कांग्रेस की अपमानजनक क्रूर भाषा से भारत मुक्ति चाहता है - अरविन्द सिसोदिया

अरविन्द सिसोदिया

कांग्रेस की अपमानजनक क्रूर भाषा से भारत मुक्ति चाहता है - अरविन्द सिसोदिया
India wants freedom from the abusive cruel language of Congress - Arvind Sisodia

कांग्रेस ने कर्नाटक चुनाव के दौरान अपना घोषणा पत्र जारी करते हुये मंगलवार को बजरंग दल पर बेन लगाने की भी घोषणा की है, उसे पीएफआई के समकक्ष खडा करनें का प्रयत्न किया है। यह कांग्रेस के तुष्टिकरण की पराकाष्ठा का सबसे ताज़ा उदाहरण है। यह उसने कर्नाटका में मुस्लिम वोटों को प्राप्त करने के लिये किया है।

कर्नाटक चुनाव में भी कांग्रेस के बडे नेताओं के द्वारा अपामनजनक भाषा का अखाडा बन गया है। देश के चुने हुये प्रधानमंत्री को जो भारत सम्मानित नागरिक है, को कांग्रेस के अध्यक्ष जहरीला सांप कह रहे हैं उनका बेटा नालायक कह रहा है। क्या है ये ? क्या कांग्रेस अहंकार में बौरा गई है ? वह देश का मान - सम्मान भूल गई है। सामान्य शिष्टाचार भी भूल गई है।

अब समय आ गया कि देश की गरिमा को गिराने वाली भाषा, देश के संवैधानिक पदों पर बैठे नागरिकों को गरियाने वाली भाषा कठोर दण्ड से दंडनीय होनी चाहिए, प्रतिबंधित होनी चाहिए। सर्वोच्च न्यायालय ने हेट स्पीच पर स्वस्फूर्त रिपोर्ट दर्ज करने व कार्यवाही करने के लिये कहा है। किन्तु राजनैतिक दलों के नीचे काम करने वाली सरकारी मिशनरी इतना साहस नहीं कर पायेगी। इसके लिये प्रत्येक हाईकोर्ट को स्वप्रेरणा से हेट स्पीच के मामले दर्ज करने का अधिकार दिया जाना चाहिये। जो भाषा कांग्रेस बोल रही है उस तरह की भाषा कोई स्वदेशी भारतीय तो अपने ही देश के संवैधानिक पदों के विरुद्ध नहीं बोल सकता। केन्द्र सरकार को कानून बनाना चाहिये कि जितना बडा व्यक्ति हेड स्पीच करेगा उतनी ही बडी सजा होगी। जिसकी अपमानजनक भाषा से जितना व्यापक अपमान होगा उतनी ही बडी सजा होगी। - अरविन्द सिसोदिया

कांग्रेस पार्टी में जबसे इटालियन मूल की अंग्रेज महिला सोनिया गाँधी का वर्चस्व स्थापित हुआ, तभी से कांग्रेस में पुनः अंग्रेज भाव आ गया। यह भी सच है की कांग्रेस की स्थापना एक अंग्रेज अफसर नें ही की थी और कांग्रेस की स्थापना का मूल उद्देश्य भी भारतीय नागरिकों को अंग्रेज भक्त बनाना था। इस हेतु तब भी प्रयास हुये कि भारतीय अंग्रेज भक्त रहें।
(याद रहे - तत्कालीन कांग्रेस के दिग्गज नेता शरद पवार नें जब सोनिया गांधी (पूरा नाम एंटोनिया एडविग एलबिना माइनो Antonia Edvige Albina Maino) का इटालियन मूल की होने से विरोध किया था, कांग्रेस से निकाले जाने के बाद शरद पंवार नें राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी बनाई थी। )
(-राजीव गाँधी के साथ विवाह होने के 17 साल बाद उन्होंने 1983 में भारतीय नागरिकता स्वीकार की)

भारत पर विदेशी इसाईमत को मानने वाले ब्रिटिशों नें भारतीयों से हिंसा के बल पर सत्ता हस्तगत कर राज किया है। उन लोगों के व्यवहार जैसा व्यवहार करना " अंग्रेज भाव " है । इसका मतलब भारत के लोगों को गुलाम समझना, उनके साथ अपमानजनक व्यवहार करना अधिकार समझना , उनके नियम कानूनों , परम्पराओं को न मान कर उनका उपहास उड़ाना, उन पर अत्याचार करना अपना अधिकार मानना आदि आदि होता है। अंग्रेज भाव का मतलब ही भारतीयों पर अपना बर्चस्वभाव होनें का बोध या अहंकार का प्रगटीकरण है।

