देश के सभी मान बिन्दुओं पर सुचिता की आवश्यकता है - अरविन्द सिसौदिया Rahul Gandhi Defamation Case

राहुल गांधी के मोदी सरनेम वाले आपराधिक प्रकरण में गुजरात उच्च न्यायालय ने सुचिता का विषय उठाया है जो अत्यंत महत्वपूर्ण है। राहुल गांधी के नक्से कदम पर चलते हुये अनेकों राजनैतिक नेता गणों की भाषा में बहुत अधिक गिरावट आई है। सम्मान और भाषा में जो गिरावट है उसे कहीं तो रोकना ही पडेगा । कोविड के दौरान एक भाजपा विरोधी नेता जी कह रहे थे, ये भाजपा की वैक्सीन है मुझे भरोषा नहीं है, में इसे नहीं लगवाऊगा।  इस तरह की गैर जिम्मेवार  बयानों व बकवासों की अनुमती कैसे दी जा सकती है। विपक्ष या अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अर्थ झूठ, भ्रम या गाली गलोंच की स्वतंत्रता कदापी नहीं हो सकती।  इसलिये गुजरात उच्च न्यायालय का निर्णय स्वागत योग्य है। देश के सभी मान बिन्दुओं पर सुचिता की आवश्यकता है और इसकी रक्षा माननीय न्यायालय को करना ही चाहिये। 
मेरा मानना है कि किसी भी राजनैतिक दल को मान्यता देनें में यह अनिवार्यता होनी चाहिये कि वह भारत की संविधान सभा की बहस को पढे और महामहिम राष्ट्रपति महोदय के संयुक्त सदन को सम्बोधित करने वाले भाषणों को पढे व उन पर परिक्षा हो जिसे पास करें। तब ही वे किसी सदन के योग्य हों। 

इससे वे यह जान पायें किए भारत की राजनीति की भाषा क्या है देश किस तरह चलता है उनके उदेदेश्य और लक्ष्य क्या हैं। उसका विकास राजनैतिक क्षैत्र में काम करने वालों में विकसित किया जाना बहुत आवश्यक है। वे जानें कि हमारे पूर्वज जिन्होनें देश को संविधान दिया है उनकी भाषा व भाव किस तरह के थे। गिरावट का मुख्य कारण ज्ञान का अभाव है। शिक्षण का अभाव है। जब बस कन्डक्टर के लिये परिक्षा पास करनी जरूरी है तो देश को चलाने वालों को परिक्षा पास करवानें में क्या हर्ज है। 



मामला सुप्रीम कोर्ट पंहुचा...
गुजरात में कांग्रेस नेता राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि का मामला दायर करने व उन्हें सजा दिलाने वाले भाजपा विधायक पूर्णेश मोदी ने सुप्रीम कोर्ट में एक कैविएट दायर की है। उन्होंने उस मामले में कैविएट दायर की है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ गांधी की अपील पर सुनवाई करने का फैसला किया है।

गुजरात हाईकोर्ट ने की थी सख्त टिप्पणी
गौरतलब है, गुजरात हाईकोर्ट ने हाल ही में राहुल गांधी की सजा पर रोक की मांग वाली याचिका खारिज कर दी थी। साथ ही सख्त टिप्पणी भी की थी। न्यायमूर्ति हेमंत प्रच्छक ने कहा था कि राहुल के खिलाफ कम से कम 10 आपराधिक मामले लंबित हैं। मौजूदा केस के बाद भी उनके खिलाफ कुछ और केस भी दर्ज हुए। ऐसा ही एक मामला वीर सावरकर के पोते ने दायर किया है। न्यायमूर्ति ने आगे कहा था कि दोषसिद्धि से कोई अन्याय नहीं होगा। दोषसिद्धि न्यायसंगत एवं उचित है। पहले दिए गए आदेश में हस्तक्षेप करने की कोई आवश्यकता नहीं है। इसलिए आवेदन खारिज किया जाता है।

