हर घर तिरंगा अभियान को देशवासी सफल बनायें - अरविन्द सिसौदिया

 हर घर तिरंगा अभियान को देशवासी सफल बनायें - अरविन्द सिसौदिया

 

 भारत की स्वतंत्रा 15 अगस्त 1947 को प्राप्त हुई और स्वतंत्रता को ग्रहण करनें हेतु संविधान सभा जो कि भारत सरकार के रूप में भी कार्य कर करनें वाली थी नें अर्द्ध रात्रि यानि कि रात्री 12 बजे 15 अगस्त के प्रारम्भ होते ही स्वतंत्रता का अधिग्रहण करने हेतु सदन को आयोजित किया हुआ था। उस अवसर पर रात्री में ही राष्ट्रीय ध्वज फहराया गया होगा । क्यों कि संविधान सभा ने राष्ट्रध्वज 22 जुलाई 1947 को ही तय कर दिया था। तत्कालीन कांग्रेस के तिरंगे में मात्र चरखे के स्थान पर सारनाथ का अशोक स्तम्भ से धर्मचक्र लिया गया था और उसे भारत का राष्ट्रध्वज अंगीकृत किया गया।

इसके बाद देश ने आजादी के 25 वर्ष भी पूर्ण किये, 50 वर्ष भी पूर्ण किये । किन्तु इन महोत्सवों को कभी भी देश के आम व्यक्ति की भागेदारी से नहीं मनाया गया। यह पहला अवसर है कि आजादी को लेकर मनाये जा रहे 75 वें वर्ष मे आयोजित अमृत महोत्सव के पावन पर्व पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी की सरकार ने सीधे तौर पर आम जनको , आम नागरिकों को इससे जोडा है। देश में यह पहला अवसर है जब सभी 140 करोड़ लोगों से देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने हर घर तिरंगा फहरानें का आव्हान किया है। केन्द्र की सरकार का मतलब देश के प्रत्येक नागरिक की सरकार होता है। संवैधानिक रूप से मान्यता प्राप्त विधि सम्मत सरकार होती है। उसका निर्णय बिना किसी किन्तु परन्तु के माना जाता है।

वर्तमान में कांग्रेस का नेतृत्व मूल रूप से समस्या बना हुआ है। उसका बौद्धिक स्तर इस तरह का कतई प्रतिबिम्बित नहीं होता कि वह एक जिम्मेवार राजनैतिक दल है, जिम्मेवार विपक्षी दलों का नेतृत्वकर्ता है। बचकानी हरकतें और गैर जिम्मेवार तरीके के चाल चलन के कारण भारत का विप़क्ष हास्य का पात्र मात्र रह गया है। इस की अचकानी हरकतों के कारण भारत की गरिमा एवं सम्मान भी प्रभावित हो रहा है। संसद से लेकर सड़क तक एक आराजकतापूर्ण माहौल खडा किया जा रहा है। जिसको मूल उदेश्य देश में लोकतंत्र, संविधान एवं नैतिकता को ध्वस्त करना है।

पूरे देश में झूठ फैलानें का अभियान चल रहा है। कांग्रेस ने अपने बूथस्तरीय कार्यकर्ताओं तक को यह सिखाया है कि क्या - क्या झूठ बोलना है किस तरह से झूठ बोलना है।  इसलिये भाजपा ही नहीं देशहित की सोचवाले प्रत्येक नागरिक का कर्त्तव्य बनता है कि राजनैतिक दल के नाम से देश में आराजकतावाद उत्पन्न करनें वालों को परास्त करना होगा।

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2002 से पहले आम लोगों को सिर्फ स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर तिरंगा फहराने की छूट थी। 26 जनवरी 2002 को इंडियन फ्लैग कोड में संशोधन किया गया, जिसके बाद अब कोई भी नागरिक किसी भी दिन झंडा फहरा सकता है।


Updated Aug 12, 2022

Har Ghar Tiranga, Flag Hoisting Rules on Independence Day 2022: सरकार ने राष्ट्रीय ध्वज फहराने के नियमों में भी कई अहम बदलाव किए हैं।  अब रात में भी झंडा फहराया जा सकेग। इसके अलावा मशीन से बने और पॉलिएस्टर से बनें झंडे को भी लोग फहरा सकेंगे।

HAR GHAR TIRANGA Abhiyan
हर घर तिरंगा अभियान

मुख्य बातें
तिरंगा फहराते समय हमेशा यह ध्यान रखना चाहिए केसरिया रंग का हिस्सा ऊपर हो और हरे रंग वाला हिस्सा नीचे हो।राष्ट्रीय ध्वज कटा-फटा, गंदा,अव्यवस्थित नहीं होना चाहिए। उत्सव, थाली आदि में या किसी अन्य तरीके से सजावट के लिए राष्ट्रीय ध्वज का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा

