मन की बात कार्यक्रम के सौंवे एपीसोड के शुभअवसर पर शुभकामना पत्र

महान प्रेरणाओं का पुष्पगुच्छ “मन की बात” कार्यक्रम के सौंवे एपीसोड के शुभअवसर पर शुभकामना पत्र A bouquet of great inspirations Greetings on the auspicious occasion of the hundredth episode of “Mann Ki Baat” program….

          शुभकामना पत्र “मन की बात” कार्यक्रम के सौंवे एपीसोड के शुभअवसर पर....

सम्मानीय,
श्री नरेंद्र मोदी जी
प्रधानमंत्री, भारत सरकार, नई दिल्ली।

आदरणीय,
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने “मन की बात” कार्यक्रम के सौवें एपिसोड के प्रसारण पर कोटि कोटि शुभकामनाओं के साथ बताना चाहता हूं कि हम सभी इस शुभ अवसर की प्रतिक्षा में उत्साहित हैं। जब यह कार्यक्रम प्रारम्भ किया जा रहा था, तब किसा नें नहीं सोचा था कि " यह कार्यक्रम बेहद लोकप्रिय होने के साथ - साथ भारत के समाज जीवन में व्याप्त अदम्य साहस, संघर्ष और मेधा को उभार कर समाज को मार्गदर्शन देने की क्षमता का विराट प्रेरणा स्थल बन जायेगा !"

" एक ऐसा महान प्लेटफार्म जो देशवासियों को कुछ कर गुजरने के साहस से भर दे,उन्हे मार्गर्दिशत करना ।  भारत के सामाजिक जीवन की विशालता , विराटता और अद्भुत साहस व शौर्य की गाथाओं के मोतियों को जमीन की धूल से उठा कर, साफ करके अन्य देशवासियों को प्रेरणा के लिये, पुरुषार्थ के लिए परोसे....इस तरह के अद्भुत कार्यक्रम की कभी कल्पना भी नहीं की गई थी। "

" सच तो यह है कि तब यह माना जा रहा था कि कुछ भारी भरकम शब्दों के साथ अपनी सरकार की वाहवाही के सिवाय कुछ नहीं होगा । मगर जब यह कार्यक्रम शैने - शैने आगे बढा तो इसमें अपनी सरकार की वाहवाही तो कहीं थी ही नहीं , बल्कि भारत  के समाज जीवन में व्याप्त जिजीविषा के महान दर्शन यह कार्यक्रम देशवासियों को करा रहा है । इस देश की अजर अमर आत्मशक्ति के शौर्य को हम माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के मुख सुन कर अभीभूत हो रहे है । हमें भारतीय होनें के गौरव होता है । उससे भी कहीं अधिक हमें दुखों , कष्टों , चुनौतियों का सामना करनें की प्रेरणा मिलती है। 

सच यह है कि प्रधानमंत्री मोदी जी के द्वारा प्रस्तुत “मन की बात ” कार्यक्रम को पूरी तरह से वर्णित करने के लिये में शब्द गढ नहीं पा रहा हूं। वाक्य बना नहीं पा रहा हूं। वह गागर जिसमें सागर समाया हो को, में व्यक्त नहीं कर पा रहा हूं। सच यही है कि देशवासियों के जुझारूपन की ताकत को प्रधानमंत्री जी ने इस मंच से नई शक्ति नई ऊर्जा से भर देने का महान उधम , अद्वितीय प्रयास किया है। जिसके अच्छे फल हमें कई पीढ़ियों तक प्राप्त होते रहेंगे। इस कार्यक्रम की में निरंतरता की ही कामना करता हूं। 

भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जब बोलते हैं बात करते हैं, तब वे भारत की क्षमताओं को उजागर करते हैं, भारत के साहस को , भारत के ज्ञान विज्ञान को , भारत की बहुआयामी व्यापक विशिष्टताओं को हम सब के बीच रख कर देश का साहस बडाते है। उत्साहवर्द्धन करते है। वे सचमुच देवदुर्लभ व्यक्तित्व के धनी है। ईश्वर ने उन्हे भारत के उद्धार के लिये ही भेजा है।

मेरा व्यक्तिगत मानना है कि भारत सचमुच देव भूमि है। ईश्वर की विशेष कृपा इस पर है। वह समय समय पर देश को दिशा देने के लिये, पतन से उबारने के लिये, दिव्य आत्माओं को हमारी मातृभूमि पर भेजता है। इन्ही की कृपा से हमें प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी प्राप्त हुए, उनका महान नेतृत्व प्राप्त हो रहा है और हम सोये हुये भारतीयों का जन जागरण का कार्यक्रम मन की बात बन गया है। आदर सहित आपको इस महान प्रेरणादायी कार्यक्रम के लिये कोटि कोटि धन्यवाद, आभार......शब्द ही नहीं हें, क्या लिखूं। 
" कई बार मन करता है कि प्रधानमंत्री मोदी जी से आग्रह किया जाये कि प्रत्येक रविवार को ही यह कार्यक्रम आये , पर जब एक प्रधानमंत्री के कार्यों की विशालता, जिम्मेवारियों, जबावदेहियों और चुनौतियों व निर्णयों का भान होता है, तो अपने मन को रोक लेना पड़ता है। यह कार्यक्रम इसी तरह निरंतर प्रेरणाओं के प्रकाश से देश को आलोकित करता रहे, इसी कामना के साथ। " सादर ।

आपका
अरविन्द सिसोदिया
9414180151

दिनांक - 29 अप्रेल 2023
कोटा राजस्थान

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( मन की बात कार्यक्रम के 99 वें एपीसोड पर माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सम्बोधन का एक अंश.... )

मेरे प्यारे देशवासियो,

  ‘मन की बात’ में आप सभी का एक बार फिर बहुत-बहुत स्वागत है | आज इस चर्चा को शुरू करते हुए मन-मस्तिष्क में कितने ही भाव उमड़ रहे हैं | हमारा और आपका ‘मन की बात’ का ये साथ, अपने निन्यानवें (99वें) पायदान पर आ पहुँचा है | आम तौर पर हम सुनते हैं कि निन्यानवें (99वें) का फेर बहुत कठिन होता है | क्रिकेट में तो ‘Nervous Nineties’ को बहुत मुश्किल पड़ाव माना जाता है | लेकिन, जहाँ भारत के जन-जन के ‘मन की बात’ हो, वहाँ की प्रेरणा ही कुछ और होती है | मुझे इस बात की भी खुशी है कि ‘मन की बात’ के सौवें (100वें) episode को लेकर देश के लोगों में बहुत उत्साह है | मुझे बहुत सारे सन्देश मिल रहे हैं, फोन आ रहे हैं | आज जब हम आज़ादी का अमृतकाल मना रहे हैं, नए संकल्पों के साथ आगे बढ़ रहे हैं, तो सौवें (100वें) ‘मन की बात’ को लेकर, आपके सुझावों, और विचारों को जानने के लिए मैं भी बहुत उत्सुक हूँ | मुझे, आपके ऐसे सुझावों का बेसब्री से इंतज़ार है | वैसे तो इंतज़ार हमेशा होता है लेकिन इस बार ज़रा इंतज़ार ज्यादा है | आपके ये सुझाव और विचार ही 30 अप्रैल को होने वाले सौवें (100वें) ‘मन की बात’ को और यादगार बनाएँगे |

