बौद्धिक संपदा की जननी भारत ही है - अरविन्द सिसोदिया
बौद्धिक संपदा की जननी भारत ही है - अरविन्द सिसोदिया
India is the mother of intellectual property - Arvind Sisodia
India is the mother of intellectual property - Arvind Sisodia
आज विश्व बौद्धिक संपदा दिवस मना रहा है, यह 26 अप्रैल को पूरे विश्व में मनाया जाता है। इस दिवस को मूल रूप से पेटेंट संबंधी नियम कानूनों के प्रचार प्रसार की दृष्टि से अधिक महत्व दिया गया है।
Today is celebrating World Intellectual Property Day, it is celebrated all over the world on 26th April. This day has basically been given more importance from the point of view of publicity of patent related rules and laws.
अपनी बुद्धि के सृजित या अनुसंधानकृत या परिश्रम से जो बौद्धिक स्तर का ज्ञान अथवा तकनीक या कुछ बिलकुल नया अर्जित किया करते है, उस पर अपने एकाधिकार को, स्वामित्व को बनाये रखना और फिर उससे आय प्राप्त करते रहने की व्यवस्था संबंधी एक नियमावली को पेटेंट कानून के रुप में जाना जाता है और इसी का जनजागरण इस दिवस के माध्यम से किया जाता है।
Patent law is a set of rules for maintaining its monopoly, ownership and then earning income from intellectual level knowledge or technology or something completely new that is created or researched or earned by hard work. It is known as and the public awareness of the same is done through this day.
बौद्धिक क्षमता और विकास
यूं तो बौद्धिक क्षमता और विकास की जननी और उसको निरंतर बनाए रखने वाली प्रथम संस्कृति प्रथम सभ्यता भारतीय संस्कृति , भारतीय सभ्यता और भारत देश की सनातन हिंदू संस्कृति है। इस देश की हिंदू संस्कृति ने बौद्धिक क्षेत्र के मामले में अनेकानेक बड़े-बड़े कार्य किए हैं, चौंकानें व स्तब्ध करने वाला ज्ञान प्रस्तुत भी किया है।
Intellectual Ability and Development
As such, the first culture, the first culture, the mother of intellectual capacity and development and to maintain it continuously, is Indian culture, Indian civilization and the eternal Hindu culture of India. The Hindu culture of this country has done many great things in the intellectual field, has also presented shocking and shocking knowledge.
मानव सभ्यता को कल्पना की उडान भरनें की जो ताकत किसी नें दी है तो वह, भारत का संस्कृत साहित्य है। वेद पुराण शास्त्र उपनिषद, रामायण, महाभारत आदि पुरातन संस्कृत साहित्य भारतीय बौद्धिक क्षमता का विशाल भंडार है । किंतु दुर्भाग्य से भारत लगभग 3000 वर्षों से लगातार विदेशी आक्रमणकारियों से जुझ रही है, उनके हमलों से मुकाबला कर रही है। इतना ही नहीं भारतीय संस्कृति को समय समय पर भारत के अन्दर भी संघर्ष करना पडा है।
The power that has given human civilization the flight of imagination is the Sanskrit literature of India. Ancient Sanskrit literature like Vedas, Puranas, Upanishads, Ramayana, Mahabharata etc. is a vast storehouse of Indian intellectual potential. But unfortunately India has been fighting with foreign invaders continuously for almost 3000 years, fighting their attacks. Not only this, Indian culture has had to struggle from time to time even within India.
भारत में ऐसे अनेकों अवसर आए जब विखंडित मानसिकता ने , नास्तिवाद ने भी चुनौती दी और भारतीय बौद्धिक दिशा को बदलने का प्रयत्न किया किन्तु जिसमें लोक कल्याण है, वही पुनः पुनः स्थपित हुआ।
There were many such occasions in India when the fragmented mentality, atheism also challenged and tried to change the Indian intellectual direction, but the one in which there is public welfare, was re-established again.
