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हिन्दू जीवन पद्धति की नींव महाराज जनक की बेटियां

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कर्म फल का एक उदाहरण मिलता है कि कैकई को अपने दुष्कर्मों की सजा , कृष्ण युग में मिला जब कैकई का जन्म देबकी के रूप में हुआ और कष्ट को प्राप्त हुआ और माता कौशल्या जी को पुण्य फल भी इसी समय मिला जब वे यशोदा के रूपमें जन्मी और ईश्वर नें उनके साथ बाल लीलाएं कर वात्सल्य की अनुपम छटा बिखेरी ।  रामचरितमानस और हिन्दू जीवन पद्धति का मूल आधार त्याग और कर्तव्यनिष्ठा है । इसी का एक वृतांत यहाँ प्रस्तुत है । --------- "रामायण" क्या है??  'रामायण सतकोटि अपारा'   और  'हरि अनंत हरिकथा अनंता' अगर कभी पढ़ो और समझो तो आंसुओ पे काबू रखना....... रामायण का एक छोटा सा वृतांत है, उसी से शायद कुछ समझा सकूँ... एक रात की बात हैं, माता कौशल्या जी को सोते में अपने महल की छत पर किसी के चलने की आहट सुनाई दी।  नींद खुल गई, पूछा कौन हैं ? मालूम पड़ा श्रुतकीर्ति जी (सबसे छोटी बहु, शत्रुघ्न जी की पत्नी)हैं । माता कौशल्या जी ने उन्हें नीचे बुलाया | श्रुतकीर्ति जी आईं, चरणों में प्रणाम कर खड़ी रह गईं माता कौशिल्या जी ने पूछा, श्रुति ! इतनी रात को अकेली छत पर क्या कर रही हो बेटी ?  क्या नींद नहीं आ

मन की बात कार्यक्रम के सौंवे एपीसोड के शुभअवसर पर शुभकामना पत्र

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महान प्रेरणाओं का पुष्पगुच्छ “मन की बात” कार्यक्रम के सौंवे एपीसोड के शुभअवसर पर शुभकामना पत्र A bouquet of great inspirations Greetings on the auspicious occasion of the hundredth episode of “Mann Ki Baat” program….            शुभकामना पत्र “मन की बात” कार्यक्रम के सौंवे एपीसोड के शुभअवसर पर.... सम्मानीय, श्री नरेंद्र मोदी जी प्रधानमंत्री, भारत सरकार, नई दिल्ली। आदरणीय, भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने “मन की बात” कार्यक्रम के सौवें एपिसोड के प्रसारण पर कोटि कोटि शुभकामनाओं के साथ बताना चाहता हूं कि हम सभी इस शुभ अवसर की प्रतिक्षा में उत्साहित हैं। जब यह कार्यक्रम प्रारम्भ किया जा रहा था, तब किसा नें नहीं सोचा था कि " यह कार्यक्रम बेहद लोकप्रिय होने के साथ - साथ भारत के समाज जीवन में व्याप्त अदम्य साहस, संघर्ष और मेधा को उभार कर समाज को मार्गदर्शन देने की क्षमता का विराट प्रेरणा स्थल बन जायेगा !" " एक ऐसा महान प्लेटफार्म जो देशवासियों को कुछ कर गुजरने के साहस से भर दे,उन्हे मार्गर्दिशत करना ।  भारत के सामाजिक जीवन की विशालता , विराटता और अद्भुत साहस व शौर्य

