संकल्प लें अगले कई सौ वर्ष भारतमाता के लिए जियेंगे - अरविन्द सिसोदिया Bharat mata
संकल्प लें अगले कई सौ वर्ष भारतमाता के लिए जियेंगे - अरविन्द सिसोदिया
भारतवर्ष एक विशाल साम्राज्य था जिसके अब तक 24/25 टुकड़े हो गए ज्यादातर इस्लामिक देश बन गए , भारत खुद एक एक हिन्दू देश नहीं रहा , इस पर भी इस्लामिक कसावट कसी हुई है । कांग्रेस मूलरूप से हिन्दू विरोधी पार्टी है , इसकी स्थापना ईसाई अधिकारी नें की थी और वर्तमान में इस पर ईसाई बर्चस्व है , जो लगातार हिंदुत्व को निशाने पर लिए हुये है ।
हमारी सबसे बड़ी कमजोरी यही है कि हमने पुरुषार्थ छोड़ दिया , हम सिर्फ प्रतिमा पूजा तक ही सीमित हो गए और नतीजा यही रहा कि जब चाहा तब हमें खदेड़ दिया गया । जब चाहा तब हमारे मन्दिर मठ तोड़ दिए गए , कभी ईरान , अफगानिस्तान, सिंध , कश्मीर घाटी , बलूचिस्तान से लेकर इंडोनेशिया, तिब्बत , नेपाल, ब्रह्म देश में हम ही हम थे । भारतीय प्रायदीप पर 2/3 हजार साल पहले तक सिर्फ सनातन था , हिंदुत्व था ।
स्वामी विवेकानन्द जी नें कहा था अब हमें अगले सौ साल तक सिर्फ और सिर्फ भारतमाता की पूजा करनी चाहिए , ताकी भारत बच सके । भारत को बचाने की साधना सिर्फ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ नें की !
अब देश के हालात आमने - सामने की लड़ाई जैसे होनें वाले हैं , षड्यन्त्र लगातार चल रहे हैं , षडयन्त्रों का प्रबल प्रतिकार हो नहीं रहा है । आततायियों नें सिर उठा रखा है । इन परिस्थितियों में देश के लिए जीने की जरूरत है ।
हमारे देवों की प्रतिमाएं पुरषार्थ का संदेश देती हैं , मगर हम सर्वाधिक शांतिप्रिय हो गए हैं । हम गीता का गौरवशाली सन्देश भूल गए ।
अर्थात संकल्प लें कि अगले सौ वर्ष भारतमाता के हितों को सर्वोच्च रख कर भारतमाता के लिए ही जियेंगे ।
भारतवर्ष एक विशाल साम्राज्य था जिसके अब तक 24/25 टुकड़े हो गए ज्यादातर इस्लामिक देश बन गए , भारत खुद एक एक हिन्दू देश नहीं रहा , इस पर भी इस्लामिक कसावट कसी हुई है । कांग्रेस मूलरूप से हिन्दू विरोधी पार्टी है , इसकी स्थापना ईसाई अधिकारी नें की थी और वर्तमान में इस पर ईसाई बर्चस्व है , जो लगातार हिंदुत्व को निशाने पर लिए हुये है ।
हमारी सबसे बड़ी कमजोरी यही है कि हमने पुरुषार्थ छोड़ दिया , हम सिर्फ प्रतिमा पूजा तक ही सीमित हो गए और नतीजा यही रहा कि जब चाहा तब हमें खदेड़ दिया गया । जब चाहा तब हमारे मन्दिर मठ तोड़ दिए गए , कभी ईरान , अफगानिस्तान, सिंध , कश्मीर घाटी , बलूचिस्तान से लेकर इंडोनेशिया, तिब्बत , नेपाल, ब्रह्म देश में हम ही हम थे । भारतीय प्रायदीप पर 2/3 हजार साल पहले तक सिर्फ सनातन था , हिंदुत्व था ।
स्वामी विवेकानन्द जी नें कहा था अब हमें अगले सौ साल तक सिर्फ और सिर्फ भारतमाता की पूजा करनी चाहिए , ताकी भारत बच सके । भारत को बचाने की साधना सिर्फ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ नें की !
अब देश के हालात आमने - सामने की लड़ाई जैसे होनें वाले हैं , षड्यन्त्र लगातार चल रहे हैं , षडयन्त्रों का प्रबल प्रतिकार हो नहीं रहा है । आततायियों नें सिर उठा रखा है । इन परिस्थितियों में देश के लिए जीने की जरूरत है ।
हमारे देवों की प्रतिमाएं पुरषार्थ का संदेश देती हैं , मगर हम सर्वाधिक शांतिप्रिय हो गए हैं । हम गीता का गौरवशाली सन्देश भूल गए ।
अर्थात संकल्प लें कि अगले सौ वर्ष भारतमाता के हितों को सर्वोच्च रख कर भारतमाता के लिए ही जियेंगे ।
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