भारत का सच्चा मित्र साबित होता रहा है रूस - अरविन्द सिसोदिया indian pm modi russian-president-putin
भारत का सच्चा मित्र साबित होता रहा है रूस - अरविन्द सिसोदिया
रूस के राष्ट्रपति पुतिन और भारत के प्रधानमंत्री मोदी के बीच होनें वाली द्विपक्षीय वार्ता निश्चित ही नये युग के नये समीकरणों के बीच नई आशाओं के लिये जीवंत प्रयासों की दिशा में सकारात्मक होगी।
आजादी के बाद से ही भारत का सच्चा मित्र साबित होता रहा है सोबियत संघ और विघटन के पश्चात रूस .... ! इसका ताजा उदाहरण हाल ही में सम्पन्न लोकसभा के आम चुनाव थे । जिसमें अमेरिका के द्वारा कपटनीति से इन चुनावों में असर डालनें का खुलासा रूस नें अधिकृत बयान जारी कर किया था।
अगर हम संयुक्त राष्ट्र को सामने रख कर अमेरिका की नीतियों को देखें तो हमेशा ही भारत विरोध की नीति पर अमेरिका रहा है। जबकि सभी नाजुक मौंकों पर भारत का साथ रूस नें दिया है। वर्तमान में पंजाब में खलिस्तान समर्थन पनपानें में और मणीपुर हिंसा में इसाई आदिवासियों को उकसानें में अपरोक्ष भूमिका अमेरिका एण्ड कंपनी की है। जिसे पूरा विश्व जानता है। ईसाई विस्तारवाद की मुख्यभूमिका निभानें वाली इसाई मिशनरियों की इच्छापूर्ती का कार्य अमेरिका से ही होता है।
इससे पहले भी अनेकों बार भारत के पक्ष में वीटो करके रूस नें भारत का साथ दिया है।रूस ने कश्मीर जैसे मुद्दों पर भारत को हमेशा साथ दिया है और भारत के पक्ष में अपने यूएनएससी वीटो का इस्तेमाल किया है। दोनों ही देशों ने एक दूसरे की निंदा करने से परहेज किया है और गुटनिरपेक्षता की नीति को बनाए रखा है । रूस का भारत के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा रहने का सिलसिला 1957 से चला आ रहा है। तब से लेकर अब तक एक दो नहीं बल्कि कुल छह मौके आए जब रूस ने भारत के खिलाफ लाए गए प्रस्तावों को अपने विटो पावर से रोक दिया।
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रूस ने बताया भारत के चुनावों में बाहरी हस्तक्षेप हो रहा है
भारत के पक्ष में रूस ने दिया बड़ा बयान, अमेरिकी नीतियों की उड़ाई धज्जियां
रूस से भारत का साथ देते हुए अमेरिका की जमकर क्लास लगाई है। रूस ने कहा कि अमेरिका भारत को ना तो समझता है और ना ही उसका सम्मान करता है। रूस ने अमेरिका पर भारत में हो रहे आम चुनाव को प्रभावित करने का आरोप भी लगाया है।
May 09, 2024
मॉस्को: रूस ने अमेरिका पर भारत के घरेलू मामलों और मौजूदा चुनावों में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया है। रूस ने कहा है कि अमेरिका ने उसके देश में एक खालिस्तानी आतंकवादी की हत्या की साजिश में भारतीय नागरिकों की संलिप्तता होने का कोई ठोस सबूत अभी तक मुहैया नहीं कराया है। अमेरिकी संघीय अभियोजकों ने भारतीय नागरिक निखिल गुप्ता पर गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की नाकाम साजिश में एक भारतीय सरकारी कर्मचारी के साथ मिलकर काम करने का पिछले साल नवंबर में आरोप लगाया था। आतंकवाद के आरोपों में भारत में वांछित पन्नू के पास अमेरिका और कनाडा की दोहरी नागरिकता है। उसे केंद्रीय गृह मंत्रालय ने गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत आतंकवादी के रूप में सूचीबद्ध किया था।
