Attack on Indian pride, not on Bajrang Dal - Arvind Sisodia

 
बजरंग दल पर नहीं,भारतीय अस्मिता पर हमला - अरविन्द सिसोदिया
Attack on Indian pride, not on Bajrang Dal - Arvind Sisodia
 
With the aim of getting Muslim votes in Karnataka, the Congress has made an election promise in its manifesto to ban Bajrang Dal, while also talking about giving unconstitutional Muslim reservation. Basically it is not an attack on Bajrang Dal but an attack on Indian identity.

Announcing such a ban on Tuesday in Karnataka, the birthplace of Hanuman ji, is a well thought out strategy. Which is a step taken by the Congress in order to please the special class. This announcement is also a guide to the anti-Hindu campaign of the Congress. Even before this, a long series of anti-Hindu statements have been coming from the head of the Congress.

Hindu is India's identity, culture and civilization. But since the period of independence, the attempts of Islamic rule and occupation on it are well known. Which the leaders of Aryasamaj strongly opposed and they kept on taking iron.

But even during that period, the Congress had surrendered to the violent Islamic mindset and this has been happening continuously in independent India as well. We can allege Congress on the basis of its decisions, programs and statements that it has been supportive of all efforts to make India Pakistan-2 on most of the occasions.


कर्नाटक में मुस्लिम वोट प्राप्ति के उद्देश्य से कांग्रेस नें अपने घोषणा पत्र में बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाने का चुनावी वायदा किया है, वहीं असंवेधानिक मुस्लिम आरक्षण देनें की बात भी कही है। मूलतः यह बजरंग दल पर नहीं बल्कि भारतीय अस्मिता आक्रमण है। 

हनुमान जी की जन्मस्थली कर्नाटक में मंगलवार के दिन इस तरह के प्रतिबंध की घोषणा, सोची समझी रणनीति है। जो वर्ग विशेष को खुश करने के अभियान के क्रम में कांग्रेस के द्वारा उठाया गया कदम है। यह घोषणा भी कांग्रेस के हिन्दू विरोधी अभियान का ही दिग्दर्शन है। इससे पूर्व भी एक लम्बी श्रृंखला हिन्दू विरोधी बयानों की कांग्रेस के श्रीमुख से आती ही रही है।

हिन्दू भारत की अस्मिता है, संस्कृति है सभ्यता है। किन्तु स्वतंत्रता के कालखण्ड से ही इस पर इस्लामिक हुकूमत और कब्जे के प्रसाय सर्वविदित हैं। जिसका आर्यसमाज के नेताओं ने जबरदस्त विरोध भी किया और वे लोहा लेते रहे थे .

 किन्तु उस कालखण्ड में भी कांग्रेस ने हिंसक इस्लामिक मानसिकता के आगे आत्मसमर्पण किया था और यह लगातार स्वतंत्र भारत में भी होता रहा है। कांग्रेस पर उसके निर्णयों, कार्यक्रमों और बयानों के आधार पर हम यह आरोप लगा सकते हैं कि वह भारत को पाकिस्तान -2 बनानें के सभी प्रयासों की ज्यादातर मौकों पर समर्थक रही है।

हलांकी अब भारतीय मुस्लिम ज्यादातर प्रदेशों में कांग्रेस के साथ नहीं है। वह कांग्रेस को वोट भी वहीं देता है जहां भाजपा के विकल्प में कोई दूसरा दल न हो । जैसे राजस्थान,मध्यप्रदेश, छतीशगढ और हिमाचल प्रदेश ! जहां भी भाजपा विरोधी दूसरा मजबूत दल है वहां भारतीय मुस्लिम अब दूसरे दल को वोट देता है कांग्रेस को नहीं। जैसे दिल्ली में आप पार्टी को, बंगाल में ममता बनर्जी को, उत्तरप्रदेश में सपा और बिहार में राजद को । इसी तरह अन्य प्रांतो में भी ..।

