कांग्रेस राज में " आतंकवादियों " को होती है खून की होली खेलने की खुली छूट

कांग्रेस राज में खूब हुए आतंकी हमले, वोट बैंक के कारण कभी नहीं उठाई गई आवाज : शाह

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि जब कांग्रेस सत्ता में थी तब आतंकवादी हमले बड़े पैमाने पर होते थे और पाकिस्तान के आतंकवादी भारतीय सैनिकों को मारते थे लेकिन तत्कालीन सत्ताधारी पार्टी ने “वोट बैंक” की राजनीति के कारण कभी उनकी निंदा नहीं की.! अमित शाह ने 26 नवंबर, 2008 (26/11) के मुंबई आतंकी हमले के पीड़ितों को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार की निगरानी में ऐसा हमला करना असंभव है.

उन्होंने कहा, ”आज 26/11 के हमले की बरसी है. इस दिन (2008 में), पाकिस्तानी आतंकवादियों ने मुंबई में 164 लोगों की हत्या कर दी थी. मैं दिवंगत आत्माओं को अपनी विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं. हालांकि इस तरह के हमले कांग्रेस के शासन के दौरान बड़े पैमाने पर हुए थे. आज 26/11 जैसा आतंकी हमला करना संभव नहीं है क्योंकि नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री हैं.” 

अमित शाह बोले- कांग्रेस ने वोट बैंक की वजह से कुछ नहीं कहा
अमित शाह ने कहा “सोनिया (गांधी) और (पूर्व पीएम) मनमोहन सिंह 2004 से 2014 तक दस साल के लिए सत्ता में थे. उनके शासन के दौरान, पाकिस्तान के आतंकवादी अक्सर भारत में प्रवेश करते थे और हमारे सैनिकों को मारते थे और यहां तक ​​कि उनके सिर काट लेते थे. इसके बावजूद, कांग्रेस ने कभी एक शब्द नहीं बोला. क्यों? उनके वोट बैंक के कारण. मुझे आशा है कि आप जानते हैं कि कांग्रेस का वोट बैंक कौन है.”

उन्होंने कहा कि पीएम मोदी ने उरी और पुलवामा आतंकी हमलों के बाद आतंकवादियों पर सर्जिकल और हवाई हमले करके दुनिया को एक मजबूत संदेश दिया. अब समाप्त हो चुके अनुच्छेद 370 (जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देना) पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की गलती थी.

उन्होंने कहा, “क्या आप नहीं चाहते थे कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 (जो माना जाता था) को हटा दिया जाए...? 70 सालों तक, इन कांग्रेसियों ने नेहरू की इस गलती को ऐसे बचाकर रखा जैसे कि यह एक बच्चा था. हमारे पीएम (मोदी) ने इसे 2019 में एक बार में हटा दिया और कश्मीर को सही अर्थों में भारत का अभिन्न अंग बनाया.”
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अचिंत्य पांडेय ने ट्वीट किया है कि कन्हैया कुमार ने आतंकवादी अफजल गुरु और मकबूल भट की फांसी की सजा के खिलाफ परदर्शन किया था. कन्हैया कुमार की ओर से ‘भारत तेरे टुकड़े होंगे’ के नारे लगाये गये थे. आज वह कांग्रेस में शामिल होगा. इसके साथ एक फोटो पोस्ट किया है, जिसमें सोनिया गांधी और राहुल गांधी के बीच में कन्हैया कुमार भी है. फोटो के पास ही लिखा है- ‘भारत तेरे टुकड़े होंगे’ अब कांग्रेस पार्टी का ऑफिशियल स्लोगन बन गया है.

- जिस दल का पहला पीएम ही भारत के दो टुकडे करवाकर बना और उसके बाद भी भारत की भूमि एक बड़ा हिस्सा थाली में परोस कर चीन को देकर बोला वह बंजर जमीन हमारे लिए किसी भी काम की नहीं थी आप उस दल से कैसे आशा कर सकते हैं कि वह इस देश से मोहब्बत करती है।वह सिर्फ और सिर्फ सत्ता में रहकर देश को नोचकर खाने के लिए बनी है घोटाले करके अपने विदेशी दोस्तों को और खुद की संतानें को मजबूत करने के लिए ही राजनीति में हैं।
- दिल्ली से (भारत तेरे टुकड़े होंगे हमको चाहिए आजादी, भारतीय सेना बलात्कारी है, जैसे गद्दारी भरे बयान देने वाले) कन्हैया कुमार को लोकसभा सीट से उतरा है तो कांग्रेस क्या यह साबित करना चाहती है कि वह देशद्रोही पार्टी है ?