'अमेरिका लगाता है निराधार आरोप' - ‘वाशिंगटन पोस्ट’ ने अपनी एक रिपोर्ट में दावा किया है कि भारत रूस और सऊदी अरब जैसी नीतियों को अपनाने की कोशिश कर रहा है। इस बारे में प्रतिक्रिया मांगे जाने पर रूसी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया जखारोवा ने कहा, ‘‘हमारे पास जो जानकारी है उसके मुताबिक वाशिंगटन ने अभी तक जी एस पन्नू की हत्या की साजिश में भारतीय नागरिकों की संलिप्तता का कोई विश्वसनीय सबूत नहीं दिया है। साक्ष्यों के अभाव में इस विषय पर अटकलें लगाना अस्वीकार्य है।’’ उन्होंने कहा कि अमेरिका को भारत की राष्ट्रीय सोच एवं इतिहास की समझ नहीं है और वह भारत में धार्मिक स्वतंत्रता के बारे में ‘‘निराधार आरोप’’ लगाता रहता है।
'अमेरिका भारत का सम्मान नहीं करता'
जखारोवा ने कहा, ‘‘अमेरिका नई दिल्ली के खिलाफ नियमित रूप से निराधार आरोप लगाता रहता है। हम देखते हैं कि वो ना केवल भारत बल्कि कई अन्य देशों पर भी धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन करने के आधारहीन आरोप लगाते हैं जो दर्शाता है कि अमेरिका भारत की राष्ट्रीय सोच को नहीं समझता, उसे भारत के विकास के ऐतिहासिक संदर्भ की समझ नहीं है और वह एक देश के रूप में भारत का सम्मान नहीं करता।’’ रूसी प्रवक्ता ने इस ‘‘हस्तक्षेप को औपनिवेशिक काल की मानसिकता’’ बताते हुए अमेरिका पर लोकसभा चुनावों को जटिल बनाने का आरोप लगाया।
'भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप' - ‘आरटी न्यूज’ ने जखारोवा के हवाले से कहा, ‘‘वो आम संसदीय चुनावों को जटिल बनाने के लिए भारत की आंतरिक राजनीतिक स्थिति को असंतुलित करने का प्रयास कर रहे हैं। यह भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने का तरीका है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘घरेलू और अंतरराष्ट्रीय, दोनों मामलों में वाशिंगटन से अधिक दमनकारी शासन की कल्पना करना कठिन है।’’
यह भी जानें -‘वाशिंगटन पोस्ट’ ने अज्ञात स्रोतों का हवाला देते हुए पिछले साल अमेरिकी धरती पर पन्नू की हत्या की कथित साजिश में ‘रिसर्च एंड एनालिसिस विंग’ (रॉ) के एक अधिकारी के शामिल होने का आरोप लगाया था। भारत ने इन आरोपों को सिर से खारिज करते हुए कहा है कि रिपोर्ट में एक गंभीर मामले पर ‘‘अनुचित और निराधार’’ आरोप लगाए गए हैं और मामले की जांच जारी है। (भाषा)
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भारत-रूस संबंध
प्रिलिम्स के लिये:
ब्रह्मोस मिसाइल, इन्द्र अभ्यास, कामोव-226, एस-400 ट्रायम्फ।
मेन्स के लिये:
भारत-रूस संबंधों के बदलते रुझान।
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत और रूस ने अपने राजनयिक संबंधों की 75वीं वर्षगाँठ मनाई।
भारत-रूस संबंधों के विभिन्न पहलू : -
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि:
भारत और रूस के संबंध काफी पुराने हैं। अक्बतूर 2000 में "भारत-रूस सामरिक साझेदारी घोषणा" पर हस्ताक्षर करने के बाद से, भारत-रूस संबंधों ने राजनीतिक, सुरक्षा, रक्षा, व्यापार और अर्थव्यवस्था, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, तथा संस्कृति सहित द्विपक्षीय संबंधों के लगभग सभी क्षेत्रों में सहयोग के बढ़े हुए स्तरों के साथ एक गुणात्मक रूप से नया स्वरूप देखा गया है।
शीत युद्ध के दौरान, भारत और सोवियत संघ के बीच एक मज़बूत रणनीतिक, सैन्य, आर्थिक और राजनयिक संबंध थे। सोवियत संघ के विघटन के बाद, रूस को भारत के साथ अपने घनिष्ठ संबंध विरासत में मिले, जिसके परिणामस्वरूप दोनों देशों ने एक विशेष सामरिक संबंध साझा किया।
हालांँकि, पिछले कुछ वर्षों में खासकर पोस्ट-कोविड परिदृश्य में संबंधों में भारी गिरावट आई है। इसका सबसे बड़ा कारण रूस के चीन और पाकिस्तान के साथ घनिष्ठ संबंध हैं, जिन्होंने पिछले कुछ वर्षों में भारत के लिए कई भू-राजनीतिक मुद्दों का कारण बना दिया है।
राजनीतिक संबंध:
भारत के प्रधानमंत्री और रूसी संघ के राष्ट्रपति के बीच वार्षिक शिखर सम्मेलन भारत और रूस के बीच रणनीतिक साझेदारी में सर्वोच्च संस्थागत वार्ता तंत्र है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने वर्ष 2018 में रूसी संघ के सोची शहर में अपना पहला अनौपचारिक शिखर सम्मेलन आयोजित किया।
वर्ष 2019 में, राष्ट्रपति पुतिन ने PM नरेंद्र मोदी को रूस के सर्वोच्च सम्मान - “ऑर्डर ऑफ सेंट एंड्रयू द एपोस्टल” प्रदान किया। रूस और भारत के बीच एक विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी के विकास और रूसी और भारतीय लोगों के बीच मैत्रीपूर्ण संबंधों के विकास में उनके विशिष्ट योगदान के लिये प्रधानमंत्री को यह समान प्रदान किया गया था।
दो अंतर-सरकारी आयोग की वार्षिक बैठक होती है - पहला व्यापार, आर्थिक, वैज्ञानिक, तकनीकी और सांस्कृतिक सहयोग (IRIGC-TEC) पर, और दूसरा सैन्य-तकनीकी सहयोग (IRIGC-MTC) पर।
व्यापारिक संबंध:
दोनों देश वर्ष 2025 तक द्विपक्षीय निवेश को 50 अरब अमेरिकी डॉलर और द्विपक्षीय व्यापार को 30 अरब अमेरिकी डॉलर तक बढ़ाने का ज़ोर दे रहे हैं।
वित्त वर्ष 2020 के दौरान द्विपक्षीय व्यापार 8.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर का था।
2013 से 2016 तक दोनों देशों के बीच व्यापार प्रतिशत में बड़ी गिरावट आई थी। हालाँकि, यह 2017 से बढ़ा और 2018 और 2019 में भी लगातार वृद्धि देखी गई।
रक्षा और सुरक्षा संबंध:
भारत-रूस सैन्य-तकनीकी सहयोग एक क्रेता-विक्रेता ढांँचे से विकसित हुआ है जिसमें उन्नत रक्षा प्रौद्योगिकियों और प्रणालियों के संयुक्त अनुसंधान, विकास और उत्पादन शामिल हैं।
दोनों देश नियमित रूप से त्रि-सेवा अभ्यास 'इंद्र' आयोजित करते हैं।
भारत और रूस के बीच संयुक्त सैन्य कार्यक्रमों में शामिल हैं:
ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल कार्यक्रम
5वीं पीढ़ी का लड़ाकू जेट कार्यक्रम
सुखोई एसयू-30एमकेआई कार्यक्रम
इल्यूशिन/एचएएल सामरिक परिवहन विमान
KA-226T ट्विन-इंजन यूटिलिटी हेलीकॉप्टर
