हिंदुओं को जागना, समझना और प्रतिकार करना सीखना होगा - अरविन्द सिसोदिया

हिंदुओं को जागना, समझना और प्रतिकार करना सीखना होगा - अरविन्द सिसोदिया
हिंदुओं को जागना, समझना और प्रतिकार करना सीखना होगा - अरविन्द सिसोदिया


लगभग 3000 वर्षों से हम लगातारविदेशी ताकतों से संघर्ष कर रहे हैं , लड़ रहे हैं,पुरुषार्थ पूर्ण बलिदान कर रहे हैं । किंतु इसके बावजूद भी लगातार पराजित भी हुए , पराजय से बाहर निकलने के लिए संघर्ष भी हुए , स्वतंत्रता संग्राम भी निरन्तर चलते रहे, अंतिम स्वतन्त्रता संग्राम में हमारा पूरा पूरा उपयोग किया गया और स्वतंत्रता के बाद संविधान बनाते वक्त हिंदू समाज को पूरी तरह ठगा गया और सच कहे तो यह है कि हिंदुओं को पूरी तरह नजरअंदाज किया गया।

अब जागा हुआ हिंदू यह महसूस कर रहा है कि उसके साथ क्या-क्या धोके हुए , इन सारे धोकों को समझना होगा । 

पहली चीज यह है कि हमें समझना होगा कि जो पार्टियां हिंदू विरोधियों का वोट लेती हैं ,  हम उन पार्टियों को पूरी तरह से हिंदू  विरोधी मानना चाहिए । क्योंकि यह उन पार्टियों की ठगी है कि वह हिंदू विरोधी पार्टी भी लेती हैं और हिंदुओं के वोट भी लेती हैं और अपनी 700 पुश्तों का इंतजाम करती हैं ।

इन्हें देश का भला करना है ना इस देश की मूल संस्कृति , मूल सभ्यता और मूल समाज जीवन की कोई चिंता है । इनके लिए यह भारतीय सँस्कृति मर जाएं तो भी उन्हें अपना स्वार्थ देखने के अलावा और कुछ नजर नहीं आना है ।

जबकि किसी भी देश की केंद्र से लेकर लोकल बॉडी सरकारों तक के सभी प्रशासनिक और जनप्रतिनिधियों का यह दायित्व बनता है कि वे अपने देश की संस्कृति , सभ्यता , समाज व्यवस्था, परंपरा ,  लोका चारों और नैतिकता की सुरक्षा करें , संवर्धन करें  उन्हें आगे बढ़ाएं ।

 जबकि अभी तक देखा यह जा रहा है पंच से लेकर के और अधिकांश पार्टी प्रमुखों तक लगभग एक ही लक्ष्य रहता है कि किस तरह से उनका यस बड़े, किस तरह उनका नाम हो, किस तरह उनकी संपत्तियां सुरसा के मुंह की तरह बढ़ती जाए । 

यही कारण है कि 1947 की स्वतंत्रता के बाद भी भारत विश्व में वैज्ञानिक दृष्टि से, सुरक्षा की दृष्टि से , सांस्कृतिक उत्थान की दृष्टि से एवं समाज में व्यवस्था की दृष्टि से वह प्रगति , वह मानदंड स्थापित नहीं कर पाया जो अन्य राष्ट्रों ने स्थापित करके दिखाएं । कानून व्यवस्था के नाम पर आज हम सिर्फ भ्रष्टाचार की गिरफ्त में है।


इसलिए आज सबसे पहले यह हिंदू समाज के सामने सुधार का मौका है कि वह इस देश की वर्तमान व्यवस्था को जाने, समझे , उनमें कौन शत्रु है , कौन झूठ बोलता है , कौन भ्रम फैलाता है , कौन  विरोधयों के साथ बैठता है उन सब को पहचाने और शुद्ध रूप से जो हिंदुत्व का भला करते हैं वह भी पहचानने में आ रहे हैं । उनके साथ खड़ा होना और उन्हें मजबूती देना, हिंदुत्व का कर्तव्य भी है।

 हिंदुत्व को यह तय करना होगा , हिंदू जन को यह तय करना होगा कि जो हमारी संस्कृति , सभ्यता, देवत्व और जीवन पद्धति को आगे बढ़ाएगा । हम सिर्फ उसके साथ रहेंगे , जो हमारा उपयोग करेगा उसे 100 कोस दूर से भी नहीं छुएंगे ।
हिंदुओं को जागना, समझना और प्रतिकार करना सीखना होगा


 

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