-नेहरू कहो या कांग्रेस कहो इसने देश को प्रथम नहीं स्वंय को प्रथम रखा, और इस सब कुछ में महात्मा गांधी ने उनका साथ दिया। जिन्नाह भी प्रधानमंत्री बनना चाहता था और नेहरू भी और ऐसे हालात में बंटवारे के सिवाय रह ही क्या गया था और गांधी ने नेहरू का इसमें पूर्ण साथ दिया। पटेल के बढ़ते कद के कारण नेहरू को पता था कि हिंदू उससे/ कांग्रेस से दूर हटेंगे, इसलिए उसने सारे मुसलमानों को पाकिस्तान न जाने देने की नीति, जो कि नेहरू/ गांधी की दूरदृष्टि और संवैधानिक रणनीति का अहम हिस्सा थी, को अपनाया। इसके लिए मुस्लिम पर्सनल लॉ, मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, वक्फ बोर्ड, वक्फ सम्पत्ति कानून, मुस्लिम आतताइयों आक्रमणकारियों को महिमामंडित करना, पूजास्थल कानून जैसे दर्जनों बड़े कदम मुस्लिम तुष्टिकरण की दिशा में नेहरू/कांग्रेस ने उठाए। यह यह बातें स्पष्ट करती हैं कि नेहरू ने देश के टुकड़े क्यों करवाएं। टुकड़े टुकड़े गैंग के साथ तो जाकर नेहरू का नाती राहुल गांधी जेएनयू में भी बैठ गया था।

जहां तक पप्पू की देश जोड़ों यात्रा का संबंध है, पहले यह बताओ देश टूटा कहां से है। देश तब टूटा था जब नेहरू गांधी और जिन्ना ने मिलकर देश के दो टुकड़े कर दिए थे ‌‌ ताकि नेहरू और जिन्ना दोनों ही प्रधानमंत्री बन सके। अगर नेहरू और गांधी हिंदू मुस्लिम का खेला न खेलते तो बटवारा ना होता, यदि गांधी हरिजन शब्द ना लेके आता तो हिंदू बिखरते ना, देश में जाति आधारित सुविधाओं का प्रचलन इतनी देर तक ना रहता ‌। इसने हिंदू समाज को तोड़ कर रख दिया और अब इसको भला पप्पू जैसा बंदा क्या जोड़ पाएगा। इसकी भारत जोड़ो यात्रा वास्तव में दुनिया को यह दिखाने की है कि भारत अब बिखरा हुआ है। इस बंदे को तो इस कारण से देश का एक अच्छा नागरिक भी नहीं कहा जा सकता। अच्छा नागरिक वह होता है जो अपनी कमियों का प्रचार नहीं करता परंतु अपनी ऊर्जा उनमें सुधार करने की और लगाता है। मैंने आपके प्रश्न के बाद यह सोचने की कोशिश की कि मैं राहुल गांधी के कुछ ऐसे सकारात्मक प्रयत्न, जो इसने किए हों, जान सकूं तो मुझे एक भी दिखाई नहीं देता । यह हमेशा आलोचनात्मक या फिर टुकड़े टुकड़े गैंग के साथ खड़े हो जाना, सेना के ऊपर प्रश्न उठाना ऐसे शब्द कहना कि हिंदुत्व को देश से भगाना होगा जैसे नफरत भरे कार्य करता रहा।

नेहरू गांधी और कांग्रेस की इस बीज का विस्तार और प्रांतीय राजनीतिक दलों में भी हो गया। वह कांग्रेस से भी अधिक आक्रामक मुस्लिम तुष्टीकरण की नीतियों को अपनाकर यह उपजाऊ राजनीतिक जमीन कांग्रेस से छीन ले गए। मुलायम सिंह यादव ने तो राम कार सेवकों पर गोलियां ही चलवा दी, हमारे केजरीवाल साहब ने मौलानावों को तनखा देनी शुरू कर दी, और भी बहुत कुछ। कांग्रेस का इस ग़लत अप्राकृतिक असहज अनैतिक नीति अपनाने का यही हश्र होना था। और अब कांग्रेस को बचाने का कोई तरीका नजर नहीं आ रहा, अब तो उनके पास राहुल और दिग्विजय जैसे नेता बचे हैं।

