New Parliament House : Modi hai to mumkin hai नया संसद भवन : मोदी है तो मुमकिन है


The new Parliament House of India
                                                             The new Parliament House of India

The new Parliament House of India will be inaugurated by Prime Minister Narendra Modi on May 28, 2023, in which Lok Sabha Speaker Om Birla will be mainly present. The inauguration is being done on the invitation of the Secretary General of Lok Sabha. The invitation letters are being sent by the Lok Sabha Secretariat.


Prime Minister Narendra Modi

                                                                Prime Minister Narendra Modi 

PM Modi to install sacred 'Sengol' at new Parliament building https://arvindsisodiakota.blogspot.com/2023/05/pm-modi-to-install-sacred-sengol-at-new.html

The instructions to build this new Parliament House were given to the Central Government by the Speaker of the Lok Sabha. This building, which remains in the possession of the Speaker of the Lok Sabha, is the center of completion of parliamentary work. That's why it is a futile debate whether he should do this inauguration or he should do it. I understand that the Speaker of the Lok Sabha is free to invite whom to inaugurate. A great contribution has been made by the Prime Minister in the construction of this dignified building. That's why it is completely justified to get them published.


Lok Sabha Speaker Om Birla
                                                         Lok Sabha Speaker Om Birla

Congress will now have to understand that every inauguration - every inauguration should be done by the political descendants of the Nehru family or their orders should be obeyed. This type of situation has been there but the people of the country have changed it since 2014. Now they have been reduced to very few marks by the public. All this happened because of the public that you used to enforce the tradition of showing the Nehru-Gandhi family above democracy. There are many examples.

The stand of other opposition parties with Congress's sophistry may be a compulsion of 2024, but this boycott is completely devoid of logic and facts and is anti-democracy and anti-constitutional. It can be called political meanness, it can be called fallen petty politics. This is purely the inauguration of a newly constructed building. The need of which the country had been doing since many decades. Congress's Manmohan Singh's government and the previous governments kept on denying this need, while BJP's Narendra Modi's government made it happen.

The whole opposition's tribulation is about why Prime Minister Narendra Modi has done one more big thing. While the Manmohan Singh government also got full ten years, you would have done it. Before this, there was also the Narasimha Rao government. When Meira Kumar was the Speaker of the Lok Sabha, she was active in building a new Parliament House. She wanted the new Parliament House to be built. For this, he also constituted two committees.

Lok Sabha Speaker Smt. Sumitra Mahajan had also given instructions to the Central Government to get the new Parliament building constructed. It is completely wrong that Prime Minister Narendra Modi has built the Parliament House to make himself prestigious. Congress thought that they used to avoid every problem, did not solve it, that's why the public removed them. And it is Narendra Modi who finds a solution to every problem and shows it by solving it. That is why it is said that Modi hai to mumkin hai. They show it by not avoiding it.

It can also be said that the Swadeshi Parliament House of India is being inaugurated on 28 May 2023, on the occasion of the birth anniversary of the great freedom fighter Vinayak Damodar Savarkar. I do not know whether the government has said anything like this. But there is nothing wrong in this, in the basic duties of the Constitution of India, it talks about the respect of freedom fighters.

Smt. Indira Gandhi considered him as a freedom fighter while being the Prime Minister and paid tribute to him. Nowhere Congress was given the right to decide who is a freedom fighter and who is not. One who has contributed in the freedom struggle is a freedom fighter.

It is not only futile for the opposition to cry on the occasion of this festival, but it is also an insult to the country's self-pride. The present Parliament House of India is certainly a unique construction of Indian architecture, but it is equally true that it has been the administrative center of slavery as well and for this it should have been indigenously constructed along with independence.

Apart from this, the current requirements also demanded that there should be a comfortable building. New construction is taking place in every area, so protesting against building a new Parliament House seems absurd. Now it is not 1947, now we have to move towards 2047. The public knows everything, takes decisions on time.

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भारत के नये संसद भवन का लोकापर्ण 28 मई 2023 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के द्वारा किया जायेगा, जिसमें लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला मुख्यरूप से रहेंगे। लोकसभा के महासचिव के आमंत्रण पर यह उद्घाटन किया जा रहा है। आमंत्रणपत्र  लोकसभा सचिवालय के द्वारा भेजे जा रहे हैं। 

यह नया संसद भवन बनानें के निर्देश लोकसभा स्पीकर की ओर से केन्द्र सरकार को दिये गये थे। यह भवन लोकसभा अध्यक्ष के कब्जे में ही रहने वाला संसदीय कार्य सम्पन्नता का केन्द्र होता है। इसलिये यह व्यर्थ का विवाद है कि ये उद्घाटन वह करे या यह करे । में समझता हूं कि लोकसभा अध्यक्ष स्वतंत्र हैं कि वे उदघाटन के लिये किसे आमंत्रित करें। प्रधानमंत्री जी के द्वारा इस गरिमापूर्ण भवन के निर्माण में महती योगदान दिया गया है। इसलिये उनसे लोकापर्ण करवाया जाना पूरी तरह औचित्यपूर्ण है। 

