विजयी विश्व तिरंगा प्यारा, झंडा ऊंचा रहे हमारा।

 

विजयी विश्व तिरंगा प्यारा, झंडा ऊंचा रहे हमारा । 
भारत के झंडा गीत या ध्वज गीत की रचना करने वाले श्यामलाल गुप्त 'पार्षद' कानपुर में नरवल के रहने वाले थे। यह गीत उन्होंने गणेश शंकर 'विद्यार्थी' जी को भेज दिया, जो उन्हें बहुत पसन्द आया। जब यह गीत महात्मा गांधी के पास गया, तो उन्होंने गीत को छोटा करने की सलाह दी। आखिर में, 1938 में कांग्रेस के अधिवेशन में नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने इसे देश के "झण्डा गीत" की स्वीकृति दे दी। यह ऐतिहासिक अधिवेशन हरिपुरा में हुआ था। नेताजी ने झण्डारोहण किया और वहाँ मौजूद करीब 5 हजार लोगों ने श्यामलाल गुप्त पार्षद द्वारा रचे झण्डा गीत को एक सुर में गाया। 7 पद वाले इस मूल गीत से बाद में कांग्रेस नें तीन पद (पद संख्या 1, 6 व 7) को संशोधित करके ‘ध्वजगीत’ के रूप में मान्यता दी। यह गीत न केवल राष्ट्रीय गीत घोषित हुआ बल्कि अनेक नौजवानों और नवयुवतियों के लिये देश पर मर मिटनें हेतु प्रेरणा का स्रोत भी बना।
 
विजयी विश्व तिरंगा प्यारा, झंडा ऊंचा रहे हमारा।
सदा शक्ति बरसाने वाला, प्रेम सुधा सरसाने वाला,
वीरों को हरषाने वाला, मातृभूमि का तन-मन सारा।।
झंडा...।
स्वतंत्रता के भीषण रण में, लखकर बढ़े जोश क्षण-क्षण में,
कांपे शत्रु देखकर मन में, मिट जाए भय संकट सारा।।
झंडा...।
इस झंडे के नीचे निर्भय, लें स्वराज्य यह अविचल निश्चय,
बोलें भारत माता की जय, स्वतंत्रता हो ध्येय हमारा।।
झंडा...।
एक साथ सब मिलकर गाओ, प्यारा भारत देश हमारा।।
झंडा...।
इसकी शान न जाने पाए, चाहे जान भले ही जाए,
विश्व-विजय करके दिखलाएं, तब होवे प्रण पूर्ण हमारा।। झंडा...।
विजयी विश्व तिरंगा प्यारा, झंडा ऊंचा रहे हमारा।

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