विदेशी कर्ज में भारत , अमेरिका और चीन से बहुत बेहतर है - अरविन्द सिसोदिया
विदेशी कर्ज में भारत , अमेरिका और चीन से बहुत बेहतर है - अरविन्द सिसोदिया
देश में एक बात फैलाई जा रही है कि भारत बहुत ज्यादा कर्जदार है और कर्ज लेकर तीसरी बड़ी आर्थिक शक्ति बनने जा रहा है । यह बात आम भारतीयों के बीच एक राजनैतिक भ्रम फैलाने का षड्यंत्र है । इसे अच्छे से समझना होगा । क्योंकि विश्व की अर्थव्यवस्था में उत्पादन वृद्धि कभी भी लाभ के धन से नहीं हुई है क्योंकि यह बहुत कम होता है , हमेशा उत्पादन वृद्धि में कर्ज से धन लगा कर उत्पादन वृद्धि करके आय के स्रोत को बढ़ाया जाता है ।
भारत पर विदेशी कर्ज होना नई बात नहीं है बल्कि यह कई दशकों से निरन्तर चला आरहा है । एक वह समय भी था, जब कर्ज से पैसा ले कर भी हम उत्पादन नहीं कर पाते थे , क्योंकि हमारे सार्वजनिक उपक्रमों का रिकार्ड बेहद खराब था ।
मोदीजी के युग में रख बड़ा बदलाब यह आया है कि हम अपने देश मे वैज्ञानिकता को बढ़ाबा दे रहे हैं । इससे देश में उत्पादन का माहौल बना है । इसी कारण हम विश्व अर्थव्यवस्था में अपनी जगह बना रहे हैं ।
जहां तक विदेशी कर्ज की बात है उसमें भारत की स्थिति बुरी नहीं है बल्कि हम अपनी क्षमता के अनुरूप ठीकठाक ही हैं।
सबसे ज्यादा विदेशी कर्ज अमरीका , चीन , ब्रिटेन , जापान आदि देशों पर है और विदेशी कर्ज के कारण ही वे विश्व के सबसे बड़े उत्पादक देश भी बने हुए हैं । इसलिए भारत पर विदेशी कर्ज को लेकर कतई चिन्ता नहीं करना चाहिए । इसी से उत्पादकता बढ़ती है । अगर विश्व की अग्रणी अर्थशक्ति बनना है तो विदेशों से सस्ता कर्ज लेना चाहिए और उससे सुनिश्चित उत्पादन बढ़ाना चाहिये ।
देश में एक बात फैलाई जा रही है कि भारत बहुत ज्यादा कर्जदार है और कर्ज लेकर तीसरी बड़ी आर्थिक शक्ति बनने जा रहा है । यह बात आम भारतीयों के बीच एक राजनैतिक भ्रम फैलाने का षड्यंत्र है । इसे अच्छे से समझना होगा । क्योंकि विश्व की अर्थव्यवस्था में उत्पादन वृद्धि कभी भी लाभ के धन से नहीं हुई है क्योंकि यह बहुत कम होता है , हमेशा उत्पादन वृद्धि में कर्ज से धन लगा कर उत्पादन वृद्धि करके आय के स्रोत को बढ़ाया जाता है ।
भारत पर विदेशी कर्ज होना नई बात नहीं है बल्कि यह कई दशकों से निरन्तर चला आरहा है । एक वह समय भी था, जब कर्ज से पैसा ले कर भी हम उत्पादन नहीं कर पाते थे , क्योंकि हमारे सार्वजनिक उपक्रमों का रिकार्ड बेहद खराब था ।
मोदीजी के युग में रख बड़ा बदलाब यह आया है कि हम अपने देश मे वैज्ञानिकता को बढ़ाबा दे रहे हैं । इससे देश में उत्पादन का माहौल बना है । इसी कारण हम विश्व अर्थव्यवस्था में अपनी जगह बना रहे हैं ।
जहां तक विदेशी कर्ज की बात है उसमें भारत की स्थिति बुरी नहीं है बल्कि हम अपनी क्षमता के अनुरूप ठीकठाक ही हैं।
