसी तरह मंगलवार का दिन हनुमान जी  का दिन माना जाता है और इस दिन बजरंगबली की पूजा करने से मनोवांछित और उत्तम फल की प्राप्ति होती है.।

मंगलवार चुंकी उनका जन्म वार है सो उस दिन हनमान जी का विशेष घ्यान उत्सवों पर रहता है। इसी कारण इस दिन की पूजा से बजरंगबली विशेष फल प्रउान करते हे। श्रद्धालुओं की मनोकामनाएं पूरी करते हैं और संकटों को भी दूर करते हैं. यही कारण है कि हनुमान जी को संकटमोचन भी कहा जाता है. इसके अलावा चूंकि हनुमान जी को मंगल ग्रह का नियंत्रक भी माना जाता है,। इस दिन व्रत और उपवास रखने के साथ ही हनुमान चालीसा का पाठ और सुंदरकांड का पाठ बेहद फलदायी माना जाता है.
 

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हनुमान जी की पूजा और मंगलवार के व्रत में इन बातों का रखें ध्यान
- हनुमान जी जाग्रत देव है। वे अनुशासन की अपेक्षा करते है। इसलिये ठल कपट पाखण्ड से पूरी तरह बचें । अपने मन और तन दोनों को भी पवित्र रखें। कामवासना के प्रति हनुमान जी बहुत ही कठोर हे। वे इस तरह की कोई भी हरकत बर्दास्त नहीं करते हे। इसलिये मंगलवार के व्रत में बृम्हचर्य का कठोरता से पालन करें। हनुमान जी की पूजा करते समय पवित्रता का विशेष ध्यान रखना चाहिए ।
- मंगलवार के दिन हनुमान जी की पूजा करने के साथ ‘ॐ श्री हनुमते नमः’ का जाप करना भी फलदायी माना जाता है.
- मंगलवार का व्रत रखने वाला व्यक्ति पूरे दिन में एक बार भोजन करना चाहिए ।
- हनुमान जी मानसिक पूजा से भी प्रशन्न रहते है। मन ही मन उनके नाम का जाप या प्रभु श्रीराम के नाम का जाप अत्यंत फलदायी रहता है। 

- हनुमान ती सहयोग के देव है। किसी भी संकट में उन्हे सच्चे मन से याद किया जा सकता है। जिा किसर न किसर रूप में संकट टल जाता है। अवष्य ही सहयोग मिलता हे। जरूरी यही है कि आप की पुकार सच्ची और भक्तियुक्त होनी चाहिये।

- शनी देव के प्रकोप यानी उनके न्याय की स्थिति में भी हनुमानजी का समरण लाभकारी होता है। क्यों कि हनुमान जी शनीदेव के भी संकट मोचक एवं सखा रहे हे।

- एक मान्यता है कि जब भी रामचरित मानस का पाठ परायण होता है तो वहां सबसे पीछे हनुमान जी अवश्य होते हे। वे दृष्य या अदृष्य रूप में विराजित होते हे।

 

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अमरीका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओवामा अपनी जेब में हमेशा हनुमान जी छोटी मूर्ती रखते थे।
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इनके पहले 2016 में यूट्यूब पर दिए एक साक्षात्कार में ओबामा ने खुद बताया था कि वह अपनी जेब में कुछ चीजों के साथ हनुमान जी की छोटी सी मूर्ति भी रखते हैं. ओबामा ने कहा था कि जब भी वे परेशान या थका हुआ महसूस करते हैं तो हनुमान जी की मूर्ति से उन्हें सकारात्मकता मिलती हैं.

 

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हनुमान जी यूं ही कलयुग के सबसे प्रभावशाली देव नहीं हे। गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा लिखी गई , उनके जीवन चरित्र पर" हनुमान चालीसा " विश्व में सर्वाधिक प्रतिदिन पढ़ी जाने वाली कविता है, पद्य है , आराधना है ,स्तुति हे और इसी तरह गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा लिखी गई रामचरित्र मानस का "सुन्दर काण्ड" विश्व सबसे ज्यादा पढ़ा जाने वाला लघु काव्य है।

 विश्व में सबसे ज्यादा मंदिर- मूर्ति - प्रतिमायें और चित्र एवं जप तप धार्मिक अनुष्ठान किसी एक देव के हे। तो हनुमान जी के हे। प्रति सप्ताह जिन दो देवों के प्रभाव पूरे दिन जीवन एवं व्यापार पर देखनें को मिलते हे। तो उनमें हनुमान का प्रभाव मंगलवार को एवं शनी देव का प्रभाव शनीवार को स्पष्ट देखनें को मिलता है। 


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शहीद ढांचा नहीं मंदिर हुआ था, ढांचा तो अतिक्रमण था, जिसे जनमत ने हटा दिया।
इस तरह का कुत्य पूरी दुनिया में इस्लामी आक्रमण कर्ताओं ने किये, भारत में सोमनाथ मंदिर पर , काशी विश्वनाथ मंदिर पर, अयोध्या के श्रीराम जन्म भूमि मंदिर पर, मथुरा में श्रीकृष्ण मंदिर पर ही नहीं अपितु लाखों मंदिरों और करोडा मूर्तियों सहित अनेको किलों और भव्य इमारतों का इस्लामी करण रूपी अतिक्रमण हुआ था। देश आजाद होते ही इन्हे पुनः अपने भव्य और मूल स्परूप में आनें का अधिकार है और किसी को भी, इसमें बाधा बनने का अधिकर नहीं हे। 

 

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