हिन्दू जीवन पद्धति की नींव महाराज जनक की बेटियां
कर्म फल का एक उदाहरण मिलता है कि कैकई को अपने दुष्कर्मों की सजा , कृष्ण युग में मिला जब कैकई का जन्म देबकी के रूप में हुआ और कष्ट को प्राप्त हुआ और माता कौशल्या जी को पुण्य फल भी इसी समय मिला जब वे यशोदा के रूपमें जन्मी और ईश्वर नें उनके साथ बाल लीलाएं कर वात्सल्य की अनुपम छटा बिखेरी । रामचरितमानस और हिन्दू जीवन पद्धति का मूल आधार त्याग और कर्तव्यनिष्ठा है । इसी का एक वृतांत यहाँ प्रस्तुत है । --------- "रामायण" क्या है?? 'रामायण सतकोटि अपारा' और 'हरि अनंत हरिकथा अनंता' अगर कभी पढ़ो और समझो तो आंसुओ पे काबू रखना....... रामायण का एक छोटा सा वृतांत है, उसी से शायद कुछ समझा सकूँ... एक रात की बात हैं, माता कौशल्या जी को सोते में अपने महल की छत पर किसी के चलने की आहट सुनाई दी। नींद खुल गई, पूछा कौन हैं ? मालूम पड़ा श्रुतकीर्ति जी (सबसे छोटी बहु, शत्रुघ्न जी की पत्नी)हैं । माता कौशल्या जी ने उन्हें नीचे बुलाया | श्रुतकीर्ति जी आईं, चरणों में प्रणाम कर खड़ी रह गईं माता कौशिल्या जी ने पूछा, श्रुति ! इतनी रात को अकेली छत पर क्या कर रही हो बेटी ? क्या नींद नहीं आ