ममता बनर्जी आतंकवादियों से बेटियों को सावधान क्यों नहीं होनें देना चाहतीं ?- अरविन्द सिसौदिया The Kerala Story and mamta banrji

ममता बनर्जी आतंकवादियों से बेटियों को सावधान क्यों नहीं होनें देना चाहतीं ?- अरविन्द सिसौदिया

- बेटियों को सावधान क्यों नहीं होनें देना चाहती ममता बैनर्जी , वोट बैंक को लेकर इतनी बडी गिरावट शेम शेम ।।

- बेटियां बचाओ, द केरल स्टोरी दिखाओ !

पूर्व कांग्रेसी एवं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी नें बिना किसी कारण के द केरला स्टोरी नामक फिल्म को पश्चिम बंगाल में प्रतिबंधित की, इस प्रतिबंध को सर्वोच्च न्यायालय ने हटा दिया । इससे पूर्व में भी केरल हाईकोर्ट ने बहुत स्पष्टता से कहा है कि यह फिल्म किसी पंथ सम्प्रदाय के खिलाफ नहीं बल्कि आतंकवादी गतिविधियों के खिलाफ है। स्वयं केरल सरकार तक ने इसे बैन नहीं किया । यह फिल्म विदेशों में भी रिलीज हुई है।

मूलतः द केरल स्टोरी भारत ही नहीं तमाम दुनियां की बेटियों को सावधान करती हैं सावचेत करतीं है। कि लव जिहाद में भोली भाली लडकियों को फंसा कर किस तरह उनकी जिन्दगी नर्क बना दी जाती है.....। ममता बनर्जी एक राज्य की मुख्यमंत्री हैं , उन्हे अपने राज्य की लडकियों के हितों की चिन्ता करनी चाहिये थी...। किन्तु चिन्ता उन्होनें आतंकवादियों के आसुरी मुसूबों को ढांकनें की ! यह घोर आश्चर्यजनक व निंदनीय होनें के साथ साथ उनकी समझ की अयोग्यता का भी प्रमाणित करता है।  वोट बैंक की राजनिती में अपराध को और आपराधिक मानसिकता के तलवे चाटनें की इजाजत नहीं दी जा सकती। सर्वोच्च न्यायालय नें निर्णय सत्य के पक्ष में दे दिया है। किन्तु जबावदेही अभी भी पश्चिम बंगाल सरकार की है कि वह इस फिल्म को अधिकतम दिखानें की व्यवस्था करे ताकि बेटियां ही नहीं उनके अविभावक भी सावधान हों।


द केरल स्टोरी सुदीप्तो सेन द्वारा निर्देशित और विपुल शाह द्वारा निर्मित हिंदी भाषा की एक भारतीय फिल्म है। कथानक केरल की महिलाओं के एक समूह की कहानी है जो धर्मान्तरित होकर मुसलमान बन जाती हैं और चरमपंथी इस्लामिक स्टेट ऑफ़ इराक एंड सीरिया में शामिल हो जाती हैं। .....याद रहे कि केरल में हाईकोर्ट व वरिष्ठजन इस बात से चिन्तित है कि हिन्दू व इसाई लडकियां गायब होनें के बाद कहां जाती है। 

The Kerala Story:
इन चार लड़कियों की कहानी है ‘द केरल स्टोरी’, पर्दे पर दिखाए गए चेहरों के पीछे छिपी हैं कई गुमनाम जिंदगियां

फिल्म डायरेक्टर सुदिप्तो सेन के निर्देशन में बनी 'द केरल स्टोरी' शालिनी, नीमा और गीतांजलि नाम की लड़कियों पर आधारित है, जो नर्स बनने का सपना लिए घर से दूर एक कॉलेज में आती हैं और फिर उनकी मुलाकात आसिफा से होती है। आसिफा एक फंडामेंटलिस्ट है और जैसे-जैसे फिल्म की कहानी आगे बढ़ती है, वैसे-वैसे यह पता चलता है कि वह आईएसआईएस के लिए लड़की भेजने का काम करती है।  फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे आसिफा अपने साथियों की मदद से उन तीन लड़कियों का ब्रेनवॉश करके उन्हें अपना धर्म बदलने के लिए उकसाती है।

शालिनी बनी फातिमा
आसिफा अपने प्लान में कामयाब हो जाती है और तीनों लड़कियों में शालिनी सबसे पहले उससे प्रभावित हो जाती है और अपना धर्म बदल लेती है और अब वह फातिमा बा बन चुकी होती है। इतना ही नहीं शालिनी को आसिफा के एक दोस्त से प्यार भी हो जाता है। दोनों इसके बाद शादी कर लेते हैं। इसके बाद फिल्म की कहानी में जबर्दस्त मोड़ आता है और फातिमा बन चुकी शालिनी अपने बच्चे के साथ इराक-सीरिया बॉर्डर पर नजर आती है। ऐसा क्या हुआ और कैसे हुआ फिल्म इसी की कहानी बयां करती है। हालांकि, नीमा और गीतांजलि , शालिनी की तरह आईएसआईएस तक तो नहीं गई, लेकिन उन्हें इसका नतीजा भारत में रहकर ही भुगतना पड़ा।
फिल्म को लेकर उठ रही बैन करने की मांग
बता दें कि तीन लड़कियों की कहानी को 32 हजार लड़कियों की कहानी बताने को लेकर द केरल स्टोरी पर काफी विवाद हो चुका है। फिल्म को बैन करने की मांग अभी भी देश के कई राज्यों में की जा रही है। 