कुछ युद्धपोत
भारत द्वारा रूस से खरीदे/पट्टे पर लिये गए सैन्य हार्डवेयर में शामिल हैं:
एस-400 ट्रायम्फ
मेक इन इंडिया पहल के तहत भारत में बनेगी 200 कामोव Ka-226
टी-90एस भीष्म
आईएनएस विक्रमादित्य विमान वाहक कार्यक्रम
रूस अपने पनडुब्बी कार्यक्रमों में भारतीय नौसेना की सहायता करने में भी बहुत महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है:
भारतीय नौसेना की पहली पनडुब्बी, 'फॉक्सट्रॉट क्लास' रूस से ली गई थी।
भारत अपने परमाणु पनडुब्बी कार्यक्रम के लिये रूस पर निर्भर है।
भारत द्वारा संचालित एकमात्र विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रमादित्य भी मूल रूप से रूस का है।
भारत द्वारा संचालित चौदह पारंपरिक पनडुब्बियों में से नौ रूी की हैं।
भारत और रूस के बीच संबंधों के अन्य महत्त्वपूर्ण क्षेत्र:
परमाणु संबंध:
परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग के क्षेत्र में रूस भारत का महत्त्वपूर्ण भागीदार है। यह भारत को एक मतभेद रहित अप्रसार रिकॉर्ड के साथ उन्नत परमाणु प्रौद्योगिकी वाले देश के रूप में मान्यता देता है।
कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र (KKNPP) भारत में बनाया जा रहा है।
भारत और रूस दोनों बांग्लादेश में रूपपुर परमाणु ऊर्जा परियोजना को स्थापित कर रहे हैं।
अंतरिक्ष अन्वेषण:
दोनों पक्ष बाहरी अंतरिक्ष के शांतिपूर्ण उपयोग में सहयोग करते हैं जिसमें उपग्रह प्रक्षेपण, ग्लोनास नेविगेशन प्रणाली (GLONASS navigation system), रिमोट सेंसिंग और बाह्य अंतरिक्ष के अन्य सामाजिक अनुप्रयोग शामिल हैं।
19वें द्विपक्षीय शिखर सम्मेलन के दौरान मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम के क्षेत्र में संयुक्त गतिविधियों पर एक समझौता ज्ञापन इसरो और रोस्कोसमोस द्वारा किये गए।
विज्ञान और तकनीक:
IRIGC-TEC के तहत कार्य कर रहे विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी पर कार्य समूह, एकीकृत दीर्घकालिक कार्यक्रम (ILTP) और बुनियादी विज्ञान सहयोग कार्यक्रम द्विपक्षीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी सहयोग हेतु तीन मुख्य संस्थागत तंत्र हैं, जबकि दोनों देशों की विज्ञान अकादमियांँ अंतर-अकादमी आदान-प्रदान हेतु इसे बढ़ावा देती हैं।
इस क्षेत्र में कई नई पहलों में भारत-रूस ब्रिज़ टू इनोवेशन, टेलीमेडिसिन में सहयोग, पारंपरिक ज्ञान डिजिटल लाइब्रेरी (TKDL) का निर्माण और विश्वविद्यालयों के रूस इंडिया नेटवर्क (RIN) शामिल हैं।
सांस्कृतिक संबंध:
प्रमुख विश्वविद्यालयों और स्कूलों सहित लगभग 20 रूसी संस्थान में नियमित रूप से लगभग 1500 रूसी छात्रों को हिंदी पढ़ाई जाती हैं।
हिंदी के अलावा, रूसी संस्थानों में तमिल, मराठी, गुजराती, बंगाली, उर्दू, संस्कृत और पाली जैसी भाषाओं को पढ़ाया जाता है।
भारतीय नृत्य, संगीत, योग और आयुर्वेद कुछ अन्य रुचियों में से हैं जिनका रूस के लोग रूचि रखते हैं।
भारत के लिये रूस का महत्त्व:
चीन को संतुलित करना: पूर्वी लद्दाख के सीमावर्ती क्षेत्रों में चीनी आक्रमण ने भारत-चीन संबंधों को एक मोड़ पर ला दिया, इससे यह भी प्रदर्शित हुआ कि रूस चीन के साथ तनाव को कम करने में योगदान दे सकता है।
लद्दाख के विवादित क्षेत्र में गलवान घाटी में घातक झड़पों के बाद रूस ने रूस, भारत और चीन के विदेश मंत्रियों के बीच एक त्रिपक्षीय बैठक आयोजित की।
आर्थिक जुड़ाव के उभरते नए क्षेत्र: हथियार, हाइड्रोकार्बन, परमाणु ऊर्जा और हीरे जैसे सहयोग के पारंपरिक क्षेत्रों के अलावा, आर्थिक जुड़ाव के नए क्षेत्रों के उभरने की संभावना है - खनन, कृषि-औद्योगिक और उच्च प्रौद्योगिकी, जिसमें रोबोटिक्स, नैनोटेक, और बायोटेक।
रूस के सुदूर पूर्व और आर्कटिक में भारत के पदचिन्हों का विस्तार होना तय है। कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट्स को भी बढ़ावा मिल सकता है।
आतंकवाद का मुकाबला: भारत और रूस अफगानिस्तान के बीच की खाई को पाटने हेतु कार्य कर रहे हैं और दोनों देशों द्वारा अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक सम्मेलन को जल्द से जल्द अंतिम रूप देने का आह्वान किया गया है।
बहुपक्षीय मंचों पर समर्थन: इसके अतिरिक्त रूस संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) और परमाणु आपूर्तिकर्त्ता समूह (NSG) की स्थायी सदस्यता के लिये भारत की उम्मीदवारी का समर्थन करता है।
रूस का सैन्य निर्यात: रूस भारत के लिये सबसे बड़े हथियार निर्यातकों में से एक रहा है। यहाँ तक कि पिछले पाँच वर्षों (2011-2015) की तुलना में पिछले पाँच साल की अवधि में भारत के हथियारों के आयात में रूस की हिस्सेदारी 50% से अधिक गिर गई।
वैश्विक हथियारों के व्यापार पर नज़र रखने वाले स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट के अनुसार, पिछले 20 वर्षों में भारत ने रूस से 35 बिलियन अमेरिकी डॉलर के हथियार आयात किये हैं।
आगे की राह
समय पर रखरखाव सहायता प्रदान करने के लिये रूस: भारतीय सेना के साथ सेवा में रूसी हार्डवेयर की बड़ी सूची के लिये पुर्जों की समय पर आपूर्ति और समर्थन भारत की ओर से एक प्रमुख मुद्दा रहा है।
इसे संबोधित करने के लिये रूस ने वर्ष 2019 में हस्ताक्षरित एक अंतर-सरकारी समझौते के बाद इसे संबोधित करने के लिये अपनी कंपनियों को भारत में संयुक्त उद्यम स्थापित करने की अनुमति देते हुए विधायी परिवर्तन किये हैं।
इस समझौते को समयबद्ध तरीके से लागू करने की ज़रूरत है।
एक दूसरे के महत्त्व को स्वीकार करना: रूस आने वाले दशकों तक भारत के लिये एक प्रमुख रक्षा भागीदार बना रहेगा।
दूसरी ओर, रूस और चीन वर्तमान में एक अर्द्ध-गठबंधन में हैं। रूस बार-बार दोहराता है कि वह खुद को किसी के कनिष्ठ साझेदार के रूप में नहीं देखता है। इसलिये रूस चाहता है कि भारत एक संतुलक की तरह काम करे।
संयुक्त सैन्य उत्पादन: दोनों देश इस बात पर चर्चा कर रहे हैं कि वे तीसरे देशों को रूसी मूल के उपकरणों और सेवाओं के निर्यात के लिए भारत को उत्पादन आधार के रूप में उपयोग करने में कैसे सहयोग कर सकते हैं।
स्रोत- इंडियन एक्सप्रेस
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