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*इस पोस्ट को पूरा और अंत तक पड़े*


*22 मई 2004 को अटल जी की सरकार विदा हुई* 
इसके बाद कोंग्रेस गांधी परिवार ने *सरदार मनमोहन सिंह को PM पद पर नियुक्त किया* फिर लुटेरों और जिहादियों की पौ 12 होती गयी, ऐसा लगता था कि हम अनाथ हैं।

● 15 अगस्त 2004- असम के धिमजी स्कूल में बम ब्लास्ट, 18 मरे 40 घायल

● 5 जुलाई 2005- अयोध्या में रामजन्म भूमि पर आतंकवादी हमला, 6 मरे, दर्जनों घायल

● 28 जुलाई 2005- जौनपुर में श्रमजीवी एक्सप्रेस ट्रेन में RDX द्वारा बम विस्फोट, 13 मरे, 50 घायल

● 29 अक्टूबर 2005- दीपावली के त्यौहार के दो दिन पहले *दिल्ली के गोविंदपुरी की बस, पहाड़गंज और सरोजनी नगर के भीड़भाड़ वाले इलाके में सीरियल ब्लास्ट,* 70 लोगों के चिथड़े उड़ा दिए गए और 250 से ज्यादा घायल हुए, तारिक अहमद डार और रफीक मास्टरमाइंड।

● 28 दिसम्बर 2005- बैंगलोर के इंस्टीट्यूट आफ साइंस पर आतंकवादी हमला, 1 मरा 4 घायल

● 7 मार्च 2006- हिंदुओं की श्रद्धा के केंद्र वाराणसी के प्रसिद्ध संकटमोचन मंदिर और भीड़भाड़ वाले कैंट रेलवे स्टेशन पर 3 बम ब्लास्ट करके 28 श्रद्धालुओं, नागरिको को बम से उड़ा दिया,101 लोग घायल हुए, लश्करे कुहाब और सिमी का हाथ।

● 11 जुलाई 2006- मुम्बई में एक साथ
माटुंगा रोड, माहिम, बांद्रा, खार रोड, जोगेश्वरी, भाइंदर, बोरिवली स्टेशनों के लोकल ट्रेन में सीरियल ब्लास्ट, 209 मरे 700 से ज्यादा घायल, फैसल शेख, आसिफ अंसारी, आसिफ खान, कमल अंसारी, एहतसाम सिद्दकी और नावेद खान घटना के प्रमुख सूत्रधार।

● 8 सितंबर 2006- मालेगांव की मस्जिद में सीरियल ब्लास्ट, 37 मरे, 125 घायल, प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट आफ इंडिया का हाथ... बाद में चार्जशीट बदलकर हिन्दू आतंकवाद की ऐतिहासिक असफल थ्योरी बनाने की कोशिश हुई।

● 18 फरवरी 2007- समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट, 68 मरे, 50 घायल, सेना की इंटेलीजेंस ने इस्लामिक आतंकवादी संगठन लश्करे तैय्यबा का हाथ बताया... कांग्रेस ने हिन्दू आतंकवाद बनाने के चक्कर में भारतीय सेना के कर्नल श्रीकांत पुरोहित को जेल में 7 वर्ष तक भयानक यातनाएं दी... 9 वर्ष बाद पुरोहित जेल से बाहर आये।

● हैदराबाद की मक्का मस्जिद में ब्लास्ट, 16 मरे 100 घायल, हरक़त उल जिहाद अल इस्लामी का हाथ... कांग्रेस ने हिन्दू आतंकवाद की असफल थ्योरी एक बार फिर सिद्ध करने का प्रयास किया।

● 14 अक्टूबर 2007- लुधियाना के थियेटर में ब्लास्ट, 6 लोग मरे।

● 24 नवम्बर 2007- उत्तर प्रदेश में लखनऊ, अयोध्या और बनारस के न्यायालयों में सीरियल बम बलास्ट, 16 मरे 79 घायल।

● 1 जनवरी 2008- रामपुर उत्तर प्रदेश में CRPF कैम्प पर हमला, 8 मरे 7 घायल, लश्करे तय्यबा का हाथ।

● 13 मई 2008- जयपुर के छोटी चौपड़, बड़ी चौपड़, मानकपुर पुलिस स्टेशन एरिया, जौहरी बाजार, त्रिपोलिया बाजार, कोतवाली क्षेत्र में RDX द्वारा 9 जगहों पर सीरियल ब्लास्ट, 63 मरे, 200 घायल, हरकत-उल-जिहाद उल इस्लामी ने ली जिम्मेदारी।