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 पश्चिम बंगाल व तमिलनाडु में ’द केरला स्टोरी’ को राज्य सरकारों ने बैन किया था जिस पर पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की । सुनवाई में पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से वकील वरिष्ठ कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि फिल्म से लोगों के भड़कने का खतरा था। इस पर चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि लोगों की भावनाओं के आधार पर आप मौलिक अधिकार बाधित नहीं कर सकते हैं। कानून-व्यवस्था संभालना सरकार का काम है। अगर किसी ज़िले की विशेष स्थिति के चलते रोक लगती तो अलग बात थी, आपने पूरे राज्य में रोक लगाई है।’


द केरला स्टोरी पर लगी रोक के खिलाफ फिल्म निर्माताओं की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है. याचिका में पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु में फिल्म पर लगी रोक हटाने की मांग की गई है। वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे निर्माताओं का पक्ष रखते हुए शीर्ष अदालत से कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार ने 12-13 लोगों से बयान लिए और फिल्म पर रोक लगा दी जबकि पूरे देश में फिल्म आराम से चल रही है।
साल्वे ने कहा, पश्चिम बंगाल सरकार कह रही है कि महाराष्ट्र में एक हिंसा की घटना हुई थी, यह अजीब बात है। अगर वहां कोई हिंसा हुई भी है, तो इसकी बात बंगाल सरकार क्यों कर रही है ? उन्होंने कहा कि जब सेंसर बोर्ड का सर्टिफिकेट मिल गया है। तो राज्य रोक नहीं लगा सकते। वहीं, फिल्म का विरोध कर रहे वकील वरिष्ठ कांग्रेसी कपिल सिब्बल और कलीश्वर ने कहा कि कोर्ट को खुद इस फिल्म को देखना चाहिए। हालांकि, पीठ ने इस पर कोई टिप्पणी नहीं की।


सीजेआई ने क्या कहा ?
सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि हम पश्चिम बंगाल सरकार की तरफ से फिल्म पर 8 मई को लगाई गई रोक को हटा रहे हैं। इस रोक का कोई पुख्ता आधार नज़र नहीं आ रहा है। उन्होंने कहा कि हम तमिलनाडु सरकार के इस बयान को रिकॉर्ड पर ले रहे हैं कि उसने कोई रोक नहीं लगाई है। थिएटर मालिकों पर फिल्म न दिखाने के लिए कोई दबाव भी नहीं बनाया गया है। हम निर्देश दे रहे हैं कि फ़िल्म दिखाने वाले सिनेमा हॉल को पर्याप्त सुरक्षा दी जाए। सरकार या उससे जुड़े लोग सिनेमाघर मालिकों पर किसी तरह का दबाव न बनाएं।

सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि फिल्म के निर्माता इस बात का डिस्क्लेमर लगाएं कि 32 हज़ार लड़कियों के गायब होने का आंकड़ा पुख्ता नहीं है। 20 मई को शाम 5 बजे तक यह डिस्क्लेमर लगा दिया जाए। इस मामले में अब 18 जुलाई को सुनवाई होगी। उन्होंने कहा कि फ़िल्म पर रोक से मना करने के मद्रास और केरल हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ हम जुलाई के दूसरे हफ्ते में सुनवाई करेंगे।


सीएम ममता बनर्जी ने बैन क्यों लगाया था ?
पश्चिम बंगाल सरकार ने फिल्म ’द केरला स्टोरी’ पर 8 मई को बैन लगाया था। इस दौरान मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से जब प्रतिबंध के बारे में सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि राज्य में शांति बनाए रखना के लिए ऐसा किया गया है। हम ऐसा करके हिंसा को रोकना चाहते हैं।

बनर्जी ने कहा था कि कश्मीरी फाइल्स फिल्म क्यों बनाई ? एक समुदाय को नीचा दिखाने के लिए ऐसा किया गया। केरल फाइल क्या है ? अब केरल को नीचा दिखाने की कोशिश की जा रही है। इस फैसले के खिलाफ ’द केरला स्टोरी’ के निर्माता सनशाइन प्रोडक्शन ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।

 
बंगाल सरकार ने कही थी ये बात
इससे पहले सुनवाई में पश्चिम बंगाल सरकार ने फिल्म पर प्रतिबंध लगाने के फैसले को सही ठहराया था, सुप्रीम कोर्ट में दिए हलफनामे में पश्चिम बंगाल सरकार ने कहा था कि फिल्म ’द केरला स्टोरी’ मनगढ़ंत तथ्यों पर आधारित है और इसमें हेट स्पीच है जो सांप्रदायिक भावनाओं को आहत कर सकती है। समुदायों के बीच नफरत पैदा कर सकती है जिससे राज्य में कानून व्यवस्था खराब हो सकती है। हलफनामे में पश्चिम बंगाल सरकार ने प्रतिबंध के पीछे खुफिया सूचनाओं को आधार बनाया है।

याचिका में क्या था ?
पश्चिम बंगाल सरकार के इस फैसले के खिलाफ ’द केरला स्टोरी’ के निर्माता सनशाइन प्रोडक्शन ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। प्रोडक्शन ने अपनी याचिका में कहा था कि सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन ने मूवी  का पास कर दिया तो क्यों नहीं दिखाय़ा जा रहा है ? इसमें दावा किया गया था कि तमिलनाडु में भी प्रतिबंध लगाया गया है।



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