राजस्थान में राजनैतिक हीट वेव..? rajasthan ki rajaniti men Heat Waves

राजस्थान में राजनैतिक हीट वेव..?

- राजनैतिक विश्लेषक अरविन्द सिसोदिया 9414180151
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत लगभग कांग्रेस हाईकमान से पूरी तरह अलग से चल रहे हैं, उनके खिलाफ सचिन पायलट का धरना भी हाईकमान के इशारे पर हुआ ही माना जा रहा है। क्योंकि धरना रोकनेँ के लिये हाइकमान नें कुछ भी नहीं किया।

कांग्रेस के मस्तिष्क में एक अजीब सी ग्रंथि पल गई है, जब तक जमी जमाई जाजम भंग नहीं कर दी जाए। उसे छिन्न भिन्न न कर दिया जाये, तब तक वहां चैन नहीं आता। इस तरह का कृत्य देश नें पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ देखा , लगभग वही एपिसोड कुछ परिवर्तनों के साथ दोबारा से अब राजस्थान में देखने को मिल सकता है। हालांकि अभी हाईकमान चुप है, उसने अपने पत्ते नहीं खोले हैं। लेकिन इतनी बड़ी अनुशासनहीनता धरने के रूप में सड़क पर होने के बाद भी यह मौन! हाई कमान की स्वीकृति का ही संदेश देता है।

 इसी के साथ हमें गुलाम नबी आजाद याद आते हैं। आखिर उन्हे कांग्रेस हाईकमान से मुक्त होकर के नई पार्टी बनाने की पड़ी। बहुत वरिष्ठ वकील और पुराने कांग्रेसी, कांग्रेस के लिए सो गुनी ताकत से लड़ने वाले कपिल सिब्बल समाजवादी पार्टी से राज्यसभा में गये।

अब यह बहुत स्पष्ट ता से समझ में आ रहा है कि कांग्रेस की राहुल टीम जो पर्दे के पीछे हो या पर्दे के सामने, जो ट्विटर पर हो या भाषणों में। वह अपने पुराने नीतियों, पुराने रिवाजों, पुराने संस्कारों और पुराने चाल चलन को पूरी तरह भूल चुकी है। उसमें जो कुछ भी नया पन आया है या जो प्रगति सीलता आई है। इतनी अपमानजनक शैली की है कि उसे विरोधी पार्टी भाजपा तो क्या स्वयं पुराने कांग्रेसी भी स्वीकार नहीं कर पा रहे। या तो वे अपनी इज्जत बचाने के लिए चुप है, या फिर पार्टी से किनारा कर चुके। लंबी कतार है उन कांग्रेसजन की जो कांग्रेस छोड़कर के भाजपा में चले गये। राहुल कांग्रेस से सभी असहज हैं, चाहे पार्टी हो, अन्य दल हों या जनमत हो।

 राजस्थान में जो एपिसोड चल रहा है, उससे भाजपा का राज्य की सरकार में आना तो सुनिश्चित, साथ ही यह भी तय है कि गहलोत साहब या तो हाशिए पर डाल दिए जाएंगे या फिर उन्हें अपना अस्तित्व बचाने के लिए गुलाम नबी आजाद के मार्ग पर चलना होगा। यह तो समय ही बताएगा कि क्या क्या होता है।

राजस्थान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा अजमेर - जयपुर - दिल्ली वंदे भारत ट्रेन के शुभारंभ कार्यक्रम में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत नें सम्मिलित होकर, कांग्रेस हाई कमान को भी अपना संदेश दे दिया है।  उनकी टेंशन बड़ा दी है। वे लगातार हाईकमान को आँखे दिखा भी ही रहे हैं।

राजस्थान से उन्हें हटा कर कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने की ताजपोशी के समय भी सावधान रहे और उन्होंने राजस्थान के मुख्यमंत्री बने रहना ही उचित समझा।....या यूँ कहें कि उन्हें हटाने के तमाम प्रयास अभी तक विफल रहे हैं।

कुल मिलाकर राजस्थान सुलग चुका है, राजनैतिक पारा बहुत बढ़ने वाला है. यूँ मानिये कि राजस्थान में राजनैतिक हीटवेव आ चुकी है।

कांग्रेस हाईकमान के सामने मंगलवार को सचिन पायलेट का धरना था तो बुधवार को नरेन्द्र मोदी जी के कार्यक्रम में अशोक गहलोत का पहुंचना....।

इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदीजी नें गहलोत साहब को गदगद कर दिया तो गहलोत जी नें भी राजस्थान की रेल मांगों को रखा। उन्होंने बाद में एक टिविट के जार्ये मोदीजी जी के भाषण को विधानसभा और लोकसभा चुनाव के लिये चुनावी भाषण भी करार दिया।

कांग्रेस का असली अंतर्द्वंद बहुत जल्दी ही और स्पष्टता से सामने आएगा। मगर सच यह है कि अब कांग्रेस के पास कुछ बचा नहीं है। वह सत्ता से बाहर होने जा रही है।

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