कांग्रेस ने भयानक महंगाई बनाये रखने, 1,30,000 टन आलू का निर्यात किया था
कांग्रेस सरकार ने देश में भयानक महंगाई होते हुए भी ,
साल 2013-14 (31 मार्च तक) करीब 1,30,000 टन आलू का निर्यात किया था
जो वर्तमान महंगाई का कारण है !
इसी तरह प्याज की कालाबाजारी महाराष्ट्र की कांग्रेस सरकार की साजिस से होती है
जमाखोरी रोकने के लिए आलू और प्याज के कारोबार पर स्टॉक लिमिट होगी लागू
POLICY TEAM|Jul 03, 2014
नई दिल्ली। महंगाई पर काबू पाने के लिए सरकार सक्रिय हो गई है। केंद्र सरकार ने प्याज का न्यूनतम निर्यात मूल्य बढ़ाने के बाद जमाखोरी रोकने के लिए आलू और प्याज को मंडी कानून (एपीएमसी एक्ट) से बाहर कर दिया है। वहीं, सरकार ने इन दोनों सब्जियों के कारोबार को स्टॉक होल्डिंग सीमा के दायरे में लाने का फैसला किया है। जल्द ही इससे जुड़ा नोटिफिकेशन जारी होगा, जिसके बाद राज्य सरकार इस ओर कदम उठाएंगी।
जमाखोरों की खैर नहीं
कैबिनेट बैठक के बाद कानून और टेलीकॉम मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने बताया कि आलू और प्याज पर स्टॉक होल्डिंग लिमिट से जुड़ा नोटिफिकेशन गुरुवार को जारी कर दिया जाएगा। इसके बाद राज्य आलू और प्याज की स्टॉक होल्डिंग लिमिट तय करेंगे। यह कदम ऐसे ट्रेडर्स पर नकेल कसने के लिए उठाया गया है, जो कमजोर मानसून और फसल के अनुमान के चलते आलू और प्याज की जमाखोरी कर रहे हैं।
ऐसा पहली बार हुआ है, जब किसी सब्जी को स्टॉक होल्डिंग के दायरे में लाया गया है। इसके तहत कोई भी ट्रेडर तय सीमा से ज्यादा आलू और प्याज का स्टॉक नहीं रख पाएगा। अगर कोई ट्रेडर तय सीमा से ज्यादा स्टॉक जमा करता है तो उस पर जुर्माना लगाया जाएगा और कुछ मामलों मुकदमा तक चलाया जा सकता है। इस समय एशेंशियल कमोडिटीज एक्ट 1955 के तहत कई अनाजों पर स्टॉक होल्डिंग लिमिट लागू होती है।
प्याज का बढ़ा एमईपी
इससे पहले सरकार ने प्याज का न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) 300 डॉलर से बढ़ाकर 500 डॉलर प्रति टन कर दिया है। इसका मतलब है कि 30 रुपए से कम दाम वाले प्याज को एक्सपोर्ट नहीं किया जा सकता। सरकार ने इससे पहले 17 जून को प्याज का एमईपी 300 डॉलर प्रति टन कर दिया था। इसके बाद भी कीमतों में कमी नहीं आई। वहीं, आलू पर एमईपी लगने के बावजूद बुधवार को वायदा बाजार में इसकी कीमत 3 फीसदी बढ़ गई है। माना जा रहा है कि सरकार प्याज के बाद आलू की एमईपी भी दोबारा बढ़ा सकती है।
सरकार ने एमईपी क्यों बढ़ाया
वाणिज्य मंत्रालय ने जारी बयान में कहा, ‘अंतर मंत्रालय समिति ने 30 जून को हुई बैठक में यह पाया कि मंडियों में प्याज की होम सेल और रिटेल कीमत ऊंची बनी हुई हैं। इसके अलावा, प्याज पर 300 डॉलर प्रति टन एमईपी लगाने के बावजूद एक्सपोर्ट में कमी नहीं आ रही।’ मानसून में कमी आने के मद्देनजर भी प्याज की एमईपी को 500 डॉलर प्रति टन किया जा रहा है।
क्या है आलू और प्याज की कीमत
नासिक में देश की सबसे बड़ी होल सेल मंड़ी में प्याज की कीमत पिछले दो सप्ताह में 40 फीसदी बढ़कर 18.50 रुपए प्रति किलो पहुंच गई।
दिल्ली के होल सेल मार्केट आजादपुर में प्याज की कीमत 20-25 रुपए प्रति किलो हो गई है।
उधर, एमसीएक्स पर आलू वायदा 3 फीसदी चढ़ा, भाव 1370 रुपए प्रति क्विंटल पर पहुंच गए।
दिल्ली के हाजिर बाजार में आलू 25 से 30 रुपए किलो बिक रहा है।
आलू नहीं जाएगा विदेश
डीजीएफटी ने नोर्टिफिकेशन में कहा, ‘आलू के एक्सपोर्ट पर 450 डॉलर प्रति टन की एमईपी लगा दी गई है। इसे तत्काल प्रभाव के साथ लागू कर दिया गया है।’
आलू की कीमतों पर काबू पाने के लिए ये कदम उठाया गया है।
मई में खाद्य वस्तुओं की थोक बिक्री कीमतों का इंडेक्स पांच माह के उच्च्तम स्तर 6.1 फीसदी पर पहुंच गया।
साल 2013-14 (31 मार्च तक) करीब 1,30,000 टन आलू का निर्यात किया था।
आलू का उत्पादन 4.64 करोड़ टन का रहा जोकि एक साल पहले की तुलना में 2.3 फीसदी ज्यादा है।
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जमाखोरी रोकने के लिए आलू-प्याज की भंडारण सीमा तय करने का आदेश
नवभारतटाइम्स.कॉम | Jul 2, 2014,
नई दिल्ली
केंद्र सरकार ने बढ़ती महंगाई पर काबू पाने के लिए मंगलवार को कुछ उपायों की घोषणा की है। आलू-प्याज की जमाखोरी रोकने के लिए केंद्र सरकार ने राज्यों से इसकी भंडारण सीमा तय करने को कहा है। इसके साथ ही आलू प्याज को ऐग्रिकल्चर प्रड्यूस मार्केटिंग (रेग्युलेशन) ऐक्ट (एपीएमसी ऐक्ट) से बाहर कर दिया है। इससे किसान मंडी से बंधे नहीं रहेंगे और सीधे इसे बाजारों में बेच सकेंगे। इसके साथ ही राज्यों से जमाखोरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने को कहा गया है।
महंगाई के मुद्दे पर बुधवार शाम को हुई कैबिनेट की बैठक के बाद केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कैबिनेट के फैसलों की जानकारी दी। रविशंकर प्रसाद ने कहा कि प्याज और आलू की अब भंडारण सीमा तय होगी। भंडारण की यह सीमा राज्य सरकारें तय करेंगी। आलू और प्याज के लिए भंडारण सीमा का प्रावधान एक साल तक लागू रहेगा। उन्होंने कहा कि इसका नोटिफिकेशन एक दो दिन में जारी हो जाएगा।
राज्यों को जमाखोरों पर कार्रवाई के निर्देशः रविशंकर प्रसाद ने कहा कि केंद्र ने राज्यों से जमाखोरों पर कार्रवाई करने को कहा है। रविशंकर प्रसाद ने कहा कि केंद्र सरकार नोटिफिकेशन से राज्यों को अधिकार दे रही है। राज्यों का कर्तव्य है कि वह जमाखोरों के खिलाफ प्रमाणिक कार्रवाई करें। उन्होंने कहा कि आलू-प्याज के भंडारण की सीमा तय करने का काम राज्य सरकारों पर छोड़ा गया है, क्योंकि अलग-अलग राज्यों के लिए यह लिमिट राज्य की जरूरत के हिसाब से अलग होगी।
रविशंकर प्रसाद ने कहा कि कैबिनेट की बैठक में बीपीएल और एपीएल परिवारों के लिए जुलाई 2014 से मार्च 2015 तक के लिए 50 लाख टन अतिरिक्त चावल जारी करने का फैसला भी किया गया। उन्होंने कहा कि इसके साथ ही पेटेंट व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए 309 करोड़़ रुपये स्वीकृत किए गए हैं।
महंगाई को लेकर कांग्रेस के धरना-प्रदर्शनों पर रविशंकर प्रसाद ने कहा कि कांग्रेस 10 सालों से लोगों को परेशान करके पिछले एक महीने से सड़कों पर आई है। हम कांग्रेस के कुशासन को ठीक कर रहे हैं।
क्या है एपीएमसी ऐक्ट
1970 के दशक में ऐग्रिकल्चर प्रड्यूस मार्केटिंग (रेग्युलेशन) ऐक्ट (एपीएमसी ऐक्ट) के तहत किसानों को उनके उत्पादों का लाभकारी मूल्य दिलाने के लिए कृषि विपणन समितियां बनाई गईं थीं। इन समितियों का मकसद बाजार की अनिश्चितताओं से किसानों को बचाना था, लेकिन नेताओं के दखल से इन समितियों के जरिए मंडियों पर थोक व्यापारियों का एकाधिकार बना रहा और बिचौलियों की चांदी हो गई। इसकी मुख्य वजह यह थी कि किसानों को मंडियों में सीधे अपना उत्पाद बेचने की इजाजत नहीं थी। केंद्र सरकार ने 2003 में एपीएमसी ऐक्ट में राज्यों से संशोधन के लिए कहा था, लेकिन कुछ राज्यों ने इसमें दिलचस्पी नहीं दिखाई।
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