इस तरह तो आतंकवादियों का सम्राज्य हो जायेगा - अरविन्द सिसोदिया

Ajmer sar tan se juda 
पुलिस का समझौतावादी होना अनर्थ, इस तरह तो आतंकवादियों का साम्राज्य हो जायेगा 

पुलिस अपराधियों के आगे आत्मसमर्पण करेंगी तो संविधान अर्थहीन हो जायेगा और लोकतंत्र आतंकतंत्र में बदल जायेगा। यह अघोषित इस्लामिक शासन ही कहा जायेगा।

कांग्रेस की गहलोत सरकार में जयपुर सीरियल बमब्लास्ट प्रकरण में आरोपियों के बरी होनें के बाद अब अजमेर के सर तन से जुदा नारे लगाने वाले बरी हो गये। इससे कांग्रेस सरकार पर तो प्रश्न उठा ही है वहीं पुलिस का इस तरह समझौतावादी होना भी व्यवस्था पर प्रश्न है, इससे तो कानून व्यवस्था के बजाए अपराधियों का साम्राज्य हो जायेगा। देश पुनः अघोषित गुलामी में फंस जायेगा।
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कांग्रेस की गहलोत सरकार में हुये कमजोर अभियोजन और चालान की खामियों के कारण अजमेर के 'सर तन से जुदा' के नारे लगाने वाले बरी हो गये। यही है कांग्रेस की तुष्टिकरण का प्रमाण! 

अजमेर में सर तन से जुदा करने के नारे लगाने वाले आरोपियों पर बेहद कमजोर केस बनाने और जानबूझ कर खामियाँ छोड़ने से आरोपी बरी हो गये हैँ।

तत्कालीन गहलोत सरकार इस जिम्मेदारी से बच नहीं सकती। पुलिस प्रशासन द्वारा पेश चालान में छोड़ी गई खामियों के चलते आरोपियों को इसका लाभ मिला है।

अजमेर में ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह के मुख्य निजाम गेट पर सर तन से जुदा के नारे लगाने वाले मुख्य आरोपी गौहर चिश्ती सहित अन्य पांच आरोपियों को आज न्यायालय द्वारा बरी कर दिया।

तत्कालीन गहलोत सरकार के पुलिस महकमे पर निशान साधा। उन्होंने कहा कि आज "सर तन से जुदा" करने वाले नारे लगाने वाले आरोपियों को बरी कर दिया, जिसके लिए तत्कालीन कांग्रेस की गहलोत सरकार जिम्मेदार है क्योंकि उस समय पुलिस प्रशासन द्वारा चालान पेश करते समय विभिन्न प्रकार की कानूनी खामियां छोड़ी गईं, ताकि आरोपियों को इसका सीधा-सीधा लाभ पहुंचे और आज यही हुआ है।

प्रकरण में आईपीसी की खामियों को ढाल बनाकर व अभियोजन पक्ष द्वारा कमजोर पैरवी करने के कारण देश में अलगाववादी ताकतों व आतंकवादी गतिविधियां करने वालों को बढ़ावा मिला है।

 देश के सौहार्द्र को बिगाड़ने का बढ़ावा देने वाला काम आज के फैसले में हुआ है, जिसके लिए तत्कालीन गहलोत सरकार व उनका पुलिस महकमा, कमजोर अभियोजन पक्ष और आईपीसी की खामियां जिम्मेदार हैं।

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