अमेरिका पुनः नम्बर वन ताकत के रूप में उभरा - अरविन्द सिसौदिया
अमेरिका पुनः नम्बर वन ताकत के रूप में उभरा - अरविन्द सिसौदिया
America has again emerged as the number one power - Arvind Sisodia
एक हफते में दो बडी घटनाओं ने अमरीकी राष्ट्रपति जो बाईडन को विश्व के नक्से पर पुनः नम्बर 1 की ताजपोशी की तरफ बडा दिया है।
Two major events in a week have propelled US President Joe Biden to the No. 1 crown again on the world map.
मात्र एक हफते में दो बडी कार्यवाहियों को अमेरिका के द्वारा अंजाम दिये जानें से,अमेरिका ने अपने आपको विश्व में पुनः नम्बर वन ताकत होनें का अहसास करवाया है। याद रहे कि जबसे अमरीकी राष्ट्रपति पद पर वयोवृद्ध राजनेता और कई वार उपराष्ट्रपति रहे , जो बाईडन निर्वाचित हुये एवं उन्होनें इस पद को संभाला तब से "वे कठोर निर्णय नहीं लिय गये जिनके लिये अमरीका जाना जाता है। "
Knowing the two major actions carried out by America in just one week, America has made itself feel like the number one power in the world again. Remember that since Biden was elected and held the position, a veteran politician and vice president several times in the US presidency, "the hard decisions that America is known for have not been made."
जैस कि संपूर्ण विश्व को कोविड देनें में चीन की महत्वपूर्ण आपराधिक अथवा नेगलेजेंसी पूर्ण भूमिका रही है। किन्तु उसके खिलाफ कोई भी बहुत ठीक ठाक एक्शन नहीं लिया जा सका। जिससे चीन स्वयं को विश्व का सर्वेसर्वा मान बैठा और उसके तेबर सातवे आसमान पर है।
As China has played an important criminal or negligent role in giving Kovid to the whole world. But no proper action could be taken against him. Due to which China considers itself to be the sovereign of the world and is on its seventh sky.
इसी तरह अफगानिस्तान में तालिवान सरकार के कब्जा करनें एवं अमरीका समर्थक सरकार के भागनें के घटनाक्रम ने भी अमरीका की काफी किरकिरी हुई थी। रही सही कसर रूस-यूक्रेन युद्ध में भी अमरीका की लचर भूमिका के कारण यह अविश्वसनीयता ओर अधिक बड गई कि "अब अमरीका वह नहीं रहा जिसके लियें वह पहचाना जाता था।" उसकी धाक धमक कम हो गई थी।
Similarly, the events of the capture of the Taliban government in Afghanistan and the escape of the pro-American government had also caused a lot of disgrace to America. America's poor role in the Russo-Ukraine War also added to the unreliability that "America is no longer what it was known for." His stamina had subsided.
किन्तु इन दोनों कार्यवाहियों ने अमरीका को पुनः विश्व में सर्वोच्च बना दिया है। यह विश्व कूटनीति , शांती तथा सद्भाव के लिये शुभ संकेत भी है।
But both these actions have again made America supreme in the world. It is also a good sign for world diplomacy, peace and harmony.
1- अमेरिका पर आतंकी हमले 9/11 के लिये जिम्मेवार नम्बर दो, हमले के पूरे 21 साल बाद अमेरिका ने काबुल में अल.क़ायदा नेता अयमन अल.ज़वाहिरी को अफगानिस्तान में उसके निवास पर तेजधार ब्लेड्स से भरे दो आर-9-एक्स दो हेलफ़ायर मिसाइल एक ड्रोन के ज़रिए दाग कर मार दिया। इससे पहले भी अमेरिका ने पाकिस्तान में झुपे ओसामा बिन लादेन को भी उसी के निवास पर हवाई जहाज से सैनिक हमला कर मार डाला था।
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि इसमें कितना वक्त लगता है, अगर आप हमारे लोगों के लिए खतरा हैं, तो अमेरिका आपको हर हाल में ढूंढ निकालेगा और आपको आपके अंजाम तक पहुंचाएगा, फिर चाहे आप जहां कहीं भी छुपे हों।
अमेरिका कीे इस साहसपूर्ण कार्यवाही से अफगान पर तालिवान कब्जे के बाद से राष्ट्रपति जो बाईडन को कमजोर राष्ट्रपति मानें जानें की जो छवी बन गई थी उसमें सुधार होगा।
2- चीन के प्रबल विरोध को दरकिनार कर अमेरिका का चाईना पहुंचना
अमेरिकी संसद के निचले सदन ( भारत में लोकसभा की तरह ) हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स की स्पीकर नैंसी पेलोसी 2 अगस्त 2022 को ताइवान की राजधानी ताईपेई पहुंचीं। अमेरिकी नेवी और एयरफोर्स के 24 एडवांस्ड फाइटर जेट्स ने नैंसी के प्लेन को एस्कॉर्ट किया। क्यों कि चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने पिछले दिनों कहा था कि अगर पेलोसी का प्लेन ताइवान की तरफ गया तो उसे उड़ाया जा सकता है। बाद में ये भी कहा गया कि चीनी एयरफोर्स के एयरक्राफ्ट पेलोसी के विमान को घेर लेंगे।
चीन की फिर धमकी - पेलोसी के ताइवान पहुंचने के बाद चीन ने फिर अमेरिका को धमकी दी। न्यूज एजेंसी एएफपी के मुताबिक, चीन ने कहा- हम टारगेटेड मिलिट्री एक्शन जरूर लेंगे। हालांकि, यह साफ नहीं किया गया कि चीन किन टारगेट पर सैन्य कार्रवाई की धमकी दे रहा है। इसके पहले अमेरिका, ताइवान और चीन तीनों ने अपनी फौजों को कॉम्बेट रेडी (जंग के लिए तैयार) रहने को कहा था। तीनों देशों ने फौज के लिए हाईअलर्ट जारी कर दिया था।
अमरीकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने करीब 2 महीने पहले कहा था कि - हम वन चाइना पॉलिसी पर राजी हुए, हमने उस पर साइन किया, लेकिन यह सोचना गलत है कि ताइवान को बल के प्रयोग से छीना जा सकता है। चीन का ये कदम न केवल गलत होगा, बल्कि यह पूरे क्षेत्र को एक तरह की नई जंग में झोंक देगा।
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