मेरे प्यारे देशवासियो, ‘मन की बात’ में हमने ऐसे हजारों लोगों की चर्चा की है, जो दूसरों की सेवा के लिए अपना जीवन समर्पित कर देते हैं | कई लोग ऐसे होते हैं जो बेटियों की शिक्षा के लिए अपनी पूरी पेंशन लगा देते हैं, कोई अपने पूरे जीवन की कमाई पर्यावरण और जीव-सेवा के लिए समर्पित कर देता है | हमारे देश में परमार्थ को इतना ऊपर रखा गया है कि दूसरों के सुख के लिए, लोग, अपना सर्वस्व दान देने में भी संकोच नहीं करते | इसलिए तो हमें बचपन से शिवि और दधीचि जैसे देह-दानियों की गाथाएँ सुनाई जाती हैं |

साथियो, आधुनिक Medical Science के इस दौर में Organ Donation, किसी को जीवन देने का एक बहुत बड़ा माध्यम बन चुका है | कहते हैं, जब एक व्यक्ति मृत्यु के बाद अपना शरीर दान करता है तो उससे 8 से 9 लोगों को एक नया जीवन मिलने की संभावना बनती है | संतोष की बात है कि आज देश में Organ Donation के प्रति जागरूकता भी बढ़ रही है | साल 2013 में, हमारे देश में, Organ Donation के 5 हजार से भी कम cases थे, लेकिन 2022 में, ये संख्या बढ़कर, 15 हजार से ज्यादा हो गई है | Organ Donation करने वाले व्यक्तियों ने, उनके परिवार ने, वाकई, बहुत पुण्य का काम किया है |

साथियो, मेरा बहुत समय से मन था कि मैं ऐसा पुण्य कार्य करने वाले लोगों के ‘मन की बात’ जानूं और इसे देशवासियों के साथ भी share करूं | इसलिए आज ‘मन की बात’ में हमारे साथ एक प्यारी सी बिटिया, एक सुंदर गुडिया के पिता और उनकी माता जी हमारे साथ जुड़ने जा रहे हैं | पिता जी का नाम है सुखबीर सिंह संधू जी और माता जी का नाम है सुप्रीत कौर जी, ये परिवार पंजाब के अमृतसर में रहते हैं | बहुत मन्नतों के बाद उन्हें, एक बहुत सुंदर गुडिया, बिटिया हुई थी | घर के लोगों ने बहुत प्यार से उसका नाम रखा था – अबाबत कौर | अबाबत का अर्थ, दूसरे की सेवा से जुड़ा है, दूसरों का कष्ट दूर करने से जुड़ा है | अबाबत जब सिर्फ उनतालीस (39) दिन की थी, तभी वो यह दुनिया छोड़कर चली गई | लेकिन सुखबीर सिंह संधू जी और उनकी पत्नी सुप्रीत कौर जी ने, उनके परिवार ने, बहुत ही प्रेरणादायी फैसला लिया | ये फैसला था - उनतालीस (39) दिन की उम्र वाली बेटी के अंगदान का, Organ Donation का | हमारे साथ इस समय phone line पर सुखबीर सिंह और उनकी श्रीमती जी मौजूद हैं | आइये, उनसे बात करते हैं |

प्रधानमंत्री जी - सुखबीर जी नमस्ते |

सुखबीर जी – नमस्ते माननीय प्रधानमंत्री जी | सत श्री अकाल

प्रधान मंत्री जी – सत श्री अकाल जी, सत श्री अकाल जी, सुखबीर जी मैं आज ‘मन की बात’ के सम्बन्ध में सोच रहा था तो मुझे लगा कि अबाबत की बात इतनी प्रेरक है वो आप ही के मुँह से सुनुं क्योंकि घर में बेटी का जन्म जब होता है तो अनेक सपने अनेक खुशियाँ लेकर आता है, लेकिन बेटी इतनी जल्दी चली जाए वो कष्ट कितना भयंकर होगा उसका भी मैं अंदाज़ लगा सकता हूँ | जिस प्रकार से आपने फैसला लिया, तो मैं सारी बात जानना चाहता हूँ जी |

सुखबीर जी – सर भगवान ने बहुत अच्छा बच्चा दिया था हमें, बहुत प्यारी गुडिया हमारे घर में आई थी | उसके पैदा होते ही हमें पता चला कि उसके दिमाग में एक ऐसा नाड़ियों का गुच्छा बना हुआ है जिसकी वजह से उसके दिल का आकार बड़ा हो रहा है | तो हम हैरान हो गए कि बच्चे की सेहत इतनी अच्छी है, इतना खुबसूरत बच्चा है और इतनी बड़ी समस्या लेकर पैदा हुआ है तो पहले 24 दिन तक तो बहुत ठीक रहा बच्चा बिलकुल normal रहा | अचानक उसका दिल एकदम काम करना बंद हो गया, तो हम जल्दी से उसको हॉस्पिटल लेके गए, वहाँ, डॉक्टरों ने उसको revive तो कर दिया लेकिन समझने में टाईम लगा कि इसको क्या दिक्कत आई इतनी बड़ी दिक्कत की छोटा सा बच्चा और अचानक दिल का दौरा पड़ गया तो हम उसको इलाज के लिए PGI चंडीगढ़ ले गए | वहां बड़ी बहादुरी से उस बच्चे ने इलाज़ के लिए संघर्ष किया | लेकिन बीमारी ऐसी थी कि उसका इलाज़ इतनी छोटी उम्र में संभव नहीं था | डॉक्टरों ने बहुत कोशिश की कि उसको revive करवाया जाए अगर छ: महीने के आस-पास बच्चा चला जाए तो उसका operation करने की सोची जा सकती थी | लेकिन भगवान को कुछ और मंजूर था, उन्होंने, केवल 39 days की जब हुई तब डॉक्टर ने कहा कि इसको दोबारा दिल का दौरा पड़ा है अब उम्मीद बहुत कम रह गई है | तो हम दोनों मियाँ-बीवी रोते हुए इस निर्णय पे पहुंचे कि हमने देखा था उसको बहादुरी से जूझते हुए बार बार ऐसे लग रहा था जैसे अब चला जाएगी लेकिन फिर revive कर रही थी तो हमें लगा कि इस बच्चे का यहाँ आने का कोई मकसद है तो उन्होंने जब बिलकुल ही जवाब दे दिया तो हम दोनों ने decide किया कि क्यों न हम इस बच्चे के organ donate कर दे | शायद किसी और की जिंदगी में उजाला आ जाए, फिर हमने PGI के जो administrative block है उनमे संपर्क किया और उन्होंने हमें guide किया कि इतने छोटे बच्चे की केवल kidney ही ली जा सकती है | परमात्मा ने हिम्मत दी गुरु नानक साहब का फलसफा है इसी सोच से हमने decision ले लिया |

प्रधान मंत्री जी– गुरुओं ने जो शिक्षा दी है जी उसे आपने जीकर के दिखाया है जी | सुप्रीत जी है क्या ? उनसे बात हो सकती है ?

सुखबीर जी– जी सर |

सुप्रीत जी– हेल्लो |

प्रधान मंत्री जी– सुप्रीत जी मैं आपको प्रणाम करता हूँ

सुप्रीत जी– नमस्कार सर नमस्कार, सर ये हमारे लिए बड़ी गर्व की बात है कि आप हमसे बात कर रहे हैं |

प्रधान मंत्री जी– आपने इतना बड़ा काम किया है और मैं मानता हूँ देश ये सारी बातें जब सुनेगा तो बहुत लोग किसी की जिंदगी बचाने के लिए आगे आयेंगे | अबाबत का ये योगदान है, ये बहुत बड़ा है जी |

सुप्रीत जी– सर ये भी गुरु नानक बादशाह जी शायद बक्शीश थी कि उन्होंने हिम्मत दी ऐसा decision लेने में |

प्रधान मंत्री जी– गुरुओं की कृपा के बिना तो कुछ हो ही नहीं सकता जी |

सुप्रीत जी– बिलकुल सर, बिलकुल |

प्रधान मंत्री जी– सुखबीर जी जब आप अस्पताल में होंगे और ये हिला देने वाला समाचार जब डॉक्टर ने आपको दिया, उसके बाद भी आपने स्वस्थ मन से आपने और आपकी श्रीमती जी ने इतना बड़ा निर्णय किया, गुरुओं की सीख तो है ही है कि आपके मन में इतना बड़ा उदार विचार और सचमुच में अबाबत का जो अर्थ सामान्य भाषा में कहें तो मददगार होता है | ये काम कर दिया ये उस पल को मैं सुनना चाहता हूँ |

सुखबीर जी– सर actually हमारे एक family friend हैं प्रिया जी उन्होंने अपने organ donate किये थे उनसे भी हमें प्रेरणा मिली तो उस समय तो हमें लगा कि शरीर जो है पञ्च तत्वों में विलीन हो जाएगा | जब कोई बिछड़ जाता है चला जाता है तो उसके शरीर को जला दिया जाता है या दबा दिया जाता है, लेकिन, अगर उसके organ किसी के काम आ जाएँ, तो ये भले का ही काम है, और उस समय हमें, और गर्व महसूस हुआ, जब doctors ने, ये बताया हमें, कि आपकी बेटी, India की youngest donar बनी है जिसके organ successfully transplant हुए, तो हमारा सर गर्व से ऊँचा हो गया, कि जो नाम हम अपने parents का, इस उम्र तक नहीं कर पाए, एक छोटा सा बच्चा आ के

इतने दिनों में हमारा नाम ऊँचा कर गया और इससे और बड़ी बात है कि आज आपसे बात हो रही है इस विषय पे | हम proud feel कर रहे हैं |
प्रधान मंत्री जी - सुखबीर जी, आज आपकी बेटी का सिर्फ एक अंग जीवित है, ऐसा नहीं है | आपकी बेटी मानवता की अमर-गाथा की अमर यात्री बन गई है | अपने शरीर के अंश के जरिए वो आज भी उपस्थित है | इस नेक कार्य के लिए, मैं, आपकी, आपकी श्रीमती जी की, आपके परिवार की, सराहना करता हूं |

सुखबीर जी– Thank You sir.

साथियो, organ donation के लिए सबसे बड़ा जज्बा यही होता है कि जाते-जाते भी किसी का भला हो जाए, किसी का जीवन बच जाए | जो लोग, organ donation का इंतजार करते हैं, वो जानते हैं, कि, इंतजार का एक-एक पल गुजरना, कितना मुश्किल होता है | और ऐसे में जब कोई अंगदान या देहदान करने वाला मिल जाता है, तो उसमें, ईश्वर का स्वरूप ही नजर आता है | झारखंड की रहने वाली स्नेहलता चौधरी जी भी ऐसी ही थी जिन्होंने ईश्वर बनकर दूसरों को जिंदगी दी | 63 वर्ष की स्नेहलता चौधरी जी, अपना heart, kidney और liver, दान करके गईं | आज ‘मन की बात’ में, उनके बेटे भाई अभिजीत चौधरी जी हमारे साथ हैं | आइये उनसे सुनते हैं |

प्रधानमंत्री जी- अभिजीत जी नमस्कार |

अभिजीत जी- प्रणाम सर |

प्रधानमंत्री जी- अभिजीत जी आप एक ऐसी माँ के बेटे हैं जिसने आपको जन्म देकर एक प्रकार से जीवन तो दिया ही, लेकिन और जो अपनी मृत्यु के बाद भी आपकी माता जी कई लोगों को जीवन देकर गईं | एक पुत्र के नाते अभिजीत आप जरूर गर्व अनुभव करते होंगे

अभिजीत जी – हाँ जी सर |

प्रधानमंत्री जी- आप, अपनी माता जी के बारे में जरा बताइये, किन परिस्थितियों में organ donation का फैसला लिया गया ?

अभिजीत जी– मेरी माता जी सराइकेला बोलकर एक छोटा सा गाँव है झारखंड में, वहां पर मेरे मम्मी पापा दोनों रहते हैं | ये पिछले पच्चीस साल से लगातार morning walk करते थे और अपने habit के अनुसार सुबह 4 बजे अपने morning walk के लिए निकली थी | उस समय एक motorcycle वाले ने इनको पीछे से धक्का मारा और वो उसी समय गिर गई जिससे उनको सर पे बहुत ज्यादा चोट लगा | तुरंत हम लोग उनको सदर अस्पताल सराइकेला ले गए जहाँ डॉक्टर साहब ने उनकी मरहम पट्टी की पर खून बहुत निकल रहा था | और उनको कोई sense नहीं था | तुरंत हम लोग उनको Tata main hospital लेकर चले गए | वहां उनकी सर्जरी हुई, 48 घंटे के observation के बाद डॉक्टर साहब ने बोला कि वहां से chances बहुत कम हैं | फिर हमने उनको Airlift कर के AIIMS Delhi लेकर आये हम लोग | यहाँ पर उनकी treatment हुई तक़रीबन 7-8 दिन | उसके बाद position ठीक था एकदम उनका blood pressure काफी गिर गया उसके बाद पता चला उनकी brain death हो गई है | तब फिर डॉक्टर साहब हमें प्रोटोकॉल के साथ brief कर रहे थे organ donation के बारे में | हम अपने पिताजी, को शायद ये नहीं बता पाते कि, organ donation type का भी कोई चीज़ होता है, क्योंकि हमें लगा, वो उस बात को absorb नहीं कर पायेंगे, तो, उनके दिमाग से हम ये निकालना चाहते थे कि ऐसा कुछ चल रहा है | जैसे ही हमने उनको बोला की organ donation की बातें चल रही हैं | तब उन्होंने ये बोला की नहीं- नहीं ये मम्मी का बहुत मन था और हमें ये करना है | हम काफी निराश थे उस समय तक जब तक हमें ये पता चला था कि मम्मी नहीं बच सकेंगें, पर जैसे ही ये organ donation वाला discussion चालू हुआ वो निराशा एक बहुत ही positive side चला गया और हम काफी अच्छे एक बहुत ही positive environment में आ गए | उसको करते-करते फिर हम लोग रात में 8 बजे counseling हुई | दूसरे दिन हम लोगों ने organ donation किया | इसमें मम्मी का एक सोच बहुत बड़ा था कि पहले वो काफी नेत्रदान और इन चीजों में social activities में ये बहुत active थी | शायद यही सोच को लेकर के ये इतना बड़ा चीज़ हम लोग कर पाए, और मेरे पिताजी का जो decision making था इस चीज़ के बारे में, इस कारण से ये चीज़ हो पाया |
प्रधानमंत्री जी- कितने लोगों को काम आया अंग ?

अभिजीत जी– इनका heart, दो kidney, liver और दोनों आँख ये donation हुआ था तो चार लोगों की जान और दो जनों को आँख मिला है |

प्रधानमंत्री जी- अभिजीत जी, आपके पिता जी और माताजी दोनों नमन के अधिकारी हैं | मैं उनको प्रणाम करता हूँ और आपके पिताजी ने इतने बड़े निर्णय में, आप परिवार जनों का नेतृत्व किया, ये वाकई बहुत ही प्रेरक है और मैं मानता हूँ कि माँ तो माँ ही होती है | माँ एक अपने आप में प्रेरणा भी होती है | लेकिन माँ जो परम्पराएँ छोड़ कर के जाती हैं, वो पीढ़ी-दर-पीढ़ी, एक बहुत बड़ी ताकत बन जाती हैं | अंगदान के लिए आपकी माता जी की प्रेरणा आज पूरे देश तक पहुँच रही है | मैं आपके इस पवित्र कार्य और महान कार्य के लिए आपके पूरे परिवार को बहुत-बहुत बधाई देता हूँ | अभिजीत जी धन्यवाद् जी, और आपके पिताजी को हमारा प्रणाम जरूर कह देना |
अभिजीत जी– जरूर-जरूर, thank you.

