नटवर सिंह से भाजपा को सावधान रहना होगा



नटवर सिंह से भाजपा को सावधान रहना होगा

श्रीमति सोनिया गांधी के बारे में कांग्रेस के वरिष्ठ राजनेता नटवरसिंह का खुलाशा पूरा सच नहीं लगता है। यूं भी वे कांग्रेस के इतने सारे क्रियाकर्मों में लिप्त  रहे हैं कि एक भी पोल खुल गई तो वे खुद भी नहीं बच सकते हैं। उनका बेटा भाजपा में अभी अभी आया है, लगता है कि उनकी बायोग्राफी  इसी तथ्य के आपास है कि भाजपा को खुश  कर कुछ अतिरिक्त हांसिल किया जाये। क्यों कि नटवरसिंह हमेशा ही खुश कर के  प्राप्त करने की रणनीति के माहिर रहे हैं।
जहां तक मेरी निजी राय श्रीमति सोनिया गांधी के बारे में प्रधानमंत्री बनने की बात पर यह है कि उनकी सारी तैयारियां प्रधानमंत्री बनने के लिये ही थीं, जिस अपमान जनक तरीके से तत्कालीन कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष सीताराम केसरी को हटाया गया, यूपीए के गठन से पूर्व जब प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी जी की सरकार गिरी थी तब भी राष्ट्रपति भवन 272 के नारे के साथ पहुचीं थीं , उन्हे बहूमत जुटाने को समय भी अतिरिक्त  मिला था। मगर तब उन्हेे मुलायमसिंह के समर्थन नहीं देने से बहूमत नहीं जुटा पाईं थीं। यूपीए प्रथम का बहूमत जुटाने के बाद भी वे राष्ट्रपति भवन तो प्रधानमंत्री बनने ही गईं थीं। वहां हुआ क्या यह तत्कालीन राष्ट्रपति महोदय ही जानते हैं। जहां तक सुनने में आया था कि तब सुब्रमण्यम स्वामी ने कुछ कानूनी प्रश्न खड़े करते हुये माननीय राष्ट्रपति महोदय को विरोध पत्र दिया हुआ था। सिर्फ राहुलजी की सलाह पर वे प्रधानमंत्री पद त्याग देतीं हैं यह तो गले नहीं उतरता । उनका विदेशी मूल का होना जरूर उनमें हीन भावना उत्पन्न करता होगा।

मेरा तो एक आग्रह ओर भी रहेगा कि वोल्कर समिति की रिपोर्ट को संसद में रख कर बहस हो और उसमें जिन जिन को  भी राष्टविरोधी और भ्रष्टाचार में लिप्त पाया जाये उन पर कार्यवाही हो।
अरविन्द सिसोदिया,
जिला कोटा राजस्थान 

------------------------

हत्‍या के डर से राहुल ने नहीं बनने दिया सोनिया को प्रधानमंत्री : नटवर  सिंहBy Live News Desk | Publish Date: Jul 30 2014


नयी दिल्ली: पूर्व विदेश मंत्री के नटवर सिंह ने दावा किया कि 2004 में सोनिया गांधी ने अपने बेटे राहुल गांधी के कडे एतराज के बाद प्रधानमंत्री बनने से इंकार कर दिया. राहुल ने ऐसा इसलिए किया क्योंकि उनको डर था कि अगर वह पद स्वीकार लेती हैं तो उनके पिता और दादी की तरह उनकी भी हत्या कर दी जाएगी.

एक समय गांधी परिवार के दोस्त माने जाने वाले सिंह (83) ने 2008 में कांग्रेस छोड दी थी. इराक के अनाज के बदले तेल घोटाले की पृष्ठभूमि में 2005 में संप्रग 1 से उन्होंने इस्तीफा दिया था. उन्होंने दावा किया है कि अंतरात्मा की आवाज के कारण सोनिया ने इससे मना नहीं किया बल्कि एक समय वह प्रधानमंत्री पद संभालने के बारे में कह चुकी थीं.