क्या है कैविएट याचिका?
कैविएट याचिका एक तरह का बचाव होता है ताकि कोर्ट किसी मामले में एक पक्षीय फैसला ना सुनाए। सिविल प्रोसीजर के कोड 148 (ए) के तहत कैविएट याचिका फाइल की जाती है। यदि पक्षकार हाजिर नहीं होता है तब कोर्ट ऐसे पक्षकार को एकपक्षीय कर अपना फैसला सुना देता है। सामान्य शब्दों में समझाया जाए तो एक वादी द्वारा कैविएट आवेदन यह सुनिश्चित करने के लिए दायर किया जाता है कि बिना सुने उसके खिलाफ कोई आदेश पारित न किया जाए।

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Rahul Gandhi Defamation Case: 'साफ कैरेक्टर का होना चाहिए नेता', मोदी सरनेम मामले पर गुजरात हाईकोर्ट के जज ने कहा- सावरकर पर भी
Defamation Case: 2019 में कर्नाटक में एक रैली के दौरान राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए विवादित बयान दिया था. उन्होंने कहा था कि सभी चोरों के नाम मोदी ही क्यों है 
Defamation Case: मोदी सरनेम मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी की पुनर्विचार याचिका को गुजरात हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है. गुजरात हाईकोर्ट के जस्टिस हेमंत प्रच्छक ने फैसला सुनाते हुए कहा कि याचिकाकर्ता एक अस्तित्वहीन आधार पर राहत पाने की मांग कर रहे हैं, जस्टिस हेमंत प्रच्छक ने कहा, ''निचली अदालत के फैसले पर रोक लगाने का कोई नियम नहीं है. ये अपवाद की श्रेणी में आता है. इसका सहारा दुर्लभ मामलों में लिया जाना चाहिए. राहुल गांधी के खिलाफ 10 मामले पेंडिंग हैं.''

गुजरात हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि राजनीति में शुचिता की जरूरत है. जस्टिस हेमंत ने कहा, ''राहुल गांधी के खिलाफ पुणे कोर्ट में एक शिकायत वीर सावरकर के पोते की ओर से भी दर्ज कराई गई है. जिसमें राहुल गांधी पर कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में वीर सावरकर का अपमान करने का आरोप लगा है. सजा पर रोक न लगाना याचिकाकर्ता के साथ अन्याय नहीं होगा. सजा पर रोक लगाने के लिए कोई उचित आधार नहीं दिया गया है. निचली अदालत का दोषसिद्धि का फैसला उचित, न्यायसंगत और कानूनी रूप से दिया गया है.''

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भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री श्री रवि शंकर प्रसाद की प्रेस वार्ता के मुख्य बिंदु

भाजपा राहुल गांधी के खिलाफ मोदी सरनेम मानहानि मामले में गुजरात हाईकोर्ट के निर्णय का स्वागत करती है। यह विधि सम्मत और उचित निर्णय है। राहुल गांधी के मानहानि केस में पूरे आचरण को भी नोटिस किया गया है।******************

मानहानि मामले में राहुल गांधी आदतन अपराधी (हैबिचुअल ऑफेंडर) हैं। राहुल गांधी के खिलाफ सात-आठ मानहानि का ममला चल रहा है। कोर्ट ने भी इसको संज्ञान में लिया है। तिस पर, राहुल गाँधी अपने बयानों को लेकर माफी भी नहीं मांगते।******************

कांग्रेस पार्टी राहुल गांधी को कंट्रोल क्यों नहीं करती? उनको ठीकठाक बोलने की ट्रेनिंग क्यों नहीं देती? अगर ओबीसी समुदाय को चोर कहने के मामले में वे माफी मांग लेते तो मामला खत्म हो जाता। कोर्ट ने उन्हें माफी मांगने का मौका भी दिया, लेकिन वे बोलते रहे कि मैं सावरकर नहीं हूं कि माफी मांगूंगा।

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राहुल गाँधी को लगता है कि लोगों को अपमानित करना उनका अधिकार है तो कानून को भी उन्हें सजा देने का अधिकार है। कोई कैसे कह सकता है कि सारे मोदी चोर हैं। कुछ भी बोल देंगे? आपकी जुबान पर कंट्रोल नहीं है।

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राहुल गांधी के पास गैर जिम्मेदाराना अहंकार है। किसी को अपने गुण पर अहंकार हो सकता है, राहुल गांधी को अहंकार है कि वे गांधी खानदान में पैदा हुए हैं। गाँधी परिवार के होने की वजह से राहुल गांधी को कानून से ऊपर होने का अहंकार है जबकि उन्हें मालूम होना चाहिए कि कानून ने अपना काम किया है।

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संस्थाओं और लोगों को अपमानित करना, उन्हें बेइज्जत करना, अपशब्द कहना राहुल गाँधी की फितरत है। राहुल गांधी यदि किसी को अपमानित करेंगे और गाली देंगे तो लोग न्याय का सहारा लेंगे ही, यह स्वभाविक है। मोदी सरनेम अधिकांशतः पिछड़ों, अति-पिछड़ों का होता है। ये घोर रूप से आपत्तिजनक टिप्पणी थी।

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कोर्ट के निर्णय के बाद अब कांग्रेस के नेता अब ये कह रहे हैं कि कोर्ट से एक्सट्रीम सजा सुनाई तो मैं पूछना चाहता हूँ कि राहुल गाँधी ने इतना अपमानजनक बयान दिया क्यों?

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राहुल गांधी जहां से लड़ते हैं, वहां से हार जाते हैं तो उसकी आलोचना करना शुरू कर देते हैं। आजकल राहुल गांधी अमेठी की आलोचना करते हैं। वोट नहीं मिला तो निर्वाचन आयोग गड़बड़ है, मीडिया प्रशंसा न करे, तो मीडिया बिकी हुई है। कोर्ट मनमुताबिक निर्णय नहीं दे तो कोर्ट की आलोचना शुरू कर देते हैं।

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राहुल गांधी होमवर्क नहीं करते हैं। राहुल गांधी जेएनयू जाकर टुकड़े-टुकड़े गैंग के साथ खड़े हो जाते हैं। भारतीय सेना अपमान करते हुए राहुल गांधी उन पर खूनी की दलाली का आरोप लगा देते हैं। मोदी सरनेम मामले में राहुल गांधी ने ओबीसी का सीधा अपमान किया है।

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राहुल गांधी विदेशी धरती पर भी भारत के लोकतंत्र का अपमान करते हैं। भारतीय संवैधानिक संस्थाओं पर आपत्तिजनक टिप्पणी करते हैं। राहुल गांधी मीडिया पर आरोप लगाते हैं कि भारतीय मीडिया बिकी हुई है। राफेल को लेकर राहुल गांधी ने सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के संबंध में झूठ बोले जिसके कारण उन्हें माफी मांगनी पड़ी।

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राहुल गांधी के मन में इतनी नफरत है कि उन्होंने संघ को गांधी का हत्यारा कह दिया, महान स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर का बार-बार अपमान किया। राहुल गाँधी ने विदेश में भी वीर सावरकर का अपमान किया।इन मामलों में भी राहुल गाँधी के खिलाफ मानहानि का मामला चल रहा है।

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कोर्ट ने कहा कि राहुल गांधी के खिलाफ विभिन्न अदालतों में लगभग दस अपराधिक मामले लंबित हैं। इस मामले में कोर्ट ने कहा कि परिस्थितियों के आलोक में सजा पर रोक लगाने का कोई विषय नहीं बनता है और सूरत कोर्ट के आदेश में कोई हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है।

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भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री श्री रवि शंकर प्रसाद ने आज शुक्रवार को पार्टी के केंद्रीय कार्यालय में आयोजित प्रेस वार्ता को संबोधित किया और राहुल गाँधी के मोदी सरनेम वाले बयान को लेकर गुजरात हाईकोर्ट द्वारा राहुल गाँधी की याचिका को खारिज किये जाने के निर्णय को स्वागतयोग्य बताया। उन्होंने कहा कि मानहानि मामले में राहुल गांधी आदतन अपराधी हैं। गुजरात हाईकोर्ट ने सभी तथ्यों के मद्देनजर यह फैसला किया है। ज्ञात हो कि राहुल गांधी ने 2019 चुनाव में टिप्पणी की थी कि सारे चोरों के सरनेम मोदी क्यों होते हैं, इसको लेकर उनपर अदालत में सुनवाई चल रही थी जिसके संबंध में 23 मार्च 2023 को सूरत की सेशन कोर्ट ने राहुल गांधी को 2 साल की सजा सुनाई थी। इसी सजा के खिलाफ राहुल गाँधी गुजरात हाईकोर्ट पहुंचे थे लेकिन कोर्ट ने उनकी याचिका को शुक्रवार को खारिज कर दिया।

राहुल गांधी ने 2019 के चुनाव में एक टिप्पणी की थी कि सारे चोरों के सरनेम मोदी क्यों होते हैं। देशभर में मोदी सरनेम अधिकांश पिछड़ों और अति पिछड़ों का होता है। ये घोर रूप से आपत्तिजनक टिप्पणी थी। कायदे के मुताबितक राहुल गांधी को कोर्ट में माफी मांगनी चाहिए थी लेकिन उन्होंने माफी नहीं माँगी। निचली अदालत ने उन्हें दो साल की सजा दी, जिसके खिलाफ वह सेशन कोर्ट गए। सेशन कोर्ट ने उन्हें बेल तो दे दी लेकिन दोषसिद्धि को स्टे नहीं किया। राहुल गांधी होमवर्क नहीं करते हैं।

कोर्ट ने माना कि मानहानि मामले में राहुल गांधी आदतन अपराधी (हैबिचुअल ऑफेंडर) हैं। यही नहीं, राहुल गांधी विदेशी धरती पर भी भारत के लोकतंत्र का अपमान करते हैं। भारतीय संवैधानिक संस्थाओं पर आपत्तिजनक टिप्पणी करते हैं। राहुल गांधी मीडिया पर आरोप लगाते हैं कि भारतीय मीडिया बिकी हुई है। राहुल गांधी ने अपने प्रेसवार्ता के दौरान एक पत्रकार को भाजपा का समर्पित कार्यकर्ता तक बता दिया और उस पत्रकार को कमल छाप का बैच लगाने की बात तक डाली। राहुल गांधी यहीं तक नहीं रुके और अंत में उस पत्रकार से कहा कि तुम्हारी हेकड़ी निकल गयी?

राहुल गांधी जेएनयू जाकर टुकड़े-टुकड़े गैंग के साथ खड़े हो जाते हैं। भारतीय सेना अपमान करते हुए राहुल गांधी उन पर खूनी की दलाली का आरोप लगा देते हैं। राफेल विमान को लेकर राहुल गांधी ने सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गए और कई तरह के आरोप लगा दिया। किंतु सुप्रीम कोर्ट ने राफेल विमान की खरीद को जायज ठहराया। इसके बाद राहुल गांधी ने सुप्रीम कोर्ट के निर्णय की आलोचना की। जब सुप्रीम कोर्ट में उन पर अवमानना के मामले शुरू हुए तो राहुल गांधी ने सुप्रीम कोर्ट में माफी मांगी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के खिलाफ राहुल गांधी में इतना ज्यादा नफरत भरा है कि संघ को गांधी का हत्यारा कह दिया और इस मामले में उन पर मानहानि का मामला चल रहा है। राहुल गांधी के खिलाफ सात-आठ मानहानि का ममला चल रहा है। मोदी सरनेम मामले में राहुल गांधी ने ओबीसी का सीधा अपमान किया है।

कांग्रेस पार्टी से हम पूछते हैं कि राहुल गांधी को कंट्रोल क्यों नहीं कर सकते? उनको ठीकठाक बोलने की ट्रेनिंग क्यों नहीं दे सकते? अगर ओबीसी समुदाय को चोर कहने के मामले में वे माफी मांग लेते तो मामला खत्म हो जाता। कोर्ट ने उन्हें माफी मांगने का मौका भी दिया, लेकिन उन्होंने माफी नहीं मांगी। राहुल गाँधी बोलते रहे कि मैं सावरकर नहीं हूं कि माफी मांगू। देश की आजादी के लिए एक महान देश भक्त वीर सावरकर ने वर्षों अंडमान में कालापानी की सजा काटी थी, उस महान देश भक्त के प्रति राहुल गांधी में कितनी नफरत भरी हुई है। महान स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर के पोते ने भी इसको लेकर राहुल गाँधी पर केस किया हुआ है। राहुल गाँधी ने विदेश में भी वीर सावरकर का अपमान किया।

अगर आपको लगता है कि लोगों को अपमानित करना आपका अधिकार है तो कानून का भी अधिकार है कि आपको पकड़े। कोई कैसे कह सकता है कि सारे मोदी चोर हैं। कुछ भी बोल देंगे आप? आपकी जुबान पर कंट्रोल नहीं है। यह एक गैर जिम्मेदार अहंकार है। प्रसिद्ध नेताओं और संगठनों को गाली देना, बदनाम करना और लगभग सबसे खराब तरह की गालियां देना राहुल गांधी की पुरानी आदत बन गई है।

संस्थाओं और लोगों को अपमानित करना, बेइज्जत करना, उन्हें अपशब्द कहना राहुल गाँधी की फितरत है। राहुल गांधी यदि किसी को अपमानित करेंगे और गाली देंगे तो लोग न्याय का सहारा लेंगे ही, यह स्वभाविक है। मोदी सरनेम के लोग बिहार, उत्तर प्रदेश, गुजरात सहित देश के विभिन्न हिस्सों रहते हैं, वे पिछड़े परिवार से आते हैं। राहुल गांधी के पास गैर जिम्मेदाराना अहंकार है। किसी को अपने गुण पर अहंकार हो सकता है, राहुल गांधी को अहंकार है कि वे गांधी खानदान में पैदा हुए हैं। गाँधी परिवार के होने की वजह से राहुल गांधी को कानून से ऊपर होने का अहंकार है जबकि उन्हें मालूम होना चाहिए कि कानून ने अपना काम किया है। कोर्ट के निर्णय के बाद अब कांग्रेस के नेता ये कहना शुरू कर रहे हैं कि कोर्ट से एक्सट्रीम सजा सुनाई तो मैं पूछना चाहता हूँ कि राहुल गाँधी ने इतना अपमानजनक बयान दिया क्यों?

भारतीय जनता पार्टी राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि मामले में गुजरात हाईकोर्ट के निर्णय का स्वागत करती है। यह विधि सम्मत और उचित निर्णय है। राहुल गांधी के मानहानि केस में पूरे आचरण को भी नोटिस किया गया है। कोर्ट ने कहा कि राहुल गांधी के खिलाफ विभिन्न अदालतों में लगभग दस अपराधिक मामले लंबित हैं। इस मामले में कोर्ट ने कहा कि परिस्थितियों के आलोक में सजा पर रोक लगाने का कोई विषय नहीं बनता है और सूरत कोर्ट के आदेश में कोई हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है। ओबीसी का अपमान करना कांग्रेस की फितरत है। पिछड़ा वर्ग आयोग को जब संवैधानिक दर्जा दिया जा रहा था, तब कांग्रेस ने विरोध में टीका-टिप्पणी की थी।

राहुल गांधी जहां से लड़ते हैं, वहां से हार जाते हैं तो उसकी आलोचना करना शुरू कर देते हैं। आजकल राहुल गांधी अमेठी की आलोचना करते हैं। राहुल गांधी को जो मन भाये, वो ठीक है, जो नहीं भाये, वह गड़बड़ है। वोट नहीं मिला तो निर्वाचन आयोग गड़बड़ है। मीडिया उनकी प्रशंसा नहीं करे, तो मीडिया बिकी हुई है। कोर्ट उनके मनमुताबिक निर्णय नहीं दे तो कोर्ट की आलोचना शुरू कर देते हैं। नेशनल हेराल्ड मामले को लेकर सदन के भीतर भी राहुल गांधी ने कोर्ट की आलोचना की थी, जब विरोध हुआ तो सॉरी कहा।

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Rahul Gandhi Defamation Case

गुजरात हाई कोर्ट का राहुल गांधी पर फैसला 

गुजरात हाईकोर्ट ने शुक्रवार को राहुल गांधी की सजा पर रोक की मांग वाली याचिका खारिज कर दी। न्यायमूर्ति हेमंत प्रच्छक ने कहा कि राहुल के खिलाफ कम से कम 10 आपराधिक मामले लंबित हैं। मौजूदा केस के बाद भी उनके खिलाफ कुछ और केस भी दर्ज हुए। ऐसा ही एक मामला वीर सावरकर के पोते ने दायर किया है।

