सुप्रीम कोर्ट नें करोड़ों मुस्लिम महिलाओं को आर्थिक सुरक्षा प्रदान की
सुप्रीम कोर्ट नें करोड़ों मुस्लिम महिलाओं को आर्थिक सुरक्षा प्रदान की
सर्वोच्च न्यायालय ने एक बार फिर मुस्लिम महिलाओं के साथ होनें वाले अन्याय से उन्हें मुक्त करते हुये, अपने पति से भरणपोषण का अधिकार दिया है। ऐसा ही निर्णय पहले भी शाहबानो प्रकरण में भी तब के सर्वोच्च न्यायालय नें दिया था, जिसे तब मुस्लिम धर्माचार्यों के दबाव में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गाँधी नें संसद से बदल दिया था। यह बदलाव संविधान की धर्मनिरपेक्षता के विरुद्ध था, किन्तु कांग्रेस हमेशा तुष्टिकरण की राजनीति वोट बैंक के लिये करती है
। किन्तु अब देश के प्रधानमंत्री भाजपा विचारधारा के नरेन्द्र मोदी है। इसलिए संसद से इस निर्णय को कोई खतरा नहीं है। जिस तरह तीन तलाक कानूनी रूप से अपराध घोषित कर मुस्लिम महिलाओं को मोदी सरकार नें राहत दी उसी तरह मुस्लिम महिलाओं को भरण पोषण के अधिकार का भी संरक्षण मोदी सरकार करेंगी। भाजपा सभी महिलाओं के आदर में विश्वास करती है।
न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना और न्यायमूर्ति आगस्टिन जार्ज की बेंच ने बहुत स्पष्टता से कहा मुस्लिम महिलाओं को भी वही अधिकार हैँ जो अन्य धर्म की महिलाओं को है। उन्होंने भरण पोषण के अधिकार को महिलाओं का मौलिक अधिकार ठहराते हुए , धार्मिक सीमाओं से परे भारत की धर्मनिरपेक्षता माना है। इसे लैंगिक समानता और वित्तीय सुरक्षा से भी जोड़ा है। इस प्रकार सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं के भरण पोषण के अधिकार की व्यापक व्याख्या करते हुए उसे अत्यंत गंभीरता से लेकर, महत्वपूर्ण अधिकार के रूप में स्थापित किया है। इस निर्णय के लिए सर्वोच्च न्यायालय न केवल धन्यवाद का पात्र है, बल्कि उसने भारत की कम से कम 15 करोड़ से अधिक मुस्लिम महिलाओं का कल्याण किया है उन्हें वित्तीय सुरक्षा प्रदान की है।
इस संदर्भ में एक डिबेट को मैंने सुना है, मुस्लिम धर्माचार्य एक तरफ शरिया कानून की बात करते हैं। वहीं दूसरी तरफ आपराधिक मामलों में जहां शरिया कानून में कठोर दंड के प्रावधान है, उससे वह मुकर जाते हैं और वहां संविधान की बात करते हैं। इस तरह से उनका खुद दोहरा रवैया उन्हें कटघरे में खड़ा कर देता है।
इस निर्णय के बाद किसी भी मुस्लिम महिला को सड़क पर नहीं छोड़ा जा सकता, उस महिलाओ के पास, उसके माँ बाप के पास, उसकी संतानों के पास एक भरण पोषण का अधिकार होगा। जो उसकी मदद करेगा और इस कानून का बड़ा फायदा यह होगा की मुस्लिम लोग तलाक से बचेंगे।
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सुप्रीम कोर्ट का फैसला शरिया कानून में दखल, विरोध में और क्या बोले मौलाना ?
सुप्रीम कोर्ट का फैसला शरिया कानून में दखल, विरोध में और क्या बोले मौलाना ?
सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता सैयद कासिम रसूल इलियास ने कहा कि ये शाहबानो केस की पुनरावृत्ति है. उन्होंने कहा कि शरिया कानून का पालन करना हमारा संवैधानिक अधिकार है.
- तलाकशुदा मुस्लिम महिलाओं के गुजारा भत्ते पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने अहम बैठक बुलाई है. कोर्ट के फैसले का कई मौलानाओं ने विरोध किया है. बैठक में शामिल मौलानाओं ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला शरिया कानून में दखल देने वाला है. शरिया कानून का पालन करना हमारा संवैधानिक अधिकार है. मौलानाओं ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला शाहबानो केस की पुनरावृत्ति है.
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