National Flag Hoisting Rules: हर घर तिरंगा अभियान के तहत पूरे देश भर में 20 करोड़ तिरंगा फहराने का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए सरकार ने तिरंगा फहराने के नियमों में भी कई अहम बदलाव किए हैं।  अब रात में भी झंडा फहराया जा सकेग। इसके अलावा मशीन से बने और पॉलिएस्टर से बनें झंडे को भी लोग फहरा सकेंगे। संशोधन के पहले केवल सूर्योदय से सूर्यास्तक तक, केवल हाथ से बना हुआ या काता हुआ ऊन, कपास या रेशमी खादी से बना झंडा ही फहराया जा सकता था।

सरकार द्वारा तिरंगा फहराने के लिए कुछ नियम बनाए गए हैं। ऐसे में अगर आप तिरंगा फहराने जा रहे हैं, तो उन नियमों को जानना बेहद जरूरी है। क्योंकि अगर तिरंगे को फहराने में इन नियमों की उल्लंघन हुआ तो उसे तिरंगे का अपमान माना जाता है। संस्कृति मंत्रालय द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार राष्ट्रीय ध्वज फहराते समय हमेशा इन बातों का ध्यान रखना चाहिए..


तिरंगा फहराते समय हमेशा यह ध्यान रखना चाहिए केसरिया रंग का हिस्सा ऊपर हो और हरे रंग वाला हिस्सा नीचे हो।
झंडा कटा-फटा, गंदा,अव्यवस्थित नहीं होना चाहिए।
राष्ट्रीय ध्वज को किसी भी व्यक्ति या वस्तु की सलामी में नहीं झुकाना चाहिए।
राष्ट्रीय ध्वज के साथ कोई अन्य ध्वज या ध्वजपट उससे ऊंचा या उसके बराबर नहीं लगाया जाएगा। और न ही ध्वजारोहण के दौरान कोई फूल या माला या प्रतीक सहित कोई वस्तु, जिससे राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाता है, ऊपर रखी जाएगी।
उत्सव, थाली आदि में या किसी अन्य तरीके से सजावट के लिए तिरंगा का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा
राष्ट्रीय ध्वज को जमीन,फर्श, पानी पर नहीं रखा जाएगा और फहराते समय  इन चीजों को स्पर्श नहीं करना चाहिए।
तिरंगा जिस खंभे,डंडे आदि में फहराया जाएगा, उसमें कोई दूसरा ध्वज नहीं लगा होना चाहिए।
राष्ट्रीय ध्वज का उपयोग किसी भी पोशाक या वर्दी या किसी पहनावे के हिस्से में चित्रित नहीं किया जाएगा, जो किसी भी व्यक्ति के कमर के नीचे पहना जाता है और न ही कुशन, रूमाल, नैपकिन, अंडर गारमेंट्स या किसी कपड़े में कढ़ाई या मुद्रित रूप में किया जाएगा।
राष्ट्रीय ध्वज का उपयोग वक्ता के मेज को ढकने के लिए नहीं किया जाएगा, न ही वक्ता के मंच को इससे लपेटा जाएगा।
बापू के चरखे से निकलकर हाईटेक हुई तिरंगा यात्रा, ऑनलाइन अपने लोकेशन पर लगा सकेंगे झंडा

राष्ट्रीय ध्वज को खुले में या सार्वजनिक भवनों पर लगाने का सही तरीका

जब तिरंगे को समतल या क्षैतिज पटल पर प्रदर्शित किया जाता है तो केसरिया पट्टी सबसे ऊपर होगी और लंबवत् प्रदर्शित की जाएगी, राष्ट्रीय ध्वज के संदर्भ में केसरिया पट्टी दाईं ओर यानी यह सामने वाले व्यक्ति के बाईं ओर होनी चाहिए।
जब राष्ट्रीय ध्वज को किसी स्तंभ पर क्षैतिज रूप से या सिल के एक कोण से, बालकनी या इमारत के सामने लगाया जाएगा, तो वह केसरिया पट्टी के सबसे दूर वाले छोर पर होगा।
ऐसा करने पर होता है अपमान

राष्ट्रीय सम्मान के अपमान की रोकथाम अधिनियम, 1971 की धारा 2 के स्पष्टीकरण 4 के अनुसार, राष्ट्रीय ध्वज का अपमान रोकने के लिए इन नियमों का पालन किया जाना चाहिए-

