जम्मू और कश्मीर का मतदान प्रतिशत मोदीजी के निर्णय का स्वागत - - अरविन्द सिसौदिया
जम्मू और कश्मीर का मतदान प्रतिशत पाकिस्तान परस्तों के मुंह पर तमांचा - अरविन्द सिसौदिया
जम्मू कश्मीर में दूसरे चरण के लिए 26 सीटों पर एक बार फिर बंपर मतदान हुआ। इससे पहले भी प्रथम चरण में भी भारी मतदान हुआ था । अभी तक 90 में से 50 सीटों पर मतदान हो चुका है। कुल मिला कर यह गत 4 लोकसभा और 3 विधानसभा कुल 7 चुनावों में रहे मतदान औसत से अधिक वर्तमान मतदान औसत है।
भारत की केन्द्र सरकार के द्वारा राज्य से धारा 370 हटानें के बाद यह चुनावी हुआ है। इसका विरोध की तमाम पुरानें दिग्गजनेता गण कर रहे थे। जम्मू और कश्मीर के विकास विरोधी ताकतों के द्वारा आतंकवाद की बाढ़ लाकर चुनावों से ठीक पहले भय उत्पन्न कर चुनाव प्रभावित करना चाहते थे, वे चाहते थे कि मतदान प्रतिशत नगण्य हो ताकि विश्व बिरादरी को बताया जा सके कि जम्मू और कश्मीर का जनमत भारत के साथ नहीं है। मगर वहां की जनता नें मतदान में बढ़चढ़ कर हिस्सा लेकर यह बता दिया कि वे आतंकवाद नहीं आधुनिक कश्मीर चाहते हैं। इस मतदान का सीधा सा अर्थ है कि भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के द्वारा जम्मू और कश्मीर में किये गये बदलावों का समर्थन हुआ है।
मतदान प्रतिशत का 50 प्रतिशत से अधिक होना भी यह दर्शित करता है कि आतंकवाद की तमाम दहशस्तगर्दी की घटनाओं के बाद भी वहां की जनता एक विकसित जम्मू और कश्मीर चाहती है। यूं भी देश के दूसरे हिस्सों में भी मतदान प्रतिशत 50 से 70 प्रतिशत के मध्य ही रहता है। इस दृष्टिकोंण से भी जम्मू और कश्मीर का मतदान प्रतिशत रिकार्ड भी है और स्वागत योग्य भी है।
जम्मू और कश्मीर में मतदान का प्रतिशत मोदी जी की सरकार के निर्णय का स्वागत ही करता है। रहा सवाल सरकार बनाने का वह वहां की जनता का अधिकार है कि वह किसे चुने किन्तु प्रथम दृष्टया जम्मू और कश्मीर के मतदाताओं नें भारत सरकार के बदलावों और भारत निर्वाचन आयोग के चुनाव कार्यक्रम के समर्थन के रूप में भारी मतदान करते हुये अपना विश्वास प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की नीतियों में व्यक्त किया है। यह वहां के लोगों का लोकतंत्र में विश्वास का भी प्रमाण है।
ये मतदान जम्मू और कश्मीर के लोगों के द्वारा भारत में विश्वास व्यक्त करना भी है। जो नेतागण पाकिस्तान से बातचीत की पैरवी कर रहे थे उनके मुंह पर चमांचा भी है।
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Voting percentage in Jammu and Kashmir is a slap on the face of Pakistan supporters - Arvind Sisodia
In Jammu and Kashmir, bumper voting was done once again on 26 seats for the second phase. Earlier also, heavy voting was done in the first phase. So far, voting has been done on 50 out of 90 seats. Overall, this current voting average is more than the voting average in the last 4 Lok Sabha and 3 assembly elections, a total of 7 elections.
This election has been held after the Central Government of India removed Article 370 from the state. Many old veteran leaders were opposing it. The anti-development forces of Jammu and Kashmir wanted to influence the elections by creating fear just before the elections by bringing a flood of terrorism, they wanted the voting percentage to be negligible so that the world community could be told that the public opinion of Jammu and Kashmir is not with India. But the people there participated in the voting in large numbers and told that they do not want terrorism, but modern Kashmir. This voting simply means that the changes made by the Prime Minister of India, Narendra Modi, in Jammu and Kashmir have been supported.
The voting percentage being more than 50 percent also shows that despite all the incidents of terrorism, the people there want a developed Jammu and Kashmir. In other parts of the country too, the voting percentage remains between 50 to 70 percent. From this point of view, the voting percentage in Jammu and Kashmir is a record and is also welcome.
The voting percentage in Jammu and Kashmir welcomes the decision of Modi ji's government. As far as the question of forming a government is concerned, it is the right of the people there to choose whom, but prima facie, the voters of Jammu and Kashmir have expressed their faith in the policies of Prime Minister Narendra Modi by voting heavily in support of the changes made by the Government of India and the election program of the Election Commission of India. This is also a proof of the faith of the people there in democracy.
This voting is also an expression of faith in India by the people of Jammu and Kashmir. Those leaders who were advocating for talks with Pakistan also have a slap on their face.
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