‘हेडलाइंस टुडे’ पर करण थापर को एक साक्षात्कार में सिंह ने दावा किया कि अपनी आत्मकथा में वह इस खास घटनाक्रम का उल्लेख नहीं करें, यह आग्रह करने कांग्रेस अध्यक्ष अपनी बेटी प्रियंका गांधी के साथ 7 मई को उनके आवास पर आयीं थी लेकिन उन्होंने तथ्य का खुलासा करने का फैसला किया क्योंकि वे सच बताना चाहते थे.

‘वन लाइफ इज नॉट इनफ : एन आटोबायोग्राफी’ शीर्षक वाली किताब जल्द ही बाजार में आने वाली है. नटवर सिंह ने कहा, ‘‘राहुल अपनी मां के प्रधानमंत्री बनने के पूरी तरह खिलाफ थे. उन्होंने कहा कि उनके पिता और दादी की तरह उनकी हत्या कर दी जाएगी और एक पुत्र होने के नाते वह उन्हें प्रधानमंत्री बनने नहीं देंगे. वह दृढता से अडे हुए थे.’’ उन्होंने 18 मई 2004 को हुयी एक बैठक का जिक्र करते हुए इस घटना का उल्लेख किया जिसमें मनमोहन सिंह, गांधी परिवार के दोस्त सुमन दुबे, प्रियंका और वह मौजूद थे. बाद में मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री बने.

उन्होंने कहा कि राहुल के एतराज के बारे में प्रियंका ने उन लोगों को वाकिफ कराया. उन्होंने कहा, ‘एक बेटे के तौर पर राहुल को पूरे अंक जाते हैं.’ राहुल उस समय 34 साल के थे. सिंह ने दावा किया कि सोनिया ने 7 मई को उनसे उस बात के लिए ‘सॉरी’ भी कहा जब उन्होंने बताया कि संप्रग सरकार ने उन्हें किस तरह प्रताडित किया था और उनके :सोनिया के: इस दावे को मानने से इंकार कर दिया कि वह इस बात से वाकिफ नहीं थीं.

उन्होंने कहा, ‘‘उन्होंने कहा कि मुङो नहीं पता था :जैसा उनके साथ सलूक हुआ:. मैंने कहा कि कोई भी इस पर विश्वास नहीं करेगा क्योंकि कांग्रेस में आपकी जानकारी के बिना, आपकी मंजूरी के बिना कुछ भी नहीं होता. सरकार के साथ भी यही बात थी. उन्होंने कहा, ‘‘मुङो खेद है.’’  सिंह ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के मीडिया सलाहकार संजय बारु के उस दावे का समर्थन किया कि पीएमओ में रहे पुलक चटर्जी अहम सरकारी फाइल सोनिया के पास ले जाते थे. उन्होंने कहा कि इस पर विरोध का कोई सवाल ही नहीं था क्योंकि वह सर्वोच्च नेता थीं.

नटवर सिंह ने यह भी खुलासा किया कि 1991 में प्रधानमंत्री के तौर पर सोनिया की पहली पसंद तत्कालीन उपराष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा थे लेकिन बाद में राष्ट्रपति बनने वाले शर्मा ने अपने खराब स्वास्थ्य के कारण इस पेशकश को ठुकरा दिया था. उन्होंने कहा कि इसके बाद उन्होंने पीवी नरसिंह राव का चुनाव किया जिनके साथ उनके कभी गर्मजोशी भरे संबंध नहीं रहे.

पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की 1991 में चेन्नई के निकट श्रीपेरुमदूर में लिट्टे के आत्मघाती बम हमले में हत्या कर दी गयी थी. उनकी मां, पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की 1984 में उनके आवास पर सिख सुरक्षा गाडरें ने हत्या कर दी थी. यह पूछे जाने पर कि वर्ष 2004 में भाजपा नेतृत्व वाले राजग को हराकर कांग्रेस की अगुवाई वाले संप्रग के सत्ता में आने के बाद यह पूरी तरह सोनिया पर छोड दिया जाता तो क्या वह प्रधानमंत्री पद स्वीकार कर लेतीं, सिंह ने कहा, ‘‘इसका जवाब देना कठिन है.’’  गांधी परिवार द्वारा उनके साथ के बर्ताव को लेकर कडवाहट और प्रतिशोध के आरोपों को खारिज करते हुए सिंह ने कहा कि उन्होंने सार्वजनिक रुप से सोनिया के खिलाफ कभी एक शब्द नहीं कहा लेकिन तथ्य बताना महत्वपूर्ण है. सिंह का एक बेटा राजस्थान से भाजपा का विधायक है.

उन्होंने कहा, ‘‘वह एक सार्वजनिक शख्सियत हैं. वह भारत की सबसे महत्वपूर्ण नेता हैं, वह हरेक जीवनी लेखक का ख्वाब हैं. वह एक ऐतिहासिक शख्सियत हैं.’’ उन्होंने कहा कि ऐसी हस्तियों की कोई ‘‘निजता’’ नहीं होती. यह पूछे जाने पर कि प्रधानमंत्री नहीं बनने को लेकर राहुल के एतराज का दावा अगर मनमोहन सिंह और दुबे खारिज कर देते हैं तो, नटवर सिंह ने कहा, ‘‘निश्चित ही वे ऐसा करेंगे. मुङो पता है वे ऐसा करेंगे.’’ उन्होंने जोडा कि वे ऐसा कहते और इसपर टिके रहते अगर सोनिया और प्रियंका मेरे पास नहीं आयी होतीं. वे मेरे साथ कॉफी पीने के लिए नहीं आतीं. वे मेरे साथ भोजन के लिए नहीं आतीं.

उन्होंने नेता के तौर पर सोनिया को राजीव से ज्यादा अहमियत देते हुए कहा कि वह उनकी तुलना में ज्यादा मजबूत हैं. उन्होंने कहा ‘‘वह बडे दिलवाले थे. आप इनसे (सोनिया से) छूट नहीं ले सकते.’’
---------------------
नटवर सिंह का दावा राजनीति से प्रेरित : कांग्रेस
By Live News Desk | Publish Date: Jul 31 2014

नयी दिल्ली : कांग्रेस ने पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह के दावे को राजनीति से प्रेरित बताया. गौरतलब हो कि नटवर सिंह ने दावा किया था कि 2004 में सोनिया गांधी ने अंतरात्मा की आवाज पर नहीं, बल्कि अपने बेटे राहुल गांधी के कडे ऐतराज के बाद प्रधानमंत्री बनने से इंकार किया था.

वोल्कर समिति की रिपोर्ट के बाद नटवर सिंह को संप्रग सरकार से हटना पड़ा था. बाद में कांग्रेस ने उन्हें निलंबित कर दिया था. पार्टी प्रवक्ता और वरिष्ठ वकील अभिषेक सिंघवी ने कहा, नटवर सिंह का बयान राजनीति से प्रेरित प्रतीत होता है और इसका मकसद किताब की बिक्री के लिए प्रचार पाने का प्रयास है.

कांग्रेस महासचिव और पार्टी के संचार विभाग के अध्यक्ष अजय माकन ने भी सिंह के दावे को हास्यास्पद बताते हुए खारिज कर दिया. उन्होंने कहा, यह हास्यास्पद है. आजकल अच्छी बिक्री और मुफ्त के प्रचार के मकसद से किताब की विषय वस्तु को सनसनीखेज बनाना फैशन बन गया है. यह भी इसी तरह की एक कवायद है. इस पर कोई भी टिप्पणी करना बेकार होगा. पार्टी की प्रतिक्रिया सिंह के इस दावे के ठीक बाद आयी कि अंतरात्मा की आवाज के कारण सोनिया ने इससे मना नहीं किया, क्योंकि एक समय वह प्रधानमंत्री पद संभालने के बारे में कह चुकी थ।
-------------------------------

इतालवी होने के कारण निर्मम हैं सोनिया : नटवर सिंह
Date:Thursday,Jul 31,2014
नई दिल्ली [जागरण न्यूज नेटवर्क]। नटवर सिंह ने अपनी किताब के बारे में एक टीवी चैनल से चर्चा करते हुए सोनिया गांधी के विदेशी मूल के मुद्दे को भी उठा दिया। उन्होंने कहा कि सोनिया के स्वभाव में इसलिए निर्ममता है, क्योंकि वह इटली की हैं। उनके मुताबिक कोई भारतीय वैसा व्यवहार नहीं कर सकता जैसा सोनिया ने मेरे साथ किया और वह भी तब जब मैं 45 साल तक परिवार के प्रति निष्ठावान रहा। उन्होंने मेरे साथ वैसा बर्ताव नहीं किया जैसा राजीव गांधी की पत्नी को करना चाहिए था। भारत में ऐसा नहीं होता। सोनिया की शख्सियत का एक पहलू ऐसा है जो निर्मम है। जब उनसे पूछा गया कि क्या यह उनके इटली का होने के कारण है तो उनका जवाब था-इसके सिवा और क्या हो सकता है? जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी ऐसे नहीं थे। बातचीत में उन्होंने यह भी कहा कि राजीव गांधी प्रधानमंत्री के रूप में डेढ़ साल मूर्खो की टीम पर निर्भर रहे।
2008 में कांग्रेस छोड़ने वाले 83 साल के पूर्व राजनयिक और विदेश मंत्री रह चुके नटवर सिंह को 2005 में विदेश मंत्री से तब इस्तीफा देना पड़ा था जब इराक के तेल के बदले खाद्यान्न घोटाले की जांच करने वाली वोल्कर समिति में उनका नाम आया था। उन्होंने कहा कि वर्ष 1987 में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने श्रीलंका में भारतीय शांति रक्षक बल (आइपीकेएफ) बगैर किसी स्पष्ट मकसद के भेज दिया था। श्रीलंका की उनकी वह नीति उनकी हत्या के बाद ही समाप्त हुई। आइपीकेएफ की विफलता को लेकर नटवर राजीव गांधी के बचाव में दिखे। उन्होंने कहा कि उसके लिए केवल उन्हें ही नहीं जिम्मेदार ठहराया जा सकता। सरकार में शामिल हर शख्स जिम्मेदार था। राजीव गांधी भी किसी पर विश्वास करते थे। सिंह ने दावा किया कि आइपीकेएफ को श्रीलंका भेजने का फैसला राजीव गांधी ने खुद लिया था। इस बारे में उन्होंने कैबिनेट या शीर्ष अधिकारियों से विमर्श नहीं किया था। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के शुरुआती डेढ़ साल राजीव पूरी तरह से अहं से भरे मूर्खो के दल पर निर्भर थे। एक के समाजवादी होने का दावा किया जाता है जबकि दूसरा अयोग्य राजनीतिक व्यक्ति था और तीसरा हस्तक्षेप कर परेशान करने वाला था। उन्होंने दो की पहचान गोपी अरोड़ा और अरुण नेहरू के तौर पर बताई। दोनों की मौत हो चुकी है। तीसरे का नाम बताने से उन्होंने इन्कार कर दिया क्योंकि वह बहुत बूढ़े हो चुके हैं और अब यह मामला उतना महत्वपूर्ण नहीं है। सिंह ने यह भी दावा किया कि 'ऑपरेशन ब्रासटैक्स' (राजस्थान में हुआ युद्धाभ्यास) जिसकी वजह से पाकिस्तान के साथ युद्ध की स्थिति पैदा हो गई थी वह योजना तत्कालीन रक्षा राज्यमंत्री अरुण सिंह और तत्कालीन सेना प्रमुख के सुंदरजी ने राजीव गांधी को अंधेरे में रखकर बनाई थी।

टिप्पणियाँ

इन्हे भी पढे़....

हमारा देश “भारतवर्ष” : जम्बू दीपे भरत खण्डे

सेंगर राजपूतों का इतिहास एवं विकास

Veer Bal Diwas वीर बाल दिवस और बलिदानी सप्ताह

चुनाव में अराजकतावाद स्वीकार नहीं किया जा सकता Aarajktavad

‘फ्रीडम टु पब्लिश’ : सत्य पथ के बलिदानी महाशय राजपाल

महाराष्ट्र व झारखंड विधानसभा में भाजपा नेतृत्व की ही सरकार बनेगी - अरविन्द सिसोदिया

भारत को बांटने वालों को, वोट की चोट से सबक सिखाएं - अरविन्द सिसोदिया

शनि की साढ़े साती के बारे में संपूर्ण

ईश्वर की परमशक्ति पर हिंदुत्व का महाज्ञान - अरविन्द सिसोदिया Hinduism's great wisdom on divine supreme power

देव उठनी एकादशी Dev Uthani Ekadashi