समाज के सम्मान से जुड़ा है मामला 

इस बात को ध्यान में रखते हुए कि कथित मानहानि एक बड़े पहचाने जाने योग्य वर्ग (मोदी उपनाम वाले लोग) की थी, न कि केवल एक व्यक्ति की. कोर्ट ने माना कि दोषसिद्धि जनता के एक बड़े वर्ग और परिभाषा के अनुसार, समाज को प्रभावित करने वाले अपराध के चरित्र का हिस्सा है. यह केवल एक व्यक्ति-केंद्रित मानहानि का मामला नहीं है. 

गांधी का बयान बड़ी संख्या में लोगों को प्रभावित करता है

इसके अलावा, कोर्ट ने कहा कि राहुल गांधी भारत की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं. उनकी बड़ी उपस्थिति है और वह भारतीय राजनीति में एक प्रमुख व्यक्ति हैं. गांधी की सार्वजनिक प्रतिष्ठा के कारण, उनका कोई भी बयान बड़े पैमाने पर लोगों को प्रभावित करता है. वर्तमान सजा एक बड़े वर्ग को प्रभावित करने वाले गंभीर मामले को लेकर है, इसलिए सजा पर रोक नहीं लगाई जा सकती है.  

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गुजरात हाई कोर्ट का राहुल गांधी पर फैसला 

2019 में कर्नाटक की रैली में 'सभी चोरों का सरनेम मोदी ही क्यों होता है' बोलने पर सूरत की एक अदालत ने राहुल गांधी को मानहानि का दोषी पाया है और 2 साल की सजा सुनाई है. कोर्ट से सजा मिलने के बाद लोकसभा सचिवालय ने राहुल गांधी की सदस्यता रद्द कर दी है.

कांग्रेस ने राजनीति लड़ाई लड़ने और हाईकोर्ट में भी फैसले के खिलाफ अपील दायर करने की बात कही है. सूरत कोर्ट के फैसले और सदस्यता रद्द होने पर राहुल गांधी को विपक्षी पार्टियों का समर्थन मिला है. 

गुरुवार को चार साल बाद सूरत की कोर्ट ने राहुल गांधी को दोषी करार देते हुए 2 साल की सजा सुनाई थी. मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट एचएच वर्मा की कोर्ट ने राहुल गांधी को IPC की धारा 499 और 500 के तहत दोषी ठहराया था. 


लोकसभा सचिवालय की फैसले का आलोचना हो रही है, जिस पर सरकार ने सफाई दी है.संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि राहुल गांधी के खिलाफ कानून के मुताबिक कार्रवाई की गई है. उन्होंने कहा कि सिर्फ औपचारिकता बाकी थी.



जोशी ने कहा कि कोर्ट के आदेश के बाद उनकी संसदीय सदस्यता खुद व खुद खत्म हो गई थी. सरकार का इस मामले में कोई  लेना-देना नहीं है. किसी को कानून से छूट नहीं मिलनी चाहिए. 

राहुल पर मानहानि से जुड़े करीब 6 मामले अभी भी चल रहे हैं. अधिकांश केसों की सुनवाई गुजरात की अदालतों में चल रही है. आइए इसे विस्तार से जानते हैं...

सभी केसों की डिटेल जानकारी -

1. गांधी की हत्या में संघ का हाथ

राहुल गांधी पर ये आरोप है कि उन्होंने 6 मार्च, 2014 को महाराष्ट्र के ठाणे जिले में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए महात्मा गांधी की हत्या के पीछे आरएसएस का हाथ बताया था. कांग्रेस नेता ने पीटीआई-भाषा से कहा था कि आरएसएस के लोगों नें गांधी जी को मारा था, और वो आज गांधीजी की बात करते हैं. 

इस मामले में आरएसएस की भिवंडी इकाई के आरएसएस सचिव राजेश कुंटे ने राहुल गांधी पर  2018 में मानहानि का मुकदमा दायर किया था. राजेश कुंटे का ये कहना है कि राहुल ने संघ की  प्रतिष्ठा और मान-सम्मान पर सवाल उठाया है. मामले की सुनवाई अभी शुरू नहीं हुई है. 

