ममता ने क्लीन स्वीप के चक्कर में पश्चिम बंगाल को सत्तापोषित हत्याप्रांत बना दिया - अरविन्द सिसौदिया
ममता ने क्लीन स्वीप के चक्कर में पश्चिम बंगाल को सत्तापोषित हत्याप्रांत बना दिया - अरविन्द सिसौदिया
सच यह है कि विपक्ष में सबसे लोकप्रिय व सबसे मजबूत जनाआधार दिखानें के लिये ममता ने सारी सरकारी मिशनरी तृण मूल कांग्रेस को जितानें में लगा दी थी जिसका जनता में भारी विरोध हुआ, जबरदस्त मुकावला हुआ, जिसके कारण बहुत बडी संख्या में हिंसा व हत्यायें हुईं , राज्य के निर्दोष लोगों के खून से लथपथ बंगाल के हालात को लेकर ममता बनर्जी विपक्ष की बैठक में सम्मिलित होंगी, मगर सत्ता का भूखा विपक्ष अपनी बैठक में यह जानने की हिम्मत नहीं करेगा कि बंगाल में हिंसा का यह ताण्डव क्यों हुआ ?
अपने बर्चस्व को विपक्ष में सर्वोच्च दिखाने के लिये की गई चुनावी जोर जबरदस्ती के कारण पश्चिम बंगाल सत्तापोषित हत्याप्रांत बना - अरविन्द सिसौदिया
West Bengal has become a state-owned murder province due to electoral force to show its dominance in the opposition - Arvind Sisodia
- बंगाल के पंचायतीराज चुनाव का एक मात्र संदेश यही है कि आगे ममता की पार्टी को भाजपा सत्ता से बेदखल करेगी।
- बंगाल से पहलीवार भाजपा को राज्यसभा सांसद मिलने जा रहा है, यह भी ऐतिहासिक राजनैतिक घटना है। जो बंगाल में भाजपा के बडते प्रभाव को दर्शाता है। 24 जुलाई को होनें वाले 10 राज्यसभा सांसदों के निर्वाचन में सर्वाधिक 6 बंगाल से, 3 गुजरात से व 1 गोवा से चुने जानें है। बगाल में भाजपा के विधायकों की संख्या को देखते हुये पहली बार एक भाजपा का सांसद चुना जा सकेगा वहीं पांच तृणमूल कांग्रेस से ही चुने जायेगें।
पश्चिम बंगाल में राजनैतिक हिंसा नई बात नहीं है, यह वामपंथी दलों की खूनी सौगात इस प्रदेश में कई दसकों से बनीं हुई है जो यथावत ममता बनैर्जी की पार्टी के द्वारा अपना ली गई है। यूं तो प्रत्येक चुनाव अलग प्रकृति का होता है, स्थानीय चुनावों में पार्टी से ज्यादा महत्व काम आने वाले व्यक्ति का रहता है। इससे हमेशा ही राज्य की सत्तारूढ दल के कार्यकर्ता बाजी मारते हैं। क्यों कि वे जनता के काम करवा सकेगे इस विश्वास के आधार पर उन्हे वोट मिलते है। दूसरी बात पूरा चुनाव प्रबंधन राज्य सरकार के अधिकरियों के हाथ में रहता है। राज्य सरकार के अधिकारी विशेषकर बंगाल में एक प्रकार से पार्टी वर्कर बन कर काम करते है। यह परम्परा भी वामपंथियों के क्षरा इस प्रांत में स्थापित की गई है। जिसे ममता की पार्टी बपने फायदे के लिये अपनाये हुये है। यही बात विधानसभा चुनाव में होती है कि वहां की जनता अपने लोकप्रिय फेस के साथ जाती है। मगर यह ट्रेंड लोकसभा में बिलकुल उलट जाता है, वहां जनता प्रदेश का लोकप्रिय फेस छोड देती है और देश के लोकप्रिय फेस के साथ जाती है। राजस्थान में गत विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की सरकार बनीं मगर 5 महीनें बाद ही वहां सभी 25 की 25 सीटें भाजपा गठबंधन जीता । अर्थात अगले लोकसभा चुनाव के लिये इन नतीजों को कतई नहीं माना जा सकता।
फिर प्रश्न उठता है कि हिंसा इतनी क्यों हुई ......? इसका कारण यह है कि विपक्ष की पटना बैठक हो चुकी है अब कर्नाटक में होनी है। यदि बंगाल में ममता की पार्टी कमजोर दिखती तो वह विपक्षी गठबंधन हेतु आयोजित बैठक में में मजबूती से नहीं जा पाती आने नेतृत्व के लिये दावा नहीं कर पाती । अपने मजबूत दावे के लिये ममता की पार्टी ने सारी सरकारी मिशनरी को सिर्फ तृण मूल कांग्रेस को विजय बनाने में लगा दी और इसका जमीनी स्तर पर व्यापक विरोध हुआ , जो 48 हत्याओं के रूप में सामनें है। पंचायती राज चुनावों में इतनी बडी संख्या में हत्या और अपराध पहले कभी सुने हें क्या ? यह भी स्पष्ट है कि भाजपा ने जम कर संघर्ष किया है। वह संख्यात्मक दृष्टि से भी आगे बडी और तमाम हिंसा और हेरफेर के बावजूद वह दूसरे स्थान पर बनी हुई है, उसने अपना 2018 के रिकार्ड में सुधार भी किया है। वहीं वाम और कांग्रेस के लिये कुछ खास नहीं है।
बंगाल में स्थानीयस्तर पर जबरदस्त मुकाबला हुआ है 2018 में वहां 35 प्रतिशत पदों को निविरोध घोषित किया गया था वहीं सरकार इस बार मुकावले से जनता को रोक नहीं पाई तमाम घांधलियों के बावजूद मात्र 12 प्रतिशत ही निविरोध पद रह पाये है। जनता का यह जुझारूपन स्पष्ट करता है कि बंगाल करवट बदल रहा है।
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पश्चिम बंगाल पंचायत चुनाव में व्यापक हिंसा और राज्य प्रायोजित हत्याएं हुईं। क्रूर उत्पीड़न, सत्तारूढ़ टीएमसी, एसईसी, पुलिस और नागरिक प्रशासन के बीच सक्रिय मिलीभगत के बावजूद, भाजपा ने 2018 की अपनी संख्या को पार कर लिया है और कांग्रेस, वामपंथ, आईएसएफ और अन्य से काफी आगे है। भाजपा प्रमुख विपक्षी दल है और जल्द ही ममता बनर्जी को सत्ता से बेदखल कर देगी।
वास्तव में भाजपा का प्रदर्शन अब तक घोषित प्रदर्शन से कहीं बेहतर है। कई स्थानों पर सत्तारूढ़ टीएमसी के निर्देश पर परिणाम बदल दिए गए हैं, टीएमसी उम्मीदवार को जिताने के लिए बीजेपी के पक्ष में वोट को अवैध घोषित कर दिया गया है, बीजेपी उम्मीदवार के जीत के प्रमाण पत्र फाड़ दिए गए हैं और उनकी हालत खराब हो गई है। कई मतगणना केंद्रों पर टीएमसी विधायकों ने स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर जबरन नतीजे अपने पक्ष में कराए। इन सबको कोर्ट में चुनौती दी जा रही है.
लेकिन इस सब में आशा की किरण भाजपा और गांवों के लोगों द्वारा किया गया भारी प्रतिरोध है, जिन्होंने टीएमसी के गुंडों को अपने रास्ते पर चलने से मना कर दिया। इस बार, भाजपा उम्मीदवारों को नामांकन दाखिल करने से रोकने के प्रयासों के बावजूद, टीएमसी ने बहुत कम सीटें निर्विरोध जीतीं। इसने बूथों पर कब्जा कर लिया, मतदान में धांधली की, मतपेटियां बदल दीं और गिनती को प्रभावित किया, लेकिन फिर भी भाजपा की बढ़त को नहीं रोक सका। यह यहीं नहीं रुकता. 100% मुस्लिम आबादी वाले बूथों पर ग्राम पंचायत सीटों पर बीजेपी उम्मीदवारों ने जीत हासिल की.
ये संकेत ममता बनर्जी की टीएमसी के लिए अशुभ हैं. यह अपराधियों का सिंडिकेट है, कोई राजनीतिक पार्टी नहीं. आने वाले चुनाव में टीएमसी दफन हो जाएगी और इसका श्रेय पूरी तरह से बंगाल की जनता और बीजेपी कार्यकर्ताओं को जाएगा।
लेकिन इस पंचायत चुनाव की स्थायी छवि एक मामूली पृष्ठभूमि से आने वाले एक भाजपा उम्मीदवार की थी, जिसका ग्राम में शानदार जीत (बूथ में टीएमसी की जमा राशि खो गई 🐚 के बाद उसकी मां और बहन ने शंख बजाते हुए उसका घर पर स्वागत किया। पंचायत चुनाव...
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लेफ्ट से भी बदतर TMC की राजनीति...बंगाल में जाकर ममता पर रविशंकर का हमला, राहुल को भी घेरा
रविशंकर प्रसाद ने कहा कि ममता बनर्जी की राजनीति वाम दलों की राजनीति से भी बदतर हो गई है. उनकी राजनीति अत्याचारों से भरी है.
प्रेस कॉन्फ्रेंस में बीजेपी फैक्ट-फाइंडिंग कमिटी
कोलकाता: भाजपा सांसद और पार्टी के वरिष्ठ नेता रविशंकर प्रसाद के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की 4 सदस्यीय फैक्ट-फाइंडिंग कमिटी 12 जुलाई को पश्चिम बंगाल के कोलकाता पहुंची. बंगाल में पंचायत चुनाव के दौरान व्यापक हिंसा के मद्देनजर भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने इस चार सदस्यीय समिति का गठन किया है. बागपत से सांसद सत्यपाल सिंह, धौरहरा से सांसद रेखा वर्मा, सिलचर से लोकसभा सांसद डॉ. राजदीप रॉय और राज्यसभा सांसद बृजलाल समिति के अन्य सदस्य हैं.
कोलकाता पहुंचने पर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बीजेपी फैक्ट-फाइंडिंग कमिटी के चीफ रविशंकर प्रसाद ने ममता बनर्जी सरकार पर तीखा हमला बोला. उन्होंने कहा, ‘मुझे उम्मीद है कि ममता जी सभी 4 सांसदों को पश्चिम बंगाल में हिंसा प्रभावित इलाकों का दौरा करने की अनुमति देंगी. ममता जी, आपकी लोकतांत्रिक साख अभी और परीक्षा में है. हम संसद के वरिष्ठ सदस्य हैं. और हमें इन क्षेत्रों का दौरा करने और सच्चाई देखने का अधिकार है.’
रविशंकर प्रसाद ने कहा, ‘उत्तर प्रदेश के स्थानीय निकाल चुनावों में बीजेपी ने क्लीन स्वीप किया, लेकिन राज्य भर में हिंसा की शायद ही कोई घटना हुई. तो फिर पश्चिम बंगाल में ऐसा क्यों है? कल भी वोटों की गिनती के दौरान किसी की हत्या कर दी गई थी. निर्वाचित उम्मीदवारों से कहा गया कि वे टीएमसी में शामिल हों अन्यथा उन्हें प्रमाणपत्र नहीं दिया जाएगा. ममता जी, आपने बंगाल में लोकतंत्र को शर्मसार किया है. ममता जी मैं आपसे पूछना चाहता हूं कि आप मीडिया का सामना करने और इस जीत पर अपनी खुशी साझा करने की स्थिति में क्यों नहीं हैं?’
भाजपा सांसद ने कहा, ‘ममता जी की राजनीति वाम दलों की राजनीति से भी बदतर हो गई है. आपकी राजनीति अत्याचारों से भरी क्यों हो गई है? हमें जवाब चाहिए. राज्य में होने वाले हर चुनाव के दौरान अदालत को हस्तक्षेप करना पड़ता है. मैं राहुल गांधी से पूछना चाहता हूं कि जब उनकी पार्टी के कार्यकर्ताओं को बंगाल में पीटा जा रहा है तो वह चुप क्यों हैं? पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव के दौरान 48 लोगों की हत्या शर्मनाक लोकतंत्र का घृणित संकेत है.’
भाजपा सांसद ने कहा कि हम प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करेंगे और उन लोगों से मुलाकात की जाएगी, जो पीड़ित होंगे. साथ ही 40 से अधिक लोगों की जान क्यों गई इसका जवाब भी ढूंढा जाएगा. उन्होंने आगे कहा कि पता लगाएंगे कि नरेंद्र मोदी के खिलाफ गठबंधन बनाने की कोशिश कर रहे तथाकथित सहयोगी स्पष्ट चुप्पी क्यों साधे हुए हैं? पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनावों की घोषणा होने के बाद से अब तक 33 (राज्य सरकार के आंकड़ों के मुताबिक) राजनीतिक हत्याएं हो चुकी हैं. कल रात दक्षिण 24 परगना जिले में एक केंद्र के बाहर, जहां ग्रामीण चुनावों के लिए वोटों की गिनती चल रही थी, हुई झड़प में इंडियन सेक्युलर फ्रंट (ISF) के 2 कार्यकर्ताओं सहित 3 लोगों की मौत हो गई.
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