अग्निवीर योजना का विरोध, देशहित के प्रति शत्रुता जैसा - अरविन्द सिसोदिया Agniveer Scheme

अग्निवीर योजना का विरोध, देशहित के प्रति शत्रुता जैसा - अरविन्द सिसोदिया
Agniveer Scheme 

प्रश्न तो यह है कि जिस देश नें इस्लामिक गुंडागर्दी की सीधी कार्यवाही जैसी हिंसा को स्वतंत्रता के पहले भुगता हो और उसी आधार पर देश का विभाजन देखा हो, उसे अपनी स्वतंत्रता को अक्षुण्य रखने के लिये सेल्फ डिफेन्स जैसी अग्निवीर योजना को लाने में दशकों का विलंब क्यों देखना पड़ा। जबकि यह तो स्वतंत्रता के साथ पहले दिन से होना चाहिए था।
अग्निवीर योजना में जब कोई भर्ती होता है तो उसके विवेक से भर्ती होता है, यह उसका स्वविवेक है कोइ जोर जबरदस्ती नहीं है। वह जानता है कि इसमें जान का जोखिम है। इसलिए इस योजना के संदर्भ में झूठ की इजाजत नहीं होनी चाहिए, जो कि नेता प्रतिपक्ष के द्वारा सदन में बोला गया। एक अग्निवीर को मजदूर जैसे शब्द से संबोधित कर नेता प्रतिपक्ष नें भारत के बहादुर युवाओं का अपमान किया है।

में जब आठवीं पास करके नवी के लिए हाइस्कूल में भर्ती हुआ तो, हमें एनसीसी में भी प्रवेश लेना पड़ा जिसमें हमें रायफल चलाना तक सिखाया गया था। यह योजना सेल्फ डिफेन्स की दृष्टि से बहु उपयोगी थी, इसी का एक उच्च स्वरूप अग्निवीर योजना के रूप में हमारे सामने मोदीजी की सरकार नें रखा है। 

इजराईल में यदी अग्निवीर जैसी अनिवार्य योजना नहीं होती तो, उसे इस्लामिक देश कभी का समाप्त कर चुके होते। दुनिया के अनेकों देशों में अग्निवीर जैसी योजनायें हैँ। 

भारत में अग्निवीर योजना का विरोध वे दल कर रहे हैँ जो मुस्लिम वोट प्राप्त करते हैँ। वे अपने वोट बैंक को खुश रखने के लिये, अग्निवीर योजना का विरोध कर रहे हैँ। यह देश के भविष्य के साथ शुद्ध गद्दारी है। भारत में एक इस तरह का संम्प्रदाय भी रहता है। जो हिंसा का अपना अधिकार समझता है और कभी भविष्य में फिर कोई सीधी कार्यवाही जैसी घटना हुईं तो.... उससे मुकाबला अग्निवीर ही कर सकते हैँ। इसलिए देश के बहुसंख्यक समाज को खुल कर अग्निवीर योजना का स्वागत करना चाहिए।

अग्निवीर योजना से भारतीय सेना बहुत मज़बूत होगी और समाज के बीच सैन्य शक्ति से भरपूर युवा भी रहेंगे। इससे किसी भारतीय को तो एतराज नहीं होना चाहिए।

एतराज पाकिस्तान और चीन को अपरोक्ष हो सकता है। वहीं जनसंख्यावृद्धि कर भारत को गुलाम बनाने की योजना पर काम कर रहे लोगों को भी हो सकता है। कि जब वे जोर जबरदस्ती करेंगे तो अग्निवीर उनके रास्ते की रूकावट बन सकते हैँ। अग्निवीर समाज के रक्षक की भूमिका अदा कर सकते हैँ।

विपक्ष के कुछ दल जैसे कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस जो मुस्लिम वोट पर निर्भरता की राजनीति करते हैँ, वे ही अग्निवीर योजना के प्रमुख विरोधी हैँ। हालांकि उनका विरोध राष्ट्रघाती है। वे अपना वोट बैंक को बनाये रखने के लिए देश को संकट में कैसे डाल सकते हैँ। अग्निवीर योजना का विरोधी वही होगा जो देश का गद्दार होगा। अन्यथा देश की सुरक्षा, आंतरिक सुरक्षा पहली मुख्य जरूरत है।