सबसे ज्यादा विदेशी कर्ज अमरीका , चीन , ब्रिटेन , जापान आदि देशों पर है और विदेशी कर्ज के कारण ही वे विश्व के सबसे बड़े उत्पादक देश भी बने हुए हैं । इसलिए भारत पर विदेशी कर्ज को लेकर कतई चिन्ता नहीं करना चाहिए । इसी से उत्पादकता बढ़ती है । अगर विश्व की अग्रणी अर्थशक्ति बनना है तो विदेशों से सस्ता कर्ज लेना चाहिए और उससे सुनिश्चित उत्पादन बढ़ाना चाहिये ।
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$35 ट्रिलियन के पार पहुंचा अमेरिका का कर्ज, देखिए किन देशों का है सबसे ज्यादा बकाया
अमेरिका का कर्ज 35 ट्रिलियन डॉलर के पार पहुंच चुका है। हाल में इसमें काफी तेजी आई है और यह अमेरिकी जीडीपी का 127 फीसदी हो चुका है। हालत यह हो गई है कि अमेरिका को रोज करीब दो अरब डॉलर ब्याज के भुगतान में खर्च करने पड़ रहे हैं।
हाइलाइट्स
अमेरिका का कर्ज 35 ट्रिलियन डॉलर के पार पहुंचा
यह देश की कुल जीडीपी का करीब 127 फीसदी है
देश के प्रत्येक नागरिक पर 1,04,507 डॉलर का कर्ज
नई दिल्ली: दुनिया की सबसे बड़ी इकॉनमी वाले देश अमेरिका का कर्ज 35 ट्रिलियन डॉलर के पार पहुंच चुका है। यह देश की जीडीपी का करीब 127 फीसदी है। अमेरिका की जीडीपी का साइज 28.6 ट्रिलियन डॉलर है। पिछले एक साल के मुकाबले अमेरिका के कर्ज में 2.2 ट्रिलियन डॉलर की तेजी आई है जबकि इस दौरान देश की इकॉनमी 1.6 ट्रिलियन डॉलर बढ़ी है। जुलाई 2024 के आंकड़ों के मुताबिक अमेरिका के प्रत्येक नागरिक पर 1,04,507 डॉलर का कर्ज है। हालत यह हो गई है कि अमेरिका को रोज करीब दो अरब डॉलर ब्याज के भुगतान में खर्च करने पड़ रहे हैं। अगले दशक तक देश का कर्ज 54 ट्रिलियन डॉलर पहुंचने का अनुमान है।
दुनिया में डेट टु जीडीपी की बात करें तो इसमें जापान 252% के साथ पहले नंबर पर है। यानी जापान का कर्ज उसकी जीडीपी से 252% अधिक है। इस लिस्ट में सूडान (239%) दूसरे, सिंगापुर (163%) तीसरे, ग्रीस (160%) चौथे, इटली (143%) पांचवें और अमेरिका छठे नंबर पर है। उसके बाद भूटान (123%), बहरीन (119%), लाओस (118%) और मालदीव (112%) का नंबर है। जी-20 देशों की बात करें तो इन देशों के प्रत्येक नागरिक पर औसतन 23,617 डॉलर का कर्ज है। इस लिस्ट में भारत सबसे नीचे है। भारत के प्रत्येक व्यक्ति पर केवल 1,316 डॉलर का कर्ज है।
अमेरिका पर किसका बकाया
सवाल उठता है कि अमेरिका पर किस देश का सबसे ज्यादा बकाया है। अमेरिका पर विदेशी डेट होल्डर्स का 8.33 ट्रिलियन डॉलर का कर्ज है। इस लिस्ट में जापान पहले नंबर पर है। जापान के निवेशकों का अमेरिका पर 1.11 ट्रिलियन डॉलर का कर्ज है। इसी तरह चीन के निवेशकों की यूएस डेट में 776.5 अरब डॉलर की हिस्सेदारी है। इसके बाद यूके ($728.3 अरब), लक्जमबर्ग ($399.9 अरब), कैमैन आइलैंड ($378.1 अरब), कनाडा ($377.7 अरब), बेल्जियम ($315.9 अरब), आयरलैंड ($312.7 अरब), फ्रांस ($290.9 अरब) और स्विट्जरलैंड ($285.4 अरब) की हिस्सेदारी है।
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दुनिया के कौन से देश पर है सबसे ज्यादा कर्ज और किस स्थान पर है भारत ? पढ़िए पूरी डिटेल
जानिए कि दुनिया के कौन से देश पर सबसे ज्यादा कर्ज है और इस लिस्ट में भारत कहां है.
