कांग्रेस की समस्या आंतरिक शीत युद्ध - अरविन्द सिसौदिया congress ki samsya

 


 कांग्रेस की समस्या आंतरिक शीत युद्ध - अरविन्द सिसौदिया

राजस्थान में गत विधानसभा चुनाव में कांग्रेस सबसे बडी पार्टी प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलेट के नेतृत्व में जीती थी, मगर उन्हे महत्व न देकर मौल तौल के बाद अशोक गहलोत मुखयमंत्री बनें । इस तरह के निर्णय कई राज्यों में देखने मिले जिससे वास्तविक हकदार को बंचित कर दिया । इसी तरह की नाराजगी के चलते मध्यप्रदेश कांग्रेस के युवा नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया नें कांग्रेस को छोड दिया । यही तमाशा पंजाब में हुआ और नजीता वरिष्ठ कांग्रेसनेता व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह को राजनैतिकरूप से हलाल कर दिया गया व बाद में कांग्रेस भी बुरी तरह जनता द्वारा ठुकरा दी गई।

इस बात का कोई सबूत कमरों से बाहर कभी नहीं आयेगा कि कांग्रेस के सर्वेसर्वा नेहरू खनदान के गांधी परिवार में कौन किसके पक्ष में रहता है। मगर यह सच है कि सभी में मत भिन्नता रहती है। जिसके कारण कांग्रेस निर्णयों में छीछालेदर होती है। चाहे वे राज्यों के निर्णय हों या राष्ट्रीय अध्यक्ष चुनाव तक का विषय हो ।

कांग्रेस में गांधी परिवार के तीन सदस्य ही राजनीति में हैं जिसमें सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका वाड्रा ही प्रमुख हैं जो निर्णय की भूमिका में महत्वपूर्ण हैं। इनमें एकता नहीं है यह अपरोक्ष रूप से प्रदर्शित होती ही रहती है। कर्नाटक चुनाव के बाद अब प्रियंका पति रॉबर्ट वाड्रा भी कॉफी दिखे और प्रियंका गांधी के करीबी प्रवक्ता आचार्य प्रमोद कृष्णनम नें कांग्रेस की तरफ से प्रियंका गांधी को प्रधानमंत्री का चेहरा बनानें पर जोर देकर नई बहस छेड दी है।

कुल मिला कर कांग्रेस की समस्या गांधी परिवार और प्रांतस्तरीय गुटवाजी के मध्य चलने वाला शीत युद्ध है। इसी में कर्नाटक को लेकर निर्णय नहीं हो पा रहा है। 

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