राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ


संघ का पूरा नाम क्या है ? 
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ। 
संघ के संस्थापक कौन है ?

डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार। डॉ. जी स्वातंत्र्य सेनानी थे। उन्होंने अपना पूरा जीवन राष्ट्र सेवा में ही समर्पित किया था।

संघ की स्थापना कहाँ और कब हुई ?

नागपुर में, 1925 में।

संघ का सदस्य कौन बन सकता है ?

कोई भी हिंदू पुरूष संघ का सदस्य बन सकता है |

संघ की सदस्यता की प्रक्रिया क्या है ?

संघ सदस्यता की कोई औपचारिक प्रक्रिया नहीं है। कोई भी व्यक्ति नजदीक की संघ शाखा में जाकर संघ मेंसम्मिलित हो सकता है। संघ सदस्य को स्वयंसेवक कहते है। उसके लिए कोई भी शुल्क या पंजीकरण प्रक्रिया नहीं है।

संघ के कार्यक्रमों में गणवेष क्यों होता है ? क्या यह स्वयंसेवक बनने के लिए अनिवार्य है ? उसको कैसे प्राप्त किया जाता है ?

संघ में शारीरिक कार्यक्रमों के द्वारा एकता का, सामूहिकता का संस्कार किया जाता है। इस हेतू गणवेष उपयुक्त होता है।परन्तु गणवेष विशेष कार्यक्रमों में ही पहना जाता है। नित्य शाखा के लिए वह अनिवार्य नहीं है। गणवेष कीउपयुक्तता ध्यान में आने पर हर स्वयंसेवक अपने खर्चे से गणवेष की पूर्ति करता है।

संघ का शाखा में निक्कर पहनने पर आग्रह क्यों है ?

यह आग्रह का नहीं परन्तु सुविधा का विषय है। शाखा में प्रतिदिन शारीरिक कार्यक्रम होते हैं।उसके लिए निक्कर यह सुविधाजनक तथा सबके लिए संभव ऐसा वेष है।

शाखा क्या है ?

किसी निश्चित भौगोलिक क्षेत्र के स्वयंसेवकों के एक घण्टे के प्रतिदिन मिलन को शाखा कहते है।

एक घण्टे की शाखा में प्रतिदिन क्या कार्यक्रम होते हैं ?

प्रतिदिन की एक घण्टे की शाखा में विविध शारीरिक व्यायाम, खेल, देशभक्ति गीत, विविध राष्ट्र हित के विषयों पर चर्चा तथा भाषण और मातृभूमि की प्रार्थना होती है।

संघ की भारत में कितनी शाखा और कितने स्वयंसेवक है ?

भारत में शहर और गाँव मिलाकर ५०,००० स्थानोंपर संघ की शाखा है | औपचारिक सभासदत्व न होने के कारण स्वयंसेवकों की संख्या बताना कठिन है |

टिप्पणियाँ

इन्हे भी पढे़....

Veer Bal Diwas वीर बाल दिवस और बलिदानी सप्ताह

अटलजी का सपना साकार करते मोदीजी, भजनलालजी और मोहन यादव जी

तेरा वैभव अमर रहे माँ, हम दिन चार रहें न रहे।

सेंगर राजपूतों का इतिहास एवं विकास

सफलता के लिए प्रयासों की निरंतरता आवश्यक - अरविन्द सिसोदिया

रामसेतु (Ram - setu) 17.5 लाख वर्ष पूर्व

हमारा देश “भारतवर्ष” : जम्बू दीपे भरत खण्डे

हम ईश्वर के खिलोने हैँ वह खेल रहा है - अरविन्द सिसोदिया hm ishwar ke khilone

माता पिता की सेवा ही ईश्वर के प्रति सर्वोच्च अर्पण है mata pita ishwr ke saman

हमारा शरीर, ईश्वर की परम श्रेष्ठ वैज्ञानिकता का प्रमाण