लोकसभा 2024 : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ही होंगे - अरविन्द सिसोदिया PM 2024 Narendr Modi Ji

 


लोकसभा 2024 : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ही होंगे - अरविन्द सिसोदिया


भारत में लोकसभा और विधानसभा के चुनावों में अब अलग अलग रूझान आने लगे है। कर्नाटक में 2013 व 2018 में गैर भाजपा सरकारें बनी मगर लोकसभा 2014 और लोकसभा 2019 में इसी कर्नाटक में भाजपा ने शानदार जानदार जीतें दर्ज कीं। जबकि समय का अंतर मात्र 1 वर्ष ही था। इन दोनों चुनावों में कर्नाटक में पहले 2013 में कांग्रेस की सरकार बनी तो 2018 में कांग्रेस के समर्थन से जेडीएस की सरकार बनीं थी। इसलिये कर्नाटक से लोकसभा में आनें वाले परिणाम तो अभी से दिख रहे हैं। 

            अरविन्द सिसोदिया 9414180151

लोकसभा के लगभग 6 महीनें पहले हुये विधानसभा चुनावों का भी लोकसभा में कोई असर नहीं दिखता है। गत 2018 में राजस्थान, मध्यप्रदेश व छतीशगढ में कांग्रेस ने राज्य सरकारें बनाईं थीं और लोकसभा 2019 में इन्ही तीनों राज्यों में कांग्रेस का सूपडा साफ हो गया था। 


अब मुफतखोरी वाले दिल्ली राज्य को भी देख लेते हैं। जहां लगातर आप पार्टी विधानसभा में जीत रही है मगर लोकसभा में भाजपा जीत दर्ज करती है। इसलिये विधानसभा के किसी भी चुनाव से लोकसभा को लेकर निष्कर्स नहीं पिकाला जा सकता । 


कांग्रेस भले ही विपक्षी एकता को लेकर उत्साहित हो मगर विपक्ष की समस्या भाजपा नहीं कांग्रेस ही है। जहां भी कांग्रेस मजबूत होगी वहां दूसरा विपक्षी दल सिमट जायेगा। कर्नाटक में भी यही हुआ कांग्रेस बडी तो देवगौडा की जेडीएस सिमट गई । सीटें भी कम हुईं और 5 प्रतिशता वोट बैंक भी कम हुआ।


पश्चिम बंगाल, ओडीसा,बिहार,झारखण्ड,उत्तरप्रदेश , दिल्ली और पंजाब में यदि कांग्रेस बडती है अधिक सीटें लाती है। तो नुकसान तो ममता बनर्जी , नवीन पटनायक, नितिश कुमार और लाल यादव, अखिलेश यादव व मायावती और अरविन्द केजरीवाल की पार्टियों के वोट ही कम होनें है। हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक गवाह हैं कि भाजपा का वोट बैंक स्थिर है वह कम नहीं हुआ है। यह हार जीत विपक्ष के वोटों की एक जुटता व बिखराव की है। गुजरात में कांग्रेस के वोट आप पार्टी ने काटे तो दिल्ली और पंजाब में कांग्रेस के वोट आप पार्टी ने काटे।  


अर्थात यह बहुत स्पष्ट है कि विपक्ष अब और अधिक डर गया है , सर्तक हो गया है। वह कांग्रेस से होनें वाले नफा नुकसान का आकलन कर रहा है। नितिश कुमार और तेजश्वि यादव का दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल से मिलना यही बताता है। उधर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री का कांग्रेस की अपने प्रभाव तक सीमित रहनें की सलाह, कांग्रेस में वोट शिफ्ट हो जानें का डर है। 


विपक्ष की एकता की कोई बडी इबारत सामनें इसलिये नहीं दिखती कि कांग्रेस दक्षिण भारतीय राज्यों में भी अपमान की राजनीति अभी अभी खेली है। 

सबसे बडी बात यह है कि भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के कद के सामनें अभी कोई नेता ठहरता ही नहीं है। उनकी स्थिती वर्तमान में  एकमात्र स्विकार्यता वाले नेता की है। 

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