अंग्रेजों ने भारत की जनता पर मनमानें अत्याचार किये , उन्होनें भारत के  रजबाड़ों पर, भारत के नबावों पर, भारत के जमीदारों जागीरदारों पर असीमित अत्याचार किये। भारत की सांस्कृतिक एवं सामाजिक संस्थाओं - व्यवस्थाओं इस कई तरह के अत्याचार अनेकों शताब्दीयों तक किये हैं। विधवा महारानी लक्ष्मीबाई पर अंग्रेजों द्वारा किये गये अत्याचार उदाहरण हैं। अंग्रेजों द्वारा कालापानी की सजा देना मानवता पर कलंक थीं। सरदार रामसिंह कुका के गौ रक्षा आंदोलन से जुड़े भक्तों को तोपों के आगे बांध कर उड़ा देना विभत्स था। जलियांवाला बाग नरसंहार किसी से छुपा नहीं है।

वही मानसिकता कांग्रेस अपमानजनक शब्दों के रुपमें लगातार प्रस्तुत करती आ रही है। देश के संवैधानिक पदों के प्रति अपमान का भाव जो लगातार कई वर्षों से देखने समझने में आ रहा है, वह अंग्रेज भाव का दिग्दर्शन ही है। भारत के प्रधानमंत्री सरदार मनमोहन सिंह जी के द्वारा लाये जा रहे कानून को पत्रकारवार्ता में सार्वजनिकरूप से फाड़ देना इसी बर्चस्ववादी सोच का अहंकारी प्रदर्शन था।

कांग्रेस का वर्तमान नेहरू खानदान अन्य भारतीयों के प्रति हल्के किस्म के व्यवहार का आदी होता जा रहा है।   जब इटालियन व्यवसायी कवत्रोची भारत में आया था तो भारत सरकार का सचिवालय उसके कदमों से काँपता था। जो उनका खड़ा होकर सम्मान नहीं करता था, उसका पतन हो जाता था।

भोपाल गैस कांड के लिये जिम्मेवार अमेरिकन एडरसन को कांग्रेस की प्रदेश सरकार और कांग्रेस की केंद्र सरकार नें सुरक्षित अमेरिका पहुंचाया। इसी तरह क्वात्रोंची को फरार करवाया गया।

मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे तब भी सोनिया गाँधी के नेतृत्व में भारत के बहुसंख्यक समाज को परेशान करने वाला कानून संम्प्रदायिक हिंसा को लेकर बनाया गया, हलाँकि यह कानून बन नहीं पाया किन्तु इससे सोनिया गाँधी के मन में भारतीयों के प्रति क्या सोच है यह सच सामने आ गया। यही अंग्रेजीयत कांग्रेस के पतन का कारण बन गईं है।

कांग्रेस में सार्वजनिकरूप से हल्की भाषा का प्रयोग सोनिया गाँधी जी के समय से ही अस्तित्व में आया। प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी का एक यादगार भाषण है जो नेता प्रतिपक्ष सोनिया गांधी के कारण ही आया था।  

कांग्रेस में तुष्टिकरण क़ी नीती तो स्वतंत्रता संग्राम के कालखंड से ही थी, मगर पिछले कुछ दशकों में इसमें न केवल उछाल आया बल्कि जबरिया झूठ डालने क़ी कोशिशेँ भी हुई।

कांग्रेस भारत में आम भारतीय हितों के विरुद्ध कार्य करने वालों के पक्ष में ही अधिकतर ख़डी नजर आती रही है। भारत का बुरा करने वालों को जी लगा कर सम्मान दिया गया तो सांस्कृतिक वैभव क़ी पहचान भगवा को कटघरे में खड़ा किया गया। कभी श्रीराम ताले में रहे तो अब हनुमान भक्तों का संगठन बजरंग दल को प्रतिबंधित करनें की बात आ गई।

कांग्रेस के युवराज राहुल गाँधी पिछले पांच वर्षों से सिर्फ निर्वाचित प्रधानमंत्री को, संवेधानिक प्रधानमंत्री को, भारत के प्रतिष्ठित नागरिक को सिर्फ और सिर्फ नीचा दिखाने, अपमानित करने और यूँ माने कि गरियाने के काम पर ही लगे हुये हैं।

उनकी इस दुष्प्रेरणा के कारण कांग्रेस के कार्यकर्ताओं तक नें यही क्रम बना लिया है। कांग्रेस में अब वही चलेगा जो नरेन्द्र मोदी जी को, आर एस एस को गालियां दे, उन्हें अपशब्द कहे। कांग्रेस का यह अंग्रेजियत का भाव, भारत को पूरे विश्व में लज्जित करने लगा है। इस पर नियंत्रण की आवश्यकता है। भारत सरकार को एक कठोर कानून बनाना चाहिए, जिसमें भारत की निर्वाचन प्रक्रिया से निर्वाचित जनप्रतिनिधियों के प्रति अपमान भाव को कठोरतम दंड से दंडनीय बनाना चाहिए।

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