कलंक से मुक्त होते ही दिल्ली, आतंकवादी की निकटता में फंसी
कलंक से मुक्त होते ही दिल्ली, आतंकवादी की निकटता में फंसी
यूं तो अरविन्द केजरीवाल नें दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है, क्यों कि उनके पास कोई ओर विकल्प ही नहीं था। भारत के सर्वोच्च न्यायालय नें जमानत में ही उन्हे मुख्यमंत्री पद से दूर रखा था, क्यों कि एक न्यायालय को उनके ऊपर लेगे आरोपों में सच्चाई दिखी होगी। यूं भी केजरीवाल की जल्दी जल्दी सुनवाई के अवसरों के कारण न्यायपालिका प्रश्न चिन्हित हो रही थी।
केजरीवाल नें मुख्यतौर पर दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा तो इसीलिये दिया है कि रोज रोज फजीहत होती। खबरें बनती , लेख लिखे होते, टिपपणियां होतीं, कि जमानतसुदा मुख्यमंत्री को पद पर कार्य करने से रोक के कारण सरकार के कामकाज अटके पडे हैं।
पूरी दुनिया अपरोक्षरूप से जंग लडती रहती है, विशेषकर बडे देशों के षढयंत्रों के कारण बहुत से देश परेशान रहते हैं, क्यों कि अपने हितों के लिये किसी भी देश की आंतरिक व्यवस्था में अपरोक्ष हस्तक्षेप इस तरह की गुप्त जंगों का हिस्सा है। हाल ही में इस तरह की गुप्त गतिविधि का शिकार बांगलादेश हुआ। अमेरिकी हितो का ठकराव था, अमेरिका एक दीप पर अपना बर्चस्व चाहता था, उसमें वहीं की पंधानमंत्री बाधा थीं, उन्होनें वहां आराजकता उत्पन्न करवा दी। प्रधानमंत्री को देश छोड कर जान बचानी पडी।
भारत में भी इस तरह के बहुत सारे आन्दोलन चलते रहते जिन्हे मेनटेन करना पडता है। कांग्रेस के मनमोहनसिंह सरकार के खिलाफ उस समय अन्ना का आन्दोलन हुआ जिसके पीछे साम्यवादी विचारधारा के सौफ्ट चेहरे थे, जो अमेरिका के धन से भारत में एक जी ओ चलाते थे। केजरीवाल उसी आन्दोलन की उपज हैं।
दिल्ली के मुख्यमंत्री रहते हुये केजरीवाल अनैतिकता से मुख्यमंत्री बने रहे, जब जमानत में भी न्यायालय नें इस तरह की बंदिश लगा दी कि मुख्यमंत्री के अधिकारों को छू तक नहीं सकोगे , तब उन्होनें सहानुभूति अर्जित करने के लिये मजबूरी में पद छोडा । किन्तु जिसको पद दिया जा रहा है, उससे यह एक्सपोज हो गया है कि आप पार्टी के पीछे की ताकते साम्यवादी है। वहीं नये मुख्यमंत्री के परिवार की आतंकवादी को फांसी से बचानें के प्रयास में संलिप्तता नें नया प्रश्न खडा कर दिया है। इसलिये केन्द्र सरकार और सुरक्षा एजेंसियों का सावधान रहना होगा कि कहीं शहरी नक्सलवाद न पनप जाये।
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क्या है आतिशी मार्लेना का 'अफजल गुरु से कनेक्शन'? दिल्ली की बनीं सीएम तो 'आप' पर टूट पड़ीं स्वाति मालीवाल
अरविंद केजरीवाल ने आतिशी को दिल्ली का अगला सीएम बनाने का फैसला किया तो स्वाति मालीवाल ने 'आप' पर जमकर हमला
Swati Maliwal On Atishi New CM Of Delhi
दिल्ली की सियासत में बड़ा बदलाव हो चुका है। अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने आतिशी (Atishi) को मुख्यमंत्री बनाने का फैसला किया है। इस फैसले से आम आदमी पार्टी की राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल खुश नहीं हैं और उन्होंने सोशल मीडिया के जरिए कहा कि दिल्ली के लिए आज बहुत बुरा दिन हैं। वहीं, दिल्ली में BJP के उपाध्यक्ष कपिल मिश्रा ने भी आतिशी के सीएम बनने पर अरविंद केजरीवाल पर जमकर हमला बोला।
जेल से जमानत मिलने के बाद अरविंद केजरीवाल ने बड़ा ऐलान करते हुए कहा कि वो दो दिन बाद सीएम पद से इस्तीफा दे देंगे। उनके इस बयान के बाद दिल्ली में सियासी हलचल बढ़ गई और सब उस चेहरे का इंतजार कर रहे थे जिसे केजरीवाल मुख्यमंत्री चुनेंगे। मंगलवार को आम आदमी पार्टी के विधायकों की बैठक हुई और उसमें ये फैसला लिया गया कि आतिशी को दिल्ली की कमान सौंपी जाएगी।
स्वाति मालीवाल ने उठाया सवाल
स्वाति मालीवाल ने अपने X अकाउंट पर आतिशी की मां का एक पुराना वीडियो शेयर करते हुए आम आदमी पार्टी पर हमला बोला। उन्होंने लिखा, ''दिल्ली के लिए आज बहुत दुखद दिन है। आज दिल्ली की मुख्यमंत्री एक ऐसी महिला को बनाया जा रहा है जिनके परिवार ने आतंकवादी अफजल गुरु को फांसी से बचाने की लंबी लड़ाई लड़ी। उनके माता पिता ने आतंकी अफजल गुरु को बचाने के लिए माननीय राष्ट्रपति को दया याचिकाऐं लिखी। उनके हिसाब से अफजल गुरु निर्दोष था और उसको राजनीतिक साजिश के तहत फंसाया गया था। वैसे तो आतिशी सिर्फ ‘डमी सीएम’ है, फिर भी ये मुद्दा देश की सुरक्षा से जुड़ा हुआ है। भगवान दिल्ली की रक्षा करे।''
कपिल मिश्रा ने भी बोला हमला
भाजपा नेता कपिल मिश्रा ने भी आतंकवादी अफजल गुरु का मुद्दा उठाकर अरविंद केजरीवाल और 'आप' पर करारा प्रहार किया। उन्होंने अपने X अकाउंट पर लिखा, ''आतिशी के परिवार ने आतंकवादी अफजल गुरु की फांसी रुकवाने का प्रयास किया था। नक्सली मानसिकता को बैकडोर से दिल्ली पर थोपने का पाप केजरीवाल कर रहें हैं। आज आम आदमी पार्टी एक ऐसा CM चुन रही हैं जिसका अन्ना आंदोलन और इंडिया अगेंस्ट करप्शन से कोई नाता कभी नहीं रहा। दिल्ली की जनता एक नक्सली कम्युनिस्ट मुख्यमंत्री को कभी स्वीकार नहीं करेगी।
पिछले 2 सालों में बढ़ा आतिशी का कद
मार्च 2023 में आतिशी को कैबिनेट मंत्री बनाया गया। उन्हें सबसे ज्यादा मंत्रालय का जिम्मा मिला। जब दिल्ली शराब घोटाले में फंसने के बाद मनीष सिसोदिया से लेकर अरविंद केजरीवाल को सलाखों के पीछे जाना पड़ा, तब आतिशी ने मोर्चा संभाला। आतिशी ने पार्टी को मजबूती से संभाला। स्वतंत्रता दिवस पर तिरंगा फहराने के लिए भी केजरीवाल ने आतिशी के ही नाम की सिफारिश की थी।
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