सफल जीवन का सूत्र
* 'सफल जीवन' *
*एक बार एक शिष्य ने अपने गुरु से पूछा-*
*गुरुदेव ये 'सफल जीवन' क्या होता है?*
गुरु शिष्य को पतंग उड़ाने ले गए।
शिष्य गुरु को ध्यान से पतंग उड़ाते देख रहा था.
*थोड़ी देर बाद शिष्य बोला-*
*गुरुदेव.. ये धागे की वजह से पतंग अपनी आजादी से और ऊपर की ओर नहीं जा पा रही है, क्या हम इसे तोड़ दें? ये और ऊपर चली जाएगी।*
गुरु ने धागा तोड़ दिया ..
पतंग थोड़ा सा और ऊपर गई और उसके बाद लहरा कर नीचे आयी और दूर अनजान जगह पर जा कर गिर गई...
*तब गुरु ने शिष्य को जीवन का दर्शन समझाया...*
बेटे.. 'जिंदगी में हम जिस ऊंचाई पर हैं..
हमें अक्सर लगता की कुछ चीजें, जिनसे हम बंधे हैं वे हमें और ऊपर जाने से रोक रही हैं; जैसे :
-घर-
-परिवार-
-अनुशासन-
-माता-पिता- भाई - बहन - रिस्ते -
-गुरू- मित्र और-
-समाज- देश
- धर्म - सँस्कृति
-देवगण - परमपिता परमेश्वर ।
*और हम उनसे आजाद होना चाहते हैं...*
वास्तव में यही वो धागे होते हैं - जो हमें उस ऊंचाई पर बना के रखते हैं..
*इन धागों के बिना हम एक बार तो ऊपर जायेंगे परन्तु बाद में हमारा वो ही हश्र होगा, जो बिन धागे की पतंग का हुआ...'*
अतः जीवन में यदि तुम ऊंचाइयों पर बने रहना चाहते हो तो, कभी भी इन धागों से रिश्ता मत तोड़ना.."
*धागे और पतंग जैसे जुड़ाव के सफल संतुलन से मिली हुई ऊंचाई को ही 'सफल जीवन कहते हैं.."*
व्यक्ति से परमेश्वर तक
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