कांग्रेस जिनसे नफ़रत करे उन पर टार्गेटेड विदेशी आक्रमण, क्या केमेस्ट्री है ? - अरविन्द सिसोदिया bbc and Hindenburg

कांग्रेस जिनसे नफ़रत करे उन पर विदेशी आक्रमण, क्या केमेस्ट्री है ? - अरविन्द सिसोदिया

भारत में जब से कांग्रेस सत्ता से बाहर हुई है, तबसे कुछ न कुछ वह चल रहा है, जिसकी कल्पना देश नहीं कर पाता।

विदेशी मूल की सोनिया जी जब सर्वेसर्वा थीं तब मनमोहन सिँह सरकार के दौरान एक सांम्प्रदायिकता  बिल आया था, यदि वह क़ानून बन जाता to बहुसंख्यक समाज खून के आँसू पिता, इस बिल से सोनिया जी और कांग्रेस की वास्तविक मानसिकता और उद्देश्य दोनों ही प्रगट होते हैं।

मोदी सरकार को काम से रोकने और हर काम में बखेड़ा करने की नीति लगातार कांग्रेस की नजर आ रही है।

नागरिकता कानून के विरुद्ध सड़कों पर उतरने का आव्हान सोनिया गांधी का ही था, जिसके कारण शाहीन बाग़ पूरे देश में जगह जगह लगे।  कोरोना के कालखंड  में जो निगेटिविटी का प्रदर्शन हुआ वह भी किसी से छीपा नहीं है।

यूपी पंजाब चुनाव के पहले एक टूल किट आधारित विदेशी हस्तीयों सहित तथाकथित किसान आंदोलन चला और यूपी पंजाब चुनाव परिणामों के साथ समाप्त भी हो गया।

हाल ही में दो विदेशी आक्रमण भारत पर अदृश्य टूलकिट योजना के तहत ही हूए हैं। पहले में बीबीसी जो ब्रिटेन से है के द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निशाना बनाया गया। उनकी छवि को ध्वस्त करंनें की पूरी पूरी कोशिश की गई ।
 वहीं  दूसरा आक्रमण अमेरिकी कंपनी हिड्नेबर्ग के द्वारा भारत के प्रमुख उद्योगपति गौतम अडानी ग्रुप पर हुआ, उनके विरुद्ध इस तरह का भ्रम उत्पन्न करवाया गया की वह बर्वाद हो गया। उसे भारी क्षति पहुंचाई गई।

दोनों आक्रमण उन सिरमौर लोगों पर किये गये  जिन्हे लगातार कांग्रेस कोसती आरही थी। इन विदेशी आक्रमण की टाइमिंग कई सवाल खडे करती है। मकसद भारत में अस्थिरता उत्पन्न करना है। 

कांग्रेस और उनके युवराज के निशांनें पर मोदी, संघ, अडानी, अंबानी निरंतर हैं। इन्हे कोसे बिना उन्हें पानी भी नहीं पचता। सवाल यही उठ रहा है कई क्या विदेशी संस्थाओं को आक्रमण के लिए किसी भारतीय राजनैतिक दल नें परचेज किया है?

पूरे विश्व में भारत के प्रधानमंत्री मोदी के अतिरिक्त तमाम राजनेता कोरोनाकाल में फैल हो चुके हैं। अमेरिका, चीन, ब्रिटेन, जर्मनी जो कि विज्ञान एन टेक्निलोजी से लेकर आर्थिक सम्पन्नता तक में अति समृद्ध थे, वे पूरी तरह विफल हूए। न वे कोरोना मैनेजनेंट कर पाये और न ही विश्वसनीय वेक्सीनेशन कर पाये, न ही आर्थिक जरूरतों को बहाल कर पाये। इस कारण पूरे विश्व में भारत सफल व सही निर्णयों वाला देश बन कर उभरा।

चीन जहां डूबने लगा वहीं भारत उभरने लगा। भारत के उभार  से चीन से इतर अन्य विकसित देशों को भी चिंता होनें लगी। अडानी इसी लिये निशांनें पर लिये गये कि भारत का विश्वस्तर पर उभार रोका जाये।

भारत को विज्ञान एवं टेक्नोलोजी से युक्त विनिर्माण का बड़ा हब बनने  से रोकने के लिये हिड्नेबर्ग रिपोर्ट आई है।

हिड्नेबर्ग कई कथित रिपोर्ट सत्य कम और तिल का ताड़ ज्यादा है। जो वे  कह रही है वह कोई सामान्य कंपनी के बलबूते  कि बात ही नहीं है, यह सब एक बहुत बड़ी रकम खर्च कर होने वाला प्रोजेक्ट है, जिसके पीछे कोई तो है। बड़े देश कि जासूसी संस्था जैसे नेटवर्क से हीयह  संभव है। और सब कुछ टार्गेटेट है।

मुख्य विषय यह है कि यह भारत कि संप्रभुता पर सीधा सीधा आक्रमण है। देश के इंटेलिजेंस सिस्टम को जगजाना चाहिए। क्योंकि कि यह सब वर्तमान मोदी सरकार को चुनाब 2024 में नुकसान पहुंचाने के टारगेट आक्रमण है।

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