साथियो, 39 दिन की अबाबत कौर हो या 63 वर्ष की स्नेहलता चौधरी, इनके जैसे दानवीर, हमें, जीवन का महत्व समझाकर जाते हैं | हमारे देश में, आज, बड़ी संख्या में ऐसे जरूरतमंद हैं, जो स्वस्थ जीवन की आशा में किसी organ donate करने वाले का इंतज़ार कर रहे हैं | मुझे संतोष है कि अंगदान को आसान बनाने और प्रोत्साहित करने के लिए पूरे देश में एक जैसी policy पर भी काम हो रहा है | इस दिशा में राज्यों के domicile की शर्त को हटाने का निर्णय भी लिया गया है, यानी, अब देश के किसी भी राज्य में जाकर मरीज organ प्राप्त करने के लिए register करवा पाएगा | सरकार ने organ donation के लिए 65 वर्ष से कम आयु की आयु-सीमा को भी खत्म करने का फैसला लिया है | इन प्रयासों के बीच, मेरा देशवासियों से आग्रह है, कि organ donor, ज्यादा से ज्यादा संख्या में आगे आएं | आपका एक फैसला, कई लोगों की जिंदगी बचा सकता है, जिंदगी बना सकता है |
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मन की बात : पहले एपिसोड से अब तक यूपी के 71 नायकों और संस्थाओं का किया उल्लेख
साभार - महेंद्र तिवारी, अमर उजाला ब्यूरो, लखनऊ 

मन की बात के अब तक 99 एपिसोड हो चुके हैं। मोदी इन 99 एपिसोड में उत्तर प्रदेश का करीब 71 बार उल्लेख कर चुके हैं। इनमें अभिनव या प्रेरक कार्यों से आम लोगों के जीवन को बदलने में जुटे प्रदेश के 58 नायकों व 11 संस्थाओं का जिक्र शामिल है।
Mann Ki Baat: 71 heroes and institutions of UP have been mentioned since the first episode

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीन अक्तूबर 2014 को आकाशवाणी के जरिए ''मन की बात'' कार्यक्रम की शुरुआत की थी। उन्होंने इस कार्यक्रम के पहले ही एपिसोड में मेरठ के गौतम पाल का उल्लेख कर यूपी को स्थान दे दिया था। गौतम पाल ने दिव्यांग बच्चों की बेहतरी के लिए नगर पालिका, महानगर पालिका और पंचायतों में विशेष योजनाओं की जरूरत बताई थी। मोदी ने उनके सुझावों को सराहा था। बाद में केंद्र सरकार ने दिव्यांगों के हित में कई कदम उठाए।

मन की बात के अब तक 99 एपिसोड हो चुके हैं। मोदी इन 99 एपिसोड में उत्तर प्रदेश का करीब 71 बार उल्लेख कर चुके हैं। इनमें अभिनव या प्रेरक कार्यों से आम लोगों के जीवन को बदलने में जुटे प्रदेश के 58 नायकों व 11 संस्थाओं का जिक्र शामिल है। 30 अप्रैल को विशेष रूप से प्रसारित होने वाले इस कार्यक्रम की 100वीं कड़ी को ऐसे खास लोगों के लिए भी यादगार बनाने की तैयारी चल रही है। इसके लिए लखनऊ से दिल्ली तक कार्यक्रम तय हैं।

कानपुर के डॉ. अजीत मोहन अर्से से लोगों को नि:शुल्क दवाएं बांट रहे थे। रायबरेली के रजनीश बाजपेयी अपने गांव को स्मार्ट गांव के रूप में विकसित करने में जुटे थे। देवरिया के शहीद विजय मौर्या की पत्नी लक्ष्मी पति को खोने के बाद भी देश सेवा के लिए अपनी बेटी को भी सेना में भेजने का जज्बा व्यक्त कर रही थीं। बरेली की दीपमाला पांडेय कोविड काल में वन टीचर-वन कॉल अभियान के जरिए दिव्यांग बच्चों के नामांकन में जुटीं थीं। झांसी की गुरपीत और गुरलीन चावला बुंदेलखंड जैसे सूखाग्रस्त क्षेत्र झांसी में स्ट्राबेरी की सफल खेती कर रहीं थीं। प्रयागराज की मंजू प्रजापति स्वयं सहायता समूह का नेतृत्व करते-करते सफल उद्यम का संचालन करने लगी थीं। इन सभी को वैश्विक स्तर पर पहचान पीएम मोदी के मन के कार्यक्रम से ही मिली। मोदी ने अलग-अलग एपिसोड में इन सभी का उल्लेख कर लोगों को प्रेरित करने का काम किया।

वाराणसी के इंद्रपाल बत्रा अपने घर में लकड़ी के ऐसे घोंसले बनवाए, जिसमें गौरैया रह सके। मोदी ने विलुप्त होती गौरैया को बचाने के बत्रा के प्रयासों को इसी कार्यक्रम में सराहा। चंदौली के शिवपाल सिंह जेवलिन थ्रो के खिलाड़ी हैं। मोदी ने शिवपाल के पूरे परिवार का इस खेल से जुड़े होने का उल्लेख कर खेलों के प्रति इनके समर्पण की तारीफ की। पहले आकाशवाणी और बाद में दूरदर्शन के जरिए प्रसारित होने वाले मन की बात ने न सिर्फ तमाम गुमनाम नायकों को पहचान व सम्मान दिलाया, बल्कि तमाम अन्य लोगों को अच्छा करने के लिए प्रेरित किया।

 
नदियों के पुनरुद्धार से आईएएस कंचन वर्मा को मिली बड़ी पहचान
वर्ष 2005 बैच की आईएएस अधिकारी कंचन वर्मा फतेहपुर की डीएम रही हैं। उन्होंने अपने कार्यकाल में जिले की ससुर-खदेरी नदी और ठिठौरा झील को पुनर्जीवित कराने का भगीरथ काम किया था। ठिठौरा झील से ही ससुर-खदेरी प्रथम और द्वितीय नदी निकलती है। समय बीतने के साथ झील सूख गई थी और नदी भी खत्म होने की कगार पर थी। हालत यह हो गई थी कि लोग नदी में खेती तक करने लगे थे। कंचन वर्मा ने डीएम रहते हुए इस नदी की खुदाई करवाई और झील को भी पुराने स्वरूप में लाया गया। प्रधानमंत्री मोदी ने 29 अप्रैल 2018 को मन की बात के 43वें एपिसोड में उनके कार्यों की सराहना की थी। इसके बाद प्रदेश भर में नदियों के पुनरुद्धार की पहल तेज हुई। कंचन को बाद में प्रशासनिक सेवा में उत्कृष्ट कार्यों के लिए पीएम अवॉर्ड भी मिला।

