कश्मीरी पंडितों को कश्मीर में मतदान का अधिकार हमेशा होना चाहिये - अरविन्द सिसोदिया
कश्मीरी पंडितों को कश्मीर में मतदान का अधिकार हमेशा होना चाहिये - अरविन्द सिसोदिया
अभी-अभी कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती ने बयान दिया है कि भारतीय जनता पार्टी बाहर के लोगों को कश्मीर में मतदान का अधिकार देकर, भाजपा के पक्ष के वोटर जोड़ने जा रही । उनका जो भी आरोप है वह अपनी पार्टी हित के लिये हैं । याद रहे कि कश्मीर में मतदाता सूची , भारत सरकार के कानून के अनुसार बनेगी , क्योंकि 370 समाप्त हो चुकी है ।
में जहां तक समझता हूं कि भारत में जो कानून है उसमें 6 महीने रहने के बाद, उस व्यक्ति को उस स्थान पर मतदान का अधिकार मिल जाता है । अर्थात जो भी कर्मचारी, अधिकारी या नागरिक कश्मीर में 6 महीनें से अधिक निवास करता है तो वह स्वतः मतदाता बनने का अधिकार प्राप्त कर लेता है । यह जन अधिकार भारत सरकार द्वारा दिया गया है इसका विरोध बेमानी है । महबूबा भी यह जानती हैं ।
किंतु असल बात जो है वह यह है कि कश्मीरी पंडितों के मताधिकार का अधिकार महबूबा नहीं देना चाहती । यह वर्तमान कानून से हो भी सकता है । कश्मीर से कश्मीरी पंडितों का मताधिकार अधिकार इसलिए समाप्त ना हो जाए कि उन्हें कश्मीर से बाहर निकाल दिया गया है । वे दिल्ली सहित देश में अनेकानेक स्थानों पर निवास कर रहे हैं ।
इसलिए कश्मीरी पंडितों के पक्ष में एक कानूनी बनना चाहिए और उस नियम के अनुसार कश्मीरी पंडितों को कश्मीर घाटी में बसने का अधिकार उसमें रहने वाले स्थाई निवासी के रूप में निरंतर माना जाएगा । जब तक कि वह कश्मीर घाटी में जाकर रहने ना लगे ।
इस तरह के कानून को बनाने की आवश्यकता है , इसलिए है कि कश्मीर से कश्मीरी पंडितों को बाहर निकाला ही इसलिए गया था कि उनको कश्मीर में मतदान व संपत्ति सहित पूरी तरह बाहर कर दिया जाये ।कुल मिलाकर कश्मीर को 100% मुस्लिम राज्य बनाने का षड्यंत्र के तहत कश्मीर के पंडितों को वहां से खदेड़ा गया था ।
इसीलिए कश्मीर में होने वाले किसी प्रकार के छोटे से छोटे और बड़े से बड़े चुनाव में मतदान का अधिकार , निरंतर निरंतर निरंतर कश्मीरी पंडितों को बना रहे, इसके लिए जो भी कानून बनाना है, उनमें संशोधन करना है । वह केंद्र सरकार और निर्वाचन आयोग को करना चाहिए ।
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