● 25 जुलाई 2008- बैंगलुरु में में 8 सीरियल ब्लास्ट, 2 मरे 20 घायल।

● 26 जुलाई 2008- गुजरात के अहमदाबाद में 17 जगहों पर सीरियल बम ब्लास्ट, 35 मरे 110 घायल... मुफ़्ती अबू बशीर मास्टर माइंड... अब्दुल कादिर, हासिल मोहम्मद, हुसैन इम्ब्राहीम ने मिलकर कराची (पाकिस्तान) में बैठे नेटवर्क की सहायता से बम विस्फोट किये।

● 13 सितंबर 2008- *दिल्ली के गफ्फार मार्केट, बारहखम्भा रोड, GK1, सेंट्रल पार्क में 31 मिनट के अंदर 5 बम ब्लास्ट हुए,* 4 अन्य बम निष्क्रिय किये गए, 33 मरे और 150 से ज्यादा घायल... स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट आठ इंडिया के आउटफिट इंडियन मुजाहिद्दीन ने किये ब्लास्ट।

● 27 सितंबर 2008- दिल्ली महरौली के इलेक्ट्रानिक मार्केट में 2 बम ब्लास्ट, 3 मरे और 33 घायल।

● 1 अक्टूबर 2008- अगरतल्ला में बम विस्फोट, 4 मरे 100 घायल।

● 21 अक्टूबर 2008- इम्फाल में बम विस्फोट, 17 मरे 50 घायल।

● 30 अक्टूबर 2008- असम में बम विस्फोट, 81 मरे और 500 से ज्यादा घायल।

● 28 नवम्बर 2008- मुम्बई हमला ताज होटल, ओबेराय होटल, कामा हॉस्पिटल, नरीमन हाउस, लियोपोल्ड कैफे, छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस पर आतंकवादी हमला, 166 लोग मारे गए 600 से ज्यादा घायल।

● 1 जनवरी 2009- गुवाहाटी में बम ब्लास्ट, 6 मरे 67 घायल।

● 6 अप्रैल 2009, गुवाहाटी में बम ब्लास्ट, 7 मरे 62 घायल।

● 13 फरवरी 2010- पुणे की जर्मन बेकरी में बम ब्लास्ट,17 मरे 70 घायल... सिमी इंटरनेशनल मुजाहिद्दीन इस्लामिक मुस्लिम फ्रंट के भारतीय शाखा द्वारा किया गया बम ब्लास्ट।

● 7 दिसम्बर 2010- दशास्वमेध घाट पर गंगा आरती के समय बम ब्लास्ट, 3 मरे 36 घायल... स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट आफ इंडिया के आउटफिट इंडियन मुजाहिद्दीन ने किये ब्लास्ट।

● 13 जुलाई 2011- मुबई के ओपेरा हाउस, जावेरी बाज़ार और दादर एरिया में भीषण बेम ब्लास्ट, 26 मरे 130 लोग घायल... स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट आफ इंडिया के आउटफिट इंडियन मुजाहिद्दीन ने किये ब्लास्ट।

● 7 सितंबर 2011- दिल्ली हाईकोर्ट में बम ब्लास्ट, 17 मरे और 180 लोग घायल... हरकत उल जिहाद अल इस्लामी के आउटफिट का भारतीय मेडिकल छात्र वसीम अकरम मालिक बम बलास्ट का मास्टरमाइंड।

● 13 फरवरी 2011- इजराइली डिप्लोमेट की कार को बम से उड़ाने का प्रयास, बम सही से फटा नहीं, 4 घायल... भारतीय पत्रकार मुहम्मद अहमद काज़मी की संलिप्तता।

● 1 अगस्त 2012- पुणे ब्लास्ट, स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट आफ इंडिया के आउटफिट इंडियन मुजाहिद्दीन ने किये ब्लास्ट।

● 21 फरवरी 2013- हैदराबाद की हैदाराबाद में 2 बम ब्लास्ट, 18 मरे और 131 घायल... इंडियन मुजाहिद्दीन का फाउंडर यासीन भटकल, असदुल्लाह अख्तर, तहसीन अख्तर, एजाज शेख बम ब्लास्ट के मास्टरमाइंड।