 
इन 11 सामूहिक पहल का भी जिक्र
1. मुबारकपुर, बिजनौर : देशभर में स्वच्छ भारत मिशन के तहत चल रहे ओडीएफ अभियान में बिजनौर जिले के इस गांव के लोगों ने सरकारी धन वापस कर खुद शौचालय बनवाकर मिसाल कायम की थी। प्रधानमंत्री ने मन की बात के 33वें एपिसोड में मुबारकपुर गांव के लोगों की इस पहल को शामिल कर लोगों को चौंका दिया था।
2. जिला प्रशासन फतेहपुर : 43वें एपिसोड में मोदी ने फतेहपुर में ससुर-खदेरी नाम की दो छोटी नदियों के पुनरुद्धार का उल्लेख किया था। जिला प्रशासन ने क्षेत्र के 40-45 गांवों के लोगों की मदद और सहयोग से सूख चुकी ससुर-खदेरी नदी को पुनर्जीवित करने का काम किया था। मोदी ने इसे बड़ी उपलब्धि बताते हुए पशु-पक्षियों, किसानों, फसलों और गांवों के लिए वरदान कहा था। इस कार्य का नेतृत्व वहां की तत्कालीन डीएम कंचन वर्मा ने किया था।
3. बिजनौर के युवा डाक्टरों की पहल: 51वें एपिसोड में मोदी ने बिजनौर के ''हर्ट, लंग्स एंड क्रिटिकल केयर सेंटर'' का उल्लेख किया था। उन्होंने कैंपों के जरिए मुफ्त इलाज मुहैया कराने को निस्वार्थ भाव से सेवा का उदाहरण बताया था।
4. महिला स्वयं सहायता समूह प्रयागराज: मोदी ने 60वें एपिसोड में आर्थिक तंगी और गरीबी से परेशान फूलपुर की महिलाओं का जिक्र किया। इन महिलाओं ने कादीपुर के महिला स्वयं सहायता समूह से जुड़कर चप्पल बनाने का हुनर सीखा और आत्मनिर्भर बनकर अपने परिवार का संबल बन गईं। ग्रामीण आजीविका मिशन की मदद से इन्होंने चप्पल बनाने की इकाई भी स्थापित कर ली।
5. बाराबंकी के ग्रामीणों की सामूहिकता : पीएम ने 61वें एपिसोड में बाराबंकी में सराही झील के पुनरुद्धार की सामूहिक पहल को साझा किया। यह झील 43 हेक्टेयर में फैली है और अपनी अंतिम सांसें गिन रही थीं। वहां के ग्रामीणों ने अपनी संकल्प शक्ति से किसी भी कमी को आड़े नहीं आने दिया। एक के बाद एक कई गांव आपस में जुड़ते चले गए। इन्होंने झील के चारों ओर एक मीटर ऊंचा तटबंध बना डाला। झील पानी से लबालब है और आस-पास का वातावरण पक्षियों के कलरव से गूंज रहा है।
6. इरादा फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी, लखनऊ : पीएम मोदी ने 69वें एपिसोड में लखनऊ के ‘इरादा फार्मर प्रोडयूसर’ कंपनी का उल्लेख किया। यह एफपीओ लॉकडाउन के दौरान किसानों के खेतों से सीधे फल और सब्जियां लेता था और लखनऊ के बाजारों में बेचता था। बिचौलियों से मुक्ति हो गई और उन्होंने मन चाहे दाम प्राप्त किए।
7. सुमन देवी व स्वयं सहायता समूह बाराबंकी : 70वें एपिसोड में मोदी ने बाराबंकी की सुमन देवी के काम को सराहा। सुमन ने स्वयं सहायता समूह की महिलाओं के साथ मिलकर खादी मास्क बनाना शुरू किया था। धीरे-धीरे उनके साथ अन्य महिलाएं भी जुड़ती चली गईं।
8. बांदा के अंधाव गांव के ग्रामीण : पीएम ने 78वें एपिसोड में बांदा जिले के अंधाव गांव के लोगों के ‘खेत का पानी खेत में, गांव का पानी गांव में’ अभियान की तारीफ की। इसके तहत गांव के कई सौ बीघे खेतों में ऊंची-ऊंची मेड़ बनाई गई। इससे बारिश का पानी खेत में इकट्ठा जमाकर जमीन में जाने लगा। अब ये लोग खेतों की मेड़ पर पेड़ लगाने की योजना बना रहे हैं। यानी किसानों को पानी, पेड़ और पैसा तीनों मिलने की राह खुली।
9. लखीमपुर खीरी की ग्रामीण महिलाएं : पीएम ने 79वें एपिसोड में लखीमपुर खीरी की महिलाओं के कोविड के दौरान केले के बेकार तनों से फाइबर बनाने व उसका प्रशिक्षण देने की पहल का उल्लेख किया था। वहां की महिलाएं निष्प्रयोज्य केले के तने को काटकर मशीन से फाइबर तैयार कर रही थीं, जो जूट या सन की तरह होता है। इससे हैंडबैग, चटाई, दरी आदि बनाई जाती हैं। इससे एक तरफ फसल के कचरे का इस्तेमाल शुरू हो गया, वहीं दूसरी तरफ गांव में रहने वाली बहनों-बेटियों को आमदनी का एक और साधन मिल गया। इसके अलावा वे केले के आटे से डोसा और गुलाब जामुन जैसे स्वादिष्ट व्यंजन भी बना रही थीं।
10. ग्राम पंचायत पटवाई, रामपुर : मोदी ने मन की बात के 88वें संस्करण में यूपी के रामपुर की ग्राम पंचायत पटवाई का उल्लेख किया। वहां पर ग्राम सभा की भूमि पर एक तालाब था लेकिन वह गंदगी और कूड़े के ढेर से भरा था। स्थानीय लोगों और स्कूली बच्चों ने उस गंदे तालाब का कायाकल्प कर दिया। उस तालाब की चारदीवारी, फूडकोर्ट, फव्वारे और लाइटिंग आदि व्यवस्थाएं की गईं।
11. काकोरी रेलवे स्टेशन, लखनऊ : मन की बात के 91वें संस्करण में मोदी ने लखनऊ के काकोरी रेलवे स्टेशन का जिक्र किया। इस स्टेशन के साथ राम प्रसाद बिस्मिल और अशफाक उल्लाह खान जैसे जांबाजों का नाम जुड़ा है। यहां ट्रेन से जा रहे अंग्रेजों के खजाने को लूटकर वीर क्रांतिकारियों ने अंग्रेजों को अपनी ताकत का परिचय कराया था। मोदी ने देश के ऐसे 75 रेलवे स्टेशनों को खूबसूरती से सजाने का आह्वान किया था।
12. शहीद भगत सिंह अमृत सरोवर ललितपुर : पीएम ने मन की बात के 92वें संस्करण में ललितपुर के शहीद भगत सिंह अमृत सरोवर का उल्लेख किया। निवारी ग्राम पंचायत में बना यह सरोवर 4 एकड़ में फैला है। इसके किनारे हुआ वृक्षारोपण इसकी शोभा को बढ़ा रहा हैं। सरोवर के पास 35 फीट ऊंचा तिरंगा लगाया गया है, जिसे देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं।
13. कबाड़ से जुगाड़ अभियान मेरठ : मेरठ के ‘कबाड़ से जुगाड़’ की चर्चा पीएम ने 95वें एपिसोड में की। इस अभियान को पर्यावरण की सुरक्षा व शहर के सौंदर्यीकरण से जुड़ा बताते हुए तारीफ की थी। इसमें लोहे का स्क्रैप, प्लास्टिक वेस्ट, पुराने टायर और ड्रम जैसी बेकार हो चुकी चीजों का प्रयोग किया जाता है। कम खर्चे में सार्वजनिक स्थलों का सौंदर्यीकरण कैसे हो- इस अभियान को इसकी मिसाल बताकर तारीफ की थी।
खादी के मास्क सिलने वाली सुमन बैंक सखी बनीं
कोरोना काल में मास्क की किल्लत को देखते हुए महिलाओं के साथ मिलकर सिलाई मशीन से खुद ही मास्क बनाना शुरू किया। आपदा को अवसर में बदलकर सुमन महिलाओं के लिए रोल मॉडल बनीं थीं। आज वह अपने क्षेत्र की बैंक सखी हैं।

चिया सीड की खेती से किसानों के रोल मॉडल बने हरिश्चंद्र
सुल्तानपुर निवासी किसान हरिश्चंद्र सेना से आर्टिलरी कर्नल के पद से वर्ष 2015 में रिटायर हुए थे। उन्होंने बाराबंकी की हैदरगढ़ तहसील के सिद्धौर ब्लॉक के अमसेरुवा गांव में तीन एकड़ जमीन खरीदी। इस पर चिया सीड, ग्रीन एप्पल, रेड एप्पल बेर, ड्रैगनफूड, काला गेंहू और कई प्रजाति के आलू की खेती करना शुरु किया। मन की बात में हरिश्चंद्र ने प्रधानमंत्री को बताया था कि कई किसान इस खेती के प्रति उत्सुक है।

विदेशों तक जा रहा निमित्त सिंह का शहद
शहद वाला के नाम से मशहूर युवा उद्यमी निमित्त सिंह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मन की बात में छा चुके हैं। निमित्त ने प्रधानमंत्री को शहद के कारोबार की बारीकियां बताईं तो प्रधानमंत्री ने युवाओं को इससे प्रेरणा लेने की बात कही। निमित्त ने बीटेक के बाद शहद उत्पादन कर रहे हैं।

हेमंत ने कल्याणी से किया प्रवासी श्रमिकों का कल्याण
प्रधानमंत्री ने कल्याणी नदी के अस्तित्व को बचाने के लिए मनरेगा से हुए कार्य को आदर्श बताते हुए प्रवासी श्रमिकों के योगदान की सराहना की थी। तत्कालीन बीडीओ हेमंत यादव ने इसमें भूमिका निभाई थी। इससे कल्याणी की अविरल धारा फूट पड़ी थी।

सराही झील पुनर्जीवित करने में सराहे गए थे एसडीएम राजीव
पूरे डलई ब्लॉक की ग्राम पंचायत सराही की प्रवासी पक्षियों की सैरगाह रही झील सूख गई थी। 2020 की शुरुआत में रामसनेहीघाट के तत्कालीन एसडीएम राजीव शुक्ला ने बिना किसी सरकारी खर्च के सराही झील को श्रमदान से पुनर्जीवित कराया।

किसानों के संवाहक बने दयाशंकर
दयाशंकर ने बाराबंकी में 40-40 किसानों के क्लब बनाकर मंडी का सर्वेक्षण करवाया और किसानों की सब्जी सीधे 65 होटलों व अपार्टमेंट में भेजना शुरू की। इससे किसानों को अच्छा मुनाफा हुआ।

एक एप पर आ गया पूरा गांव
रायबरेली में मिर्जापुर उर्फ तौधकपुर गांव निवासी रजनीश वाजपेयी ने स्मार्ट गांव एप बनाकर उसे अपने गांव में लागू कराया। एप के जरिए गांव की सभी सूचनाएं, विकास कार्य, फोन डायरेक्टरी सहित तमाम जानकारियां प्राप्त की जा सकती हैं।

दिव्यांग होकर भी दिव्यांगों का सहारा बने
मेरठ के गेसूपुर निवासी गौतम पाल बचपन से दिव्यांग होने के बावजूद न सिर्फ खुद आगे बढ़े बल्कि दिव्यांगों का भी सहारा बने। साक्षरता अभियान के तहत 1997 से वर्ष 2000 तक मेरठ में कार्य किया। गौतम पाल गांवों में शिविर लगवाते थे और दिव्यांगों को उपकरण वितरित कराते थे। गौतम पाल शॉटपुट, जैवलिन, डिस्कस थ्रो के भी खिलाड़ी रह चुके हैं। इन्होंने राज्य स्तर पर कई गोल्ड मेडल हासिल किए हैं।

देश का नाम किया ऊंचा
मेरठ के माधवपुरम सेक्टर - 3 निवासी एथलीट प्रियंका गोस्वामी 10 व 20 किमी. पैदल चाल की राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्पर्धाओं में 20 से ज्यादा पदक अपने नाम कर चुकी हैं। प्रियंका इस समय बंगलुरू साईं सेंटर में हैं। 2020 टोक्यो ओलंपिक में पैदल चाल में देश का प्रतिनिधित्व कर चुकी प्रियंका, इंग्लैंड के बर्मिंघम में आयोजित राष्ट्रमंडल खेलों में देश को रजत पदक दिला चुकी हैं।

निखार रहे प्रतिभाएं
मेरठ के ही सूरजकुंड रोड निवासी एथलेटिक कोच गौरव त्यागी कैलाश प्रकाश स्टेडियम में अस्थाई कोच हैं। गौरव ने गोस्वामी को प्राथमिक प्रशिक्षण दिया था। गौरव त्यागी दिव्यांग खिलाड़ियों को भी प्रशिक्षण देते हैं, इनके कई खिलाड़ी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेल रहे हैं।

महिलाओं के लिए प्रेरक बनीं कादीपुर गांव की पल्लवी और मंजू
प्रयागराज के बहरिया ब्लॉक के कादीपुर गांव की पल्लवी परमार और मंजू ने 2017 में ग्रामीण आजीविका मिशन से जुड़कर स्वयं सहायता समूह के जरिए चप्पल बनाने का काम शुरू किया था। बाद में यही कोशिश उनकी सफलता की बुनियाद बन गई। पीएम नरेंद्र मोदी ने उनकी कामयाबी की तारीफ तो वह देश भर में चर्चा में आ गईं। दो साल में तकरीबन पौन तीन लाख पैरों में इन महिलाओं द्वारा बनाई गई चप्पलें पहुंच गईं।

जेल में काऊकोट बनवाने के लिए पीएम ने की थी जेलर बीएस मुकुंद की तारीफ
कौशाम्बी कारागार के जेल अधीक्षक बीएस मुकुंद ने गोशालाओं में आने वाले गोवंशों को ठंड से निजात दिलाने के लिए काऊकोट बनाने की जेल में पहल की। प्रधानमंत्री ने जेल अधीक्षक के कार्यों को सराहा तो जेल प्रशासन ने अब प्रदेश की अन्य गोशालाओं के गोवंशों के लिए भी काऊकोट तैयार करने का फैसला लिया है।

10वीं की छात्रा नव्या ने बताया भारत का विजन
प्रयागराज के महर्षि पतंजलि विद्यामंदिर की 10वीं की छात्रा नव्या वर्मा का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात के 85 वें संस्करण में जिक्र किया था। नव्या ने पीएम को भेजे अपने पोस्टकार्ड में 2047 के भारत का विजन प्रस्तुत किया था। नव्या ने लिखा था कि उनका सपना ऐसे भारत का है जहां सभी को सम्मान पूर्वक जीवन मिले, जहां किसान समृद्ध हों और भ्रष्टाचार न हो।

पानी के लिए चलाया अभियान
प्रयागराज के झूंसी निवासी गोविंद वल्लभ पंत सामाजिक विज्ञान संस्थान के शोध छात्र रामबाबू तिवारी पिछले कई सालों से बुंदेलखंड के गांवों के साथ ही प्रयागराज के शंकरगढ़ इलाके में भी पानी के लिए सघन अभियान चला रहे हैं। रामबाबू बुंदेलखंड के बांदा जिले के अधांव गांव में चलाए गए अभियान खेत का पानी खेत में, गांव का पानी गांव में प्रेरणाप्रद बन गया है।

विशेष बच्चों को कर रहीं शिक्षित
बरेली के विशेष बच्चों को शिक्षित करने के लिए सालों से अभियान चला रहीं दीपमाला पांडे ने 2018 में शहर के कुछ शिक्षकों के साथ मिलकर व्हाट्सएप पर इंक्लूसिव एजुकेशन के नाम से एक पीपल लर्निंग कम्युनिटी बनाई थी और विशेष बच्चों को दाखिला देने के लिए एक अभियान शुरू किया था। इस अभियान से अब तक 800 विशेष बच्चों का एडमिशन हो चुका है।