मेरा मानना है की भारत में जन प्रतिनिधि बनने के लिए पहले अग्निवीर योजना में काम करना आवश्यक किया जाना चाहिए।
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केंद्र सरकार ने सेना में छोटी अवधि की नियुक्तियों की 'अग्निपथ योजना' जारी कर दी है। इस योजना के मुताबिक सेना में चार साल के लिए युवाओं की भर्ती होगी, जिन्हें अग्निवीर नाम से बुलाया जाएगा।

योजना के तहत भर्ती किए गए 25 प्रतिशत युवाओं को भारतीय सेना में चार साल के बाद आगे बढ़ने का मौका मिलेगा जबकि बाकी अग्निवीरों को नौकरी छोड़नी होगी।भारत पहली बार सेना में कम अवधि के लिए युवाओं को भर्ती करने जा रहा है। सरकार का कहना है कि विदेशों में भी सेना में इस तरह की भर्तियां होती रही हैं।

1- इजरायली कैडेट -
इसराइल में सैन्य सेवा पुरुषों और महिलाओं के लिए अनिवार्य है। पुरुष इसरायली रक्षा बल में तीन साल और महिलाएं लगभग दो साल तक सेवा करती हैं। यह देश और विदेश में इसरायली नागरिकों पर लागू होता है।

दक्षिण कोरिया -
दक्षिण कोरिया में राष्ट्रीय सैन्य सेवा के लिए एक मज़बूत सिस्टम बना हुआ है। शारीरिक रूप से सक्षम सभी पुरुषों को सेना में 21 महीने, नौसेना में 23 महीने या वायु सेना में 24 महीने की सेवा देना अनिवार्य है।

इसके अलावा दक्षिण कोरिया में पुलिस, तटरक्षक, अग्निशमन सेवा और कुछ विशेष मामलों में सरकारी विभागों में भी नौकरी करने का विकल्प मिलता है।

उत्तर कोरिया - 
उत्तर कोरिया में सबसे लंबी अनिवार्य सैन्य सेवा का प्रावधान है। इस देश में पुरुषों को 11 साल और महिलाओं को सात साल सेना में नौकरी करनी पड़ती है।

इरीट्रिया -
अफ्ऱीकी देश इरीट्रिया में भी राष्ट्रीय सेना में अनिवार्य रूप से सेवा देने का प्रावधान है। इस देश में पुरुषों, युवाओं और अविवाहित महिलाओं को 18 महीने देश की सेना में काम करना पड़ता है।

मानवाधिकार संगठनों के मुताबिक इरीट्रिया में 18 महीने की सेवा को अक्सर कुछ सालों के लिए बढ़ा दिया जाता है। कभी कभी तो इसे अनिश्चित काल के लिए भी कर दिया जाता है।

स्विट्ज़रलैंड -
स्विट्ज़रलैंड में 18 से 34 वर्ष की आयु के पुरुषों के लिए सैन्य सेवा अनिवार्य है। स्विट्ज़रलैंड ने इसे ख़त्म करने के लिए साल 2013 में मतदान किया था।

साल 2013 में तीसरी बार था जब इस मुद्दे को जनमत संग्रह के लिए रखा गया था।

स्विट्ज़रलैंड में अनिवार्य सेवा 21 सप्ताह लंबी है, इसके बाद सालाना अतिरिक्त प्रशिक्षण दिया जाता है।

अनिवार्य सेना को ज्वाइन करने का नियम देश में महिलाओं पर लागू नहीं होता है, लेकिन वे अपनी मर्ज़ी से सेना में भर्ती हो सकती हैं।

ब्राज़ील -
ब्राजील में 18 साल के पुरुषों के लिए सैन्य सेवा अनिवार्य है। ये अनिवार्य सेना 10 से 12 महीने के बीच रहती है. स्वास्थ्य कारणों के चलते सेना में अनिवार्य रूप से सेवा देने के मामले में छूट मिल सकती है।

अगर कोई युवा विश्वविद्यालय में पढ़ाई कर रहा है तो उसे कुछ समय के बाद सेना में अनिवार्य सेवा के लिए जाना होगा।

सैनिकों को इसके लिए छोटा वेतन, भोजन और बैरक में रहने के लिए मिलता है।

सीरिया -
सीरिया में पुरुषों के लिए सैन्य सेवा अनिवार्य है।मार्च 2011 में राष्ट्रपति बशर अल-असद ने अनिवार्य सैन्य सेवा को 21 महीने से घटाकर 18 महीने करने का फैसला लिया था।

जो व्यक्ति सरकारी नौकरी करते हैं और वे अगर अनिवार्य सैन्य सेवा नहीं करते तो उनकी नौकरी जा सकती है। एमनेस्टी इंटरनेशनल का कहना है कि अनिवार्य सैन्य सेवा से भागने वालों को 15 साल की जेल का सामना करना पड़ा है।

जॉर्जिया-
जॉर्जिया में एक साल के लिए अनिवार्य सैन्य सेवा है। इसमें तीन महीने के लिए युद्ध प्रशिक्षण दिया जाता है, बचे हुए 9 महीनों ड्यूटी ऑफिसर की तरह काम करना पड़ता है जो पेशेवर सेना की मदद करते हैं।

जॉर्जिया ने अनिवार्य सैन्य सेवा को बंद कर दिया था लेकिन 8 महीने के बाद ही इसे साल 2017 में फिर से शुरू कर दिया।

लिथुआनिया-
लिथुआनिया में अनिवार्य सैन्य सेवा को साल 2008 में खत्म कर दिया था।साल 2016 में लिथुआनिया की सरकार ने पांच साल के लिए इसे फिर से शुरू किया। सरकार का कहना था कि बढ़ते रूसी सैन्य खतरों के जवाब में ऐसा किया गया है।

लेकिन 2016 में फिर से शुरू कर दिया गया। यहां 18 से 26 साल के पुरुषों को एक साल के लिए सेना में अनिवार्य रूप से सेवा देनी पड़ती है।

स्वीडन - 
स्वीडन ने 100 सालों के बाद अनिवार्य सैन्य सेवा को 2010 में ख़त्म कर दिया था। साल 2017 में इसे फिर से शुरू करने के लिए मतदान किया गया।

इस फै़सले के बाद जनवरी 2018 से 4000 पुरुष और महिलाओं को अनिवार्य सैन्य सेवा में बुलाने का फैसला लिया गया। साल 2025 तक 8 हज़ार पुरुष और महिलाओं को अनिवार्य सैन्य सेवा के लिए लिया जाएगा।

तुर्की -
तुर्की में 20 साल से अधिक आयु के सभी पुरुषों के लिए सैन्य सेवा अनिवार्य है। उन्हें 6 से 15 महीने के बीच सेना में सेवा देनी पड़ती है।

ग्रीस -
ग्रीस में 19 साल के पुरुषों के लिए 9 महीने की सैन्य सेवा अनिवार्य है।

ईरान - 
ईरान में 18 साल से अधिक आयु के पुरुषों को 24 महीने सेना में नौकरी करनी पड़ती है।

क्यूबा -
क़्यूबा में 17 से 28 साल की आयु के पुरुषों को 2 साल तक अनिवार्य सैन्य सेवा करनी है।

इस प्रकार से दुनिया के वे तमाम देश युवाओं में सैन्य प्रशिक्षण आवश्यक रखते हैँ, जहाँ राष्ट्रहित के लिए इसकी आवश्यकता है। राष्ट्र होगा तो ही नागरिक होगा। जो लोग राष्ट्र की सुरक्षा में भी बाधा बनना चाहते हैँ, उन्हें देश का शत्रु ही माना जाना चाहिए।

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