कर्नाटका में भी मुस्लिम वोट जेडीएस को जा रहा है, इससे कांग्रेस घबराई हुई है। कांग्रेस को डर है कि कहीं कांग्रेस नम्बर तीन न हो जाये। हलांकी वह यह भी जानती है कि हिन्दू वोटों के बिना कर्नाटक में किसी की सरकार नहीं बन सकती । मगर भाजपा कर्नाटक में नम्बर एक पर है, इससे कोई इंकार नहीं कर सकता ।

भारत लाखों वर्षपूर्व से हिन्दू राष्ट्र है, हिन्दू सनातन संस्कृति की महान सभ्यता का यह उदगम है। भारत पर 3000 वर्षों से विदेशी आक्रमणकारी हमले करते आरहे हैं, कभी शक हूण मंगोल और यूनानी तो कभी खलीफा प्रेरित मुग़ल आक्रमण तो, ईसाई ब्रिटेन का आक्रमण हुआ, कमोवेश इनके साम्राज्य भी  रहे। जिसमें हिसक़ धर्मानांतरण हुये।जब भारत स्वतंत्र हो रहा था, तब उसका पूर्ण हिन्दू साम्राज्य के रूप में स्वतंत्र होनें का अधिकार था।

भारत को पूर्ण हिन्दू स्वतंत्र राष्ट्र ब्रिटेन नहीं बनने देना चाहता था, उसने जिन्ना को उकसा कर भारत भेजा और कांग्रेस नें ब्रिटेन का पूरा पूरा सपोर्ट किया। कांग्रेस ब्रिटेन के विरुद्ध संघर्ष करती तो आज अखंड भारत होता। कांग्रेस की करनी और कथनी हमेशा ही एक दूसरे के विपरीत रही है। उसने हमेशा हिन्दू हितों को नजर अंदात कर मुस्लिम तुष्टिकरण की नीती पर काम किया । इसी कारण भारत में आतंकवाद, अलगाववाद, उग्रवाद, धर्मान्तरण, लवजिहाद, जनसंख्या जिहाद सहित तमाम वे कारक तत्व मौजूद है। जो भारत को पाकिस्तान -2 बनाने के लिये आवश्यक हैं।  

कांग्रेस यूँ तो तुष्टिकरण की नीती पर अंग्रेजों के जमाने से ही चलती आ रही है, वाकायदा भारत विभाजन पर इन्होंने हस्ताक्षर किये थे। कांग्रेस की सहमति से पाकिस्तान बनने के बाद भी कांग्रेस ने हमेशा हिन्दू हितों की घोर उपेक्षा की और भारत में एक और पाकिस्तान बन जाये इस तरह की तमाम गतिविधियों का पोषण किया, संरक्षण किया। भारत के संविधान में हिन्दू हितों की घोर उपेक्षा करने वाला दल कांग्रेस ही था। हिन्दू कानून के लिये ही बाबा साहब अंबेड़कर नें भारत सरकार से इस्तीफा दिया था।

भारत में हिन्दुओं का, भारतीयों का सही सही हित चिंतन संघ परिवार ही करता आरहा है। संघ को भारत भक्ती या राष्ट्रभक्ति से रोकनें के लिये तीन बार कांग्रेस ने ही प्रतिबंध लगाये। संघ पर प्रतिबंध लगा कर कांग्रेस ने भारत के हिन्दुओं को जाग्रत करनें का कार्य किया। सोया हुआ हिन्दू भी जागा और भारत के हित चिन्तक भी जागे। कांग्रेस जितना संघ परिवार का विरोध करता गया , भारत में भारत के हित चिंतक उतनें की जाग्रत एव एकत्र होते गये।