बनाना फाइबर से बदली खुद की तकदीर
लखीमपुर खीरी के ब्लॉक ईसानगर के समैसा गांव की रहने वाली पूनम राजपूत ने ‘बनाना फाइबर यूनिट’ लगाकर खुद अपनी और गांव वालों की तकदीर बदल डाली है। 2021 में ‘मन की बात’ कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी ने उनके नाम का जिक्र किया था। उनके केले के रेशा की मांग सूरत, अहमदाबाद, कानपुर शहरों में बढ़ गई है। 2021 में इसके लिए पूनम को केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी सम्मानित किया था।
बीएचयू के केंद्रीय विद्यालय के सातवीं के छात्र क्षितिज के आत्मविश्वास और जिज्ञासा के प्रधानमंत्री भी कायल
- वाराणसी के सुंदरपुर निवासी नौ साल की सोनम पटेल ने हिंदी और अंग्रेजी में श्रीमद्भागवत को कंठस्थ कर लिया है।
- जौनपुर के दिनेश उपाध्याय ने कोरोना महामारी के दौरान जान की परवाह किए बिना टैंकर से ऑक्सीजन की सप्लाई की।
- आजमगढ़ के सगड़ी तहसील के कटाई अलीमुद्दीनपुर की जिया राय ने तैराकी के कई रिकॉर्ड बनाए। वह अभी मुंबई के कोलाबा में रहती है।
- मिर्जापुर की पूर्णिमा सिंह और शिखा मिश्रा बरियाघाट पर कक्षाएं चलाकर गरीब बच्चों को शिक्षा देने के साथ ही पुस्तकों भी प्रदान करती हैं।
- चंदौली के धानापुर हिंगुतरगढ़ निवासी जेवलिन थ्रो के खिलाड़ी शिवपाल सिंह का 2021 में टोक्यो के लिए ओलंपिक में चयन हुआ। चाचा व भाई भी खिलाड़ी है।
- चंदौली के चकिया, अमरा उत्तरी गांव निवासी मदन मोहन लाल ने सीएचसी पर मिलने वाली टेली कंसल्टेशन सुविधा, ई संजीवनी एप के बारे जानकारी दी थी।
- आगरा के किरावली के कचौरा गांव निवासी कुंवर सिंह और श्याम सिंह ने अपने खर्चे से निशुल्क पाइपलाइन डलवाकर गांव के प्रत्येक घर तक शुद्ध पेयजल पहुंचाया।
- आगरा के लाजपत कुंज निवासी अशोक कपूर ने क्षेत्र के लोगों को कोरोना का टीका लगवाया। लॉकडाउन में लोगों को खाने की सामग्री भी मुहैया कराई।
- बांदा के अधांव निवासी इविवि के शोध छात्र रामबाबू तिवारी ने 74 तालाबों का श्रम साधना से जीर्णोद्धार कराया। खेत का पानी खेत में, गांव का पानी गांव में अभियान चलाया।
- चित्रकूट निवासी काष्ठ कला के शिल्पकार धीरेंद्र द्विवेदी 25 वर्षों से यही काम कर रहे हैं। सहयोगी शिल्पकार बलराम विश्वकर्मा के साथ मिलकर लघु उद्योग चलाते हैं।
- फर्रुखाबाद के जिला कारागार अधीक्षक भीमसेन मुकुंद ने जेल में रह कर गऊ सेवा के लिए कैदियों के अनुपयोगी कंबलों से काऊ कोट बनवाकर गोशालाओं में भिजवाए।
- उन्नाव की हसनगंज तहसील के मेहंदीखेड़ा निवासी ओम प्रकाश सिंह ने फ्री कनेक्शन योजना के तहत 300 स्थानों को ब्रॉडबैंड कनेक्शन देकर हाई स्पीड नेट से जोड़ा।
- हरदोई के मल्लावां के बांसा निवासी सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता जतिन ललित सिंह ने गांव के रामदरबार मंदिर परिसर में हाल बनवाकर कम्युनिटी लाइब्रेरी की शुरुआत की।
- फतेहपुर की तत्कालीन डीएम कंचन वर्मा ने क्षेत्र की विलुप्त हो रही नदी ससुर खदेरी को पुनर्जीवित किया। ठिठौरा झील से निकली इस नदी का अस्तित्व खत्म होने वाला था।
- कानपुर महानगर के सिविल लाइंस निवासी डॉ. अजीत मोहन चौधरी अपने अस्पताल के अलावा कचहरी के पास पेड़ के नीचे फुटपाथ पर गरीबों का मुफ्त इलाज करते हैं।
- कानपुर देहात के बैरी दरियांव निवासी नूरजहां ने आधा दर्जन गांवों के पचास घरों को सौर ऊर्जा पैनल से चार्ज लालटेन मामूली किराए पर देती हैं।
- रामपुर की पटवाई ग्रामसभा की प्रधान नसीम बानो ने गंदगी से घिरे तालाब का कायाकल्प कर पहला अमृत सरोवर बनवाया।
- मुरादाबाद के दिलशाद हुसैन पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित हैं। हुसैन पीतल, तांबा और अन्य धातुओं पर खास हुनर को उकेरने में माहिर हैं।
- मुरादाबाद निवासी पैरों से दिव्यांग सलमान ने हाथों की मदद से चलना सीखा, स्कूल गए और 12वीं की फिर चप्पल बनाने का काम शुरू किया।
- झांसी की गुरुलीन कौर ने पुणे से लॉ किया फिर पुस्तैनी घर की छत पर स्ट्रॅाबेरी उगाई। इसके बाद बुंदेलखंड के किसानों को नई दिशा दी।
- झांसी के 87 वर्षीय गणितज्ञ राधा चरण पद्मश्री और केनेथ ओ से सम्मानित हैं। 300 शोध पत्र और 300 आर्टिकल प्रकाशित। 80 पुस्तकें लिख चुके हैं।
- ललितपुर के महरौनी ब्लॉक के निवारी के ग्राम प्रधान राजीव बाजपेई के अमृत सरोवर का मॉडल सराहा गया।
- ग्रेटर नोएडा निवासी पाॅन्डमैन रामवीर तवंर अर्थ एनजीओ के संस्थापक हैं। पूरे भारत में 40 से ज्यादा तालाबों व झीलों को नया जीवन दिया है।
- मेरठ के अब्दुल्लापुर निवासी संतोष देवी 30 वर्षों से चटाई बना रही हैं। लॉकडाउन में आपदा के दौरान भी उन्होंने अपना काम जारी रखा।
- बिजनौर के डॉ. अवधेश वशिष्ठ पंडित चंद्रकांत आत्रे हॉस्पिटल के संचालक हैं। वह शिविर लगाकर निशुल्क मरीजों का इलाज कर रहे हैं।
- नजीबाबाद की समाजसेवी मोना कंर्णवाल ने प्रधानमंत्री से अनुरोध किया था कि शिक्षा के साथ युवाओं का व्यक्तित्व निखारने की जरूरत है।
- वाराणसी के प्रकृति प्रेमी इंद्रपाल सिंह बत्रा ने घर को गौरैया के घोंसले के रूप में परिवर्तित कर दिया। उनके घर में 300 घोंसले हैं।
- बांदा के जखनी निवासी पद्मश्री उमा शंकर पांडेय की सोच और परिश्रम के चलते यहां के तालाब और कुंए पानी से लबालब हो गए।
- वाराणसी की विनीता तिवारी ने पीएम को पत्र लिखा था कि जब परिणाम आते हैं और कुछ बच्चे आत्महत्या कर देते हैं, इससे मुझे बहुत पीड़ा होती है। - विनीता तिवारी, वाराणसी