परिवारों में बदलता चरित्र चिंता का विषय - अरविन्द सिसोदिया

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परिवारों में बदलता चरित्र चिंता का विषय - अरविन्द सिसोदिया परिवार का पहला आधार है प्रेम और विश्वास ही है @ दुर्व्यवहार, छल, कपट, चोरी,धोका और बेईमानी जहर के बराबर होती है....। परिवार की विश्वशनीयता पर पराकाष्ठा के समर्पण के करोड़ों प्रमाण भारतीय संस्कृति में मिलते हैं। आज भी रामायण की सामाजिक स्वीकृति विश्व में सर्वोच्च इसीलिये है कि  वह परिवार व्यवस्था की पोषक है। व्यवस्था का निर्माण करती है। भारत में सबसे मजबूत परिवार व्यवस्था है , विश्व के मुकाबले यह अभी भी सबसे मज़बूत बनी हुई है। किन्तु पिछले 10-15 वर्षों में इसमें भारी गिरावट आई है। विशेष कर पुत्रों का व्यवहार गंभीरतम गैर जिम्मेदारीपूर्ण हुआ है। भारत में वृद्धआश्रम खुलना समाज को गंभीर चेतावनी है। माता पिता और भाई बहन के प्रति स्वार्थपूर्णता से सोचने की प्रवर्ती गंभीर संकटों को उपस्थित करने वाले हैं। जो "मां" संतान को नौ महीनेँ तक गर्भ में रखती है, जीवन को दाव पर लगा कर संतान को जन्म देती है। भूखी प्यासी रह कर पालन पोषण करती है। हारी बीमारी से बचाती है।माँ ही पहली गुरु भी होती है। उसी मां से साथ पुत्र गंभीतर उपे

केजरीवाल जी, मफलर तो उतर गया - अरविन्द सिसोदिया

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 केजरीवाल जी, मफलर तो उतर गया - अरविन्द सिसोदिया Mr. Kejriwal, the muffler has come off - Arvind Sisodia भारत की राजनीति को जिस व्यक्ति नें तमाम आरोपों से प्रश्न चिन्हित किया था और तमाम सादगीओं की दुहाई दी थी। आज वह स्वयं उससे सरोवोर है, नहाया हुआ है, तो इसे क्या कहा जाये । दिल्ली में अन्ना हजारें का मंच और उससे बरसती सादगी और नैतिकता की तमाम बर्षात स्वयं बह गई ? उन  महान और बडी बडी बातों से आज , अरविन्द केजरीवाल के रूप में अपना मफलर उतर गया है। अब लोकपाल जैसी संस्था स्वयं औचित्यहीन हो गई है। The person who questioned India's politics with all the allegations and called for all the simplicity. Today he himself is a lake with him, he is bathed, so what can it be called. Anna Hazare's stage in Delhi and all the rain of simplicity and morality that rained from it washed away by itself? Today, Arvind Kejriwal has taken off his muffler from those great and big things. Now the institution like Lokpal itself has become irrelevant. सवाल यह है ही नहीं कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द के

बौद्धिक संपदा की जननी भारत ही है - अरविन्द सिसोदिया

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  बौद्धिक संपदा की जननी भारत ही है - अरविन्द सिसोदिया India is the mother of intellectual property - Arvind Sisodia आज विश्व बौद्धिक संपदा दिवस मना रहा है, यह 26 अप्रैल को पूरे विश्व में मनाया जाता है। इस दिवस को मूल रूप से पेटेंट संबंधी नियम कानूनों के प्रचार प्रसार की दृष्टि से अधिक महत्व दिया गया है। Today is celebrating World Intellectual Property Day, it is celebrated all over the world on 26th April. This day has basically been given more importance from the point of view of publicity of patent related rules and laws. अपनी बुद्धि के सृजित या अनुसंधानकृत या परिश्रम से जो बौद्धिक स्तर का ज्ञान अथवा तकनीक या कुछ बिलकुल नया अर्जित किया करते है, उस पर अपने एकाधिकार को, स्वामित्व को बनाये रखना और फिर उससे आय प्राप्त करते रहने की व्यवस्था संबंधी एक नियमावली को पेटेंट कानून के रुप में जाना जाता है और इसी का जनजागरण इस दिवस के माध्यम से किया जाता है। Patent law is a set of rules for maintaining its monopoly, ownership and then earning income from intellectual level knowledge or technology