भारत तमाम परेशानियों के बावजूद श्रेष्ठ ज्ञान की परंपरा में आज भी सर्वोत्तम बना हुआ है। उसकी ज्ञानगंगा की विविध शाखाओं नें विश्व को श्रेष्ठ मार्गदर्शन किया है। विश्व को अग्रसर बन कर उस मार्ग पर चलाया है । भिन्न भिन्न मार्गों की कल्पना शक्ति दी है।
Despite all the troubles, India remains the best in the tradition of best knowledge. Various branches of his Gyan Ganga have given the best guidance to the world. He has made the world move forward on that path. Imagination power of different routes has been given.
विश्व को सबसे पहले समाज शास्त्र भारत ने दिया, नक्षत्र औश्र आकाशीय विज्ञान का ज्ञान भारत में दिया, विश्व की सबसे पहले चिकित्सा पद्धति भारत में थी, विश्व को सबसे पहले कृषि और पशुपालन भारत ने दिया। यही नहीं विश्व को सबसे पहले इंजीनियरिंग प्रजापति नें दी । विश्व को सबसे पहले भाषा, संस्कृत लीपि और लेखन भारत ने दिया, भारत का ऋग्वेद विश्व की सबसे प्राचीन पुस्तक के रूप में स्विकार किया गया है।
First of all, India gave sociology to the world, gave the knowledge of constellations and astronomical science in India, first of all medical system was in India, first of all agriculture and animal husbandry was given to the world by India. Not only this, Prajapati gave engineering to the world first. India gave the first language, Sanskrit script and writing to the world, India's Rigveda has been accepted as the oldest book in the world.
विश्व को सबसे पहले संगीत ,वाद्य कला, नृत्य गायन आदि भारत ने ही दिया था। विश्व को सबसे पहले उच्च कोटि के भवन निर्माण और यहां तक कि एक नक्षत्र से दूसरे नक्षत्र जक की यात्रा तक की संभावनायें भारत के लोगों ने ही बताई है ।
India had given music, musical instruments, dance singing etc. to the world first. First of all, the people of India have told the world about the construction of high-quality buildings and even the possibilities of traveling from one constellation to another.
इतना ही नहीं भारतीय संस्कृति की बौद्धिक क्षमता परम पिता परमात्मा की खोज में जुटती है, उसके बारे में तरह तरह के अनुसंधान करती है। वह जिज्ञासू बनती है कि हमारे मूल अस्तित्व के पीछे कौन है। स्वयं का भी एक बहुत बड़ा अनुसंधान अपने आप में रखती है, वह ध्यान और तपस्या की खोज करती है। मनुष्य की विविध आंतरिक क्षमताओं को खोजती है। आत्मा से लेकर परमात्मा तक पहुंचती है।
Not only this, the intellectual capacity of Indian culture engages in the search of the Supreme Father, the Supreme Soul, and does various types of research about him. She becomes curious as to who is behind our core existence. She also keeps a great deal of research within herself, she explores meditation and penance. Explores the various inner potentialities of man. It reaches from the soul to the Supreme Soul.
ईश्वर के तमाम प्रकार के सामाजिक और आर्थिक प्रभावों को खोजती है। यह हिन्दू बौद्धिक स्तर ही जो दृश्य जगत और अदृश्य चेतन शक्तियों और आंतरिक विविधताओं का ज्ञान विश्व को सबसे पहले देती है।
Explores all kinds of social and economic influences of God. It is this Hindu intellectual level which first of all gives the world the knowledge of the visible world and the invisible conscious powers and internal diversities.
भारत में ज्ञान के आदान-प्रदान की बड़ी ऊंची व्यवस्था रही है। इस हेतु तीर्थाटन से लेकर विविध प्रकार के मेले उत्सव , त्यौहार और 12 वर्ष में भरने वाले कुंभ मेले ज्ञान एवं खोजों से प्राप्त नवीन ज्ञान विज्ञान अनसंधान के आदान-प्रदान की बहुत बड़ी व्यवस्था थी ।
There has been a very high system of exchange of knowledge in India. For this, there was a huge system of exchange of new knowledge and scientific research, from pilgrimage to various types of fairs, festivals and the Kumbh Mela held in 12 years.
यह ठीक है कि भारत के भक्ति काल में विज्ञान से दूरी बनी , इस अवसर पर यूरोप के लोगों ने विज्ञान में बहुत अधिक तरक्की की, निश्चित रूप से आज यूरोप वैज्ञानिक दृष्टि से आज भारत से आगे है। किंतु ज्ञान,विज्ञान और आध्यात्म की बौद्धिक क्षमताओं का मार्गदर्शन भारत की ही संस्कृति ने दिया व किया और इसीलिए भारत विश्व गुरु कहलाया ।
It is correct that during the Bhakti period of India, there was a distance from science, on this occasion the people of Europe made a lot of progress in science, definitely today Europe is ahead of India in scientific terms. But the intellectual abilities of knowledge, science and spirituality were given and guided by the culture of India and that is why India is called Vishva Guru.
कोरोना जैसी वैश्विक महामारी में जब संपूर्ण विश्व दवा और वैक्सिंन से लेकर खाने पीने की व्यवस्था तक में परेशान था, उस स्थिति में भी भारत ने अपनी बौद्धिक क्षमता से पूरे विश्व को मार्ग दिखाया । वैक्सीनें भी खोजी और सबसे बडी बात उसे करोडों करौडों नागरिकों तक पहुंचाई। अन्य व्यवस्थाएं भी बनाईं ।
In the global epidemic like Corona, when the whole world was troubled from medicine and vaccine to food and drink system, India showed the way to the whole world with its intellectual ability. Vaccines were also discovered and the biggest thing made it reach to crores of citizens. Other arrangements were also made.
पूरे विश्व में सर्वश्रेष्ठ व्यवस्थापन भारत नें करके दिखाया। भारत की बौद्धिक क्षमता का कमाल पूरा विश्व मानता है । जनता की सेवा के लिये आज भी सर्वश्रेष्ठ राष्ट्रनायक भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी को माना जाता है।
India has shown the best management in the whole world. The whole world acknowledges the wonder of India's intellectual capacity. Even today the Prime Minister of India Narendra Modi is considered the best national leader for the service of the people.
भारत की पुरानी पीढ़ीयों नें, आर्चायों ने धर्माचार्यों ने , ऋषियों नें, मुनियों ने, साधू - संतों ने जो महान अनुसंधान सौंपा हुआ, उसे भारत की नई पीढ़ी को आगे लेकर जाना चाहिये। अपनी पुरानी पीढ़ियों की धरोहर जो छोड़ कर गई हैं उनका अध्ययन चिंतन मनन करते रहना चाहिए, ताकि आपके मन में भी अपनी श्रेष्ठता का प्रमाण,एक विश्वास की ताकत बनें, एक आत्मविश्वास की जागृती बनें, आप भी नई नई ऊंचाईयों को छू कर बोलें भारत माता की जय । हमेनें इस विश्व को बहुत कुछ दिया है और आगे भी देते रहेंगे।
The great research handed over by the old generations of India, the Archayas, Dharmacharyas, Rishis, Munis, Sages and Saints, should be taken forward by the new generation of India. The heritage left behind by our older generations should be studied and contemplated, so that in your mind too, the proof of your superiority, the strength of a belief, the awakening of a confidence, you too speak India by touching new heights. Mother's glory We have given a lot to this world and will continue to give in future also.
मानवता, अहिंसा और शांती के साथ साथ सभी के सुख की कामना का मार्ग हमारी ही बौद्धिक क्षमता की उच्च्ता है।
Along with humanity, non-violence and peace, the path of wishing everyone's happiness is the height of our intellectual capacity.
जय भारत जय हिंद
Jai Bharat Jai Hind
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