भारतीय परंपरा विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के आपसी मिलन का स्वागत करती है - अरविन्द सिसोदिया

इस समय भारत में अतिरिक्त स्वतन्त्रता का युग चल रहा है , जिसमें गलत करने वाले लोग अति स्वतन्त्र हैं । अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर भारत की संसद पर हमले के मास्टर माइंड अफजल के पक्ष में नारे लगाए जाते हैं , उसकी सजा माँफी के लिये हस्ताक्षर अभियान चलाया जाता है । इस तरह के लोग ही भारत में गलत अवधारणाओं को उतपन्न करने और उन्हें समाज में परोस कर इश्यू बनानें की कोशिश करते हैं । मौजूदा समय का विपक्ष भी अनैतिक बातों में अधिक दिलचस्पी रखता प्रतीत हो रहा है ।

हम भगवान राम के दरबार  से लेकर भारत के हालिया राजाओं के शासन तक राज्य के सभी अंगों को एक साथ देखते रहे हैं । इससे कोई स्वतन्त्रता प्रभावित नहीं होती ।, बल्कि सामंजस्य बढ़ता है ।

भारत के मुख्य न्यायाधीश के निवास पर स्थापित गणपति प्रतिमा की आरती में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का पहुंचना , स्वागत योग्य कदम है क्योंकि भारत के एक संबिधान के ही अंग विधायिका ,  कार्यपालिका , न्यायपालिका हैं । इसलिये इन तीनों को मिल कर ही काम करना चाहिए ।

ब्रिटेन की क्या परंपरा रही उससे हमें बचना चाहिए , क्योकि हम 1947 से उनसे मुक्त हैं । बल्कि हमें अपनी परंपराओं को अपनाना चाहिए , क्योंकि वे अपनी हैं । हमारी परंपरा में चाहे राम राज्य का समय रहा हो या महाभारत का , शासन की सभी शक्तियां एक साथ रहीं हैं , इसी से सामंजस्य होता है , विचारों का आदान प्रदान होता है । हमारी परंपरा में और विश्व के अन्य देशों में भी सर्वोच्च विधायिका ही होती है । भारत का संविधान भी विधायिका को न्यायपालिका के हस्तक्षेप को रोकने की अनुमति स्थिति विशेष में देता है । इस प्रकार से सर्वोच्च विधायिका ही है ।
 
भारत के सर्वोच्च न्यायालय के द्वारा प्रधानमंत्री को बुलाना गलत नहीं है । मेरा तो मानना यह है कि प्रतिसप्ताह सोमवार को  प्रधानमंत्री, सेना के प्रमुख और न्यायपालिका के मुख्यन्यायाधीश के साथ महामहिम राष्ट्रपति महोदय की बैठक होनी चाहिए । इस तरह की बैठकों का मीडिया कवरेज नहीं होना चाहिए, उसका कोई भी अंश प्रकाशन योग्य नहीं होना चाहिए।
------------------------
PM मोदी-CJI चंद्रचूड़ से 75 साल पहले जज की पार्टी पर हुआ बवाल, पटेल को देना पड़ा दखल

PM Narendra Modi- CJI DY Chandrachud: नेताओं के जजों के प्राइवेट कार्यक्रम में जाने को लेकर बवाल आजादी के ठीक बाद शुरू हो गया था. तत्कालीन गृहमंत्री वल्लभभाई पटेल को हस्तक्षेप करना पड़ा था ।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) CJI डीवाई चंद्रचूड़ के बुलावे पर उनके घर गए और गणेश पूजा में शामिल हुए. प्रधानमंत्री ने अपने ट्विटर हैंडल से सीजेआई के साथ तस्वीरें साझा की और लिखा, ‘चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ के घर गणेश पूजा में शामिल हुआ. भगवान गणेश हम सबको सुख, समृद्धि और अच्छा स्वास्थ्य प्रदान करें…’ पीएम के सीजेआई (CJI DY Chandrachud) के निजी समारोह में शामिल होने सियासी घमासान मच गया. विपक्ष इसे कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर हमला बता रहा है. वकीलों का एक गुट भी हमलावर है.

राजगोपालाचारी को जज की पार्टी में बुलाया तो भड़क गए-----

हालांकि यह पहला मौका नहीं है जब कोई नेता या जज किसी प्राइवेट कार्यक्रम में शामिल हुए हों. खासकर जजों के प्राइवेट पार्टी में शामिल होने को लेकर तो सुप्रीम कोर्ट में लंबे समय से बहस चलती आ रही है.

शुरुआत आजादी के 2 साल बाद फरवरी 1949 में हो गई थी. गवर्नर जनरल सी. राजगोपालाचारी को फेडरल कोर्ट के जज एमसी महाजन के सम्मान में आयोजित एक पार्टी में इनवाइट किया गया. यह पार्टी दिल्ली के रोशनआरा क्लब में रखी गई थी. राजगोपालाचारी इस न्योते से बहुत नाराज हुए. उन्होंने गृहमंत्री वल्लभभाई पटेल को चिट्ठी लिखी और कहा, ‘मुझे इस तरीके से जजों, सरकारी अफसरों आदि के लिए प्रभावशाली व्यक्तियों द्वारा आयोजित पार्टी कतई पसंद नहीं है…’

बॉम्बे हाई कोर्ट के एडवोकेट अभिनव चंद्रचूड़ पेंगुइन से प्रकाशित अपनी किताब ‘सुप्रीम व्हिसपर्स’ (Supreme Whispers) में लिखते हैं कि वल्लभभाई पटेल ने तत्कालीन CJI हरिलाल जे. कानिया से बात की और महाजन को भी राजगोपालाचारी की राय से अवगत कराया. आखिर में पटेल ने राजाजी को चिट्ठी लिखी और कहा, ‘संभावना है कि अब वो कार्यक्रम रद्द कर दिया जाए…’ हालांकि बाद में जब साल 1954 में जस्टिस महाजन रिटायर हुए तो उन्होंने खुद स्वीकार किया कि उनके सम्मान में बार और स्टाफ ने गार्डन पार्टी आयोजित की थी.

टिप्पणियाँ

इन्हे भी पढे़....

हमारा देश “भारतवर्ष” : जम्बू दीपे भरत खण्डे

सेंगर राजपूतों का इतिहास एवं विकास

Veer Bal Diwas वीर बाल दिवस और बलिदानी सप्ताह

चुनाव में अराजकतावाद स्वीकार नहीं किया जा सकता Aarajktavad

‘फ्रीडम टु पब्लिश’ : सत्य पथ के बलिदानी महाशय राजपाल

महाराष्ट्र व झारखंड विधानसभा में भाजपा नेतृत्व की ही सरकार बनेगी - अरविन्द सिसोदिया

भारत को बांटने वालों को, वोट की चोट से सबक सिखाएं - अरविन्द सिसोदिया

शनि की साढ़े साती के बारे में संपूर्ण

ईश्वर की परमशक्ति पर हिंदुत्व का महाज्ञान - अरविन्द सिसोदिया Hinduism's great wisdom on divine supreme power

देव उठनी एकादशी Dev Uthani Ekadashi