राष्ट्रीय ध्वज का उपयोग निजी अंत्येष्टि को लपेटने के साथ ही किसी भी तरह की चीजों को लपेटने के लिए नहीं किया जाएगा।
राष्ट्रीय ध्वज का उपयोग किसी भी पोशाक या वर्दी या पहनावे के हिस्से में चित्रित नहीं किया जाएगा जो किसी भी व्यक्ति के कमर के नीचे पहना जाता है और न ही कुशन, रूमाल, नैपकिन, गारमेंट्स या किसी कपड़े में कढ़ाई या मुद्रित रूप में किया जाएगा।
राष्ट्रीय ध्वज का उपयोग लेखन प्रक्रिया में नहीं किया जाएगा।
राष्ट्रीय ध्वज का उपयोग वस्तुओं को लपेटने, प्राप्त करने और वितरित करने के लिए नहीं किया जाएगा।
राष्ट्रीय ध्वज का उपयोग किसी वाहन के किनारों, पृष्ठ भाग या शीर्ष भाग को ढकने के लिए नहीं किया जाएगा।

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1951 में पहली बार भारतीय मानक ब्यूरो (बी॰आई॰एस॰) ने पहली बार राष्ट्रध्वज के लिए कुछ नियम तय किए। 1968 में तिरंगा निर्माण के मानक तय किए गए। ये नियम अत्यंत कड़े हैं। केवल खादी या हाथ से काता गया कपड़ा ही झंडा बनाने के लिए उपयोग किया जाता है। कपड़ा बुनने से लेकर झंडा बनने तक की प्रक्रिया में कई बार इसकी टेस्टिंग की जाती है। झंडा बनाने के लिए दो तरह की खादी का प्रयोग किया जाता है। एक वह खादी जिससे कपड़ा बनता है और दूसरा खादी-टाट। खादी के केवल कपास, रेशम और ऊन का प्रयोग किया जाता है। यहाँ तक कि इसकी बुनाई भी सामान्य बुनाई से भिन्न होती है। ये बुनाई बेहद दुर्लभ होती है। इसे केवल पूरे देश के एक दर्जन से भी कम लोग जानते हैं। धारवाण के निकट गदग और कर्नाटक के बागलकोट में ही खादी की बुनाई की जाती है। जबकी हुबली एक मात्र लाइसेंस प्राप्त संस्थान है जहाँ से झंडा उत्पादन व आपूर्ति की जाती है। बुनाई से लेकर बाजार में पहुँचने तक कई बार बी॰आई॰एस॰ प्रयोगशालाओं में इसका परीक्षण होता है। बुनाई के बाद सामग्री को परीक्षण के लिए भेजा जाता है। कड़े गुणवत्ता परीक्षण के बाद उसे वापस कारखाने भेज दिया जाता है। इसके बाद उसे तीन रंगो में रंगा जाता है। केंद्र में अशोक चक्र को काढ़ा जाता है। उसके बाद इसे फिर परीक्षण के लिए भेजा जाता है। बी॰आई॰एस॰ झंडे की जाँच करता है इसके बाद ही इसे फहराया जा सकता है |
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झंडे का उचित प्रयोग

सन २००२ से पहले, भारत की आम जनता के लोग केवल गिने-चुने राष्ट्रीय त्योहारों को छोड़ सार्वजनिक रूप से राष्ट्रीय ध्वज फहरा नहीं सकते थे। एक उद्योगपति, नवीन जिंदल ने, दिल्ली उच्च न्यायालय में, इस प्रतिबंध को हटाने के लिए जनहित में एक याचिका दायर की। जिंदल ने जान बूझ कर, झंडा संहिता का उल्लंघन करते हुए अपने कार्यालय की इमारत पर झंडा फहराया। ध्वज को जब्त कर लिया गया और उन पर मुकदमा चलाने की चेतावनी दी गई। जिंदल ने बहस की कि एक नागरिक के रूप में मर्यादा और सम्मान के साथ झंडा फहराना उनका अधिकार है और यह एक तरह से भारत के लिए अपने प्रेम को व्यक्त करने का एक माध्यम है। तदोपरांत केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने, भारतीय झंडा संहिता में २६ जनवरी २००२, को संशोधन किए जिसमें आम जनता को वर्ष के सभी दिनों झंडा फहराने की अनुमति दी गयी और ध्वज की गरिमा, सम्मान की रक्षा करने को कहा गया।

भारतीय संघ में वी॰ यशवंत शर्मा के मामले में कहा गया कि यह ध्वज संहिता एक क़ानून नहीं है, संहिता के प्रतिबंधों का पालन करना होगा और राष्ट्रीय ध्वज के सम्मान को बनाए रखना होगा। राष्ट्रीय ध्वज को फहराना एक पूर्ण अधिकार नहीं है, पर इस का पालन संविधान के अनुच्छेद ५१-ए के अनुसार करना होगा।


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