राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी को प्रयोगधर्मी घटनाओं की गहराई से जाँच करनी चाहिए - अरविन्द सिसोदिया



राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी को प्रयोगधर्मी घटनाओं की गहराई से जाँच करनी चाहिए - अरविन्द सिसोदिया

हाथरस हादसा  एनआईए को सौंपा जाये - अरविन्द सिसोदिया 

देश में जबसे राहुल गाँधी राजनैतिक रूप से फैल हुए है, तबसे पिछले कई सालों से प्रत्यक्ष - अप्रत्यक्ष यह देखने में आरहा है कि देश की राजनैतिक दिशा को मनचाहे तरीके से मोडने, तोड़ने, विकृत करने में बाहरी ताकतों के धनबल से पोषित एनजीओ और अन्य ताकतें अपना प्रभाव उपयोग कर आंतरिक अशांती,विघ्न बाधा उत्पन्न कर रहीं हैँ और फिर उनके साथ कांग्रेस एंड कंपनी ख़डी हो जाती है । 

जैसे सीएए के खिलाफ सोनिया गाँधी नें घरों से बाहर निकलने का आव्हान करती हैँ, सड़कों पर शाहीन बाग लगते हैँ और भारत की सरकार से लेकर भारत के लोगों तक को जम कर कोसा जाता है। जबकि सीएए से किसी की नागरिकता जा नहीं रही थी और  बहुत बड़ी संख्या में नागरिकता मिल भी नहीं रही थी। किन्तु उसका हुल्लड इतना बड़ा था कि उससे एक वोट बैंक भाजपा के खिलाफ खड़ा किया गया या हिन्दुओं के विरुद्ध खड़ा किया गया। क्योंकि तीन तलाक कानून से मुस्लिम महिला वर्ग भाजपा से जुड़ गया था। उसे भाजपा से अलग करने शाहीन बाग खड़े किये गये। मुस्लिम महिलाओं से ही इनमें भाषण करवाये गये।

कथित किसान आंदोलन वाया कनाडा खड़ा किया गया, किसानों के हित के तीनों कानूनों का जबरिया वापस करवाया, इस आंदोलन में पंजाब, हरियाणा यूपी के वे किसान थे जो एमएसपी का सबसे ज्यादा फायदा उठाते हैँ। जिनके पास सुनिश्चित उत्पादन देनें वाली खेती है।आंदोलन का मकसद यूपी और पंजाब के चुनाव में भाजपा को पूरी तरह साफ करना था। इसे हवा देनें में बहुतसी ताकतें लगीं। देश की राजधानी को महीनों बंधक बनाया गया। कांग्रेस पंजाब में अपने गलत निर्णयों से हार गईं, मगर उसका लाभ आप पार्टी को मिल गया। लेकिन भाजपा साफ हो गईं,आंदोलन का मकसद किसानहित था भी नहीं, मकसद भाजपा को हटाना था, वे सफल रहे। यूपी में योगीजी का बुलडोजर प्रयोग उन्हें बचा ले गया। क्योंकि योगीजी नें यूपी की गुंडागर्दी पूरी तरह समाप्त करदी थी। वर्ना भाजपा वहाँ भी हार सकती थी। 

मणिपुर में हिंसा उत्पन्न करने वाली विदेशी ताकतें हैँ, इनके पक्ष में अमेरिका के एक पूर्व राष्ट्रपति का बयान भी आया था। वहाँ ईसाई और हिन्दू आदिवासियों में हिंसक झड़पें कई दशकों से चली आरही है। यहाँ विदेशी ताकतें बर्मा क़ी जमीन से हिंसा उत्पन्न करवाते हैँ। हिन्दू आदिवासियों वहाँ खतरे में हैँ, मीडिया और विदेश से ईसाई आदिवासियों क़ी खबरें प्लांट होती हैँ। यह हिंसा षड्यंत्रपूर्ण प्लांट थी और उसका लाभ कांग्रेस नें उठाया।

भाजपा को सत्ता से बाहर करने के लिए वेश्विक ईसाई मिशनरियों क़ी पसंद कांग्रेस है, वे उसको स्थापित करने हेतु एड़ी चोटी का जोर लगाये हुए है। अडानी के खिलाफ एक बेहद मामूली शोध संस्था हिड्नेबर्ग क़ी झूठी रिपोर्ट इस तरह प्लांट की गईं थी कि अडानी सहित भारत के करोड़ो निवेशकों को भारी नुकसान उठाना पड़ा। अडानी अभी तक उस बड़े नुकसान से नहीं उबरे, यह हानी देश की और देश के एक नागरिक की है। वहाँ के अति सम्पन्न पूंजीपति जॉर्ज सोरस मोदीजी की सरकार को अपदस्थ करने की घोषणाएं करते रहते हैँ और ठीक चुनाव के बीच वेक्सीन को जान लेवा होनें क़ी खबर भी प्लांट थी, यह सारी रचना पूर्व निर्धारित षड्यंत्र थी जिसका मकसद भारत के आम चुनाव प्रभावित करना था और चुनावबाद वह खबर गायब हो गईं।

भारत में आपराधिक राजनैतिक हस्तक्षेप आतंकवादियों के द्वारा कई दसको से देखने में आरहा है, इसके पीछे मूल रूप से तब पाकिस्तान रहता था। मोदीजी से पहले भी चुनावी सभाओं में आतंकी हमले हुये हैँ। किन्तु जब से सोनिया गाँधी और राहुल गाँधी, तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिँह के साथ चीन पहुंच कर पार्टिगत समझौता चीन से करके आये हैँ तब से भारत में अपरोक्ष आरोप प्रत्यारोप और घटनाक्रमों में बड़ोत्री हुईं है तथा चीन को बैकअप देनें का काम करते राहुल गाँधी स्पष्ट प्रतीत हुए हैँ।

चीन की सेना का पक्ष लेकर भारत को कमजोर ठहराने के बयान तथा राफेल व अग्निवीर का विरोध भारत की सेना को कमजोर रखने का षड्यंत्र है जो भारत के शत्रु राष्ट्रो का हित मात्र है।

जिस दिन मोदीजी का मंत्रीमंडल शपथ ले रहा था ठीक उसी समय हिन्दू तीर्थंयात्रीयों क़ी बस को आतंकवादियों द्वारा निशाना बना कर शपथ क़ी खबर को दबाने का षड्यंत्र प्रतीत होता है। वहीं जब राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर मोदीजी उत्तर दे रहे थे, तब हाथरस हादसा षड्यंत्र अधिक प्रतीत हो रहा है।

अर्थात भारत में आपराधिक रूप से षड्यंत्रपूर्ण तरीके से राजनैतिक वातावरण खराब करने और आराजकता उत्पन्न करने के जो षड्यंत्र चल रहे हैँ, उनके असली चेहरे उजागर करने होंगे। क्योंकि ये देश पर आक्रमण है। इसलिए हाथरस सहित तमाम पूर्ववर्ती घटनाक्रमों की जाँच करवाये जानें और उसकी रिपोर्ट से संसद को अवगत करवाये जानें की महती आवश्यकता, राष्ट्र हित में हैँ। इस हेतु केंद्र सरकार को आवश्यक कदम उठाना चाहिए।

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