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केजरीवाल पार्टी टूटनें से बचने के लिये क्या पत्नि को मुख्यमंत्री बनायेंगे ? AAP Arvind Kejriwal

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  केजरीवाल पार्टी टूटनें से बचने के लिये क्या पत्नि को मुख्यमंत्री बनायेंगे ?  आम आदमी पार्टी के मुखिया नें अपने अनैतिक मुख्यमंत्री पद को ठोडनें में बहुत देर करदी , वे भारत के पहले मुख्यमंत्री हैं जिन्होनें मुख्मंत्री पद की गरिमा को हलाल किया है। वे लगातार महीनों महीनों मुख्यमंत्री जैसे गरिमापूर्ण पद के साथ अनैतिकता करते रहे। अहुत देर बाद उन्होनें मुख्यमंत्री पद ठोडनें का फैसला महज इसलिये लिश है कि सर्वोच्च न्यायालय नें उन्हे मुख्यमंत्री के कार्य करनें से पूर्णतः न केबल रोका बल्कि एक अपराधी जैसा ही माना है। अर्थात मजबूरी में वे पद ठोडनें के फैसले पर आये है। केजरीवाल जब पद छोड़  दें तब ही यह माना जायेगा कि उन्होनें पद छोड़  दिया है। क्यों कि जिस तरह उन्होनें जेल में रहते हुये भी पद बनाये रखा और कई अहम मौकों पर पत्नि सुनीता को आगे रखा , इससे यही प्रतीत होता है कि वे विधायकदल की बैइक में पुनः मुख्यमंत्री बन सकते है। अथवा अपनी पत्नि को मुख्यमंत्री बना सकते हैं। हालांकि पूरा ड्रामा सहानुभूति बटोरने का है , क्योंकि कुछ महीनों बाद ही दिल्ली के चुनाव हैं । क्यों कि यदि दिल्ली का मुख्यमंत्री कोई

कर्मचारी 48 घंटे पुलिस रिमांड अथवा जेल में तो निलंबित, तो मुख्यमंत्री क्यों नहीं ?- अरविन्द सिसौदिया APP Arvind Kejriwal

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कर्मचारी 48 घंटे पुलिस रिमांड अथवा जेल में तो निलंबित, तो मुख्यमंत्री क्यों नहीं ?- अरविन्द सिसौदिया नोट - अगर कर्मचारी 48 घंटे से ज्यादा पुलिस हिरासत में रहता है तो विभाग उसे निलंबित कर देता है। और कोर्ट द्वारा सजा हो जाने पर नौकरी समाप्त हो जाती है। भारतीय लोकतंत्र में यह सबसे शर्मनाक स्थिती है कि एक भ्रष्टाचार का आरोपी व्यक्ति जो छै माह के लगभग जेल में रहा है और अब जमानत पर है। उसे मुख्यमंत्री पद के कोई अधिकार नहीं हैं। तब भी वह दिल्ली का मुख्यमंत्री है। यह प्रश्न संवैधानिक व्यवस्था के साथ साथ न्यायालय को प्रश्नचिन्हित करता है। क्यों कि मुख्यमंत्री आम जनता के समान ही है। भारत में समानता का अधिकार उसे कोई अन्य विशिष्टता प्रदान नहीं करता है। जब कोई सरकारी कर्मचारी 48  घंटे पुलिस कस्टडी अथवा जेल में बिता लेता है तो पद से निलंबित हो जाता है और आरोप से मुक्त होनें पर ही पुनः पद प्राप्त कर सकता है। तो राजनैतिक व्यक्ति को पूरे 48 घंटे नहीं बल्कि 6 माह के लगभग जेल में रहनें पर और पद के कार्य को करनें पर रोक होनें पर भी मुख्यमंत्री बना हुआ है। न्यायपालिका को तो किसी नें रोका नहीं हैख् न ही उ

आप पार्टी को कांग्रेस विरोध से ही फायदा मिलेगा - अरविन्द सिसोदिया AAP Arvind kejriwal

