बजरंग दल को पीएफआई के साथ जोड़ना ही हिन्दुओं का अपमान - अरविन्द सिसोदिया bajarng dal

बजरंगदल को पीएफआई के साथ जोड़ना ही हिन्दुओं का अपमान - अरविन्द सिसोदिया
भारत में जिस तरह कांग्रेस की विद्यार्थी विंग एन एस यू आई है, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विचारों की विद्यार्थी क्षेत्र में  ए वी व्ही पी है,  इसी तरह अलग अलग दलों एवं संस्थाओं के युवा व विद्यार्थी संगठन हैं। इसी तरह हिन्दुओं की युवा शाखा बजरंग दल को कहा जा सकता है। यह पूर्ण अनुशासित और राष्ट्रीय हितचिंतक है, कानून का संरक्षक है।  कांग्रेस के पास भी सेवादल के नाम से एक संगठन जो इसी तरह कार्य करता है। ये संगठन देश विरोधी गतिविधियों में लिप्त नहीं कहे जा सकते।

बजरंग दल भारत माता के लिए समस्त प्रकार के बलिदान के लिए तैयार रहने वाला संगठन है। इसलिए यह तो कल्पना भी नहीं की जा सकती कि वह गलत संगठन है।

बजरंग दल की स्थिति वही है जो घर में युवा किशोर बालकों की होता है, वे घर के तमाम कार्यों को गृह स्वामी की अनुशंसा पर करते रहते हैं। अर्थात कार्यक्रम सम्पन्न करवाने वाली टोली इसे कहा जा सकता है।

जैसे भाजपा में युवा मोर्चा का कार्य है वैसे ही विश्व हिन्दू परिषद में बजरंग दल का कार्य है।

इसलिए कोई भी बजरंग दल को सेवादल जैसा, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद जैसा तो कह सकता है, किन्तु किसी आतंकवादी या अलगाववादी या उग्रवादी जैसा नहीं कह सकता। कांग्रेस की मानसिकता यहीं उजागर होती है कि उन्होंने जान बूझ कर प्रतिबंधित संगठन पी एफ आई के साथ बजरंग दल को जोड़ कर, उसे भी गैर कानूनी गतिविधि वाला संगठन बताने कि कोशिश की, जो कि शुद्धरूप से हिन्दुओं की भावनाओं को आहत करने वाला था। 

बजरंग दल  को लेकर कर्नाटक में येशा कुछ था ही नहीं जो उसे बैन करने की बात घोषणा पत्र में उठाई गईं, बल्कि कांग्रेस ने बजरंगदल को जानबूझ कर तुष्टिकरण हेतु, वर्ग विशेष के आकाओं को खुश करने जो पी एफ आई के साथ जोड़ा इसी कारण पूरे देश में इसका व्यापक विरोध हो रहा है। यही वजह है कि बजरंग बली कर्नाटक ही नहीं पूरे देश में कांग्रेस के विरुद्ध मुद्दा बन गये हैं।

कुछ लोग बजरंग दल पर कुछ प्रश्न उठाते हैं यूँ तो वे सब बातें झूठी व बेबुनियाद हैं। किन्तु यह तो सभी देशवासियों का कर्तव्य है कि हिन्दुओं बुरा करने वाली बातों का विरोध करें। यह तो सभी नागरिकों का लोकतान्त्रिक कर्तव्य है कि देश कि व देश कि कानून व्यवस्था का संरक्षण करें।

यह मुद्दा कांग्रेस को राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ चुनाव में भी फेस करना पड़ेगा, क्यों कि यह मुद्दा भारत के नागरिकों की आस्था से भी जुडा हुआ है।

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