2. असम मठ पर टिप्पणी-

दिसंबर 2015 में राहुल के खिलाफ असम में आरएसएस के एक स्वयंसेवक ने आपराधिक मानहानि का मुकदमा दायर किया था. आरएसएस के इस स्वयंसेवक ने केस दर्ज कर ये कहा था कि उन्हें असम के बरपेटा सतरा में जाने से ये कह कर रोक दिया गया था कि वो आरएसएस से जुड़े हुए हैं.

उसी दौरान स्वयंसेवक संघ के सदस्य ने असम की लोकल अदालत में राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया था. राहुल गांधी के वकील अंशुमन बोरा के मुताबिक यह मामला अभी भी लोकल कोर्ट में चल रहा है. वकील के मुताबिक ये मामला सुनवाई को अंतिम चरण में हैं.

3. नोटबंदी को लेकर अमित शाह पर टिप्पणी

23 जून, 2018 के एक ट्वीट के आधार पर राहुल के खिलाफ यह मामला दर्ज किया गया था. राहुल ने अपने ट्वीट में ये कहा था कि अहमदाबाद जिला सहकारी बैंक के निदेशक अमित शाह जी को बधाई. पुराने नोटों को नई दौड़ में बदलने में आपके बैंक को प्रथम पुरस्कार मिला 750 रुपये.

मामले पर राहुल के वकील अजीत जडेजा ने कहा है कि मामले पर अभी पूछताछ जारी है. केस की अगली सुनवाई एक जुलाई को होगी.

4. राफेल पर टिप्पणी

नवंबर 2018 में, महाराष्ट्र भाजपा नेता महेश श्रीश्रीमल ने  'कमांडर-इन-चोर' वाले बयान को लेकर राहुल पर मानहानि का मुकदमा दायर किया था.  महेश श्रीश्रीमल का ये कहना राफेल विवाद के दौरान दिया गया राहुल का ये बयान नरेंद्र मोदी पर सीधा निशाना था. 

कुछ दिनों की सुनवाई के बाद बॉम्बे हाईकोर्ट ने कार्यवाही पर रोक लगा दी थी . महेश श्रीश्रीमल का ये कहना है कि राहुल गांधी ने बॉम्बे हाईकोर्ट से संपर्क किया था और शिकायत को रद्द करने की मांग भी की थी. बता दें कि इस मामले की सुनवाई भी अभी शुरू नहीं हुई है.

5. संघ करवा देती है विरोधियों की हत्या

फरवरी 2019 में राहुल और सीपीआई (एम) जनरल सीताराम येचुरी के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया गया था. ये मुकदमा महाराष्ट्र के आरएसएस कार्यकर्ता और वकील धृतिमान जोशी ने दायर किया था. 

धृतिमान जोशी ने याचिका में ये कहा था कि पत्रकार गौरी की हत्या के 24 घंटे बाद राहुल ने ये बयान दिया था कि कोई आरएसएस और भाजपा की विचारधारा के खिलाफ बोलता है, तो उसे चुप कराने की कोशिश की जाती है. उस पर दवाब डाला जाता है. उसे पीटा जाता है. उसपर हमले कराए जाते हैं .यहां तक की उसे जान से भी मार दिया जाता है. 

शिकायतकर्ता ने सीताराम येचुरी पर आरोप लगाते हुए कहा था कि लंकेश दक्षिणपंथी राजनीति की तीखी आलोचना के लिए जानी जाती थी. लंकेश की हत्या के पीछे आरएसएस की विचारधारा और आरएसएस के लोग हैं. उसी साल नवंबर में, मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट पी आई ने राहुल और येचुरी की उस दलील को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने केस खारिज करने की मांग की थी. इस मामले की सुनवाई अभी शुरू नहीं हुई है.

