पवित्र संघ के विरुद्ध अपशब्द बोलना,सिर्फ मानसिक अधोपतन
लेख
abusing against the holy rss, only mental degradation
पवित्र संघ के विरुद्ध अपशब्द बोलना,सिर्फ मानसिक अधोपतन
- अरविन्द सिसोदिया
देश के सबसे पवित्र संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विरुद्ध अपशब्द बोलना, कमजोर लोगों का भविष्य सुरक्षित करने का टोटका, सिर्फ मानसिक अधोपतन मात्र है , कांग्रेस या अन्य कांग्रेस के सम - विचारी लोग इसे कितना भी कुछ मानते रहे, भारत की जनता नें संघ को बुरा भला कहने वालों को हमेशा हाशिये पर ही रखा है। भारत में संघ के प्रचारक और स्वयंसेवकों का सामाजिक सम्मान ईश्वर की तरह सर्वोच्च है।
- अरविन्द सिसोदिया
जब भारत गुलाम था और अंग्रेजों का राज था तब भी संघ की शाखाओं में जाने से सरकारी कर्मचारियों पर रोक लगाई गई थी। इस रोक को लगाने वाली ब्रिटिश सरकार का स्पष्ट मानना था कि संघ की शाखा में जाने से सरकारी कर्मचारी में स्व - राष्ट्रभाव जाग्रत होगा, जो ब्रिटिश शासन के लिए अहितकारी है। इस तरह की रोक देश स्वतंत्र होने के बाद भी कांग्रेस सरकार के निर्देशों में कई बार व्यक्त हुई। जो सोच ब्रिटिश गवर्नमेंट कई थी वही सोच स्वतंत्र भारत में कांग्रेस रही। यह समझ से आज भी परे है कि भारत के लोग राष्ट्रभक्त बनें तो इससे कांग्रेस को क्या हानि ? साथ ही यह प्रश्न भी है कि कांग्रेस क्यों चाहती है की भारत के लोग राष्ट्रभक्त नहीं हो ??
भारत में जब भी राष्ट्र चिंतन और राष्ट्रहित के लिए किसी भी तरह का कोई आकलन, कोई चर्चा, कोई कार्य, कोई सिद्धांत, कोई नीति, कोई ज्ञान, समाज के सामने आता है तो उसमें सिर्फ एक ही संस्था कार्य संपन्न करते हुए दिखती है और उसका नाम राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ है] जिसे संछिप्त में आर एस एस भी कहा जाता है । जो भारत के हित और भारत के लोगों के हित में विश्वास रखती है। देश को संकटों से बचाने का संकल्प लेकर काम करती है। युद्ध हो , आपदा हो,कोई भी विभीषिका हो , संकटों में फंसों की पहली मदद करता संघ का स्वयंसेवक ही नजर आता है , देश के लिए पूरा जीवन खपा देने वाले महापुरुषों की श्रृंखला जिस संगठन ने दी है उसे संघ कहा जाता है ।
निश्चित रूप से भारत विरोधी विदेशी और आंतरिक ताकतों का इस राष्ट्ररक्षक संगठन के प्रति बैर भाव होना स्वाभाविक है। किन्तु इस तरह का बैर हमें भारत के राजनैतिक क्षेत्र में काम करने वाली कांग्रेस सहित अनेकों परिवारवादी दलों में देखने को मिलता है तो आश्चर्य होता है। क्या उनको राष्ट्रीय हितों के संरक्षण से कोई लेना देना नहीं है ।
यह सच है कि भारत को किसी भी रूप में कमजोर करने की नियत वाली संस्थाओं और एजेंसियों को संघ शत्रु स्वरूप में इसलिए दिखता है कि संघ राष्ट्रहित से कोई समझौता नहीं करता। भारत के लोगों का धर्मांतरण कराने वाली विदेशी वित्त पोषित संस्थाओं के लिए निश्चित ही संघ बाधा के रूप में है। संघ के सतत प्रयासों से जंगलों में रहने वाले भोले भाले आदिवासियों के धर्मान्तरण का मिशनरियों का अभियान लगभग रुक गया। किन्तु उन ताकतों जैसा विरोध कांग्रेस, वामपंथी और परिवारवादी दलों को क्यों कर होना चाहिए? क्या यह दल भी भारत की संप्रभुता और संस्कृति को समाप्त करने वाले षड्यंत्रों के सहयोगी हैं?
