ईश्वर The GOD
- Arvind Sisodia 9414180151
मानव पदार्थ का सर्वश्रेष्ठ सर्वोच्च विकसित स्वरूप है । जो इस सृष्टि में व्याप्त ज्ञान, विज्ञान और अनुसंधान का स्वामी है वही ईश्वर है । फर्क सिर्फ इतना सा है कि वह ईश्वर आदि से अनंत है और मनुष्यों को बार बार नया शरीर धारण करना पड़ता है।
Human beings are the most highly developed form of matter. The one who is the master of knowledge, science and research in this universe is God. The only difference is that he is infinite from God etc. and human beings have to assume new bodies again and again.
Human beings are the most highly developed form of matter. The one who is the master of knowledge, science and research in this universe is God. The only difference is that he is infinite from God etc. and human beings have to assume new bodies again and again.
ईश्वर के नाम पर बहुत कुछ झूठ परोसा जाता है। जिस महाशक्ति का नाम ईश्वर है,उसकी आभा हिन्दू सनातन में कुछ कुछ मिलती है। अन्य जगह बहुत कम या बहुत ही सीमित ज्ञान है। उस महाशक्ति के बारे में जानना अलग बात है और उसकी स्तुति करना अलग बात है। ईश्वर के बारे में जानना भी एक अनुसंधान है। जो समय समय पर शोधकर्ताओं से प्रगट होता रहा है। जो ज्ञान के जिस स्तर तक पहुंच सका वह उतना बता सका। परम सत्य अभी बहुत दूर है।
Many lies are served in the name of God. The aura of the superpower whose name is God, something is found in the Hindu Sanatan. Elsewhere there is little or very limited knowledge. Knowing about that superpower is one thing and praising it is another. Knowing about God is also a research. Which has been revealed by researchers from time to time. The level of knowledge he could reach, he could tell. The ultimate truth is still far away.
Many lies are served in the name of God. The aura of the superpower whose name is God, something is found in the Hindu Sanatan. Elsewhere there is little or very limited knowledge. Knowing about that superpower is one thing and praising it is another. Knowing about God is also a research. Which has been revealed by researchers from time to time. The level of knowledge he could reach, he could tell. The ultimate truth is still far away.
सवाल का शुभारम्भ होता है,इस सम्पूर्ण सृष्टि की उत्पत्ती से, इस सम्पूर्ण सृष्टि सृजन के स्वामित्व से,यह सृष्टि सृजन जिन नियमों - व्यवस्थाओं के तहत चल रहा है, उसके अधिपति से , इन तमाम शक्तियों को जानने पहचानने से। इन संदर्भो में विज्ञान सम्मत, तर्क संगत एवं व्यवहारिक उत्तर अथवा ज्ञान अथवा अनुसंधान कोई प्रस्तुत करता है। तो वह एक मात्र सनातन हिन्दू दर्शन ही है।
The question begins, from the origin of this entire creation, from the ownership of this entire creation creation, from knowing the rules and systems under which this creation is going on, its lord, knowing all these powers. In these contexts, someone presents scientific, logical and practical answers or knowledge or research. So that is the only Sanatan Hindu philosophy.
जैसे कि ऋग्वेद कहता है कि सृष्टि के ठीक पहले यह समस्त बृहमाण्ड एक कलश की भांती एक ठोस पिण्ड था और उसमें विस्फोट से अनन्त पिण्डों का निर्माण हुआ और उन पिण्डों का गुरूत्वाकर्षण बल से जो व्यवस्था हुई वह विशाल बृहाण्ड है।
As the Rigveda says that just before the creation, this whole universe was a solid body like an urn and infinite bodies were created by the explosion in it and the arrangement of those bodies by the force of gravity is a huge universe.
यह तथ्य वह संकेत है कि समस्त बृहमाण्ड एक पिण्ड स्वरूप से विस्फोटित होकर, अनन्त वृहद से लेकर सूक्ष्म पिण्डों में बिखर कर, बृहमाण्ड बनाता है, गतिशील होता है और विस्तारित होते हुये अरबों खरबों वर्षों की यात्रा के बाद पुनः संकुचित होते हुये फिर एक पिण्ड बन जाता है। उस एक पिण्ड अवस्था में अरबों खरबों वर्ष गुजार कर पुनः विस्फोटित होता है। यह क्रम निरंतर चलता रहता है। यह भारतीय कालगणना विज्ञान हमें दिग्दर्शित करता है।
This fact is a sign that the whole universe explodes from the form of a body, disintegrates from infinite large to microscopic bodies, forms the universe, moves and expands after traveling for billions of trillions of years, then shrinking again into a single body. becomes. After spending billions of trillions of years in that one body state, it explodes again. This sequence continues continuously. This Indian Calculus science guides us.
और इसी को सनातन हिन्दू शास्त्र "पंच महाभूत" व्यवस्था नाम से समझाते हैं कि जल वायु पृथ्वी अग्नि एवं आकाश से मिल कर यह सृष्टि है। अर्थात इसको विज्ञान की भाषा में इस प्रकार कहा जा सकता है । जल अर्थात तरल अवस्था ,वायु अर्थात गैसीय अवस्था,पृथ्वी अर्थात ठोस अवस्था, अग्नि अर्थात तापमान अवस्था एवं आकाश अर्थात आकार अवस्था । यह सृष्टि मोटे स्वरूप में इन पंच महाभूतों से ही निर्मित है।
And this is what the Sanatan Hindu scriptures explain by the name "Panch Mahabhuta" system that this creation is composed of water, air, earth, fire and sky. That is, it can be said in the language of science as follows. Water means liquid state, air means gaseous state, earth means solid state, fire means temperature state and sky means form state. This universe is made in a coarse form from these five great elements.
अरविंद सिसोदिया 9414180151
Arvind Sisodia 9414180151
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