6. भाजपा नेता अमित शाह पर टिप्पणी

अहमदाबाद से भाजपा के एक निगम पार्षद कृष्णवदन ब्रह्मभट्ट ने राहुल के खिलाफ मई 2019 में  अहमदाबाद की एक अदालत में मानहानि का मुकदमा दायर किया था. कृष्णवदन ब्रह्मभट्ट ने याचिका में ये कहा कि राहुल गांधी ने जबलपुर में लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान अमित शाह को "हत्या का आरोपी" बताया था. राहुल की इस टिप्पणी को कृष्णवदन ब्रह्मभट्ट ने बहुत ही निंदात्मक बताया था. 

ब्रह्मभट्ट  का ये कहना था कि 2015 में सोहराबुद्दीन शेख फर्जी मुठभेड़ मामले में शाह को बाइज्जत बरी कर दिया गया है. अब राहुल पर लगे मानहानि के केस की सुनवाई एक मजिस्ट्रेट अदालत में होने वाली है. 

राहुल की सदस्यता रद्द पर खरगे क्या बोले?

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि राहुल गांधी को सच बोलने की सजा मिली है.  राहुल को संसद से बाहर भेजने से उनको (बीजेपी) लगता है कि उनकी समस्या कम हो जाएगी तो ऐसा नहीं है. हम लोकतंत्र को बचाने के लिए लड़ाई लड़ते रहेंगे. उनको सच बोलने वालों को सदन में नहीं रखना है, इसलिए सदन के बाहर भेज रहे हैं.

खरगे ने आगे कहा कि हम सदन के अंदर भी बोलेंगे और बाहर भी बोलेंगे. हम जेल जाने को भी तैयार हैं. शाम पांच बजे कांग्रेस की बैठक बुलाई है, इसमें आगे की रणनीति तय करेंगे.

बता दें कि राहुल गांधी को कम से कम छह पिछले भाषणों और टिप्पणियों को लेकर मानहानि का सामना करना पड़ रहा है. निचली अदालत में राहुल पर ये इल्जाम लगाया गया है कि उन्होंने अपने भाषणों में बीजेपी और संघ परिवार को सीधे तौर पर निशाना बनाया है. इस आर्टिकल में राहुल पर लगे मानहानि के केस की पूरी डिटेल समझने की कोशिश करते हैं.


अब जानिए जिसमें सजा हुई है, वो पूरा मामला क्या है?

कांग्रेस नेता राहुल गांधी वायनाड से सांसद है. राहुल ने ये बयान कथित तौर पर  2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान कर्नाटक के कोलार में दिया था. उन्होंने कथित तौर पर ये कहा था कि सभी चोरों का उपनाम (सरनेम) मोदी क्यों है?

इसी बयान को लेकर राहुल गांधी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 499 और 500 के तहत केस दर्ज किया गया था. धारा 499 के तहत आपराधिक मानहानि का केस दर्ज किया जाता है. मामले में ज्यादा से ज्यादा दो साल की सजा का प्रावधान है. 

तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने पीएम मोदी पर निशाना साधते हुए कहा था, "चौकीदार 100 फीसदी चोर है."याद दिला दें कि नरेंद्र मोदी ने बीते लोकसभा चुनावों में खुद को देश-जनता का "चौकीदार" बताकर प्रचार किया था.

राहुल ने रैली में राफेल विवाद के सौदे का जिक्र करते हुए कहा था कि आपने 30,000 करोड़ रुपये चोरी करके अपने दोस्त अनिल अंबानी को दे दिए. जाहिर है आपने पैसे चुराए हैं. चौकीदार चोर है. राहुल गांधी ने आगे कहा था कि नीरव मोदी, मेहुल चोकसी, ललित मोदी, माल्या, अनिल अंबानी और नरेंद्र मोदी- चोरों का एक समूह है."

इसके बाद राहुल ने तंजिया लहजे में ये कहा था कि मेरा एक सवाल है. ये सारे चोरों के नामों में मोदी क्यों होता है, नीरव मोदी, ललित मोदी और नरेंद्र मोदी? हमे ये जानकारी नहीं है कि ऐसे और कितने मोदी आएंगे?"

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इंडी गठबन्धन तीन टुकड़ों में बंटेगा - अरविन्द सिसोदिया

छत्रपति शिवाजी : सिसोदिया राजपूत वंश

खींची राजवंश : गागरोण दुर्ग

स्वामी विवेकानंद और राष्ट्रवाद Swami Vivekananda and Nationalism