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आप पार्टी को कांग्रेस विरोध से ही फायदा मिलेगा - अरविन्द सिसोदिया ( राजनैतिक विश्लेषक ) आप पार्टी के संयोजक अरविन्द केजरीवाल को जमानत मिल गई है उन्हें जमानत में कोई छूट नहीं मिली है बल्कि एक मुजरिम पर जो भी शर्तें लगाईं जातीं हरण वे सभी लगाईं गईं हैँ । वे मुख्यमंत्री के रूप में न्यायपालिका नें अपरोक्ष अस्वीकार कर दिए गए हैं । न वे मुख्यमंत्री कार्यालय जा सकते , न सचिवालय जा सकते और न मुख्यमंत्री के रूपमें हस्ताक्षर कर सकते । इससे आप पार्टी को भारी नुकसान होगा । अर्थात राजनैतिक फायदा नजर नहीं आरहा है । अभी तक आप पार्टी को कांग्रेस विरोध पर ही बड़ा  फायदा मिला है , क्योंकि आप को जो वोट बैंक है वही कांग्रेस का वोट बैंक  है । दिल्ली और पंजाब में आप पार्टी कांग्रेस का वोट बैंक तोड़ कर ही सत्ता में आई है । आप पार्टी को तभी फायदा होगा जब वह कांग्रेस के विरुद्ध खुल कर बोले , किन्तु अभी उनके नेता सिर्फ भाजपा के विरुद्ध ही बोलते हैं और बकबास पूर्ण बोलते हैं । इससे आप पार्टी को कोई फायदा नहीं होता । एक समय था तब अरविन्द केजरीवाल , मनीष सिसोदिया, संजय सिंह आदि परिवाद और भ्र्रष्टाचार

कालजयी संस्कृति को समाप्त करनें का षडयंत्र अब रोकना होगा - अरविन्द सिसौदिया

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कालजयी संस्कृति को समाप्त करनें का षडयंत्र अब रोकना होगा - अरविन्द सिसौदिया सनातन सभ्यता और हिन्दू संस्कृति अनादिकाल से जीवन्त है और उसे समाप्त करनें के लिये , उसके ज्ञान को समाप्त करनें के लिये, उसकी आदर्ष जीवन पद्यती को समाप्त करनें के लिये एक बडा षडयंत्र फिर से सिर उठा रहा है। इसे रोकना और विफल करना प्रत्येक भारत वासी का कर्त्तव्य है , प्रत्येक हिन्दू का सनातन का कर्त्तव्य है। देश की स्वतंत्रता में भारत के हिन्दूंओं से छल किया गया, स्वतंत्रता के बाद लगातार इसे छला गया और यह सब अब भी बडी बेशर्मी से हो रहा है। इस तस्वीर को बदलना होगा , इसके लिये मतशक्ति से सरकारों पर भी दबाव बना होगा । हिन्दुत्व को अक्क्षुण्य रखनें के लिये सब कुछ छोंक देना होगा, पूरी ताकत लगाना होगी, जो धारणा आज हमारे सामनें है, उसे बदलना होगा । इसका नीचे वर्णन है जो कि सोसल मीडिया पर फैली हुई है। इस धारणा को स्विकारना स्वयं आत्म हत्या करना होगा ।फ इसलिये आज से ही हिन्दुत्व को अजर अमर करने में जुट जायें। --------------- *शेर दहाड़ते रह गये, भेड़िए जंगल पर कब्जा बनाकर बैठ चुके हैं!* *हिन्दू एक मरती हुई नस्ल

राहुल गांधी के लोकतंत्र विरोधी साम्यवादी मंसूबे उजागर - अरविन्द सिसोदिया

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राहुल गांधी के लोकतंत्र विरोधी साम्यवादी मंसूबे उजागर - अरविन्द सिसोदिया Loktantra Virodhi Rahul राहुल गांधी के जन्म से बहुत पहले , परतन्त्र भारत में तब के बड़े नेता मोतीलाल नेहरू और जवाहरलाल नेहरू तब के रूस की यात्रा पर जाते थे , कम्युनिस्ट पार्टी के कार्यक्रमों में सम्मिलित होते थे । जब देश स्वतन्त्र हुआ तब हिंदी चीनी भाई भाई के नारे भी खूब सुनाई दिये। जो तिब्बत तब विदेशी मामलों में ब्रिटीश भारत के पास था और स्वतंत्र भारत के साथ रहना चाहता था । उसे नेहरूजी नें चीन की झोली में डाल दिया । नेहरूजी तब सैन्य गुटों में भी रूस के गुट में रहे और पाकिस्तान अमेरिकी गुट का फायदा उठाता रहा । अर्थात नेहरू परिवार का साम्यवादी प्रेम कई पीढ़ियों का है । जब कांग्रेस की सर्वेसर्वा सोनिया गांधी थीं और देश में कांग्रेस की मनमोहनसिंह सरकार थी तब सोनिया गांधी , राहुल गांधी और मनमोहनसिंह नें चीन यात्रा की और चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के साथ MoU किया । जिसकी तस्वीरें इंटरनेट पर अभी भी मिल जाती हैं । हाल ही में राहुल गांधी अपने गुरु सेम पित्रोदा के साथ अमेरिका में यात्रा पर हैं और वहां से उनका चीन प्रेम