- कानपुर के अखिलेश वाजपेयी ने पीएम को भेजे सुझाव में कहा था कि दिव्यांग व्यक्तियों को रेलवे के अंदर आईआरसीटीसी वेबसाइट के जरिए कोटा वाला टिकट क्यों नहीं दिया जाना चाहिये? अगर दिव्यांग को भी टिकट पाने के लिए वही कठिनाइयां झेलनी पड़े, यह कितना उचित है?
- मुजफ्फरनगर के एसडी पब्लिक स्कूल में कक्षा सात की छात्रा गरिमा गुप्ता ने दक्षिण अफ्रीका की खासियत पर एक कविता लिखी थी। गरिमा अपने स्कूल टीम के साथ दक्षिण अफ्रीका गई थी।
- गोरखपुर के अभिषेक पांडेय ने मन की बात में फोन कर मुद्रा लोन योजना शुरू करने के लिए पीएम को बधाई दी थी और योजना के संबंध में जानकारी मांगी थी।
- विश्वास द्विवेदी ने ऑनलाइन किचन स्टार्ट-अप के जरिए मध्यमवर्गीय लोगों को टिफिन पहुंचाने का काम कर रहे थे। इन्होंने नमो एप पर अपने काम को साझा किया था।
- केशव वैष्णव ने नमो एप पर शिकायत की थी कि माता-पिता को अपने बच्चों पर अधिक नंबर के लिए कभी भी दबाव नहीं बनाना चाहिए। सिर्फ तैयारी के लिए प्रोत्साहित करना चाहिये।
- अभि चतुर्वेदी ने गर्मियों की छुट्टियों में चिड़ियों को गर्मी लगने का एहसास कर एक बर्तन में पानी रखने और चिड़ियों को पानी पीना देखकर मिलने वाली खुशी को साझा किया था।
- दीक्षा कात्याल ने पढ़ने की आदत छूटने के बाद स्कूल की छुटि्टयों में किताबें पढ़ने के प्रयास और उससे मिले आनंद को साझा किया था।
- कानपुर की नीरजा सिंह ने 2017 के दौरान ‘मन की बात’कार्यक्रमों में कहीं गईं बातों में से दस सबसे अच्छी बातें दोबारा साझा करने का आग्रह किया था।
- सहारनपुर के दीपांशु आहूजा ने भारतीय सैनिकों द्वारा पाकिस्तान में की गयी सर्जिकल स्ट्राइक से आतंकवाद के लांचिंग पैड को नष्ट करने और भारतीय सैनिकों के डोकलाम में पराक्रम को अतुलनीय बताया था।
- आईआईटी कानपुर के छात्र रहे अरविंद गुप्ता चार दशक से कचरे से बच्चों के खिलौने बना रहे थे, ताकि बच्चों में विज्ञान के प्रति जिज्ञासा बढ़ा सकें। जिससे बच्चे बेकार चीजों से वैज्ञानिक प्रयोगों की ओर प्रेरित हों।
- मेरठ की कोमल त्रिपाठी ने राष्ट्रीय विज्ञान दिवस का उल्लेख करते हुए पीएम से युवाओं को वैज्ञानिक तरीके से अपनी सोच बढ़ाने के लिए प्रेरित करने का आग्रह किया था।
- वाराणसी के प्रशांत कुमार ने फ्रांस के राष्ट्रपति की काशी यात्रा की सफलता का उल्लेख करते हुए कार्यक्रम से जुड़े फोटो, वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर करने का आग्रह किया था।
- उन्नाव की गुड़िया सिंह ने मायके से उन्नाव के अमोइया गांव अपने ससुराल आने के बाद अपनी पढ़ाई की चिंता और भारतनेट से उसके समाधान का उल्लेख किया था।
- रायबरेली के दो आईटी प्रोफेशनल योगेश साहू और रजनीश बाजपेयी ने अमेरिका में रहते स्मार्ट गांव एप तैयार किया। यह एप न केवल गांव के लोगों को पूरी दुनिया से जोड़ रहा है बल्कि अब वे कोई भी जानकारी और सूचना स्वयं खुद के मोबाइल पर ही प्राप्त कर सकते हैं।
- गढ़मुक्तेश्वर के संतोष ने कोरोना काल में अपना पुश्तैनी चटाई बनाने का काम शुरू किया था। उन्हें दूसरे राज्यों से भी चटाई के आर्डर मिलने लगे थे।
- नोएडा के देवेश को पीएम मोदी ने मन की बात के 75वें संस्करण में शुभकामना संदेश देने के लिए आभार जताया था।
- प्रधानमंत्री ने 75वें एपिसोड में कोरोना टीकाकरण की चर्चा करते हुए वैक्सीन लगवाने वाली जौनपुर की 109 वर्षीय महिला राम दुलैया की प्रशंसा की थी।
- मेरठ की प्रभा शुक्ला ने पीएम को एक पत्र भेजा जा था जिसमें उन्होंने लिखा था कि यदि हम स्वच्छता को, हर दिन की आदत बना लें तो पूरा देश स्वच्छ हो जाएगा।
- पीएम ने मथुरा के दानदपरा की सुख देवी से बात की थी। सुख देवी ने आयुष्मान कार्ड से अपने घुटनों का मुफ्त इलाज कराया था।
- लखनऊ निवासी निलेश ने यहां संपन्न ड्रोन शो की प्रशंसा की थी। यह शो लखनऊ के रेजिडेंसी क्षेत्र में आयोजित हुआ था।
- मोदी ने गाजियाबाद की आनंदिता त्रिपाठी की अपने पति के साथ पूर्वोत्तर यात्रा के दौरान यूपीआई पेमेंट सुविधा से मिली सहूलियत का जिक्र किया था।
- पीएम ने उन्नाव के ओम प्रकाश सिंह का एक डिजिटल इंटरप्रेन्योर के रूप में उल्लेख करते हुए उनके द्वारा अपने गांव में एक हजार से ज्यादा ब्राॅड बैंड कनेक्शन देने की तारीफ की थी।
- कानपुर की जया ने गणतंत्र दिवस परेड में शामिल झांकियों में भारतीय संस्कृति के विभिन्न पहलुओं की तारीफ की थी।
- यूपी से हिमांशु यादव ने मेड इन इंडिया वैक्सीन से एक नए आत्मविश्वास पैदा होने की बात कही थी।
- पीएम ने जेई मेन्स क्लियर करने वाले अमरोहा के उस्मान सैफी से बात की थी। उन्हें पढ़ाई के साथ-साथ तात्कालिक घटनाक्रमों के अध्ययन का भी सुझाव दिया था।
- कानपुर की इंजीनियरिंग छात्रा भावना त्रिपाठी ने 15 सितंबर को इंजीनियर्स डे पर इंजीनियरिंग के छात्र-छात्राओं से बात की अपील की थी।
- गाजियाबाद से कीर्ति सहित अनेक लोगों ने मोदी से पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी के जीवन के विभिन्न पहलुओं के बारे में बात करने का आग्रह किया था।
- मोदी ने देवरिया के शहीद विजय मौर्य के परिवार की प्रेरणा भरी कहानी का जिक्र किया था। विजय की पत्नी अपनी बेटी को भी सेना में भेजने की इच्छा जताई थी।
- धवल प्रजापति ने ट्रैकिंग की अपनी तस्वीर साझा की थी, जिसमें उन्होंने फिट इंडिया के बारे में अपने विचार साझा किए थे।
- कवि नीरज के निधन के बाद उनके आशा, भरोसा, दृढसंकल्प, स्वयं पर विश्वास का उल्लेख करते हुए उनके प्रेरक व्यक्तित्व को याद किया था।
 

 

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