संघ देश की सुरक्षा के लिए चिंता करता है, देश के लोगों की सुरक्षा के लिए चिंता करता है, देश की संस्कृति की सुरक्षा के लिए चिंता करता है, देश के समाज की सुरक्षा के लिए चिंता करता है, उनके लिए देश ही प्रथम है। देश हित के अतिरिक्त उनके पास कोई अन्य विषय ही नहीं है। जो लोग इस देश को मगरमच्छ की तरह निकल जाना चाहते हैं, उन लोगों के लिए तो संघ निश्चित रूप से शत्रु ही दिखेगा। इसका कारण यही है कि वे संघ को अपने षड्यंत्र की सफलता में बाधा मानते हैं, उसे शत्रु भी मानते हों। भारत को निगलने का स्वप्न पाले बैठी ताकतों के रास्ते का रोड़ा अगर पिछले 98 साल में कोई रहता है तो वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ही रहा है। कांग्रेस यदि राष्ट्रभक्त है तो उसे संघ विरोध की जरूरत ही कहां हो सकती है। यदि कांग्रेस संघ विरोधी है तो उसकी राष्ट्रभक्ति प्रश्न चिन्हित है। अनेकों कसौटियों पर कांग्रेस संघ के सामने बहुत बौनी है।
संघ ने देश के लिए जागरूक नागरिकों का विराट समूह तैयार करके देश की अविस्मरणीय सेवा की है। भारत माता के हितों की चिंता क्यों नहीं की जानी चाहिए, ये चिंता करने वाला महान समूह संघ देता है, तो उसका अभिनंदन ही होना चाहिए। गैरजिम्मेवार और झूठी आलोचना का किसी को कोई अधिकार नहीं है। संघ ने लोकशिक्षण के माध्यम से इस देश में एक ऐसी राष्ट्रवाद की अलख जगाई है जिसके कारण आज भारत एकात्म है, स्वतंत्र है और सभी चुनौतियों से मुकाबला करने में सक्षम भी है। आज देश राष्ट्रीय स्वाभिमान से लबालब भरा हुआ है तो उसमें स्वाभिमानी चेतना के प्रेरणा स्रोत संघ का ही मार्गदर्शन है। आज भारत विश्व को नेतृत्व दे रहा है, अपनी संस्कृति का उत्थान कर रहा है और अपने देश की तकनीकी का उत्थान कर रहा है तो इसकी नींव में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्व के स्वाभिमानी भाव विचार हैं।
भारत पर दूसरे विचारों की संस्थाओं ने भी लंबा राज्य किया, लेकिन उन्होंने कभी देश को वह मान सम्मान स्वाभिमान नहीं दिया, जिसकी इसमें क्षमता थी । इसका मूल कारण यही था कि उनके मन में कभी भी राष्ट्र सर्वोपरि का भाव रहा ही नहीं, अन्यथा देश विभाजन ही नहीं होता। परिवार सर्वोपरि के भाव वाली स्वार्थी और राष्ट्रघाती स्थिति से देश को मुक्ति संघ विचारधारा ने ही दिलाई है। संघ वह संस्था है जहां न परिवार वाद है, न व्यक्तिवाद है, न ही जातिवाद है, वहाँ सिर्फ एकात्म भारत है, वहाँ भारतमाता को परम वैभव के सिंहासन पर आरुड़ करने के प्रयत्न हैं। वहाँ सिर्फ और सिर्फ राष्ट्र सर्वोपरी का भाव और कार्य है। इस तरह की महान और ऐतिहासिक संस्थान पर कुत्सित हित साधना के लिए लंपट गिरी युक्त शब्दों की आलोचना सिर्फ और सिर्फ स्वयं को छोटा करना मात्र है।
जो हमेशा ही विदेशी ताकत और भारत का बुरा करने वाली ताकतों को खुश करने में लगे रहते थे, उनसे डरते थे, उनसे भयभीत होते थे, उनके भय के कारण देश हित के काम भी नहीं करते थे। उन डरी हुई संस्थाओं का विकल्प राष्ट्रीय स्वाभिमान युक्त ताकत भारतीय जनता पार्टी सहित विविध संगठनों के रूप में देश को संघ ने ही दिया है। इस कारण उसका विरोध किया जाना बेमानी है, संघ के राष्ट्रहित चिंतन का देश में व्यापक स्वागत हुआ है। कांग्रेस नें जब जब संघ पर द्वेषता से प्रतिबंध लगाये तब तब वह और अधिक जन स्वीकारोक्ति के साथ उभरा है।
पहले डरी हुई सत्ताएँ थीं, भारत का प्रथम सफल परमाणु परीक्षण होने के बाद भी भारत परमाणु शक्ति सम्पन्न देश नहीं बना सका था, तकनीक होने के बाद भी भारत परमाणु बम तभी बना सका जब निडर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का एक स्वयंसेवक अटल बिहारी वाजपेयी देश के प्रधानमंत्री बने और उसने सबसे पहले देश को परमाणु शक्ति संपन्नता का सुरक्षा कवच दिया।
पहले डरा हुआ भारत, पाकिस्तान से डरता था, आतंकबाद से डरता था, चीन से डरता था, दंगा फसाद से डरता था , भारत के आंतरिक उत्थान से डरता था, सामरिक आत्मनिर्भरता से डरता था, विजय के बाद भी भूभाग लौटाता था, सीमाओं पर नापाक हरकतें सहता था , मगर अब देश का नेतृत्व निडर राष्ट्रिय स्वयंसेवक संघ के निडर स्वयंसेवक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कर रहे है , तो भारत उन सभी कमजोरियों पर विजय प्राप्त कर सीना तान कर खड़ा है, भारत भयमुक्त होकर स्वाभिमान से भरा हुआ नाम रोशन कर रहा है। भारत विश्व में अपनी क्षमताओं के बल पर सर्वोच्चता की और बड़ रहा है। पूरा विश्व भारत की ओर आशा एवं विश्वास नजर से देखता है | कांग्रेस और परिवारवादी दल संघ के विरुद्ध जितना भ्रम झूठ और असत्य को फैलाने की कोशिस करेंगे वे उतना ही अस्वीकार्य होते चलें जायेंगे। कंकड़ो के फेंकने से दीवारें गिरा नहीं करती, इतना ही संघ आलोचकों को समझ लेना चाहिए।
- अरविन्द सिसोदिया
बेकरी के सामनें,राधाकृष्ण मंदिर रोड़,
डडवारा कोटा जंक्शन, राजस्थान।
9414180151
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