July 7, 2024,
दुनिया के कई देशों पर काफी ज्यादा विदेशी कर्ज है और वे इसी के सहारे अपनी इकोनॉमी को चलाने की कोशिश कर रहे हैं. वर्ल्ड ऑफ स्टैटिस्टिक्स ने सोशल मीडिया साइट X (ट्विटर) पर इसे लेकर एक रिपोर्ट जारी की है. 'कॉन्ट्रीज विद द हाईएस्ट डेट इन 2023' टाइटल वाली इस रिपोर्ट में बताया गया है कि 33,229 अरब डॉलर (27,73,858 करोड़ रुपए) के कर्ज के साथ अमेरिका कर्ज लेने वाले देशों की लिस्ट में सबसे ऊपर है.
अमेरिका के बाद चीन पर सबसे ज्यादा कर्ज
अमेरिका के बाद चीन 14,692 अरब डॉलर (12,26,444 करोड़ रुपए),
जापान 10,797 अरब डॉलर (9,01,301 करोड़ रुपए) और
यूनाइटेड किंगडम यानी यूके पर 3,469 अरब डॉलर (2,89,581 करोड़ रुपए) का कर्ज है.
इन देशों के अलावा फ्रांस 3,354 अरब डॉलर (2,79,982 करोड़ रुपए) है. लिस्ट में शामिल अन्य देशों में इटली: 3,141 अरब डॉलर (262201 करोड़ रुपए), भारत: 3,057 अरब डॉलर (255189 करोड़ रुपए), जर्मनी: 2,919 अरब डॉलर (2,43,669 करोड़ रुपए), कनाडा: 2,253 अरब डॉलर (1,88,073 करोड़ रुपए) और ब्राजील: 1,873 अरब डॉलर (1,56,352 करोड़ रुपए) हैं.
भारत का स्थान
भारत 3,057 अरब डॉलर (255189 करोड़ रुपए) के कर्ज के साथ 2023 में सबसे ज्यादा कर्ज वाले देशों की लिस्ट में 7वें स्थान पर है.
अन्य देशों पर कितना लोन
ब्राजील के बाद स्पेन: 1,697 अरब डॉलर (1,41,660 करोड़ रुपए), मैक्सिको: 955 अरब डॉलर (79,720 करोड़ रुपए), दक्षिण कोरिया: 928 अरब डॉलर (77466 करोड़ रुपए), ऑस्ट्रेलिया: 876 अरब डॉलर (73,125 करोड़ रुपए) और सिंगापुर 835 अरब डॉलर (69,703 करोड़ रुपए) का नंबर आता है.
CIA वर्ल्ड फैक्ट बुक की रिपोर्ट
2019 में सीआईए वर्ल्ड फैक्टबुक की तरफ से जारी 'द कॉन्ट्रीज विद द मोस्ट फॉरेन डेट' रिपोर्ट में भी अमेरिका पहले स्थान पर था. रिपोर्ट में बताया गया है कि 2019 में अमेरिका पर 17.91 ट्रिलियन डॉलर (17,91,000 करोड़ रुपए) का कर्ज था. इसके बाद यूनाइटेड किंगडम का नंबर आता है, जिस पर 8.13 ट्रिलियन डॉलर (8,13,000 करोड़ रुपए) का कर्ज है. इसके बाद फ्रांस का नंबर आता है, जिस पर 5.36 ट्रिलियन डॉलर (5,36,000 करोड़ रुपए) का कर्ज था.
लक्समबर्ग, नीदरलैंड और बेल्जियम जैसे छोटे देशों भी इस लिस्ट में शामिल हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि इन देशों में बैंकिंग सेक्टर ने बहुत ज्यादा विदेशी कर्ज लेकर अपनी सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के तहत नागरिकों पर बहुत ज्यादा धन खर्च किया. दूसरी ओर छोटे देशों, खासतौर पर छोटे द्वीपीय देशों और कई अफ्रीकी देशों पर सबसे कम विदेशी कर्ज है.
इन्वेस्टोपीडिया के अनुसार विदेशी कर्ज वह रकम होती है जो किसी सरकार, निगम या निजी घराने की ओर से किसी अन्य देश की सरकार या निजी कर्जदाताओं से उधार ली जाती है. हाल के दशकों में विदेशी कर्ज में लगातार बढ़ोतरी हुई है, जिसका कुछ उधार लेने वाले देशों, विशेष रूप से विकासशील अर्थव्यवस्थाओं पर काफी बुरा असर पड़ा है.
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