नीतीश - तेजस्वी के बिहार में... ..अब क्या क्या होगा ?
नीतीश - तेजस्वी के बिहार में... ..अब क्या क्या होगा ?
नीतीश कुमार नें 8 वीं वार (5 वार भाजपा के समर्थन से) मुख्यमंत्री की शपथ ली है। वे किसी भी दल के साथ या गठबंधन में बहुत समय नहीं रहते । पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के शब्दों में नीतीश हर दो साल में केंचुली बदलते हैं। यह अभी भी साबित हुआ है, अब उन्होनें भाजपा को धोखा देकर लालू के बेटे तेजस्वी के साथ सरकार बनाई है। यह सरकार सशर्त बनीं है। अपरोक्ष रूप से यह बात सामने आ रही है कि यह सब उनकी pm बनने की महत्वाकांक्षा के तहत हुआ है।
इसी के साथ यह प्रश्न भी अब उठ रहा है कि नीतीश इस बदले स्वरूप में क्या-क्या करेंगे ? जैसे वह भाजपा को दोष देंगे। वह नरेंद्र मोदी की नीतियों को गलत बताएंगे। मोदी विरोधियों को खुश करनें में पूरी ताकत लगा देंगे । कोशिश करेंगे कि कांग्रेस उन्हें अपना pm प्रत्यासी बनाये । मोदी विरोधी वोट बैंक को खुश करनें में पूरी ताकत लगाएंगे ।
प्रधानमंत्री बनने के लिए वे सब कुछ वह करेंगे जो संभव है। किंतु उनकी धोखेबाजी की आदत ही सबसे बड़ी बाधा भी बनने वाली है ।
ऐसे बहुत सारे सवाल आज नीतीश कुमार के संदर्भ में आम जनता के सामने भी हैं, बिहार की जनता के सामने भी हैं और भारत की राजनीति के सामने भी हैं ।
नीतीश की पिछली गतिविधियां ही फिलहाल विश्लेषण और अनुमान का आधार बनती है , कि आगे क्या होगा।
नीतीश कुमार भारतीय जनता पार्टी से संबंध तोड़ कर , सबसे ज्यादा हिन्दू वोट में विभाजन के लिए मण्डल आयोग फार्मूले पर काम करेंगे। ताकि उनके पक्ष में कुछ वोट खड़ा हो सके । इसी कारण उन्हीने जाती के आधार पर जनगणना की जिद की ओर से बिहार में प्रावधानित किया है ।
बिहार में जब पटना रैली नरेंद्र मोदी कर रहे थे तब आतंकवादी हमला हुआ था और माना जाता है कि बहुत से लोग मारे गए थे । अर्थात बिहार में आतंकी गतिविधियां हैं। गत दिनों ये पकड़ में भी आईं ऒर उन गतिविधियों का जांच एनआईए द्वारा किया भी गया ।कुछ खुलासे भी हुए । अब नीतीश कुमार इसे गलत साबित करने में लगेगी।
कुल मिला कर अब जाती और सांप्रदायिकता की राजनीति से बिहार के साथ साथ देश को भी दो चार होना पड़ेगा।
नीतीश नें अपनी नई राजनैतिक यात्रा नरेंद्र मोदी पर अपरोक्ष आक्रमण से प्रारंभ की है। अर्थात प्रधानमंत्री बनने की पनप रही महत्वाकांक्षा उन्हें तेजस्वी यादव की दादागिरी सहन करनें को मजबूर करेगा, सरकार में बड़ा दल भी RJD है । वहीं
स्वयं पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने भी कहा है कि तेजस्वी ही अगले मुख्यमंत्री होंगें । अर्थात नीतीश का इस सरकार में रोब रुतबा भी नंबर 2 जैसा होगा। मुख्यमंत्री जैसा नहीं होगा।
हालांकि बिहार ने लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार के बीच में ही एक लंबा समय गुजारा है और वह जहां से चला था लगभग वहीं पर आज भी है । सुशासन बाबू का क्या अर्थ होता है इस बारे में बहुत ज्यादा कुछ कहना मुश्किल है । इतना जरूर है कि भाजपा के साथ जब गठबंधन रहा, तब शासन में गुंडागर्दी, अपहरण और अवैध चौथ वसूली जैसी गतिविधियों पर नियंत्रण रहा।
प्रदेशों की राजनीति में राजनीति से धन बनाने का बेशर्म खेल होता है, बिहार के लालू तो इसके आइकन हैं । लालू प्रसाद यादव के समय में भ्रष्टाचार में क्या क्या हुआ यह सबके सामने है । लालू प्रसाद यादव की तेजस्वी संतान उनसे दो कदम और आगे ही निकलेंगी इसी की संभावना है ।अर्थात आगे भी क्या होना है यह भी सब समझ रहे हैं । कुछ लोग तो यह कहते हैं कि हो सकता है कि नीतीश कुमार को आगे इतने बुरे दिन देखने पड़े , जिसकी कल्पना भी उन्होंने नहीं की होगी।
राबड़ी देवी ने ही स्पष्ट कहा दिया है उनका बेटा मुख्यमंत्री बनेगा, हो सकता है कि नीतीश कुमार जी ने प्रधानमंत्री बनने के लिए लालू प्रसाद यादव के पुत्र तेजस्वी को मुख्यमंत्री बनाने का प्रलोभन दिया हो या संधि की हो। एक हाथ दो दूसरे हाथ लो का सौदा किया हो ।
लेकिन बिहार में अब लगातार भ्रष्टाचार,अशांति, अराजकता और अनैतिकता देखने को मिलनी है। यह संकेत स्पष्ट रूप से मिल रहे हैं ।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें