कैलाश मानसरोवर की मुक्ति के लिए चीनी वस्तुओं का बहिष्कार करें - BTSM
कैलाश मानसरोवर की चीन से मुक्ति के लिए चीनी वस्तुओं का बहिष्कार करें
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झालावाड़ 9 जुलाई। भारत तिब्बत सहयोग मंच की झालावाड़ जिला इकाई की बैठक बाल जी की छतरी पर रविवार को अपराह्न में संपन्न हुई, जिसमें भारत तिब्बत सहयोग मंच के चित्तोड़ प्रान्त के प्रांतीय अध्यक्ष अरविंद कौशल, राजस्थान क्षेत्रीय के क्षेत्रीय सहसंयोजक राजेन्द्र कामदार, प्रान्त प्रचार प्रमुख अरविंद सिसोदिया ,प्रांतोय महिला महामंत्री मंजू शर्मा,प्रांतीय महिला उपाध्यक्ष दुर्गेश नंदिनी शर्मा अतिथि रहे। जिला इकाई नें साफा पहना कर, शाल श्रीफल भेंट कर स्वागत अभिनन्दन किया।
जिलाध्यक्ष सौरभ शर्मा ने बताया कि कार्यक्रम में क्षेत्रीय सह संयोजक राजेन्द्र कामदार ने कहा कि मंच अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तिब्बत को पूर्व की ही तरह स्वतंत्र राष्ट्र बनाने की मुहिम चला रहा है। मंच का मुख्य उद्देश्य भगवान शिव के पवित्र तीर्थंस्थल कैलाश मानसरोवर को चीन से मुक्ति करवाना है। जो कि हिंदुओ की आस्था एवं मान सम्मान का प्रतीक है।
उन्होंने आव्हान किया कि चीन को सबक सिखानें व कैलाश मानसरोवर की मुक्ती के लिए हमें चीनी वस्तुओं का बहिस्कार करना चाहिए और इसे आदत के रूप में नित्यप्रति करना चाहिए।
इन्होंने बताया कि तिब्बत पूर्व में स्वतंत्र एवं मित्र राष्ट्र था इससे भारत का रक्षा खर्च कम था व नेपाल की तरह सामान्य आवागमन होने से भारत का व्यापार भी सुगम था। किन्तु बाढ़ में चीन नें तिब्बत पर जबरदस्ती कब्जा कर लिया और वह हमसे शत्रुता करता है, उसे आर्थिक रूप से चोट पहुंचने चीनी वस्तुओं का बहिस्कार आवश्यक है।
चीन नें जबरिया तिब्बत पर कब्जा कर लिया जिससे से हिन्दू बोध धर्म गुरु दलाई लामा को भारत मे शरण लेनी पड़ी।
भारत तिब्बत सहयोग मंच , इस सत्य से आमजन को अवगत करवाकर जागरूक करता है,आगे भी इन लक्ष्यों के लिए जागरूक कर माहौल तैयार करना है और इससे भारत को सामरिक आर्थिक अंतर्रराष्ट्रीय स्तर पर मजबूती प्रदान करेगा।
कैलाश पर्वत भगवान शिव का घर है. वहां बर्फ में भोले नाथ ब्रह्म तप में लीन शालीनता से, शांत और एकांत तप में लीन हैं. धर्म व शा्स्त्रों में उनका वर्णन प्रमाण है.शिव का अघोर रूप वैराग्य व गृहस्थ का संपूर्ण मेल है. जिसे शिव और शक्ति कहते हैं. कैलाश पर्वत भगवान शिव के कारण ही संसार के सबसे पावन स्थानों में है. कैलाश पर्वत के विषय में हमारे संस्कृत साहित्य के अनेकानेक काव्यों में वर्णन मिलता है.
इस अवसर पर उपस्थित सभी लोगों ने कैलाश मानसरोवर को चीन से मुक्त कराने का संकल्प लिया और निश्चय किया कि मंदिरों में कैलाश मानसरोवर मुक्ति हेतु चीनी वस्तुओं के बहिस्कार के कार्यक्रम व जनजागरण किये जावेंगें। भगवान शिव के निवास स्थान कैलाश मानसरोवर को चीन से मुक्त कराने हेतु एक वैश्विक वातावरण का निर्माण कर चीन पर इस हेतु अंतरराष्ट्रीय दबाव डालने का सभी एकजुट होकर प्रयास करेंगे. ताकि सभी आस्थावान लोग सुगमता से कैलाश मानसरोवर की यात्रा कर लाभान्वित हो सकें.
कार्यक्रम में जिला उपाध्यक्ष नंदलाल वर्मा,विकास शर्मा ,मधुसूदन शर्मा,कोमल शर्मा,जिला महामंत्री दीपक गुप्ता,महिला जिलाध्यक्ष रेखा लोधा,जिला उपाध्यक्ष रजनीबाला व्यास,जिला महामंत्री सविता कश्यप,पल्लवी चतुर्वेदी,सुनीता ठाकुर,शांति लोधा,रीना लोधा,पुष्प देवी रश्मि बैरागी,सलोनी लोधा उपस्थित रहे ।कार्यक्रम का संचालन युवा अध्यक्ष वैभव जोशी ने किया।
क्या है बीटीएसएम
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ समर्थित प्रकल्प भारत तिब्बत सहयोग मंच (बीटीएसएम) संघ के वरिष्ठ राष्ट्रीय प्रचारक डॉ. इंद्रेश कुमार द्वारा संचालित किया जाता है। इस प्रकल्प की शुरुआत 1989 में इंद्रेश द्वारा की गई थी। इस प्रकल्प का प्रमुख उद्देश्य कैलाश मानसरोवर तीर्थ स्थल को मुक्त करवाना, जिससे हजारों सालों से हिंदुस्तानियों की आस्था जुड़ी हुईं हैं। इस संगठन का दूसरा प्रमुख उद्देश्य तिब्बत की आजादी है, जिससे देश की सीमाओं को चीन के खतरे से मुक्त किया जा सके। तिब्बत के शरणार्थियों के पुनर्वास के लिए ये संगठन काफी बड़ी भूमिका निभाता है। ज्ञात हो कि सात दशक पहले चीन ने तिब्बत पर कब्जा करके 12 लाख तिब्बतियों की निर्मम हत्या कर दी थी। तभी से हिंदुस्तान और चीन की सीमाएं आमने सामने हुईं, वरना उससे पहले तक तिब्बत के कारण देश को चीन की तरफ से कोई खतरा नहीं था।
हमारे बारे मे
हमारे बारे में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य एवं वरिष्ठ प्रचारक माननीय इंद्रेश कुमार जी जब जम्मू-कश्मीर, लेह-लददाख और हिमाचल प्रदेश के संघ प्रचारक थे, उस समय अनेकों तिब्बती धर्मगुरू एवं तिब्बती नेता उनसे मिलकर तिब्बत की आजादी के लिए भारत में जन-आन्दोलन की बात करते थे तब माननीय इन्द्रेश जी के द्वारा 5 मई 1999 को हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में भारतीय एवं तिब्बती समुदाय के लोगों को साथ लेकर भारत-तिब्बत सहयोग मंच की स्थापना की गई। स्थापना के समय तिब्बती धर्मगुरू परम पावन दलाई लामा जी एवं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ अधिकारी, चौथे पूज्यनीय सरसंघचालक प्रोफेसर राजेंद्र सिंह 'रज्जू भैया' व पांचवें पूज्यनीय सरसंघचालक के. एस. सुदर्शन जी का आशीर्वाद मिला। स्थापना के प्रारंभ में भारत तिब्बत सहयोग मंच के राष्ट्रीय संयोजक डॉ कुलदीप चन्द अग्निहोत्री जी के नेतृत्व में वैचारिक आन्दोलन से मंच की शुरुआत हुई । देशभर के विश्वविद्यालयों में विचार गोष्ठियों के माध्यम से समाज के प्रबुद्ध लोगों को जागरूक करने का काम किया गया । इसके कुछ वर्षों बाद मंच के राष्ट्रीय महामंत्री पंकज गोयल के नेतृत्व में वैचारिक आंदोलन के साथ जन आन्दोलन बन गया। 05 मई 1999 में भारत तिब्बत सहयोग मंच की धर्मशाला में जब इसकी नीव रखी गई होगी तो शायद उस समय यह कल्पना नहीं रही होगी कि यह जो पौधारोपण हो रहा है वह एक दिन वटबृक्ष बनने जा रहा है|
बड़े हर्ष का विषय है कि भारत तिब्बत सहयोग मंच ने इन 25 वर्षो में तिब्बत की आज़ादी और कैलाश मानसरोवर की मुक्ति के लिए माननीय इन्द्रेश कुमार जी के मार्गदर्शन एवं मंच के राष्ट्रीय महामंत्री आदरणीय पंकज गोयल जी के कुशल नेतृत्व में नित नई उचाईयों को छुआ हैं | भारत तिब्बत सहयोग मंच के कार्यकर्ताओं ने पूरी निष्ठा और लगन से तिब्बत की आज़ादी के आन्दोलन को, चीन की विस्तारवादी तथा अमानवीय नीतियों को जन-जन तक पहुचाया हैं | इन 25 वर्षों में निरंतर भारत तिब्बत सहयोग मंच की गतिविधियां बढ़ी हैं । लाखों लाख कार्यकर्ता इस मंच से जुड़े हैं और गांव-गांव, गली-गली तक इनके बारे में बताने का कार्य कर रहे हैं कि किस तरह से चीन ने तिब्बत पर अवैध कब्जा कर रखा है । चीन को किस तरह खदेड़ना है इस तरह की बातों को वह बता रहे हैं । माननीय इंद्रेश जी ने नारा दिया कि जिस दिन चीन की अर्थ व्यवस्था हिल जाएगी, उस दिन तिब्बत आजाद हो जाएगा । तिब्बत की आजादी भारत के सुरक्षा की गारंटी है l इस देश में केवल इतना कहा जाता था कि विदेशी भगाओ, स्वदेशी अपनाओ, भारत बचाओ । यह नारा तो हमने सुना लेकिन पहली बार भारत तिब्बत सहयोग मंच ने प्रत्यक्ष रूप यह कहा की चीनी बस्तुओं का बहिष्कार करो और यह विश्व का पहला संगठन है जिसने यह नारा दिया।
चीन के राजा महाराजाओं/प्रशासकों ने अपने देश की सुरक्षा को निर्धारित करने एवं सुरक्षा के लिए चीनी दीवार का निर्माण किया था। दीवार के बाहर का पूरा क्षेत्र उसके द्वारा एक अवैध कब्जा है। इसलिए भारत तिब्बत सहयोग मंच का एक प्रमुख नारा है कि चीन की सीमा चीनी दीवार बाकी सब अवैध कब्जा है l आज भारत तिब्बत सहयोग मंच न केवल भारत में अपितु एक बड़ी एवं विश्वसनीय अंतरराष्ट्रीय संस्था के रूप में कार्य कर रहा है | भारत तिब्बत सहयोग मंच का यह दृढ़ विश्वास है कि अगर विश्व में शांति-समन्वय-सद्भाव और बंधुत्व की भावना बनी रहेगी तो ही मानवता बची रहेगी और तभी संपूर्ण समाज का सर्वांगीण विकास व उन्नति का मार्ग प्रशस्त हो सकेगा। भारत तिब्बत सहयोग मंच के इस जन-आंदोलन के महायज्ञ में अपनी आहूति प्रदान करें!
🍁जय भारत जय तिब्बत🍁
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