भारत के लोगों के सामने राष्ट्र विरोधी षडयंत्रो को संघ नें ही रखता है। भारत का अहित करने वाली तमाम बातों से देश को संघ नें ही परिचित करवाया। संघ ने जेल जाना पशंद किया मगर राष्ट्रहित से कभी समझौता नहीं किया। वे वो लोग हैं जिन्होनें 18 -18 महीनें निर्दोष जेलों बिताये किन्तु कांग्रेस के अहंकार के आगे झुके नहीं। हिन्दुओं के धर्मानांतरण में लगीं मिशनरीयीं और इस्लामिक गतिविधियों को रोक देनें का महान साहस किसी सरकार नें नहीं बल्कि सबसे पहले संघ नें ही किया । यूं तो संघ सिर्फ लोक शिक्षण का कार्य करता है। उसके स्वयंसेवक विविध क्षेत्र में जाकर अपने शिक्षण में प्राप्त ज्ञान से देश सेवा करते है। उन्हे किसी अन्य विशेष ड्रिग्री की जरूरत नहीं होती। वे अपने कार्यकौशल की दम पर देश को प्रतिष्ठा दिलाते है। उन्ही में पंण्डित दीनदयाल उपाध्याय,अटलबिहारी वाजपेयी,नानाजी देशमुख,सुन्दरसिंह भंण्डारी,लालकृष्ण अडवाणी से लेकर नरेन्द्र मोदी, आदित्यनाथ योगी तक की श्रृंखला है। लाखों - करोडों स्वयंसेवक विविधक्षेत्रों में सक्रीय समाज सेवा देशहित के कार्य कर रहे हें।


कांग्रेस लगातार हिन्दू विरोधी मानसिकता से ग्रस्त रही है। साम्यवादी भी हिन्दू विरोधी ही रहे। अन्य बहुत सारे राजनैतिक दल व्यक्तिवादी, वंशवादी तो रहे मगर ज्यादातर हिन्दू हित चिंतक नहीं रहे, उन्हें भी वोट प्रथम हैं, हिन्दू प्रथम नहीं हैं। यही कारण है की हिन्दुओं की एकमात्र पशंदीदा पार्टी भाजपा है यही बात भारत के हितों को लेक़र भी है।

हिन्दुओं के लिये एक मात्र शुभचिंतक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ परिवार है और इसीलिये हिन्दू विरोधी दलों व संस्थाओं को भाजपा व संघ परिवार आँख की किरकिरी रहता है वे हमेशा ही संघ को कोसते रहते हैं।

कांग्रेस ने कर्नाटका में मुस्लिम वोटों को जनतादल सेक्यूलर में जानें से रोकनें के लिये संघ परिवार की संस्था बजरंग दल पर बैन लगानें का वायदा किया है। उसे पीएफआई के समकक्ष खडा किया ।  कांग्रेस की यह घोषणा मात्र वोट बैंक के खेल तक सीमित नहीं बल्कि उसकी मानसिकता से पर्दा उठना भी है। यह बजरंग दल पर नहीं बल्कि भारत की अस्मिता पर हमला है। पहले श्रीराम की जन्मस्थली पर मंदिर निर्माण में तमाम रोडे कांग्रेस नें ही अटकाये और अब उन्होनें बजरंग दल पर बैन के नाम पर हनुमान जी की जन्मस्थली कर्नाटक में मंगलवार के दिन घोषणापत्र जारी कर अपमानित करने वाला हमला कर दिया ।

याद रखिये हनुमान जी हिन्दुओं के नहीं बल्कि सभी भारतीयों के आदि देव हैं, वे माता सीतीजी के आर्शीवाद से चिरंजीवी हैं। कांग्रेस नें बजरंग दल पर बैन की बात करके तुष्ब्किरण का जो कार्ड खेलनें की कोशिश की है , वह उसे उल्टा पडनें वाला है। कर्नाटक की जनता कांग्रेस को सबक सिखा कर जबाव देगी।
 
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तुष्टीकरण - अन्तरराष्ट्रीय संदर्भ में, तुष्टीकरण (Appeasement) राजनय की वह शैली है जिसमें किसी आक्रामक शक्ति से सीधे संघर्ष से बचने के लिए उसे विभिन्न प्रकार की रियायतें दी जातीं हैं।

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