नई करवट ले रहा है अपना राष्ट्र - पाथेयकण
नई करवट ले रहा है अपना राष्ट्र - पाथेयकण
केन्द्र में नई सरकार बन भी गई है और उसने काम भी शुरू कर दिया है। पूत के पैर पालने में ही दिख जाते हैं, उसी प्रकार नई सरकार भी जनता के उसमें जताये विश्वास पर खरी उतरती दिखाई पड़ रही है। भारत का इतिहास एक नई करवट लेता दृष्टिगोचर हो रहा है। परिणामस्वरूप लोगों में उत्साह, आत्मविश्वास और सामर्थ्य प्रकट होता दिख रहा है।
यूं तो परिवर्तन की हवा काफी पहले से चल रही थी लेकिन चुनाव परिणामोें ने इसे नई गति प्रदान कर दी । चुनाव परिणाम रहे भी ऐतिहासिक और उत्साहवर्द्धक। कई कीर्तिमान इस बार बने। पहली बार किसी गैर-कांग्रेसी दल को लोकसभा में पूर्ण बहुमत प्राप्त हुआ । भारतीय जनता पार्टी ने पहली बार अखिल भारतीय स्वरूप प्रकट किया। कश्मीर से कन्याकुमारी और कच्छ से कामरूप तक भाजपा ने उपस्थिति दर्ज की। सुदूर उत्तर में लद्दाख लोकसभा सीट से भाजपा का प्रत्याशी विजयी हुआ हैतो धुर दक्षिण में कन्याकुमारी में भी भगवा परचम फहरा है। पश्चिम में गुजरात में सभी 26 सीटें भाजपा की झोली में गई हैंतो एक एकदम पूर्व में अरुणाचल प्रदेश में भी दो में से एक सांसद भाजपा का बना है। उत्तर, मध्य और पश्चिम भारत में तो चारों ओर राष्ट्रवाद का ही शंखनाद हुआ है। दक्षिण में कर्नाटक फिर से केसरिया हो गया है।
भारतीय राजनीति में पहली बार ऐसा हुआ है एक गैर-कांग्रे्रसी और अत्यंत साधारण परिवार में जन्मा व्यक्ति लोकप्रियता के शिखर पर जा कर प्रधानमंत्री बना है। विपरीत परिस्थितियों, घनघोर दुष्प्रचार और वैमनस्यपूर्ण आरोपों को किनारे करते हुए देश के लिये कुछ करने का सामर्थ्य रखने वाला व्यक्ति प्रधानमंत्री बना है। जबर्दस्त सकारात्मक जनादेश प्राप्त कर पहली बार एक जुझारू व्यक्ति ने देश की बागडोर सम्भाली है। लम्बे अन्तराल के बाद पहली बार देश को एक योग्य, बेहद लोकप्रिय, भरपूर आत्मविश्वास और स्वाभिमान से युक्त सामर्थ्यशाली नेतृत्व मिला है।
हमारे प्रधानमंत्री ने प्रारम्भ में ही यह संदेश दे दिया है कि भारत अब "इण्डिया' नहीं रहेगा, बल्कि भारत बनेगा, इस देश की आत्मा अब सरकार के प्रत्येक क्रिया-कलाप में प्रकट होगी। संसद भवन अब मत्था टेकने योग्य लोकतंत्र का मंदिर बनेगाऔर जनप्रतिनिधि देश, समाज और जन-जन की सेवा का माध्यम बनेंगे। "दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संघ' (सार्क) के देशों के अतिरिक्त मारिशस के राष्ट्राध्यक्ष को भी श्री नरेन्द्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में बुलाया गया था। दूसरे दिन सभी से नव-नियुक्त प्रधानमंत्री ने वार्ता की। यह देशवासियों के लिये गर्व की बात है कि प्रधानमंत्री ने सभी से राष्ट्रभाषा हिन्दी में बात की।
अब तक टेढ़े-टेढ़े चलने वाला अमरीका भी अब सीधे रास्ते पर आया है। श्री नरेन्द्र भाई मोदी को वीजा देने से यह देश इन्कार करता रहा, जब कि वीजा कभी मॉंगा ही नहीं गया था। दुनिया ताकत की भाषा समझती है और इसलिये अमरीकी राष्ट्रपति ने न केवल श्री मोदी को बधाई दी बल्कि बार-बार अमरीका आने का निमंत्रण भी दिया।
हमारा देश सदा से सामर्थ्यशाली रहा है। अब तक उस ऊर्जा पर राख की परत जमी थी। राष्ट्रवादी शक्तियॉं लम्बे समय से यह राख हटाने का प्रयास कर रही थीं। देश में आ रहा सुखद परिवर्तन उसी भगीरथ प्रयास का नतीजा है।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें