सावन में बुधवार-चतुर्थी का शुभ योग




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सावन में बुधवार-चतुर्थी का शुभ योग, इन उपायों से प्रसन्न होंगे श्रीगणेश


धर्म डेस्क|Jul 30, 2014, 

उज्जैन। इन दिनों सावन का पवित्र महीना चल रहा है, जो भगवान शिव को बहुत प्रिय है। सावन के महीने में आज (30 जुलाई) बुधवार व चतुर्थी का शुभ योग बन रहा है। बुधवार व चतुर्थी दोनों ही भगवान श्रीगणेश के प्रिय वार व तिथि हैं। इस प्रकार भगवान शिव के प्रिय महीने में उनके पुत्र श्रीगणेश के प्रिय वार व तिथि का संयोग बहुत ही शुभ फलदाई है।

इस दिन श्रीगणेश को प्रसन्न करने के लिए व्रत व विशेष पूजन किया जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस दिन कुछ विशेष उपाय किए जाएं तो भगवान श्रीगणेश अपने भक्तों पर प्रसन्न होकर उनकी हर मनोकामना पूरी करते हैं। अगर भी इस विशेष अवसर का लाभ उठाना चाहते हैं तो आगे बताए गए उपाय विधि-विधान पूर्वक करें-

1- बुधवार के दिन सुबह स्नान आदि करने के बाद समीप स्थित किसी गणेश मंदिर जाएं और भगवान श्रीगणेश को 21 गुड़ की ढेली के साथ दूर्वा रखकर चढ़ाएं। इस उपाय को करने से भगवान श्रीगणेश भक्त की सभी मनोकामनाएं पूरी कर देते हैं। ये बहुत ही चमत्कारी उपाय है।

2- अगर आपके जीवन में बहुत परेशानियां हैं, तो आप आज हाथी को हरा चारा खिलाएं और गणेश मंदिर जाकर भगवान श्रीगणेश से परेशानियों का निदान करने के लिए प्रार्थना करें। इससे आपके जीवन की परेशानियां कुछ ही दिनों में दूर हो जाएंगी।

3- यंत्र शास्त्र के अनुसार गणेश यंत्र बहुत ही चमत्कारी यंत्र है। आज घर में इसकी स्थापना करें। बुधवार, चतुर्थी या किसी शुभ मुहूर्त में भी इस यंत्र की स्थापना व पूजन करने से बहुत लाभ होता है। इस यंत्र के घर में रहने से किसी भी प्रकार की बुरी शक्ति घर में प्रवेश नहीं करती।

4- अगर आपको धन की इच्छा है, तो इसके लिए आप आज सुबह स्नान आदि करने के बाद भगवान श्रीगणेश को शुद्ध घी और गुड़ का भोग लगाएं। थोड़ी देर बाद घी व गुड़ गाय को खिला दें। ये उपाय करने से धन संबंधी समस्या का निदान हो जाता है।

5- शास्त्रों में भगवान श्रीगणेश का अभिषेक करने का विधान भी बताया गया है। बुधवार के दिन भगवान श्रीगणेश का अभिषेक करने से विशेष लाभ होता है। आज आप शुद्ध पानी से श्रीगणेश का अभिषेक करें। साथ में गणपति अथर्वशीर्ष का पाठ भी करें। बाद में मावे के लड्डुओं का भोग लगाकर भक्तजनों में बांट दें।
6- आज के दिन किसी गणेश मंदिर जाएं और दर्शन करने के बाद नि:शक्तों को यथासंभव दान करें। दान से पुण्य की प्राप्ति होती है और भगवान श्रीगणेश भी अपने भक्तों पर प्रसन्न होते हैं।

7- आज सुबह उठकर नित्य कर्म करने के बाद पीले रंग के श्रीगणेश भगवान की पूजा करें। पूजन में श्रीगणेश को हल्दी की पांच गठान श्री गणाधिपतये नम: मंत्र का उच्चारण करते हुए चढ़ाएं। इसके बाद 108 दूर्वा पर गीली हल्दी लगाकर श्री गजवकत्रम नमो नम: का जप करके चढ़ाएं। यह उपाय प्रति बुधवार को करने से प्रमोशन होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।

8- यदि किसी युवती का विवाह नहीं हो पा रहा है, तो वह आज विवाह की कामना से भगवान श्रीगणेश को मालपुए का भोग लगाए व व्रत रखे। शीघ्र ही उसके विवाह के योग बनने लगेंगे।
9- यदि किसी लड़के के विवाह में परेशानियां आ रही हैं, तो वह आज भगवान श्रीगणेश को पीले रंग की मिठाई का भोग लगाए। इससे उसके विवाह के योग बनने लगेंगे।

10- आज दूर्वा (एक प्रकार की घास) के गणेश बनाकर उनकी पूजा करें। श्रीगणेश की प्रसन्नता के उन्हें मोदक, गुड़, फल, मावा-मिïष्ठान आदि अर्पण करें। ऐसा करने से भगवान गणेश सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं।

11- आज के दिन व्रत रखें। शाम के समय घर में ही गणपति अर्थवशीर्ष का पाठ करें। इसके बाद भगवान श्रीगणेश को तिल से बने लड्डुओं का भोग लगाएं। इसी प्रसाद से अपना व्रत खोलें और भगवान श्रीगणेश से मनोकामना पूर्ति के लिए प्रार्थना करें।

भगवान गणेश सभी दु:खों को हरने वाले हैं। इनकी कृपा से असंभव कार्य भी संभव हो जाते हैं। भगवान गणेश को प्रसन्न करने के लिए प्रत्येक शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को व्रत किया जाता है, इसे विनायकी चतुर्थी व्रत कहते हैं। विनायकी चतुर्थी का व्रत इस प्रकार करें-

- सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि काम जल्दी ही निपटा लें।

- दोपहर के समय अपने सामथ्र्य के अनुसार सोने, चांदी, तांबे, पीतल या मिट्टी से बनी भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित करें।

- संकल्प मंत्र के बाद श्रीगणेश की षोड़शोपचार पूजन-आरती करें। गणेशजी की मूर्ति पर सिंदूर चढ़ाएं। गणेश मंत्र (ऊं गं गणपतयै नम:) बोलते हुए 21 दूर्वा दल चढ़ाएं।

- गुड़ या बूंदी के 21 लड्डुओं का भोग लगाएं। इनमें से 5 लड्डू मूर्ति के पास रख दें तथा 5 ब्राह्मण को दान कर दें। शेष लड्डू प्रसाद के रूप में बांट दें।

- पूजा में भगवान श्री गणेश स्त्रोत, अथर्वशीर्ष, संकटनाशक स्त्रोत आदि का पाठ करें।

-ब्राह्मण भोजन कराएं और उन्हें दक्षिणा प्रदान करने के पश्चात संध्या के समय स्वयं भोजन ग्रहण करें। संभव हो तो उपवास करें।

व्रत का आस्था और श्रद्धा से पालन करने पर भगवान श्रीगणेश की कृपा से मनोरथ पूरे होते हैं और जीवन में निरंतर सफलता प्राप्त होती है।

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