● 17 अप्रैल 2013- बैंगलोर में बम ब्लास्ट,14 लोग गंभीर रुप से घायल
● 7 जुलाई 2013- बोधगया मे ब्लास्ट, 5 लोग गंभीर रूप से घायल... म्यांमार में रोहंगिया आतंकवादियों के खिलाफ हुई कार्यवाही के विरोध में भारत के बिहार के बोध गया में उमर सिद्दीकी, अजहरुद्दीन कुरैशी, मुजीबुल्लाह अंसार, हैदर अली, इम्तियाज अंसारी ने बिहार को दहलाने की रची थी साजिश।

● 27 अक्टूबर 2013- को पटना में, नरेंद्र मोदी की रैली में इंडियन मुजाहिद्दीन द्वारा 8 बम ब्लास्ट, 6 मरे 85 घायल...लाखों की भीड़ में भगदड़ मचा कर हजारों को मारने की साजिश... मोदी और मैनेजरों की समझदारी से भगदड़ नही मची... मोहम्मद तहसीन अख्तर मास्टरमाइंड... चिकमंगलूर मदरसे से प्रेरित होकर किया ब्लास्ट... मुज़्बुल्ला, हैदर अली, नुमान, तारिक अंसारी ब्लास्ट के बाद फरार।

● 1 मई 2014- चेन्नई में गुवाहाटी बैंगलोर एक्सप्रेस में बम बलास्ट, 2 मरे 14 गंभीर रूप से घायल।

*इन आंकड़ों में 10 वर्ष में हुए वामपंथी माओवादियों द्वारा किये गए हमले और जम्मू कश्मीर में किये गए हमले शामिल नहीं है, क्योंकि वो अलग विषय है।यहां एक बात और याद दिलाना जरूरी है कि जब बाटला हाउस एनकाउंटर हुआ था* और इंडियन मुजाहिदीन के आतंकवादी उस में मारे गए तो तत्कालीन कांग्रेस की मुखिया श्रीमती सोनिया गांधी उन आतंकवादियों की लाशों को देखकर फूट फूट कर रोई थी, जैसे कि कोई अपने घर का चला गया हो।

2014 में मोदी के आने के बाद से इस लेख के लिखे जाने तक मुझे याद नहीं कि दिल्ली की सड़कों, हैदराबाद, अहमदाबाद और अयोध्या के चौराहों पर, जयपुर और बनारस की गलियों में कोई ऐसा बम ब्लास्ट हुआ हो, जहां कोई मंदिर या मस्जिद जाने वाला, कोई दिवाली के लिए खरीदारी करने वाला, कोई रेस्टोरेंट में अपने परिवार के साथ बैठा व्यक्ति या मुम्बई की लोकल ट्रेन में यात्रा करता एक नागरिक बम ब्लास्ट में चीथड़े हो जाए जानते हैं क्यों ?? 
क्योंकि इस देश में आम चुनाव द्वारा *इलैक्टेड प्रधानमन्त्री* Narendra Modi का राज है... जबकि आज से पहले आतंकवादियों के लाश पर आँसू बहाने वालों द्वारा *सलेक्टेड प्रधानमंत्री* का राज था।

देश के अंदर वो रक्तपात नही हुआ, जिसका गवाह ये देश 2004 से 2014 तक बना... *मेरे लिए तो यही एक कारण काफी है कि भाजपा को वोट दिया जाए* 
आपके और आपके परिवार का जीवित रहना बहुत जरूरी है... इस समय विश्व मे दो सभ्यताओं का संघर्ष (clash of civilizations) कहना गलत है, ये "दो सभ्यताओं का संघर्ष" है ही नहीं। यदि ये दो सभ्यताओं का संघर्ष होता तो इसमें दोनों पक्ष सभ्य होते। यहां तो एक पक्ष प्राकृतिक, सनातनी, स्थिर, दैवीय, वैदिक, सर्व समावेशी, अहिंसक, सृजनात्मक और शांतिपूर्ण सहअस्तित्व की वैश्विक दार्शनिक चिंतनधारा वाला सभ्य है तो दूसरा पक्ष कृत्रिम, आदिम, क्षणिक, अमानवीय, बर्बर, क्रूर, आसुरी, हिंसक, बलात्कारी, असहिष्णु और विध्वंसक असभ्य है।

कहाँ हुआ ये संघर्ष दो का? 
ये संघर्ष "सभ्य बनाम असभ्य" का है।
🚩 *वन्दे मातरम्.. जय श्री राम.*🚩🙏

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