कांग्रेस को यह अब समझना होगा कि हर उदघाटन - हर लोकार्पण नेहरू परिवार के राजनैतिक वंशज ही करें या उनकी आज्ञा पालन हो। इस तरह की स्थिती रही है मगर देश की जनता ने इसे 2014 से बदल दिया है। अब वे जनता के द्वारा बहुत कम अंकों पर समेट दिये गये हैं। यह सब इसीलिये जनता के द्वारा हुआ कि आप लोकतंत्र से भी ऊपर नेहरू गांधी परिवार को दिखानें की परम्परा लागू करवाते थे। अनेकों उदाहरण हैं।

कांग्रेस के कुतर्क के साथ अन्य विपक्षी दलों का खडा होना 2024 की मजबूरी हो सकती है मगर यह बहिस्कार पूरी तरह तर्क व तथ्य हीन होकर लोकतंत्र व संविधान विरोधी है। राजनैतिक टुच्चापन कहा जा सकता है, गिरी हुई क्षुद्र राजनीति कहा जा सकता है। यह शुद्धरूप से एक नवनिर्मित भवन का लोकार्पण है । जिसकी आवश्यकता देश कई दसकों से करता आ रहा था । कांग्रेस की मनमोहनसिंह जी की सरकार और उससे पहले की सरकारें इस आवश्यकता को नकारती रहीं, जबकि भाजपा की नरेन्द्र मोदी जी की सरकार ने इसे कर दिखाया। 

सारा विपक्षी क्लेश इस बात का है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक और बडा काम क्यों कर दिखाया...। जबकि मनमोहन सिंह सरकार को भी पूरे दस साल मिले थे, आप कर दिखाते । इससे पूर्व में नरसिंहराव सरकार भी रही है।  जब लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार थीं तब वे नया संसद भवन बनानें के लिये कॉफी सक्रीय थीं वे चाहती थीं कि नया संसद भवन बनें। इस हेतु उन्होने भी दो समितियों का गठन भी किया था। 

लोकसभा अध्यक्ष श्रीमती सुमित्रा महाजन नें भी नई संसद भवन बनाये जानें के निर्देश केन्द्र सरकार को दिये थे। यह बात तो पूरी तरह गलत है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी नें स्वयं को प्रतिष्ठित करनें के लिये संसद भवन बनवाया है। कांग्रेस समझे कि वे हर समस्या को टालते थे हल नहीं करते थे इसीलिये उन्हे जनता ने हटा दिया। और यह नरेन्द्र मोदी जी हैं जो हर समस्या का समाधान खोजते है उसे हल करके दिखाते हें। इसीलिये तो कहा जाता है कि मोदी है तो मुमकिन है। वे टालते नहीं करके दिखाते हैं।

 इसे यूं भी कहा जा सकता है कि भारत के स्वदेशी संसद भवन का लोकापर्ण 28 मई 2023 को महान स्वतंत्रता सेनानी विनायक दामोदर सावरकर की जयंती के अवसर पर किया जा रहा है। मुझे नहीं मालूम की सरकार नें इस तरह का कुछ कहा है। मगर इसमें गलत कुछ नहीं है भारत के संविधान के मूल कर्त्तव्यों में स्वतंत्रता सेनानियों के सम्मान की बात कहता है। 

श्रीमती इन्दिरा गांधी ने प्रधानमंत्री रहते हुये उन्हे स्वतंत्रता सेनानी माना और श्रृद्धांजली व्यक्त की है।  कांग्रेस को कही भी यह अधिकार नहीं दिया कि वे तय करें कि स्वतंत्रता सेनानी कौन है कौन नहीं है। जिसका स्वतंत्रता संग्राम में योगदान है वह स्वतंत्रता सेनानी है। 

विपक्ष का इस उत्सव के अवसर पर रोना - धोना न केवल फिजूल है बल्कि देश के आत्म गौरव का अपमान भी है। भारत का वर्तमान संसद भवन निश्चित रूप से भारतीय वास्तु का अनुपम निर्माण है किन्तु यह भी उतना ही सत्य है कि वह गुलामी का भी प्रशासनिक केन्द्र रहा है और इस हेतु स्वतंत्रता के साथ ही स्वदेशी निर्माण होना ही चाहिये था। 

इसके अतिरिक्त वर्तमान आवश्यकताओं की भी मांग थी कि एक सुविधायुक्त भवन हो । प्रत्येक क्षेत्र में नव निर्माण हो रहा है तो संसद भवन नया बने इस पर विरोध बेतुकापन ही लगता है। अब 1947 नहीं है अब तों हमें 2047 की ओर बडना है। जनता सब जानती है, समय पर निर्णय करती है।

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