गहलोत की लंका में गुढ़ा नें आग लगादी - अरविन्द सिसोदिया Gahlot vs Gudha
राजस्थान वीरो की भूमि रही है यहां के पुरुष महिलाओं की अस्मिता की रक्षा के लिए अपने आप को बलिदान कर देते थे, राजस्थान की स्त्रियां अपनी अस्मिता की रक्षा के लिए जोहर करके प्राण त्याग देती थीं। गहलोत सरकार में निश्चित रूप से महिलाओं के अपमान, महिलाओं के सम्मान के साथ दुर्व्यवहार की एक नई इबारत लिखी हुई, एक नया इतिहास कायम हुआ, जिसमें मातृशक्ति के अपमान के नये कीर्तिमान सत्ता पक्ष की शिथिलता से स्थापित हुए।
नारी सम्मान का प्रश्न त्रेता युग में रावण के राज में भी उठा था, रावण की सभा में रावण के मंत्रिमंडल को हनुमानजी नें काफ़ी समझाने का प्रयास किया था, मगर अहंकार में डूबे रावण नें हनुमानजी को ही दंड देने के लिए पूँछ में आग लगादी....। किन्तु सत्य के लिए लड़ रहे हनुमानजी का कुछ भी नहीं बिगड़ा मगर रावण की लंका जल गईं...।
ऐसा ही कुछ मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के दरबार में उनके ही मंत्रीमंडल के मंत्री राजेंद्र गुड्डा नें नारी अस्मिता के सम्मान के लिए आवाज उठाई, उसका कार्य हनुमानजी के समान ही था । कांग्रेस के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने रावण की तरह गुढा को दंड तो दे दिया.... मंत्री पद से बर्खास्त कर दिया, विधानसभा से निलबित कर दिया, मगर यह दंड उल्टा उनकी ही लंका को जला देगा।
यह समझा जाना चाहिए की राजनीति में करोड़ों - करोड़ों मतदाता सत्ता के द्वारा किए जा रहे अन्याय अधर्म अनीति सब को देखते हैं और फिर वह धर्म के साथ रहकर वोट करते हैं। राजस्थान कांग्रेस की राज्य सरकार ने जो कार्यवाही राजेंद्र गुड्डा के विरुद्ध कार्रवाई की है वह अधर्म है, अनीति है व अन्यायपूर्ण है, यह सच बोलने पर अपमानित करने का, अन्यायपूर्वक दंडित करने का दुसाहस है।
राजस्थान की नारी शक्ति की आवाज उठाने वाले निर्दोष व्यक्ति की आवाज को दमन करने का प्रयास है। गुढ़ा इस मामले में पूरी तरह निर्दोष हैं और निर्दोष पर ढहाया गया जुल्म, राजनीति में हमेशा नुकसान दायक होता है । इस घटनाक्रम के द्वारा गहलोत सरकार ने अपनी ही सरकार के खिलाफ राजस्थान में जनमानस तैयार कर लिया है जो उनकी सरकार को विदा करके रहेगा।
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